राधा कृष्ण दिव्य प्रेम | Radha Krishna Divya Prem | Movie | Tilak
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एक दिन एक गोकुल का मुरली वाला सुबह मुरली बजाते है तो श्री कृष्ण मुरली की आवाज़ सुनकर वही आ जाते है। मुरली वाला उन्हें एक मुरली देता है और मुरली बजाना सिखाते हैं। कान्हा सरस्वती माता से प्रार्थन करते हैं की उनकी मुरली में सुर भर दे तो स्वयं सरस्वती माता मुरली पे आके बैठ जाती हैं फिर कान्हा बांसुरी बजाते हैं तो मुरली वाला हैरान होकर देखता है और उन्हें प्रणाम करता है। श्री कृष्ण की मुरली सुन राधा श्री कृष्ण की मुरली को ओर आकर्षित हो जाती है और उनके पास जाने की ज़िद्द करती है। बरसाना गाँव के मुखिया वृषभानु और पंचायत के कुछ लोगों ले साथ राधा भी नंदराय के घर आते हैं। राधा श्री कृष्ण को देख कर मन ही मन प्रसन्न होती है। श्री कृष्ण से राधा जब मिलने के लिए अपनी पिता के साथ आती हैं तो वो दोनों बाहर खेलने के लिए आ जाते हैं, यमुना के किनारे दोनो एक दूसरे से बातें करते हुए। नारद मुनि जी श्री कृष्ण और राधा के बाल स्वरूप के दर्शन करने आते हैं।
श्री कृष्ण को यशोदा मैया सवेरे उठती हैं और कहती हैं की उसके मित्र ग्वाल बाल अपनी गायों को लेकर मधुबन जाने के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। श्री कृष्ण मुरली बजाते हुए अपनी गायों को साथ ले चराने के लिए मधुबन निकल पड़ते हैं। नंदराय का बरसाने के वृषभानु मुखिया को श्री कृष्ण और बलराम के तुला दान का न्योता आता है। राधा भी गोकुल में अपने परिवार के साथ तुलादान में सम्मलित होने के लिए आती हैं। श्री कृष्ण तुला दान शुरू किया जाता है तो उनके भर का दान काम पड़ता जाता है जिसे देख नंदराय हैरान हो देखते रह जाते हैं तभी राधा अपने गजरे के फूल को बलराम को देते हैं जिसे बलराम तराज़ू में डाल देते हैं और भर श्री कृष्ण के वजन के बराबर हो जाता है। राधा श्री कृष्ण से मिलने के लिए आती हैं। श्री कृष्ण राधा दोनो एक दूसरे के साथ बैठ कर बातें करते हैं।
राधा कृष्ण से मिलने आने के लिए वादा करके चली जाती हैं। बरसाने और गोकुल के मुखिया आपस में सलाह करते हैं की इस बार की होली गोकुल में ही मनाई जाएगी। होली के दिन बरसाने और गोकुल की ग्वाले और ग्वालिन सब मिलके होली खेलते हैं। श्री कृष्ण और राधा भी दोनो मिलके होली खेलते हैं और नाचते गाते हैं। बरसाने वाली होली जीत जाते हैं। होली खेलने के बाद श्री कृष्ण और राधा एक दूसरे के साथ वक्त गुजरते हैं और अपने प्रेम की बातें करते हैं। श्री कृष्ण राधा के वस्त्र बदल लेते हैं और राधा बन के दिखाते हैं और राधा कृष्ण बनती हैं। राधा श्री कृष्ण को अपने प्रेम के बारे में श्री कृष्ण को बताती है की उनका प्रेम श्री कृष्ण के लिए क्या है। राधा श्री कृष्ण को मुरली सिखाने के लिए कहती है। श्री कृष्ण उनके लिए नयी मुरली लाने के लिए कहते हैं और कल से सिखाने की बात कहते हैं तो राधा श्री कृष्ण से उनकी मुरली माँगती हैं और कहती है अपनी मुरली से सिखा दो तो श्री कृष्ण मना कर देते हैं।
श्री कृष्ण राधा से कहते हैं की ये मुरली कृष्ण मुरली है इस मुरली से सारा जगत चलता है ये मैं तुम्हें नहीं दे सकता इसे तुम सम्भाल नहीं पाओगी। इस बात पर राधा कहती है की राधा से अधिक प्रेम तुम्हें कोई नहीं कर सकता और श्री कृष्ण के चारों ओर रेखा खिंच कर कहती है की तुम मुरली बजाओ अगर कोई मुझसे अधिक प्रेम तुमसे करता है तो वो इस रेखा को पार कर सकता है वरना वो इस रेखा को पार करने से पहले ही भस्म हो जाएगा। श्री कृष्ण मुरली बजाना शुरू करते हैं तो सभी गोपियाँ वह पहुँच जाती हैं। जिसे देख राधा को बहुत ईर्ष्या होती है और वह उस रेखा को आग में बदल देती है, परंतु गोपियाँ उस आग की रेखा को भी पार कर जाती हैं। जिसे देख राधा रोने लगती हैं और कान्हा से माफ़ी माँगती हैं और कहती हैं की मैंने भूल से सिर्फ़ तुम पर अपना अधिकार मना था।
श्री कृष्ण राधा को समझाते हैं की ये सब गोपियाँ तुम्हारे प्रति मेरे प्रेम के कारण मेरे लिए इतना बड़ा त्याग कर रही हैं क्योंकि में तुमसे प्रेम करता हूँ। और श्री कृष्ण सभी गोपियों में राधा की ही छवि देखते हैं और कहते हैं की ये सब माया वश अपना अलग अलग नाम बताती हैं पर मुझे इनमें सिर्फ़ तुम ही दिखाई देती हो। गोपियाँ माँ गोरी की पूजा करती है ताकि उन्हें अपनी पसंद का पति मिल सके, और वो सभी मन ही मन श्री कृष्ण को ही पति के रूप में पाना चाहती हैं। श्री कृष्ण के साथ सभी गोपियाँ रासलीला करते हैं।
श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था। यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित 1993 को किया गया था जो 1996 तक चला, 221 एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर टेलीकास्ट हुआ, रामायण व महाभारत के बाद इसने टी आर पी के मामले में इसने दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था,इसका पुनः जनता की मांग पर प्रसारण कोरोना महामारी 2020 में लॉकडाउन के दौरान रामायण श्रृंखला समाप्त होने के बाद ०३ मई से डीडी नेशनल पर किया जा रहा है, TRP के मामले में २१ वें हफ्ते तक यह सीरियल नम्बर १ पर कायम रहा।
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एक दिन एक गोकुल का मुरली वाला सुबह मुरली बजाते है तो श्री कृष्ण मुरली की आवाज़ सुनकर वही आ जाते है। मुरली वाला उन्हें एक मुरली देता है और मुरली बजाना सिखाते हैं। कान्हा सरस्वती माता से प्रार्थन करते हैं की उनकी मुरली में सुर भर दे तो स्वयं सरस्वती माता मुरली पे आके बैठ जाती हैं फिर कान्हा बांसुरी बजाते हैं तो मुरली वाला हैरान होकर देखता है और उन्हें प्रणाम करता है। श्री कृष्ण की मुरली सुन राधा श्री कृष्ण की मुरली को ओर आकर्षित हो जाती है और उनके पास जाने की ज़िद्द करती है। बरसाना गाँव के मुखिया वृषभानु और पंचायत के कुछ लोगों ले साथ राधा भी नंदराय के घर आते हैं। राधा श्री कृष्ण को देख कर मन ही मन प्रसन्न होती है। श्री कृष्ण से राधा जब मिलने के लिए अपनी पिता के साथ आती हैं तो वो दोनों बाहर खेलने के लिए आ जाते हैं, यमुना के किनारे दोनो एक दूसरे से बातें करते हुए। नारद मुनि जी श्री कृष्ण और राधा के बाल स्वरूप के दर्शन करने आते हैं।
श्री कृष्ण को यशोदा मैया सवेरे उठती हैं और कहती हैं की उसके मित्र ग्वाल बाल अपनी गायों को लेकर मधुबन जाने के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। श्री कृष्ण मुरली बजाते हुए अपनी गायों को साथ ले चराने के लिए मधुबन निकल पड़ते हैं। नंदराय का बरसाने के वृषभानु मुखिया को श्री कृष्ण और बलराम के तुला दान का न्योता आता है। राधा भी गोकुल में अपने परिवार के साथ तुलादान में सम्मलित होने के लिए आती हैं। श्री कृष्ण तुला दान शुरू किया जाता है तो उनके भर का दान काम पड़ता जाता है जिसे देख नंदराय हैरान हो देखते रह जाते हैं तभी राधा अपने गजरे के फूल को बलराम को देते हैं जिसे बलराम तराज़ू में डाल देते हैं और भर श्री कृष्ण के वजन के बराबर हो जाता है। राधा श्री कृष्ण से मिलने के लिए आती हैं। श्री कृष्ण राधा दोनो एक दूसरे के साथ बैठ कर बातें करते हैं।
राधा कृष्ण से मिलने आने के लिए वादा करके चली जाती हैं। बरसाने और गोकुल के मुखिया आपस में सलाह करते हैं की इस बार की होली गोकुल में ही मनाई जाएगी। होली के दिन बरसाने और गोकुल की ग्वाले और ग्वालिन सब मिलके होली खेलते हैं। श्री कृष्ण और राधा भी दोनो मिलके होली खेलते हैं और नाचते गाते हैं। बरसाने वाली होली जीत जाते हैं। होली खेलने के बाद श्री कृष्ण और राधा एक दूसरे के साथ वक्त गुजरते हैं और अपने प्रेम की बातें करते हैं। श्री कृष्ण राधा के वस्त्र बदल लेते हैं और राधा बन के दिखाते हैं और राधा कृष्ण बनती हैं। राधा श्री कृष्ण को अपने प्रेम के बारे में श्री कृष्ण को बताती है की उनका प्रेम श्री कृष्ण के लिए क्या है। राधा श्री कृष्ण को मुरली सिखाने के लिए कहती है। श्री कृष्ण उनके लिए नयी मुरली लाने के लिए कहते हैं और कल से सिखाने की बात कहते हैं तो राधा श्री कृष्ण से उनकी मुरली माँगती हैं और कहती है अपनी मुरली से सिखा दो तो श्री कृष्ण मना कर देते हैं।
श्री कृष्ण राधा से कहते हैं की ये मुरली कृष्ण मुरली है इस मुरली से सारा जगत चलता है ये मैं तुम्हें नहीं दे सकता इसे तुम सम्भाल नहीं पाओगी। इस बात पर राधा कहती है की राधा से अधिक प्रेम तुम्हें कोई नहीं कर सकता और श्री कृष्ण के चारों ओर रेखा खिंच कर कहती है की तुम मुरली बजाओ अगर कोई मुझसे अधिक प्रेम तुमसे करता है तो वो इस रेखा को पार कर सकता है वरना वो इस रेखा को पार करने से पहले ही भस्म हो जाएगा। श्री कृष्ण मुरली बजाना शुरू करते हैं तो सभी गोपियाँ वह पहुँच जाती हैं। जिसे देख राधा को बहुत ईर्ष्या होती है और वह उस रेखा को आग में बदल देती है, परंतु गोपियाँ उस आग की रेखा को भी पार कर जाती हैं। जिसे देख राधा रोने लगती हैं और कान्हा से माफ़ी माँगती हैं और कहती हैं की मैंने भूल से सिर्फ़ तुम पर अपना अधिकार मना था।
श्री कृष्ण राधा को समझाते हैं की ये सब गोपियाँ तुम्हारे प्रति मेरे प्रेम के कारण मेरे लिए इतना बड़ा त्याग कर रही हैं क्योंकि में तुमसे प्रेम करता हूँ। और श्री कृष्ण सभी गोपियों में राधा की ही छवि देखते हैं और कहते हैं की ये सब माया वश अपना अलग अलग नाम बताती हैं पर मुझे इनमें सिर्फ़ तुम ही दिखाई देती हो। गोपियाँ माँ गोरी की पूजा करती है ताकि उन्हें अपनी पसंद का पति मिल सके, और वो सभी मन ही मन श्री कृष्ण को ही पति के रूप में पाना चाहती हैं। श्री कृष्ण के साथ सभी गोपियाँ रासलीला करते हैं।
श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था। यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित 1993 को किया गया था जो 1996 तक चला, 221 एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर टेलीकास्ट हुआ, रामायण व महाभारत के बाद इसने टी आर पी के मामले में इसने दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था,इसका पुनः जनता की मांग पर प्रसारण कोरोना महामारी 2020 में लॉकडाउन के दौरान रामायण श्रृंखला समाप्त होने के बाद ०३ मई से डीडी नेशनल पर किया जा रहा है, TRP के मामले में २१ वें हफ्ते तक यह सीरियल नम्बर १ पर कायम रहा।
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