जानिए चाय से जुड़ी रोचक बातें (तमिलनाडु) भारत।—Hindi Information Video
भारत के उत्तरपूर्व में स्थित असम चाय का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य माना जाता है। इस वजह से ये राज्य Tea City of India भी कहलाता है। वहीं असम में इस साल विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं और ऐसे में यहां कि चाय पर कई चर्चाएं होंगी। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से असम की चाय और इस राज्य से जुड़ी कई रोचक बातें बताएंगे।
असम एक ऐसा राज्य है, जहां लगभग 1/5 लोग चाय के क्षेत्र में काम करते हैं। आपको बता दें कि चीन के बाद असम ही दुनियाभर में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण चाय उत्पादक है। यहां की चाय कई देशों में निर्यात की जाती है। रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ईरान समेत कई देशों में असम की चाय की अच्छी डिमांड है।
असम एक ऐसा राज्य है, जहां लगभग 1/5 लोग चाय के क्षेत्र में काम करते हैं। आपको बता दें कि चीन के बाद असम ही दुनियाभर में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण चाय उत्पादक है। यहां की चाय कई देशों में निर्यात की जाती है। रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ईरान समेत कई देशों में असम की चाय की अच्छी डिमांड है।
आंकड़ों के मुताबिक, असम में हर साल 500 मिलियन किलोग्राम से अधिक चाय का उत्पादन होता है। यहां की चाय में सुबह की चाय में इस्तेमाल होने वाला विशेष इंग्रेडिएंट पाया जाता है। साल 1930 में सर विलियम मैककेचर ने सीटीसी तरीके (cut, tear, curl) का आविष्कार किया था। सीटीसी चाय की प्रोसेसिंग का एक तरीका है, जिसमें चाय की पत्तियां रोलर्स से गुजरती हैं। इन रोलर्स में तेज दांत होते हैं, जो पत्तियों को कुचलते हैं, और कर्ल करते हैं। ऐसा होने से वे छोटे, सख्त छर्रों में बदल जाते हैं, जो पैकिंग के लिए ठीक होते हैं।
असम में चाय के पौधे की खोज की रॉबर्ट ब्रूस ने की थी। इस राज्य की सिंघो जनजाति की ओर से चाय का इस्तेमाल पेय पदार्थ के लिए किया जाता था। ऐसा भी कहा जाता है कि सिंघो जनजाति के प्रमुख बेसा गाम ने ही 1823 में रॉबर्ट ब्रूस को प्लांट दिखाया था।
बता दें कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सूरज बहुत पहले उगता है। ऐसे में असम के चाय बागान के कर्मचारियों के लिए अलग टाइम जोन बनाया गया है, जिसको चाय बागान टाइम कहा जाता है। चाय बागान टाइम भारतीय मानक समय (आइएसटी) से एक घंटा आगे है।
पूर्वोत्तर भारत के सबसे दूरस्थ क्षेत्र में स्थित, असम देश का सबसे बड़ा चाय उत्पादक क्षेत्र है। इस राज्य में अधिकांश चाय के बागान तिनसुकिया, डिब्रूगढ, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, नागाँव और सोनितपुर ज़िलों में पाए जाते हैं।
इमेजिन करें की इस बार के वेकेशन में आप व्यापक रूप से फैले चाय के बागानों में अपने फ्रेंड्स, फैमली या फिर अपने कपल के साथ घूम रहे है। सोचे बो समय आपके लिए कितना खास और मेमोरिबल होगा जब आप अपने चाहने वालों के साथ हरे भरे प्राकृतिक सुन्दरता से भरपूर असम के चाय के बगाना में से घूम रहें होंगे।
असम के प्रसिद्ध चाय के बागान एक फैमली वेकेशन के साथ साथ, बर्षो से पीते आ रहे है चाय के उत्पादन और उसकी प्रक्रियां को जानने का भी सुनहर अवसर प्रदान करते है। इसीलिए यदि अगर आप वेकेशन पर जा जाने के लिए असम की खूबसूरत जगह सर्च कर रहे है तो आपको इस बार अपनी ट्रिप के लिए नीचे दिए गये असम के फेमस टी गार्डन्स को पिक करना चाहिये, जिनके बारे में जानकार यक़ीनन आप असम के प्रसिद्ध चाय के बागान की ट्रिप के लिए एक्साईटेड हो जायेंगे
“नोनोई टी एस्टेट” असम के नांगाओ जिले में कार्बी रेंज की तलहटी स्थित है, जिसे स्थानीय रूप से रंगमती के रूप में जाना जाता है। 959.17 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला, नोनोई टी एस्टेट समुद्र तल से 225 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है जहाँ से प्रकृति के मनोरम दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है।
इस टी एस्टेट का नाम एक नाम झरने से लिया गया है जिसे ब्रिटिश भाषा में नोइ-नोई कहा जाता था, इसलिए इसका नाम “ननोई” पड़ गया यह। वर्तमान में यह टी गार्डन चाय के उत्पादन के साथ साथ पर्यटन के झेत्र में भी, असम के प्रमुख चाय बागान (Assam Tea Garden In Hindi) में से एक है जहाँ हर साल हजारों की संख्या में पर्यटकों की उपस्थिति दर्ज की जाती है। असम के बिश्वनाथ चाराली जिले में स्थित, “मोनाबारी टी एस्टेट” असम के प्रसिद्ध चाय बागान (Assam Tea Garden In Hindi) में से एक है। यह टी एस्टेट असम और पूरे एशिया में सबसे बड़ी चाय की संपत्ति है, जिसे दुनिया के सबसे बड़े चाय बागान में से एक रूप में भी स्थान दिया गया है। जिससे आप इस चाय के बागान की प्रसिद्धी का अंदाजा लगा सकते है। 1158 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले मोनाबारी टी एस्टेट का स्वामित्व मैकलियोड रसेल इंडिया लिमिटेड के पास है जो विलियमसन मैगर ग्रुप का एक हिस्सा है।
यदि आप अपने फ्रेंड्स या फैमली के साथ घूमने के लिए असम के बेस्ट टी गार्डन्स (Best Tea Garden In Assam in Hindi) सर्च कर रहे है तो मोनाबारी टी एस्टेट आपके लिए परफेक्ट जगह है। जब भी आप यहाँ आएंगे तो असम के साथ साथ देश के बिभिन्न हिस्सो से आये हुए पर्यटकों को यहाँ देखेगें।
374 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला, “हल्मारी टी एस्टेट” असम के मोरन जिले में स्थित है। हल्मारी टी एस्टेट पिछले 100 वर्षों से की जा रही चाय की बेहतरीन गुणवत्ता के लिए पूरे भारत में जाना जाता है। हाल्मरी टी एस्टेट प्रबंधन का दावा है उनकी चाय जैसा टेस्ट भारत की अन्य किसी चाय में नही मिल सकता है, जिस वजह से उनकी चाय असम सबसे अधिक कीमत पाने में भी कामयाब होती है। हल्मारी टी एस्टेट चाय उत्पादन के साथ साथ राज्य के पर्यटन में भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो हर साल हजारों की संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
“कॉर्मोर टी एस्टेट” असम के प्रमुख चाय के बागान (Assam Tea Garden In Hindi) में से एक है, जिसकी स्थापना वर्ष 1860 में स्कॉटलैंड के रॉबर्ट लोगान द्वारा की गई थी। असम के द्रंग जिले के हाटीगढ़ में बसे इस हेरिटेज टी एस्टेट का मालिकाना हक अब विलियमसन चाय के पास है।
Видео जानिए चाय से जुड़ी रोचक बातें (तमिलनाडु) भारत।—Hindi Information Video канала Taj Agro Products
असम एक ऐसा राज्य है, जहां लगभग 1/5 लोग चाय के क्षेत्र में काम करते हैं। आपको बता दें कि चीन के बाद असम ही दुनियाभर में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण चाय उत्पादक है। यहां की चाय कई देशों में निर्यात की जाती है। रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ईरान समेत कई देशों में असम की चाय की अच्छी डिमांड है।
असम एक ऐसा राज्य है, जहां लगभग 1/5 लोग चाय के क्षेत्र में काम करते हैं। आपको बता दें कि चीन के बाद असम ही दुनियाभर में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण चाय उत्पादक है। यहां की चाय कई देशों में निर्यात की जाती है। रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ईरान समेत कई देशों में असम की चाय की अच्छी डिमांड है।
आंकड़ों के मुताबिक, असम में हर साल 500 मिलियन किलोग्राम से अधिक चाय का उत्पादन होता है। यहां की चाय में सुबह की चाय में इस्तेमाल होने वाला विशेष इंग्रेडिएंट पाया जाता है। साल 1930 में सर विलियम मैककेचर ने सीटीसी तरीके (cut, tear, curl) का आविष्कार किया था। सीटीसी चाय की प्रोसेसिंग का एक तरीका है, जिसमें चाय की पत्तियां रोलर्स से गुजरती हैं। इन रोलर्स में तेज दांत होते हैं, जो पत्तियों को कुचलते हैं, और कर्ल करते हैं। ऐसा होने से वे छोटे, सख्त छर्रों में बदल जाते हैं, जो पैकिंग के लिए ठीक होते हैं।
असम में चाय के पौधे की खोज की रॉबर्ट ब्रूस ने की थी। इस राज्य की सिंघो जनजाति की ओर से चाय का इस्तेमाल पेय पदार्थ के लिए किया जाता था। ऐसा भी कहा जाता है कि सिंघो जनजाति के प्रमुख बेसा गाम ने ही 1823 में रॉबर्ट ब्रूस को प्लांट दिखाया था।
बता दें कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सूरज बहुत पहले उगता है। ऐसे में असम के चाय बागान के कर्मचारियों के लिए अलग टाइम जोन बनाया गया है, जिसको चाय बागान टाइम कहा जाता है। चाय बागान टाइम भारतीय मानक समय (आइएसटी) से एक घंटा आगे है।
पूर्वोत्तर भारत के सबसे दूरस्थ क्षेत्र में स्थित, असम देश का सबसे बड़ा चाय उत्पादक क्षेत्र है। इस राज्य में अधिकांश चाय के बागान तिनसुकिया, डिब्रूगढ, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, नागाँव और सोनितपुर ज़िलों में पाए जाते हैं।
इमेजिन करें की इस बार के वेकेशन में आप व्यापक रूप से फैले चाय के बागानों में अपने फ्रेंड्स, फैमली या फिर अपने कपल के साथ घूम रहे है। सोचे बो समय आपके लिए कितना खास और मेमोरिबल होगा जब आप अपने चाहने वालों के साथ हरे भरे प्राकृतिक सुन्दरता से भरपूर असम के चाय के बगाना में से घूम रहें होंगे।
असम के प्रसिद्ध चाय के बागान एक फैमली वेकेशन के साथ साथ, बर्षो से पीते आ रहे है चाय के उत्पादन और उसकी प्रक्रियां को जानने का भी सुनहर अवसर प्रदान करते है। इसीलिए यदि अगर आप वेकेशन पर जा जाने के लिए असम की खूबसूरत जगह सर्च कर रहे है तो आपको इस बार अपनी ट्रिप के लिए नीचे दिए गये असम के फेमस टी गार्डन्स को पिक करना चाहिये, जिनके बारे में जानकार यक़ीनन आप असम के प्रसिद्ध चाय के बागान की ट्रिप के लिए एक्साईटेड हो जायेंगे
“नोनोई टी एस्टेट” असम के नांगाओ जिले में कार्बी रेंज की तलहटी स्थित है, जिसे स्थानीय रूप से रंगमती के रूप में जाना जाता है। 959.17 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला, नोनोई टी एस्टेट समुद्र तल से 225 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है जहाँ से प्रकृति के मनोरम दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है।
इस टी एस्टेट का नाम एक नाम झरने से लिया गया है जिसे ब्रिटिश भाषा में नोइ-नोई कहा जाता था, इसलिए इसका नाम “ननोई” पड़ गया यह। वर्तमान में यह टी गार्डन चाय के उत्पादन के साथ साथ पर्यटन के झेत्र में भी, असम के प्रमुख चाय बागान (Assam Tea Garden In Hindi) में से एक है जहाँ हर साल हजारों की संख्या में पर्यटकों की उपस्थिति दर्ज की जाती है। असम के बिश्वनाथ चाराली जिले में स्थित, “मोनाबारी टी एस्टेट” असम के प्रसिद्ध चाय बागान (Assam Tea Garden In Hindi) में से एक है। यह टी एस्टेट असम और पूरे एशिया में सबसे बड़ी चाय की संपत्ति है, जिसे दुनिया के सबसे बड़े चाय बागान में से एक रूप में भी स्थान दिया गया है। जिससे आप इस चाय के बागान की प्रसिद्धी का अंदाजा लगा सकते है। 1158 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले मोनाबारी टी एस्टेट का स्वामित्व मैकलियोड रसेल इंडिया लिमिटेड के पास है जो विलियमसन मैगर ग्रुप का एक हिस्सा है।
यदि आप अपने फ्रेंड्स या फैमली के साथ घूमने के लिए असम के बेस्ट टी गार्डन्स (Best Tea Garden In Assam in Hindi) सर्च कर रहे है तो मोनाबारी टी एस्टेट आपके लिए परफेक्ट जगह है। जब भी आप यहाँ आएंगे तो असम के साथ साथ देश के बिभिन्न हिस्सो से आये हुए पर्यटकों को यहाँ देखेगें।
374 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला, “हल्मारी टी एस्टेट” असम के मोरन जिले में स्थित है। हल्मारी टी एस्टेट पिछले 100 वर्षों से की जा रही चाय की बेहतरीन गुणवत्ता के लिए पूरे भारत में जाना जाता है। हाल्मरी टी एस्टेट प्रबंधन का दावा है उनकी चाय जैसा टेस्ट भारत की अन्य किसी चाय में नही मिल सकता है, जिस वजह से उनकी चाय असम सबसे अधिक कीमत पाने में भी कामयाब होती है। हल्मारी टी एस्टेट चाय उत्पादन के साथ साथ राज्य के पर्यटन में भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो हर साल हजारों की संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
“कॉर्मोर टी एस्टेट” असम के प्रमुख चाय के बागान (Assam Tea Garden In Hindi) में से एक है, जिसकी स्थापना वर्ष 1860 में स्कॉटलैंड के रॉबर्ट लोगान द्वारा की गई थी। असम के द्रंग जिले के हाटीगढ़ में बसे इस हेरिटेज टी एस्टेट का मालिकाना हक अब विलियमसन चाय के पास है।
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