चेरापूंजी(Cherrapunji),मेघालय—बारिश की राजधानी के लोगो का जीवन संघर्ष और जमीनी सचाई और हकीकत।**Hindi
चेरापूंजी (Cherrapunji),मेघालय—बारिश की राजधानी के लोगो का जीवन संघर्ष और जमीनी सचाई और हकीकत।**Hindi
बात बारिश की हो और चेरापूंजी का नाम न उठे, हो ही नहीं सकता। भारत का सौभाग्य है कि दुनिया में सर्वाधिक बारिश वाला क्षेत्र चेरापूंजी उसकी धरती पर बसा है। बारिश की राजधानी के रूप में मशहूर चेरापूंजी समुद्र से लगभग 1300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो मेघालय की राजधानी शिलांग से 60 किलोमीटर की दूरी पर है। चेरापूंजी को सोहरा के नाम से भी जाना जाता है। यहां औसत वर्षा 10,000 मिलीमीटर होती है। वर्षा ऋतु में दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं। हरियाली से सजी चेरापूंजी की पहाड़ियां बरबस ही लोगों को अपनी ओर खींच लेती हैं। जब बारिश होती है तो बसंत अपने शबाब पर होता है। ऊंचाई से गिरते पानी के फव्वारे, कुहासे के समान मेघों को देखने का अपना अलग ही अनुभव है। यहां के स्थानीय निवासियों को बसंत का बड़ी शिद्धत से इंतजार होता है। चेरापूंजी में खासी जनजाति के लोग मानसून का स्वागत अलग ही अंदाज में करते हैं। मेघों को लुभाने के लिए लोक गीत और लोक नृत्यों का आयोजन किया जाता है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
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मेघालय में ही मासिनराम में हाल के दिनों में चेरापूंजी से भी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। लेकिन विडंबना ही है कि सबसे ज्यादा बारिश होने की ख्याति पाने वाले चेरापूंजी के लोगों को हर साल कुछ महीनों के लिए पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ता है। यहां सूखा अपना असर नवंबर से दिखाना शुरू कर देता है। ऐसे समय में यहां के लोगों को पब्लिक हेल्थ इंजीनयरिंग की वाटर सप्लाई पर निर्भर रहना पड़ता है।
चेरापूंजी यानी भारत में सबसे ज्यादा बारिश होने वाली जगह। चेरापूंजी को सोहरा और चुर्रा भी कहा जाता है, इसका मतलब होता है संतरों की भूमि। यह मेघालय की राजधानी शिलांग के खासी हिल्स में स्थित है। इस क्षेत्र में सर्वाधिक बारिश के लिए यहां की भौगोलिक स्थितियां जिम्मेदार हैं। चेरापूंजी 4869 फुट की ऊंचाई पर खासी हिल्स के दक्षिणी पठार पर स्थित है जहां मानसूनी हवाओं का हर समय जोर बना रहता है। यहां पूर्वोत्तर और दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाएं आती हैं जिसकी वजह से हर समय मानसून रहता है। सर्दी के दिनों में ब्रह्मपुत्र की तरफ से आने वाली पूर्वोत्तर हवाएं भी बारिश का एक कारण हैं। ज्यादातर लोगों को लगता है कि यहां बारिश अधिक होती है तो पानी की कमी नहीं होती होगी लेकिन ऐसा नहीं है। नवंबर के दिनों में यहां लोगों को पानी के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है। यहां घूमने के लिए मार्च से मई और जून से सितम्बर का समय अच्छा है।
5 प्वाइंट्स: बारिश के अलावा भी यहां क्या खास है
1. लाइव ब्रिज : बायो-इंजीनियरिंग प्रैक्टिस का बेहतरीन नमूना
चेरापूंजी लाइव ब्रिज के लिए भी मशहूर है जो यहां के लोगों द्वारा बनाए गए बायो-इंजीनियरिंग प्रैक्टिस का बेहतरीन नमूना है। एक समय में इस पर 50 लोगों गुजर सकते हैं। इस दो-मंजिला ब्रिज की बनावट काफी आकर्षक है। खासी और जैन्तिया हिल्स में काफी नमी और नदियों वाला क्षेत्र है। यहां भारतीय रबर के पेड़ काफी पाए जाते हैं। जिनकी जड़ें काफी लंबी और मजबूत होती हैं। मेघालय के वर-खसिस और वर-जैंनियास दो आदिवासी ने नदियों के पास निकलने वाली इन पेड़ों की जड़ों को देखा और इनसे ब्रिज तैयार किया था। जो धीरे-धीरे बढ़ती रहीं और ब्रिज मजबूत होता गया।
2. खूबसूरत झरने और गुफाएं : रोमांच का अहसास
अगर आप हरियाली के बीच खूबसूरत झरनों का आनंद लेना चाहते हैं तो चेरापूंजी एकदम परफेक्ट डेस्टिनेशन है। यहां कई तरह के वॉटरफॉल हैं जिनकी वनावट भी एक-दूसरे से थोड़ी अलग है। नोहकलिकाई वाटरफॉल, सेवेन सिस्टर, कावा फॉल्स, वकाबा फॉल्स के अलावा भी कई झरने देखने को मिलेंगे। इसका अलावा यहां मवासमई और आरवाह गुफा हैं जो आपको रोमांचक अनुभव कराती हैं। इनकी बनावट बेहद खास है।
3. फेस्टिवल : बादलों को लुभाने के लिए लोक नृत्य करते हैं लोग
चेरापूंजी में गिरते पानी के फव्वारे और कुहासा एक अलग ही अनुभव कराता है। यहां के लोगों को बसंत का शिद्दत से इंतजार होता है। यहां रहने वाली खासी जनजाति के लोग बादलों को लुभाने के लिए लोक गीत और लोक नृत्य का आयोजन करते हैं। जो यहां वाले टूरिस्टों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां बादल कभी भी बरस सकते हैं इसलिए यहां के लोग सालभर बेंत के छाते लेकर चलते हैं।
4. ईको पार्क : आर्चिड के फूलों की खूबसूरती अतुल्य है
यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाता है ईको पार्क। इसे मेघालय सरकार ने बनाया है। जिसमें आर्चिड के फूलों की खूबसूरती देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। ग्रीन हाउस में लगाए गए इन फूलों की देखभाल शिलॉन्ग एग्री-हॉर्टीकल्चरल सोसायटी करती है। यहां से बांग्लादेश की खूबसूरत चट्टानों को देखा जा सकता है। अगर फोटोग्राफी के शौकीन हैं तो यह जगह आपको निराश नहीं करेगी।
5. डिशेज : सोहरा पुलाव है खास
खाने-पीने के शौकीनों के लिए भी यहां काफी कुछ है। यहां का पॉर्क राइस काफी पसंद किया जाता है। यहां पॉर्क और रेड मीट बहुतायात में उपलब्ध है। इसके अलावा सोहरा पुलाव भी काफी फेमस है। जो एक तरह का खास चावल है इसमें सब्जियां मिलाकर तैयार किया जाता है। खास बात है कि इसमें मसाले का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
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मेघालय में ही मासिनराम में हाल के दिनों में चेरापूंजी से भी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। लेकिन विडंबना ही है कि सबसे ज्यादा बारिश होने की ख्याति पाने वाले चेरापूंजी के लोगों को हर साल कुछ महीनों के लिए पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ता है। यहां सूखा अपना असर नवंबर से दिखाना शुरू कर देता है। ऐसे समय में यहां के लोगों को पब्लिक हेल्थ इंजीनयरिंग की वाटर सप्लाई पर निर्भर रहना पड़ता है।
चेरापूंजी यानी भारत में सबसे ज्यादा बारिश होने वाली जगह। चेरापूंजी को सोहरा और चुर्रा भी कहा जाता है, इसका मतलब होता है संतरों की भूमि। यह मेघालय की राजधानी शिलांग के खासी हिल्स में स्थित है। इस क्षेत्र में सर्वाधिक बारिश के लिए यहां की भौगोलिक स्थितियां जिम्मेदार हैं। चेरापूंजी 4869 फुट की ऊंचाई पर खासी हिल्स के दक्षिणी पठार पर स्थित है जहां मानसूनी हवाओं का हर समय जोर बना रहता है। यहां पूर्वोत्तर और दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाएं आती हैं जिसकी वजह से हर समय मानसून रहता है। सर्दी के दिनों में ब्रह्मपुत्र की तरफ से आने वाली पूर्वोत्तर हवाएं भी बारिश का एक कारण हैं। ज्यादातर लोगों को लगता है कि यहां बारिश अधिक होती है तो पानी की कमी नहीं होती होगी लेकिन ऐसा नहीं है। नवंबर के दिनों में यहां लोगों को पानी के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है। यहां घूमने के लिए मार्च से मई और जून से सितम्बर का समय अच्छा है।
5 प्वाइंट्स: बारिश के अलावा भी यहां क्या खास है
1. लाइव ब्रिज : बायो-इंजीनियरिंग प्रैक्टिस का बेहतरीन नमूना
चेरापूंजी लाइव ब्रिज के लिए भी मशहूर है जो यहां के लोगों द्वारा बनाए गए बायो-इंजीनियरिंग प्रैक्टिस का बेहतरीन नमूना है। एक समय में इस पर 50 लोगों गुजर सकते हैं। इस दो-मंजिला ब्रिज की बनावट काफी आकर्षक है। खासी और जैन्तिया हिल्स में काफी नमी और नदियों वाला क्षेत्र है। यहां भारतीय रबर के पेड़ काफी पाए जाते हैं। जिनकी जड़ें काफी लंबी और मजबूत होती हैं। मेघालय के वर-खसिस और वर-जैंनियास दो आदिवासी ने नदियों के पास निकलने वाली इन पेड़ों की जड़ों को देखा और इनसे ब्रिज तैयार किया था। जो धीरे-धीरे बढ़ती रहीं और ब्रिज मजबूत होता गया।
2. खूबसूरत झरने और गुफाएं : रोमांच का अहसास
अगर आप हरियाली के बीच खूबसूरत झरनों का आनंद लेना चाहते हैं तो चेरापूंजी एकदम परफेक्ट डेस्टिनेशन है। यहां कई तरह के वॉटरफॉल हैं जिनकी वनावट भी एक-दूसरे से थोड़ी अलग है। नोहकलिकाई वाटरफॉल, सेवेन सिस्टर, कावा फॉल्स, वकाबा फॉल्स के अलावा भी कई झरने देखने को मिलेंगे। इसका अलावा यहां मवासमई और आरवाह गुफा हैं जो आपको रोमांचक अनुभव कराती हैं। इनकी बनावट बेहद खास है।
3. फेस्टिवल : बादलों को लुभाने के लिए लोक नृत्य करते हैं लोग
चेरापूंजी में गिरते पानी के फव्वारे और कुहासा एक अलग ही अनुभव कराता है। यहां के लोगों को बसंत का शिद्दत से इंतजार होता है। यहां रहने वाली खासी जनजाति के लोग बादलों को लुभाने के लिए लोक गीत और लोक नृत्य का आयोजन करते हैं। जो यहां वाले टूरिस्टों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां बादल कभी भी बरस सकते हैं इसलिए यहां के लोग सालभर बेंत के छाते लेकर चलते हैं।
4. ईको पार्क : आर्चिड के फूलों की खूबसूरती अतुल्य है
यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाता है ईको पार्क। इसे मेघालय सरकार ने बनाया है। जिसमें आर्चिड के फूलों की खूबसूरती देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। ग्रीन हाउस में लगाए गए इन फूलों की देखभाल शिलॉन्ग एग्री-हॉर्टीकल्चरल सोसायटी करती है। यहां से बांग्लादेश की खूबसूरत चट्टानों को देखा जा सकता है। अगर फोटोग्राफी के शौकीन हैं तो यह जगह आपको निराश नहीं करेगी।
5. डिशेज : सोहरा पुलाव है खास
खाने-पीने के शौकीनों के लिए भी यहां काफी कुछ है। यहां का पॉर्क राइस काफी पसंद किया जाता है। यहां पॉर्क और रेड मीट बहुतायात में उपलब्ध है। इसके अलावा सोहरा पुलाव भी काफी फेमस है। जो एक तरह का खास चावल है इसमें सब्जियां मिलाकर तैयार किया जाता है। खास बात है कि इसमें मसाले का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
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