मैंग्रोव संरक्षण क्यों जरुरी हैं । समृद्ध जैव विविधता का संरक्षण और मानव व प्रकृति का संघर्ष। *Hindi
मैंग्रोव संरक्षण क्यों जरुरी हैं । समृद्ध जैव विविधता का संरक्षण और मानव व प्रकृति का संघर्ष। *Hindi
'मैंग्रोव' एक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियों का संग्रह है, जो खारे पानी को सहन कर सकती हैं और समुद्री पानी में आंशिक रूप में जलप्लावित होने पर भी फलने-फूलने की क्षमता रखती है। पुर्तगाली शब्द 'मैन्गयू' और अंग्रेजी शब्द 'ग्रोव' से मिलकर 'मैंग्रोव' शब्द की उत्पत्ति हुई है।
भारतीय सुंदरबन क्षेत्र में पड़ने वाले सागर द्वीप (Sagar Island) से बुलबुल चक्रवात (Bulbul Cyclone) के तेजी से टकराने से वहाँ के मछुआरों तथा उनकी नावों को काफी नुकसान हुआ।
परंतु इसी बीच कलश द्वीप (Kalash Island) पर फँसे कुछ पर्यटक इसलिये सुरक्षित बचे क्योंकि उन्होंने वहाँ स्थित मैंग्रोव क्षेत्र में शरण ली।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, 110 से 135 किलोमीटर/घंटा की रफ़्तार से चलने वाली चक्रवाती हवाओं से सुंदरबन को बचाने में मैंग्रोव की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। इनकी अनुपस्थिति में यह चक्रवात खतरनाक साबित हो सकता था।
‘जादवपुर विश्वविद्यालय’ द्वारा किये गए एक अध्ययन में बताया गया है कि लगभग 10,000 वर्ग किमी. मैंग्रोव क्षेत्र, जो लाखों लोगों के भोजन, पानी और वन उत्पादों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, के लिये जलवायु परिवर्तन एक उभरता हुआ खतरा उत्पन्न कर रहा है।
आम तौर पर नदियों द्वारा लाई गई तलछट, यहाँ अवस्थित द्वीपों के क्षेत्रफल में वृद्धि करती थी, अब यह तलछट नदियों पर बनाए जा रहे बांधों द्वारा रोक ली जाती है। फलस्वरूप द्वीपों के क्षेत्रफल में कमी के साथ ही मैंग्रोव वनों के क्षेत्रफल में भी कमी देखी जा रही है।
मैंग्रोव क्या है?
ये छोटे पेड़ या झाड़ी होते हैं जो समुद्र तटों, नदियों के मुहानों पर स्थित ज्वारीय, दलदली भूमि पर पाए जाते हैं। मुख्यतः खारे पानी में इनका विकास होता है।
मुख्य बिंदु:
भारतीय सुंदरबन क्षेत्र में पड़ने वाले सागर द्वीप (Sagar Island) से बुलबुल चक्रवात (Bulbul Cyclone) के तेजी से टकराने से वहाँ के मछुआरों तथा उनकी नावों को काफी नुकसान हुआ।
परंतु इसी बीच कलश द्वीप (Kalash Island) पर फँसे कुछ पर्यटक इसलिये सुरक्षित बचे क्योंकि उन्होंने वहाँ स्थित मैंग्रोव क्षेत्र में शरण ली।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, 110 से 135 किलोमीटर/घंटा की रफ़्तार से चलने वाली चक्रवाती हवाओं से सुंदरबन को बचाने में मैंग्रोव की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। इनकी अनुपस्थिति में यह चक्रवात खतरनाक साबित हो सकता था।
‘जादवपुर विश्वविद्यालय’ द्वारा किये गए एक अध्ययन में बताया गया है कि लगभग 10,000 वर्ग किमी. मैंग्रोव क्षेत्र, जो लाखों लोगों के भोजन, पानी और वन उत्पादों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, के लिये जलवायु परिवर्तन एक उभरता हुआ खतरा उत्पन्न कर रहा है।
मैंग्रोव के दोहन का कारण:
हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT) ने मैंग्रोव वनों के दोहन की जाँच करने के लिये एक समिति का गठन किया जिसमें पाया गया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने बंगलर आबास (Banglar Abas) नामक योजना में घरों के वितरण के लिये मैंग्रोव वनों की कटाई की।
मैंग्रोव वनों का दोहन न सिर्फ एक्वाकल्चर के लिये बल्कि तटबंधों तथा मानवीय आवासों के लिये भी हुआ है।
मैंग्रोव संरक्षण के उपाय:
सुंदरबन के कुछ हिस्सों को कानूनी तौर पर राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों (विशेष रूप से बाघ संरक्षण) के रूप में संरक्षित किया गया है।
वैज्ञानिकों ने नीदरलैंड की तर्ज़ पर समुद्रतटीय मृदा के कटाव को रोकने हेतु डाइकों (Dikes) के निर्माण का सुझाव दिया है।
सुंदरबन को रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत शामिल किया जाना एक सकारात्मक कदम है। यह कन्वेंशन नमभूमि (Wetlands) और उनके संसाधनों के संरक्षण तथा बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का ढाँचा उपलब्ध कराता है।
सुभेद्यता के अनुसार सुंदरबन को विभिन्न उपक्षेत्रों में विभाजित कर प्रत्येक के लिये एक निर्देशित समाधान कार्यक्रम अपनाया जाना चाहिये।
इस क्षेत्र में नदियों के अलवणीय जल की मात्रा में वृद्धि के उपाय किये जाने चाहिये।
मानवीय कारणों से होने वाले निम्नीकरण को रोकने के लिये-
स्थानीय समुदायों को जागरूक करना एवं उनकी समस्याओं के लिये वैकल्पिक समाधानों को लागू करना।
सामान्य पर्यटन की जगह जैव-पर्यटन (Eco-Tourism) को बढ़ावा देना।
वनोन्मूलन (Deforestration) पर रोक एवं वनीकरण को बढ़ावा देना।
संकटग्रस्त जीवों एवं वनस्पतियों की सुरक्षा को बढ़ावा देना।
जैव-तकनीक के माध्यम से मैंग्रोव का संरक्षण एवं पुनर्स्थापन।
मैंग्रोव संरक्षण के उपाय, मैंग्रोव के दोहन का कारण, मैंग्रोव क्या है?, मैंग्रोव वनों का घटता क्षेत्र, पश्चिम बंगाल, पर्यावरण, सुंदरबन डेल्टा, मैंग्रोव, अतिक्रमण, मैंग्रोव संरक्षण kyu jarurui hain, मैंग्रोव का महत्व, मैंग्रोव की कमी का कारण बनता है, मैंग्रोव वन, मैंग्रोव स्थल, मैंग्रोव की कमी के कारण, मैंग्रोव वन Drishti IAS, मैंग्रोव वृक्ष किन वनों में पाए जाते हैं, मैन्ग्रोव फारेस्ट इन इंडिया, मैंग्रोव पारितंत्र (Mangrove Ecosystem), मैंग्रोव की विशेषताएँ (Features of Mangroves), मैंग्रोव क्षेत्रों का वर्गीकरण (Classification of Mangrove Areas), लाल मैंग्रोव (Red Mangrove), काली मैंग्रोव (Black Mangrove), भारत में मैंग्रोव वनस्पति (Mangroves in India), मैंग्रोव वनस्पति एवं प्राणिजात, प्राकृतिक जल शोधक, तटीय क्षरण, मैंग्रोव जैवविविधता, मैंग्रोव संरक्षण से जलवायु, मैंग्रोव संरक्षण, मैंग्रोव का महत्व, मैंग्रोव वन, मैंग्रोव की कमी का कारण बनता है, मैंग्रोव स्थल, मैंग्रोव की कमी के कारण, मैंग्रोव वन Drishti IAS, मैंग्रोव पारितंत्र, मैंग्रोव पौधे का नाम, हिन्दी में mangrove, गर्म जलवायु में पाए जाने वाले मैंग्रोव के पौधें, मैंग्रोव वन क्या होते हैं?,.
Видео मैंग्रोव संरक्षण क्यों जरुरी हैं । समृद्ध जैव विविधता का संरक्षण और मानव व प्रकृति का संघर्ष। *Hindi канала Taj Agro Products
'मैंग्रोव' एक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियों का संग्रह है, जो खारे पानी को सहन कर सकती हैं और समुद्री पानी में आंशिक रूप में जलप्लावित होने पर भी फलने-फूलने की क्षमता रखती है। पुर्तगाली शब्द 'मैन्गयू' और अंग्रेजी शब्द 'ग्रोव' से मिलकर 'मैंग्रोव' शब्द की उत्पत्ति हुई है।
भारतीय सुंदरबन क्षेत्र में पड़ने वाले सागर द्वीप (Sagar Island) से बुलबुल चक्रवात (Bulbul Cyclone) के तेजी से टकराने से वहाँ के मछुआरों तथा उनकी नावों को काफी नुकसान हुआ।
परंतु इसी बीच कलश द्वीप (Kalash Island) पर फँसे कुछ पर्यटक इसलिये सुरक्षित बचे क्योंकि उन्होंने वहाँ स्थित मैंग्रोव क्षेत्र में शरण ली।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, 110 से 135 किलोमीटर/घंटा की रफ़्तार से चलने वाली चक्रवाती हवाओं से सुंदरबन को बचाने में मैंग्रोव की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। इनकी अनुपस्थिति में यह चक्रवात खतरनाक साबित हो सकता था।
‘जादवपुर विश्वविद्यालय’ द्वारा किये गए एक अध्ययन में बताया गया है कि लगभग 10,000 वर्ग किमी. मैंग्रोव क्षेत्र, जो लाखों लोगों के भोजन, पानी और वन उत्पादों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, के लिये जलवायु परिवर्तन एक उभरता हुआ खतरा उत्पन्न कर रहा है।
आम तौर पर नदियों द्वारा लाई गई तलछट, यहाँ अवस्थित द्वीपों के क्षेत्रफल में वृद्धि करती थी, अब यह तलछट नदियों पर बनाए जा रहे बांधों द्वारा रोक ली जाती है। फलस्वरूप द्वीपों के क्षेत्रफल में कमी के साथ ही मैंग्रोव वनों के क्षेत्रफल में भी कमी देखी जा रही है।
मैंग्रोव क्या है?
ये छोटे पेड़ या झाड़ी होते हैं जो समुद्र तटों, नदियों के मुहानों पर स्थित ज्वारीय, दलदली भूमि पर पाए जाते हैं। मुख्यतः खारे पानी में इनका विकास होता है।
मुख्य बिंदु:
भारतीय सुंदरबन क्षेत्र में पड़ने वाले सागर द्वीप (Sagar Island) से बुलबुल चक्रवात (Bulbul Cyclone) के तेजी से टकराने से वहाँ के मछुआरों तथा उनकी नावों को काफी नुकसान हुआ।
परंतु इसी बीच कलश द्वीप (Kalash Island) पर फँसे कुछ पर्यटक इसलिये सुरक्षित बचे क्योंकि उन्होंने वहाँ स्थित मैंग्रोव क्षेत्र में शरण ली।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, 110 से 135 किलोमीटर/घंटा की रफ़्तार से चलने वाली चक्रवाती हवाओं से सुंदरबन को बचाने में मैंग्रोव की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। इनकी अनुपस्थिति में यह चक्रवात खतरनाक साबित हो सकता था।
‘जादवपुर विश्वविद्यालय’ द्वारा किये गए एक अध्ययन में बताया गया है कि लगभग 10,000 वर्ग किमी. मैंग्रोव क्षेत्र, जो लाखों लोगों के भोजन, पानी और वन उत्पादों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, के लिये जलवायु परिवर्तन एक उभरता हुआ खतरा उत्पन्न कर रहा है।
मैंग्रोव के दोहन का कारण:
हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT) ने मैंग्रोव वनों के दोहन की जाँच करने के लिये एक समिति का गठन किया जिसमें पाया गया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने बंगलर आबास (Banglar Abas) नामक योजना में घरों के वितरण के लिये मैंग्रोव वनों की कटाई की।
मैंग्रोव वनों का दोहन न सिर्फ एक्वाकल्चर के लिये बल्कि तटबंधों तथा मानवीय आवासों के लिये भी हुआ है।
मैंग्रोव संरक्षण के उपाय:
सुंदरबन के कुछ हिस्सों को कानूनी तौर पर राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों (विशेष रूप से बाघ संरक्षण) के रूप में संरक्षित किया गया है।
वैज्ञानिकों ने नीदरलैंड की तर्ज़ पर समुद्रतटीय मृदा के कटाव को रोकने हेतु डाइकों (Dikes) के निर्माण का सुझाव दिया है।
सुंदरबन को रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत शामिल किया जाना एक सकारात्मक कदम है। यह कन्वेंशन नमभूमि (Wetlands) और उनके संसाधनों के संरक्षण तथा बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का ढाँचा उपलब्ध कराता है।
सुभेद्यता के अनुसार सुंदरबन को विभिन्न उपक्षेत्रों में विभाजित कर प्रत्येक के लिये एक निर्देशित समाधान कार्यक्रम अपनाया जाना चाहिये।
इस क्षेत्र में नदियों के अलवणीय जल की मात्रा में वृद्धि के उपाय किये जाने चाहिये।
मानवीय कारणों से होने वाले निम्नीकरण को रोकने के लिये-
स्थानीय समुदायों को जागरूक करना एवं उनकी समस्याओं के लिये वैकल्पिक समाधानों को लागू करना।
सामान्य पर्यटन की जगह जैव-पर्यटन (Eco-Tourism) को बढ़ावा देना।
वनोन्मूलन (Deforestration) पर रोक एवं वनीकरण को बढ़ावा देना।
संकटग्रस्त जीवों एवं वनस्पतियों की सुरक्षा को बढ़ावा देना।
जैव-तकनीक के माध्यम से मैंग्रोव का संरक्षण एवं पुनर्स्थापन।
मैंग्रोव संरक्षण के उपाय, मैंग्रोव के दोहन का कारण, मैंग्रोव क्या है?, मैंग्रोव वनों का घटता क्षेत्र, पश्चिम बंगाल, पर्यावरण, सुंदरबन डेल्टा, मैंग्रोव, अतिक्रमण, मैंग्रोव संरक्षण kyu jarurui hain, मैंग्रोव का महत्व, मैंग्रोव की कमी का कारण बनता है, मैंग्रोव वन, मैंग्रोव स्थल, मैंग्रोव की कमी के कारण, मैंग्रोव वन Drishti IAS, मैंग्रोव वृक्ष किन वनों में पाए जाते हैं, मैन्ग्रोव फारेस्ट इन इंडिया, मैंग्रोव पारितंत्र (Mangrove Ecosystem), मैंग्रोव की विशेषताएँ (Features of Mangroves), मैंग्रोव क्षेत्रों का वर्गीकरण (Classification of Mangrove Areas), लाल मैंग्रोव (Red Mangrove), काली मैंग्रोव (Black Mangrove), भारत में मैंग्रोव वनस्पति (Mangroves in India), मैंग्रोव वनस्पति एवं प्राणिजात, प्राकृतिक जल शोधक, तटीय क्षरण, मैंग्रोव जैवविविधता, मैंग्रोव संरक्षण से जलवायु, मैंग्रोव संरक्षण, मैंग्रोव का महत्व, मैंग्रोव वन, मैंग्रोव की कमी का कारण बनता है, मैंग्रोव स्थल, मैंग्रोव की कमी के कारण, मैंग्रोव वन Drishti IAS, मैंग्रोव पारितंत्र, मैंग्रोव पौधे का नाम, हिन्दी में mangrove, गर्म जलवायु में पाए जाने वाले मैंग्रोव के पौधें, मैंग्रोव वन क्या होते हैं?,.
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