कृष्ण असुर उद्धार | Krishna Asur Uddhar | Movie | Tilak
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श्री कृष्ण के जन्म के बाद नंदराय के घर ख़ुशियाँ मनायी जाती है। कंस अपने राज्य में सभी नवजात बालकों की हत्या करवाने के आदेश दे देता है। कंस पुतना को श्री कृष्ण का वध करने के लिए बुलाता है। पुतना गोकुल में एक औरत का रूप धारण कर श्री कृष्ण के पास पहुँच जाती है और धोके से उन्हें अपनी गोद में माँग लेती है और उन्हें आशीर्वाद का बहाना करके अपना विष भरा दूध पिलाती है तो श्री कृष्ण उसके प्राण हर लेते हैं। ये सब देख यशोदा बेहोश हो जाती है होश में आने के बाद यशोदा मैया श्री कृष्ण को स्नेह करती हैं। नंदराय और गोकुल वासी मिलकर पुतना का दाह संस्कार कर देते हैं।
विष्णु भगवान पुतना की आत्मा को स्वर्ग में स्थान देते हैं क्योंकि मरने से पहले ही उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को दूध पिला कर मातृत्व प्राप्त कर लिया था। पुतना की मृतु के बाद कंस को यक़ीन हो जाता है की नंदराय का पुत्र ही देवकी का आठवाँ पुत्र है। कंस का सलाहकार चाणुर एक ब्राह्मण श्रीधर को लेकर आता है ताकि वो श्री कृष्ण को अपनी तंत्र विद्या से मार सके।
वह ब्राह्मण श्रीधर अपनी तंत्र विद्या से एक दैत्या को आह्वान करता है। अगले दिन वह ब्राह्मण श्रीधर गोकुल की ओर निकल पड़ता है और वह पहुँचकर भिक्षा के बहाने नंद के घर में आ जाता है जहां यशोदा उसे भोजन के लिए अपने घर में बैठा लेती है। जैसी ही यशोदा और रोहिनी भोजन लेने जाती है तो वह ब्राह्मण अपनी शक्ति से प्रकट हुई दैत्या को श्री कृष्ण की हत्या करने के लिए आह्वान करता है लेकिन श्री कृष्णा उस दैत्या को मार देते हैं और उस पाखंडी ब्राह्मण को अपंग बना देते हैं। रोहिनी और यशोदा उसे देखती है तो उन्हें लगता है की वह चोर है तो वो चोर चोर चिल्लाने लगती हैं तो गोकुल वासी उसे पकड़ कर पिटने लगते हैं। नंदराय जी उसे लोगों से बचा कर आज़ाद कर देते हैं। कंस को जब ब्राह्मण श्रीधर की हालत का पता चलता है तो वह श्री कृष्ण की हत्या हेतु कगासुर को भेजता है।
श्री कृष्ण के पास जब कगासुर पहुँचता है तो श्री कृष्ण उसे भी मौत के घाट उतार देते है और उसका शव कंस के सामने जाकर गिरता है। कंस कागासुर की मृत्यु के निराश हो जाता है तभी कंस का मित्र उत्करच वहाँ पहुँच जाता है और कंस को वादा करता है की वह श्री कृष्ण को मार देगा। उत्करच श्री कृष्ण के पास पहुँच कर उन्हें बैल गाड़ी से कुचल कर मारने की कोशिश करता है, परंतु श्री कृष्ण उत्करच को एक बैलगाड़ी सहित एक ठोकर मार कर मार देते हैं। नंदराय अपने गुरु शांडिल्य के पास श्री कृष्ण के भविष्य के बारे में जानने के लिए जाते हैं। गुरु शांडिल्य उन्हें बताते हैं की विष्णु रूप भगवान है। गुरु शांडिल्य श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। विष्णु भगवान उत्करच के पिछले जनम की कहानी सुनाते हैं। कंस का मित्र राजा बाणासुर मिलने आता है और अपने साथ एक राक्षस तृणावर्त को लेकर आता है ताकि वो कंस की कृष्ण को मारने के लिए मदद कर सके। तृणावर्त गोकुल में जाकर बहुत तेज बवंडर से गोकुल में तबाही मचाने लगता है।
वह यशोदा के हाथ से श्री कृष्ण को उड़ा कर अपने साथ ले जाता है। लेकिन श्री कृष्ण तृणावर्त का गला दबाकर उसकी प्राण हर लेते हैं। श्री कृष्ण मुरली बजाते हुए अपनी गायों को साथ ले चराने के लिए मधुबन निकल पड़ते हैं। जब श्री कृष्ण और ग्वाले जंगल मैं पहुँच जाते हैं तो वहाँ बकासुर राक्षस बगुले का रूप धारण करके श्री कृष्ण को अपनी चोंच से पकड़ लेता हैं तो श्री कृष्ण उससे लड़ाई करते हुए उसकी चोंच से पकड़ कर मार देते हैं। बकासुर की मौत से विचलित होकर श्री कृष्ण को मारने के लिए कंस अकासुर को भेजता है। अकासुर एक विशाल अजगर था तो वह अपना मुख खोल कर जंगल में बैठ जाता है जिसे ग्वाले एक विशाल गुफा समझ उसके अंदर चले जाते हैं। श्री कृष्ण जैसे ही उसके मुख में आते हैं तो वह अपना मुख बंद कर लेता है सभी ग्वाले बेहोश हो जाते हैं फिर श्री कृष्ण अपना आकार बढ़ा कर अकासुर के मुख को फाड़ कर उसका वध कर देते हैं।
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विष्णु भगवान पुतना की आत्मा को स्वर्ग में स्थान देते हैं क्योंकि मरने से पहले ही उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को दूध पिला कर मातृत्व प्राप्त कर लिया था। पुतना की मृतु के बाद कंस को यक़ीन हो जाता है की नंदराय का पुत्र ही देवकी का आठवाँ पुत्र है। कंस का सलाहकार चाणुर एक ब्राह्मण श्रीधर को लेकर आता है ताकि वो श्री कृष्ण को अपनी तंत्र विद्या से मार सके।
वह ब्राह्मण श्रीधर अपनी तंत्र विद्या से एक दैत्या को आह्वान करता है। अगले दिन वह ब्राह्मण श्रीधर गोकुल की ओर निकल पड़ता है और वह पहुँचकर भिक्षा के बहाने नंद के घर में आ जाता है जहां यशोदा उसे भोजन के लिए अपने घर में बैठा लेती है। जैसी ही यशोदा और रोहिनी भोजन लेने जाती है तो वह ब्राह्मण अपनी शक्ति से प्रकट हुई दैत्या को श्री कृष्ण की हत्या करने के लिए आह्वान करता है लेकिन श्री कृष्णा उस दैत्या को मार देते हैं और उस पाखंडी ब्राह्मण को अपंग बना देते हैं। रोहिनी और यशोदा उसे देखती है तो उन्हें लगता है की वह चोर है तो वो चोर चोर चिल्लाने लगती हैं तो गोकुल वासी उसे पकड़ कर पिटने लगते हैं। नंदराय जी उसे लोगों से बचा कर आज़ाद कर देते हैं। कंस को जब ब्राह्मण श्रीधर की हालत का पता चलता है तो वह श्री कृष्ण की हत्या हेतु कगासुर को भेजता है।
श्री कृष्ण के पास जब कगासुर पहुँचता है तो श्री कृष्ण उसे भी मौत के घाट उतार देते है और उसका शव कंस के सामने जाकर गिरता है। कंस कागासुर की मृत्यु के निराश हो जाता है तभी कंस का मित्र उत्करच वहाँ पहुँच जाता है और कंस को वादा करता है की वह श्री कृष्ण को मार देगा। उत्करच श्री कृष्ण के पास पहुँच कर उन्हें बैल गाड़ी से कुचल कर मारने की कोशिश करता है, परंतु श्री कृष्ण उत्करच को एक बैलगाड़ी सहित एक ठोकर मार कर मार देते हैं। नंदराय अपने गुरु शांडिल्य के पास श्री कृष्ण के भविष्य के बारे में जानने के लिए जाते हैं। गुरु शांडिल्य उन्हें बताते हैं की विष्णु रूप भगवान है। गुरु शांडिल्य श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। विष्णु भगवान उत्करच के पिछले जनम की कहानी सुनाते हैं। कंस का मित्र राजा बाणासुर मिलने आता है और अपने साथ एक राक्षस तृणावर्त को लेकर आता है ताकि वो कंस की कृष्ण को मारने के लिए मदद कर सके। तृणावर्त गोकुल में जाकर बहुत तेज बवंडर से गोकुल में तबाही मचाने लगता है।
वह यशोदा के हाथ से श्री कृष्ण को उड़ा कर अपने साथ ले जाता है। लेकिन श्री कृष्ण तृणावर्त का गला दबाकर उसकी प्राण हर लेते हैं। श्री कृष्ण मुरली बजाते हुए अपनी गायों को साथ ले चराने के लिए मधुबन निकल पड़ते हैं। जब श्री कृष्ण और ग्वाले जंगल मैं पहुँच जाते हैं तो वहाँ बकासुर राक्षस बगुले का रूप धारण करके श्री कृष्ण को अपनी चोंच से पकड़ लेता हैं तो श्री कृष्ण उससे लड़ाई करते हुए उसकी चोंच से पकड़ कर मार देते हैं। बकासुर की मौत से विचलित होकर श्री कृष्ण को मारने के लिए कंस अकासुर को भेजता है। अकासुर एक विशाल अजगर था तो वह अपना मुख खोल कर जंगल में बैठ जाता है जिसे ग्वाले एक विशाल गुफा समझ उसके अंदर चले जाते हैं। श्री कृष्ण जैसे ही उसके मुख में आते हैं तो वह अपना मुख बंद कर लेता है सभी ग्वाले बेहोश हो जाते हैं फिर श्री कृष्ण अपना आकार बढ़ा कर अकासुर के मुख को फाड़ कर उसका वध कर देते हैं।
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