श्री कृष्ण जन्म | Shree Krishna Janam | Movie | Tilak
Watch the film ''Shree Krishna Janam'' now!
Subscribe to Tilak for more devotional contents - https://bit.ly/SubscribeTilak
श्री कृष्ण जी की लीला के बारे में रामानन्द सागर जी बखान करते हैं। सुतजी सभी ऋषि गण को राजा परिक्षित की कहनी सुनाते हैं। जिसमें राजा परीक्षित एक ब जंगल में घूम रहे थे जहां उन्हें कलयुग मिलता है और वह अपने आने की बात को राजा को बताते हैं। कलयुग को राजा परीक्षित अपने राज्य में आने के लिए मान जाते हैं। कलयुग को राजा परिक्षित 5 स्थानों में रहने की आज्ञा दे देते हैं जिसमें से एक स्वर्ण भी था। कलयुग राजा परिक्षित के सोने के मुकुट में जा बैठता है। उस दिन जब राजा परिक्षित शिकार के लिए भटक रहे तो ऋषि शमिक के आश्रम में जा पहुँचते हैं जब वो वह पहुँचते हैं तो ऋषि साधना में लीन थे, राजा उनसे पानी माँगते हैं परंतु समाधि में लीन होने के कारण वो कोई उत्तर नहीं देते। तभी कलयुग राजा परिक्षित को मुनि को उनकी आज्ञा ना मानने पर मृत्यु दंड देने को उकसा देता है परंतु राजा अपने आप को रोक लेता है लेकिन पास ही एक मरे हुए साँप को ऋषि के गले में दल देता है और वह से चला जाता है। ऋषि शमिक के पुत्र शृंगी को जब ये पता चलता है राजा ने उसके पिता का तिरस्कार किया है तो वह राजा को श्राप दे देता है जिसमें उसकी मृत्यु 7 दिन बाद तक्षक सर्प के काटने से हो जाएगी। ऋषि शमिक अपने पुत्र शृंगी को समझाते हैं की उसने श्राप देकर बहुत ग़लत किया।
जब राजा परिक्षित अपने महल वापस आ जाता है और जैसे ही वह अपने सर से मुकुट उतारते हैं तो उनके दिमाग़ से कलयुग द्वारा कराए गए अपराध से ग्लानि होती है। ऋषि शमिक राजा से मिलने के लिए उनके पीछे पीछे उनके महल पहुँच जाते हैं, राजा परिक्षित ऋषि शमिक का आदर सत्कार करते हैं। ऋषि शमिक उनकी सराहना करते हैं और उन्हें अपने पुत्र शृंगी के द्वारा दिए गए श्राप का बताते हैं। ऋषि शमिक राजा को मोक्ष की प्राप्ति के लिए अपने गुरुओं से मिलने के लिए कहते हैं। राजा शमिक अपने गुरु के पास चले जाते हैं और उनसे अपने श्राप की बात बताते हैं और उनसे अपने लिए मुक्ति पाने के लिय रास्ता पूछते हैं। तो उनके गुरु उन्हें श्रीमद् भागवत का कथन करने के लिए कहते हैं। और उन्हें भगवान शुकदेव के पास भेजते हैं ताकि उनसे श्रीमद् भागवत सुना सके। भगवान शुकदेव के पास जाकर राजा पारिक्षित उनसे मुक्ति का रस्ते पूछते हैं तो भगवान शुकदेव उन्हें श्रीमद् भागवत कथा सुनते हैं जिसमें श्री कृष्ण के जीवन लीला का बखान करते हैं। वो बताते हैं की मथुरा का राजकुमार कंस सभी ऋषि मुनियो और प्रजवासियो को दंडित करता था और खुद को भगवान मानता था। कंस आदि असुरों से मुक्ति के लिए सभी देवता ब्रह्मा जी के पास जाते हैं और मदद माँगते हैं। तो ब्रह्मा जी उन्हें बताते है की श्री हरि के अवतार लेने का वक्त आ चुका है। श्री हरि अवतार भी कंस की बहन के गर्भ से ही लेने वाले थे। दूसरी और कंस अपनी चचेरी बहन देवकी का विवाह वासुदेव के साथ करवा रहा था। विवाह के पश्चात कंस देवकी और वासुदेव का सारथी बन उन्हें उनके राज्य में छोड़ने के लिये निकलता है। तभी रास्ते में आकाशवाणी होती है की कंस का मृत्यु देवकी के आठवे पुत्र द्वारा ही होगी। यह सुन कंस क्रोधित होकर देवकी को हाई मारने की कोशिश करता है ताकि ना देवकी रहेगी और ना ही उसका पुत्र जन्म लेगा।
कंस जैसे ही देवकी को मारने के लिए आगे बढ़ता है तो वासुदेव उसे रोक देता है। वासुदेव प्रतिज्ञा लेता है की वह अपने सभी पुत्रों को अपने आप कंस को सौंप देगा। कंस उन्हें अपने ही पास रख लेता है और उनको महल में ही क़ैद कर देता है। महाराज उग्र्सैन देवकी वासुदेव को मुक्त करवा देते हैं। कंस अपने दो मित्र बाणासुर और भुमासूर से मिलने की नीति बनाता है। कंस और उसके मित्र महाराजा उग्र्सैन को मारने की योजना बनता है। अक्रूर को कंस पर शक होता है और वो कंस के किसी षड्यंत्र से सचेत रहने की तैयारी करता है। देवकी पहली बार गर्भ धारण करने की खबर से वासुदेव के भाई भगवान का प्रशाद भेजते हैं। कंस धीरे धीरे अपने मित्र राजाओं की सेना को एकत्रित कर रहा होता है। देवकी के अपने पहले पुत्र को जन्म देती हैं। वासुदेव अपने पहले पुत्र को लेकर कंस के पास चला जाता है।
देवकी के पहले पुत्र को देख कंस उसे वापस भेज देता है क्योंकि उसे ख़तरा सिर्फ़ देवकी के आठवें पुत्र से है। लेकिन कंस का सलाहकार चाणुर उसे देवकी के सभी पुत्रों को मारने के लिए कहता है। कंस देवकी वासुदेव के पास आकार उनके पुत्र को छिन लेता है और उनके पुत्र को मार देता है। फिर वह उन्हें कारगर में बंद कर देता है। राजा उग्र्सैन को इसकी खबर मिलती है तो वो कंस को अपने पास बुलाकर क्रोधित होते हैं और कंस को बंदी बनाने के आदेश देते हैं। कंस के मित्र की सेना वह पहुँच जाती है और राजा उग्र्सैन के सभी वफ़ादार सिपाहियों को मार देते हैं। कंस राजा उग्र्सैन को कारगर में डाल देता है। कंस की सेना राज्य में सभी जगह फैल जाती है और अपने क़ब्ज़े में ले लेता है। कंस पूरी मथुरा नगरी पर क़ब्ज़ा कर लेता है। राजा शूरसेन अक्रूर को भागने के लिए कहते हैं।अक्रूर के साथी मिल कर मगध से अपनी सारे साथियों को सुरक्षित निकाल लेते हैं और वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिनी को गोकुल में नंदराय जी के पास भेज देते हैं।
वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिनी अपने सिपाहियों के साथ वेश बदल नगर से निकल जाती हैं। अक्रूर के साथ रोहिनी गोकुल की और चल पड़ती है और नंदराय के घर पहुँच जाते हैं। कंस अपने आप को राजा घोषत कर देता है और सभा में झूठ बोल देता है की राजा सन्यास लेकर चले गए हैं और उन्हें राजा बना गए हैं। कंस का राज्यभिषेक किया जाता है। उग्र्सैन और उसके साथी देवकी और वासुदेव को भगाने की योजना बनाते हैं।
In association with Divo - our YouTube Partner
#SriKrishna #SriKrishnaonYouTube
Видео श्री कृष्ण जन्म | Shree Krishna Janam | Movie | Tilak канала Tilak
Subscribe to Tilak for more devotional contents - https://bit.ly/SubscribeTilak
श्री कृष्ण जी की लीला के बारे में रामानन्द सागर जी बखान करते हैं। सुतजी सभी ऋषि गण को राजा परिक्षित की कहनी सुनाते हैं। जिसमें राजा परीक्षित एक ब जंगल में घूम रहे थे जहां उन्हें कलयुग मिलता है और वह अपने आने की बात को राजा को बताते हैं। कलयुग को राजा परीक्षित अपने राज्य में आने के लिए मान जाते हैं। कलयुग को राजा परिक्षित 5 स्थानों में रहने की आज्ञा दे देते हैं जिसमें से एक स्वर्ण भी था। कलयुग राजा परिक्षित के सोने के मुकुट में जा बैठता है। उस दिन जब राजा परिक्षित शिकार के लिए भटक रहे तो ऋषि शमिक के आश्रम में जा पहुँचते हैं जब वो वह पहुँचते हैं तो ऋषि साधना में लीन थे, राजा उनसे पानी माँगते हैं परंतु समाधि में लीन होने के कारण वो कोई उत्तर नहीं देते। तभी कलयुग राजा परिक्षित को मुनि को उनकी आज्ञा ना मानने पर मृत्यु दंड देने को उकसा देता है परंतु राजा अपने आप को रोक लेता है लेकिन पास ही एक मरे हुए साँप को ऋषि के गले में दल देता है और वह से चला जाता है। ऋषि शमिक के पुत्र शृंगी को जब ये पता चलता है राजा ने उसके पिता का तिरस्कार किया है तो वह राजा को श्राप दे देता है जिसमें उसकी मृत्यु 7 दिन बाद तक्षक सर्प के काटने से हो जाएगी। ऋषि शमिक अपने पुत्र शृंगी को समझाते हैं की उसने श्राप देकर बहुत ग़लत किया।
जब राजा परिक्षित अपने महल वापस आ जाता है और जैसे ही वह अपने सर से मुकुट उतारते हैं तो उनके दिमाग़ से कलयुग द्वारा कराए गए अपराध से ग्लानि होती है। ऋषि शमिक राजा से मिलने के लिए उनके पीछे पीछे उनके महल पहुँच जाते हैं, राजा परिक्षित ऋषि शमिक का आदर सत्कार करते हैं। ऋषि शमिक उनकी सराहना करते हैं और उन्हें अपने पुत्र शृंगी के द्वारा दिए गए श्राप का बताते हैं। ऋषि शमिक राजा को मोक्ष की प्राप्ति के लिए अपने गुरुओं से मिलने के लिए कहते हैं। राजा शमिक अपने गुरु के पास चले जाते हैं और उनसे अपने श्राप की बात बताते हैं और उनसे अपने लिए मुक्ति पाने के लिय रास्ता पूछते हैं। तो उनके गुरु उन्हें श्रीमद् भागवत का कथन करने के लिए कहते हैं। और उन्हें भगवान शुकदेव के पास भेजते हैं ताकि उनसे श्रीमद् भागवत सुना सके। भगवान शुकदेव के पास जाकर राजा पारिक्षित उनसे मुक्ति का रस्ते पूछते हैं तो भगवान शुकदेव उन्हें श्रीमद् भागवत कथा सुनते हैं जिसमें श्री कृष्ण के जीवन लीला का बखान करते हैं। वो बताते हैं की मथुरा का राजकुमार कंस सभी ऋषि मुनियो और प्रजवासियो को दंडित करता था और खुद को भगवान मानता था। कंस आदि असुरों से मुक्ति के लिए सभी देवता ब्रह्मा जी के पास जाते हैं और मदद माँगते हैं। तो ब्रह्मा जी उन्हें बताते है की श्री हरि के अवतार लेने का वक्त आ चुका है। श्री हरि अवतार भी कंस की बहन के गर्भ से ही लेने वाले थे। दूसरी और कंस अपनी चचेरी बहन देवकी का विवाह वासुदेव के साथ करवा रहा था। विवाह के पश्चात कंस देवकी और वासुदेव का सारथी बन उन्हें उनके राज्य में छोड़ने के लिये निकलता है। तभी रास्ते में आकाशवाणी होती है की कंस का मृत्यु देवकी के आठवे पुत्र द्वारा ही होगी। यह सुन कंस क्रोधित होकर देवकी को हाई मारने की कोशिश करता है ताकि ना देवकी रहेगी और ना ही उसका पुत्र जन्म लेगा।
कंस जैसे ही देवकी को मारने के लिए आगे बढ़ता है तो वासुदेव उसे रोक देता है। वासुदेव प्रतिज्ञा लेता है की वह अपने सभी पुत्रों को अपने आप कंस को सौंप देगा। कंस उन्हें अपने ही पास रख लेता है और उनको महल में ही क़ैद कर देता है। महाराज उग्र्सैन देवकी वासुदेव को मुक्त करवा देते हैं। कंस अपने दो मित्र बाणासुर और भुमासूर से मिलने की नीति बनाता है। कंस और उसके मित्र महाराजा उग्र्सैन को मारने की योजना बनता है। अक्रूर को कंस पर शक होता है और वो कंस के किसी षड्यंत्र से सचेत रहने की तैयारी करता है। देवकी पहली बार गर्भ धारण करने की खबर से वासुदेव के भाई भगवान का प्रशाद भेजते हैं। कंस धीरे धीरे अपने मित्र राजाओं की सेना को एकत्रित कर रहा होता है। देवकी के अपने पहले पुत्र को जन्म देती हैं। वासुदेव अपने पहले पुत्र को लेकर कंस के पास चला जाता है।
देवकी के पहले पुत्र को देख कंस उसे वापस भेज देता है क्योंकि उसे ख़तरा सिर्फ़ देवकी के आठवें पुत्र से है। लेकिन कंस का सलाहकार चाणुर उसे देवकी के सभी पुत्रों को मारने के लिए कहता है। कंस देवकी वासुदेव के पास आकार उनके पुत्र को छिन लेता है और उनके पुत्र को मार देता है। फिर वह उन्हें कारगर में बंद कर देता है। राजा उग्र्सैन को इसकी खबर मिलती है तो वो कंस को अपने पास बुलाकर क्रोधित होते हैं और कंस को बंदी बनाने के आदेश देते हैं। कंस के मित्र की सेना वह पहुँच जाती है और राजा उग्र्सैन के सभी वफ़ादार सिपाहियों को मार देते हैं। कंस राजा उग्र्सैन को कारगर में डाल देता है। कंस की सेना राज्य में सभी जगह फैल जाती है और अपने क़ब्ज़े में ले लेता है। कंस पूरी मथुरा नगरी पर क़ब्ज़ा कर लेता है। राजा शूरसेन अक्रूर को भागने के लिए कहते हैं।अक्रूर के साथी मिल कर मगध से अपनी सारे साथियों को सुरक्षित निकाल लेते हैं और वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिनी को गोकुल में नंदराय जी के पास भेज देते हैं।
वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिनी अपने सिपाहियों के साथ वेश बदल नगर से निकल जाती हैं। अक्रूर के साथ रोहिनी गोकुल की और चल पड़ती है और नंदराय के घर पहुँच जाते हैं। कंस अपने आप को राजा घोषत कर देता है और सभा में झूठ बोल देता है की राजा सन्यास लेकर चले गए हैं और उन्हें राजा बना गए हैं। कंस का राज्यभिषेक किया जाता है। उग्र्सैन और उसके साथी देवकी और वासुदेव को भगाने की योजना बनाते हैं।
In association with Divo - our YouTube Partner
#SriKrishna #SriKrishnaonYouTube
Видео श्री कृष्ण जन्म | Shree Krishna Janam | Movie | Tilak канала Tilak
Показать
Комментарии отсутствуют
Информация о видео
Другие видео канала
कृष्ण असुर उद्धार | Krishna Asur Uddhar | Movie | Tilakभगवान श्री कृष्ण की कहानी | Mahabharat (महाभारत) Best Scene | B R Chopra | Pen Bhaktiरामायण कथा । लंका जा पहुँचे हनुमान जीरामानंद सागर कृत श्री कृष्ण भाग 18 - भगवान शिव और श्री कृष्ण मिलाप | श्री कृष्ण की माखन लीलाLIVE:- नवरात्रि दुर्गा अष्टमी नवमी दिन - आज यह गाथा सुनने से धन दौलत तथा व्यापार में वृद्धि होती हैश्री कृष्ण की गुरुकुल शिक्षा | Shri Krishna Ki Gurukul Shiksha | Movie | Tilakकालिया नाग मर्दन लीला | Mahabharat Stories | B. R. Chopra | EP – 14श्री कृष्ण लीला | महादेव आए बाल कृष्ण के दर्शन कोराधा कृष्ण दिव्य प्रेम | Radha Krishna Divya Prem | Movie | Tilakरामानंद सागर कृत श्री कृष्ण | लाइव - भाग 2 | Ramanand Sagar's Shree Krishna - Live - Part 2 | Tilakश्री कृष्ण लीला | श्री कृष्ण और कालिया नागकृष्ण चले मथुरा | Krishna Chale Mathura | Movie | Tilakसमुद्रमंथन की सबसे पौराणिक कथा और रहस्य - Most Popular Devotional Movie - Vishnupuranभगवान श्री कृष्णा कालिया नाग मर्दन - Mahabharat (महाभारत) Best Scene | B.R. Chopra | Pen Bhaktiमहिषासुर वध संपूर्ण कथा | माँ शेरवाली ने कैसे किया महिषासुर का वध | महिषासुर मर्दिनीश्री कृष्ण लीला | पूतना उद्धारकृष्ण ने तोड़ा कालिया नाग का घमंड | महाभारत (Mahabharat) | B. R. Chopra | Pen Bhaktiश्री कृष्ण लीला | गोवर्धन गिरधारी ने तोड़ा इंद्र का अहंकाररुक्मिणी हरण | Rukmani Haran | Movie | Tilak