ऑप्टिकल फाइबर संचारण क्या है? (History Of Optical Fiber In India) *Hindi Exclusive Documentary
ऑप्टिकल फाइबर संचारण क्या है? (History Of Optical Fiber In India) *Hindi Exclusive Documentary
आप अक्सर ये सोचते होंगे कि इंटरनेट कैसे चलता है, कैसे दूरसंचार (communications) इतनी जल्दी हो पाता है? तो आपके सारे सवालों के जवाब आज आपको इस लेख में मिल जायेंगे। अाप ने ऑप्टिकल फाइबर का नाम तो जरूर सुना होगा।
ऑप्टिकल फाइबर एक ऐसी पतली तार होती है जिससे लाइट का उपयोग कर के डाटा ट्रांसफर बहुत ही तेज़ी से किया जाता है। आप को बता दे की एक स्पेशल कोण से लाइट दिखाने पर ये टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन (total internal reflection) के सिद्धांत पर चलता है।
ऑप्टिकल फाइबर में बिजली का संचार नहीं लाइट का संचार होता है। लाइट का उपयोग करके इसकी स्पीड को बहुत तेज़ किया गया है। ऑप्टिकल फाइबर पतले कांच या प्लास्टिक से बानी एक तार होती है जिससे लाइट के रूप में जानकारी का प्रवाह होता है। ये तारें किन्ही अन्य तारों के मुकाबले बहुत महंगी होती है।
आप को ये जानकार हैरानी होगी कि इसमे डाटा तीन लाख किलोमीटर पर सेकंड की रफ़्तार से ट्रैवेल करता है। दरअसल ये स्पीड लाइट की है और इसमें इसी का इस्तेमाल कर डाटा को इतनी तेज़ी के साथ भेजा जाता है।
ऑप्टिकल फाइबर का इतिहास (history of optical fiber in hindi)
जब इसे 1966 में पहली बार बना कर टेस्ट किया गया तो यह प्रभावी रूप से उतना ठीक नहीं था। इसका विकास जारी था। आए दिन इसमें नए नए संशोधन देखने को मिलने लगे।
कई सारे अनुसंधान के बाद 1975 से शुरू हुए अनुसंधान की एक अवधि के बाद, पहली व्यावसायिक फाइबर ऑप्टिक संचार प्रणाली विकसित की गई। इसके बाद प्रगति होती गयी और इनका दायरा 10 KM से 50 KM फिर 50 KM से 100 KM और ऐसे ही बढ़ता चला गया।
आज आप देख सकतें है ऑप्टिकल फाइबर का कितना बड़ा नेटवर्क स्थापित हो चूका है।
ऑप्टिकल फाइबर कैसे काम करती हैं? (optical fiber communication in hindi)
ऑप्टिकल फाइबर पर जहाँ डाटा रिसीव किया जाता है वहां एक ट्रांसमीटर लगा होता है। आप को बता दे की यहीं से डाटा ऑप्टिकल फाइबर लाइन से जाता या अाता है।
यह ट्रांसमीटर इलेक्ट्रॉनिक पल्स इनफार्मेशन को सुलझाता है और इसको प्रोसेस करके लाइट पल्स के रूप में ऑप्टिकल फाइबर लाइन में ट्रांसमिट कर देता है।
डिजिटल डाटा लाइट पल्स के रूप में केबल के अंदर भेजा जाता है। इनको रिसीवर एन्ड पर बाइनरी वैल्यू में बदल लिया जाता है। इसी को आपका कंप्यूटर समझ पता है और आपको जानकारी दे पता है।
ऑप्टिकल फाइबर केबल की संरचना (structure of optical fiber cable in hindi)
आप को जान कर हैरानी होगी की इसकी मोटाई आपके एक बाल से भी काम होती है। ऑप्टिकल फाइबर केबल में दो लेयर होती हैं। पहली लेयर का नाम कोर होता है और दूसरी का क्लैडिंग।
इनके रेफ्रेक्टिवे इंडेक्स की वजह से ही ऑप्टिकल फाइबर में इंटरनल रिफ्लेक्शन हो पाता है। इसको पोलीमाइड की लेयर से ढाका जाता है ताकि यह सुरक्षित रह सके।
उपयोग के हिसाब से और लेयर भी चढाई जा सकती हैं ताकि एनर्जी और लाइट एक से दूसरे फाइबर में न जा पाए।
ऑप्टिकल फाइबर केबल के प्रकार (types of optical fiber cable in hindi)
ऑप्टिकल केबल को उनकी स्ट्रेंथ और सिग्नल मोड के आधार पर बांटा जा सकता है।
स्ट्रेंथ के आधार पर:
1. लूज कॉन्फ़िगरेशन– लूज कॉन्फिग्रेशन फाइबर ऑप्टिक केबल में कांच या फाइबर कि कोर के चारों ओर एक लिक्विड जेल भरा होता है। ये जेल प्रोटेक्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसकी कीमत काफी काम होती है।
2. टाइट कॉन्फ़िगरेशन– इसमें स्ट्रेंथ वायर का प्रयोग किया जता है जो की इसे तोड़ने और मुड़ने से बचाती है। इनका वजन स्ट्रेंथ वायर के कारन ज्यादा हो जाता है।
सिग्नल मोड के आधार पर:
1. सिंगल मोड– सिंगल मोड में एक समय में एक ही सिग्नल का प्रवाह हो सकता है। यानि इसमें लाइट का एक ही मार्ग होता है। सिंगल मोड की क्षमता बहुत दूर डाटा पहुँचाने की होती है।
2. मल्टीमोड– मल्टिमोड़ में एक से ज्यादा सिग्नल का प्रवाह हो सकता है। यानि इसमें एक से अधिक लाइट मार्ग होते है। इन्हे कुछ इस रूप सेट किया जाता है की ये आपस में एक दूसरे न टकरायें या आपस में न मिलें। इसी कारण ये सिंगल मोड के मुकाबले काफी कम दुरी तय कर पाने में सक्षम हों पाती है।
ऑप्टिकल फाइबर के फायदे (benefits of optical fiber in hindi)
1. बड़े बैंडविड्थ: ऑप्टिकल फाइबर बहुत ही तेज़ी से बहुत काम समय में लम्बा सफर तय करने में सक्षम है। ये बिजली वाली तारों की तुलना में 10 से 100 गुनाअधिक बैंडविड्थ हो सकते हैं। जिसका मतलब यह ज्यादा डाटा लाने और ले जाने में सक्षम है।
2. कम नुकसान: आप जानते होंगे लाइट की स्पीड बिजली से कई ज्यादा है। ऐसे में ये बिजली की तारों के मुकाबले काम नुकसानदेह होती हैं।
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ऑप्टिकल फाइबर एक ऐसी पतली तार होती है जिससे लाइट का उपयोग कर के डाटा ट्रांसफर बहुत ही तेज़ी से किया जाता है। आप को बता दे की एक स्पेशल कोण से लाइट दिखाने पर ये टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन (total internal reflection) के सिद्धांत पर चलता है।
ऑप्टिकल फाइबर में बिजली का संचार नहीं लाइट का संचार होता है। लाइट का उपयोग करके इसकी स्पीड को बहुत तेज़ किया गया है। ऑप्टिकल फाइबर पतले कांच या प्लास्टिक से बानी एक तार होती है जिससे लाइट के रूप में जानकारी का प्रवाह होता है। ये तारें किन्ही अन्य तारों के मुकाबले बहुत महंगी होती है।
आप को ये जानकार हैरानी होगी कि इसमे डाटा तीन लाख किलोमीटर पर सेकंड की रफ़्तार से ट्रैवेल करता है। दरअसल ये स्पीड लाइट की है और इसमें इसी का इस्तेमाल कर डाटा को इतनी तेज़ी के साथ भेजा जाता है।
ऑप्टिकल फाइबर का इतिहास (history of optical fiber in hindi)
जब इसे 1966 में पहली बार बना कर टेस्ट किया गया तो यह प्रभावी रूप से उतना ठीक नहीं था। इसका विकास जारी था। आए दिन इसमें नए नए संशोधन देखने को मिलने लगे।
कई सारे अनुसंधान के बाद 1975 से शुरू हुए अनुसंधान की एक अवधि के बाद, पहली व्यावसायिक फाइबर ऑप्टिक संचार प्रणाली विकसित की गई। इसके बाद प्रगति होती गयी और इनका दायरा 10 KM से 50 KM फिर 50 KM से 100 KM और ऐसे ही बढ़ता चला गया।
आज आप देख सकतें है ऑप्टिकल फाइबर का कितना बड़ा नेटवर्क स्थापित हो चूका है।
ऑप्टिकल फाइबर कैसे काम करती हैं? (optical fiber communication in hindi)
ऑप्टिकल फाइबर पर जहाँ डाटा रिसीव किया जाता है वहां एक ट्रांसमीटर लगा होता है। आप को बता दे की यहीं से डाटा ऑप्टिकल फाइबर लाइन से जाता या अाता है।
यह ट्रांसमीटर इलेक्ट्रॉनिक पल्स इनफार्मेशन को सुलझाता है और इसको प्रोसेस करके लाइट पल्स के रूप में ऑप्टिकल फाइबर लाइन में ट्रांसमिट कर देता है।
डिजिटल डाटा लाइट पल्स के रूप में केबल के अंदर भेजा जाता है। इनको रिसीवर एन्ड पर बाइनरी वैल्यू में बदल लिया जाता है। इसी को आपका कंप्यूटर समझ पता है और आपको जानकारी दे पता है।
ऑप्टिकल फाइबर केबल की संरचना (structure of optical fiber cable in hindi)
आप को जान कर हैरानी होगी की इसकी मोटाई आपके एक बाल से भी काम होती है। ऑप्टिकल फाइबर केबल में दो लेयर होती हैं। पहली लेयर का नाम कोर होता है और दूसरी का क्लैडिंग।
इनके रेफ्रेक्टिवे इंडेक्स की वजह से ही ऑप्टिकल फाइबर में इंटरनल रिफ्लेक्शन हो पाता है। इसको पोलीमाइड की लेयर से ढाका जाता है ताकि यह सुरक्षित रह सके।
उपयोग के हिसाब से और लेयर भी चढाई जा सकती हैं ताकि एनर्जी और लाइट एक से दूसरे फाइबर में न जा पाए।
ऑप्टिकल फाइबर केबल के प्रकार (types of optical fiber cable in hindi)
ऑप्टिकल केबल को उनकी स्ट्रेंथ और सिग्नल मोड के आधार पर बांटा जा सकता है।
स्ट्रेंथ के आधार पर:
1. लूज कॉन्फ़िगरेशन– लूज कॉन्फिग्रेशन फाइबर ऑप्टिक केबल में कांच या फाइबर कि कोर के चारों ओर एक लिक्विड जेल भरा होता है। ये जेल प्रोटेक्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसकी कीमत काफी काम होती है।
2. टाइट कॉन्फ़िगरेशन– इसमें स्ट्रेंथ वायर का प्रयोग किया जता है जो की इसे तोड़ने और मुड़ने से बचाती है। इनका वजन स्ट्रेंथ वायर के कारन ज्यादा हो जाता है।
सिग्नल मोड के आधार पर:
1. सिंगल मोड– सिंगल मोड में एक समय में एक ही सिग्नल का प्रवाह हो सकता है। यानि इसमें लाइट का एक ही मार्ग होता है। सिंगल मोड की क्षमता बहुत दूर डाटा पहुँचाने की होती है।
2. मल्टीमोड– मल्टिमोड़ में एक से ज्यादा सिग्नल का प्रवाह हो सकता है। यानि इसमें एक से अधिक लाइट मार्ग होते है। इन्हे कुछ इस रूप सेट किया जाता है की ये आपस में एक दूसरे न टकरायें या आपस में न मिलें। इसी कारण ये सिंगल मोड के मुकाबले काफी कम दुरी तय कर पाने में सक्षम हों पाती है।
ऑप्टिकल फाइबर के फायदे (benefits of optical fiber in hindi)
1. बड़े बैंडविड्थ: ऑप्टिकल फाइबर बहुत ही तेज़ी से बहुत काम समय में लम्बा सफर तय करने में सक्षम है। ये बिजली वाली तारों की तुलना में 10 से 100 गुनाअधिक बैंडविड्थ हो सकते हैं। जिसका मतलब यह ज्यादा डाटा लाने और ले जाने में सक्षम है।
2. कम नुकसान: आप जानते होंगे लाइट की स्पीड बिजली से कई ज्यादा है। ऐसे में ये बिजली की तारों के मुकाबले काम नुकसानदेह होती हैं।
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