आलस्य की हिन्दू देवी ज्येष्ठा,क्या आप इनके बारे में जानते हैं? | प्रवीण मोहन
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हैलो दोस्तों , आज मैं आपको कैलाशनाथर मंदिर में बनी हिंदुओं की एक बड़ी अजीब देवी को दिखाना चाहता हूँ | जैसा कि आप देख सकते हैं कि यहां तीन देवियाँ हैं, जिनमें से बीच वाली पूरी शान के साथ शेर के ऊपर खड़ी हैं | इनका नाम देवी दुर्गा है और चलिए उनके सिर के ऊपर बनी उड़न तश्तरी या परग्रही यान जैसी संरचना पर ध्यान नहीं देते हैं | मैं यहाँ बांयी ओर वाली देवी पर ध्यान देने के लिए आया हूँ | यह एक बहुत अजीब और रोचक नक्काशी है |
ये हमारे द्वारा देखी गयी सभी हिंदू देवी-देवताओं से बिल्कुल विपरीत है | मैंने आपको हजारों भारतीय नक्काशियां दिखाई हैं, और देविओं की नक्काशियां लगभग हमेशा ही बहुत दुबली और दुरुस्त होती हैं | पर यहाँ कोई है जो बहुत मोटा है, और बहुत स्वस्थ नहीं दिखता है | ध्यान से देखिए, उनकी आँखें बंद हैं ऐसा लग रहा है जैसे वो सो रही हैं | ये देवी कौन हैं ?
और इन्हें ऐसे क्यों दर्शाया गया है और इसके पीछे की कहानी क्या है? ये ज्येष्ठा नाम की देवी हैं, ये आलस्य की देवी हैं, ये दुर्भाग्य, गरीबी, बीमारी और दुःख की देवी हैं | यह अद्वितीय है, है ना ? हिंदू धर्म में हजारों देवी-देवता हैं, पर वे सभी ज्यादातर अच्छी चीज़ों से जुड़े हैं, पर ये वाली सभी बुरी चीजों को दर्शाती है | ज्येष्ठा का मतलब क्या होता है ?
संस्कृत में ज्येष्ठा शब्द का अर्थ बड़ी या किसी से बड़ी होता है | किस से बड़ी ? वो इन लक्ष्मी नाम की देवी की बड़ी बहन हैं, जो कि दीवार की ठीक उल्टी तरफ दर्शाई गई हैं | लक्ष्मी ऐश्वर्य, सौभाग्य और सुंदरता की देवी हैं | और इन्हें, जानबूझकर तीखे विरोधाभास के साथ बनाया गया है | याद रखिए, कि हम ऐसी नक्काशियों को देख रहे हैं जो कम से कम 1300 साल पुरानी हैं | यह नक्काशियां बहुत ज्यादा क्षरण, जंग लगने और मनुष्यों द्वारा किए गए विनाश से गुज़री हैं, पर हम अभी भी इनमें अद्भुत विरोधाभास देख सकते हैं और उन्हें समझ सकते हैं |
देखिए लक्ष्मी को कैसे बनाया गया है | वे अविश्वसनीय रूप से दुरुस्त हैं, वो सीधी पीठ के साथ एक पैर ज़मीन पर और एक पैर ऊपर मोड़ कर बैठी हैं | अब ज्येष्ठा को देखिए | देखिए कैसे उन्हें बहुत मोटा दिखाया गया है और देखिए कैसे वो आलस्य के साथ आराम से एक आरामदेह तरीके से दोनों पैर ज़मीन पर रख कर बैठी हैं | उनके पास एक भैंस के सिर वाला आदमी खड़ा है | भैंस एक बहुत ही सुस्त, आलसी जानवर होता है, और दक्षिण भारत में इस आकृति को मानथन कहते हैं , इसे कभी कभी ज्येष्ठा के बेटे के रूप में भी जाना जाता है |
दूसरी तरफ ,किसी गलत काम के पछतावे के साथ एक शरारत भरी मुस्कान के साथ एक मानथनी नाम की लड़की खड़ी है | और अगर आप लक्ष्मी को देखते हैं तो, उनके पास एक गाय है जो , उपजाऊपन और प्रचुरता की प्रतीक है और दूसरी तरफ एक शेर है जो कि बहादुरी का प्रतीक है | ज्येष्ठा के दो और अजीब गुण हैं, उन्हें एक झाड़ू के साथ दर्शाया गया है, जो बताता है कि वो बहुत साफ नहीं हैं |
साधारणतः आप एक झाड़ू या कूड़ेदान के पास नहीं बैठेंगे | और फिर उन्हें एक कौवे के साथ दिखाया गया है, कौवा एक असली मुर्दाखोर पक्षी है, जो कि कुछ भी जिंदा या मुर्दा खा लेता है | इन देवी के इन सभी विवरणों का निरीक्षण करना बहुत ही शानदार है | इन संकेतों को समझना आसान है, यदि आप आलसी हैं और गंदे रहते हैं तो आप गरीब और बीमार रहेंगे | याद है मैंने आपको क्या बताया था, कि कैलाशनाथर मंदिर आश्चर्यजनक संकेतों से भरा हुआ है, कुछ वीडियो पहले, मैंने आपको दिखाया था कि कैसे ये जानवर हमें इन गुप्त कक्षों को ढूंढने के बारे में बता रहे हैं |
ये मंदिर इन जानकारियों से भरा हुआ है | प्राचीन हिंदू प्रथाओं में, सभी हिंदू देवियाँ दो वर्गों के अन्तर्गत आती थीं | एक हैं सौम्य जिसका अर्थ है सुंदर और सुखद, दूसरी उग्र कही जाती हैं जिसका अर्थ है भयंकर या डरावनी | मैंने आपको ज्यादातर सौम्य नक्काशियां दिखाई हैं, पर कभी कभी मैं आपको उग्र वाली भी दिखाता हूँ, ये वास्तव में डरावनी हैं |
लेकिन ज्येष्ठा इस नियम के लिए एक अपवाद है | क्योंकि ना ही ये सुंदर है और ना ही डरावनी हैं | ये बिल्कुल भी प्रभावी नहीं है, 99% पर्यटक इसे आसानी से नजरअंदाज कर देंगे, जब तक कि, आप मेरी तरह मंदिर की हर एक नक्काशी का निरीक्षण ना करते हों | पर इतिहास एक बहुत अजीब विषय है | यहाँ हम केवल इतिहास के एक हिस्से पर नज़र नहीं डाल रहे हैं, बल्कि इस देवी का अपना स्वयं का एक इतिहास है, इन्हें हमेशा मोटा नहीं दर्शाया गया था |
यह मंदिर 1300 साल पुरानी है, पर दक्षिण भारत में ज्येष्ठा की इस से भी पुरानी मूर्तियाँ हैं, और आश्चर्यजनक रूप से उन्हें एक पतली दुबली लड़की के रूप में दर्शाया गया है | जिसे इस क्षेत्र में ज्यादातर तव्वाई या मूदेवी के रूप में जाना जाता है और इन्हें सुंदरता के साथ बनाया गया है | गाँव में, आज भी, इस देवी की तरफ देखना एक पाप माना जाता है | कुछ जगहों पर उनकी मूर्ति की आँखों को हल्दी से बंद कर दिया जाता है, जिससे वो आप पर अपनी नजर ना डाल सकें |
एक और रोचक क्रम यह है कि,ऐसा कहा जाता है कि यदि आपने उनकी मूर्ति को देख लिया तो आपको इसे कम से कम तीन लोगों को दिखाना होगा | अगर आप ऐसा नहीं कर पाए, तो आप बीमार पड़ सकते हैं या आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है |
#हिन्दू #praveenmohanhindi #प्रवीणमोहन
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ये हमारे द्वारा देखी गयी सभी हिंदू देवी-देवताओं से बिल्कुल विपरीत है | मैंने आपको हजारों भारतीय नक्काशियां दिखाई हैं, और देविओं की नक्काशियां लगभग हमेशा ही बहुत दुबली और दुरुस्त होती हैं | पर यहाँ कोई है जो बहुत मोटा है, और बहुत स्वस्थ नहीं दिखता है | ध्यान से देखिए, उनकी आँखें बंद हैं ऐसा लग रहा है जैसे वो सो रही हैं | ये देवी कौन हैं ?
और इन्हें ऐसे क्यों दर्शाया गया है और इसके पीछे की कहानी क्या है? ये ज्येष्ठा नाम की देवी हैं, ये आलस्य की देवी हैं, ये दुर्भाग्य, गरीबी, बीमारी और दुःख की देवी हैं | यह अद्वितीय है, है ना ? हिंदू धर्म में हजारों देवी-देवता हैं, पर वे सभी ज्यादातर अच्छी चीज़ों से जुड़े हैं, पर ये वाली सभी बुरी चीजों को दर्शाती है | ज्येष्ठा का मतलब क्या होता है ?
संस्कृत में ज्येष्ठा शब्द का अर्थ बड़ी या किसी से बड़ी होता है | किस से बड़ी ? वो इन लक्ष्मी नाम की देवी की बड़ी बहन हैं, जो कि दीवार की ठीक उल्टी तरफ दर्शाई गई हैं | लक्ष्मी ऐश्वर्य, सौभाग्य और सुंदरता की देवी हैं | और इन्हें, जानबूझकर तीखे विरोधाभास के साथ बनाया गया है | याद रखिए, कि हम ऐसी नक्काशियों को देख रहे हैं जो कम से कम 1300 साल पुरानी हैं | यह नक्काशियां बहुत ज्यादा क्षरण, जंग लगने और मनुष्यों द्वारा किए गए विनाश से गुज़री हैं, पर हम अभी भी इनमें अद्भुत विरोधाभास देख सकते हैं और उन्हें समझ सकते हैं |
देखिए लक्ष्मी को कैसे बनाया गया है | वे अविश्वसनीय रूप से दुरुस्त हैं, वो सीधी पीठ के साथ एक पैर ज़मीन पर और एक पैर ऊपर मोड़ कर बैठी हैं | अब ज्येष्ठा को देखिए | देखिए कैसे उन्हें बहुत मोटा दिखाया गया है और देखिए कैसे वो आलस्य के साथ आराम से एक आरामदेह तरीके से दोनों पैर ज़मीन पर रख कर बैठी हैं | उनके पास एक भैंस के सिर वाला आदमी खड़ा है | भैंस एक बहुत ही सुस्त, आलसी जानवर होता है, और दक्षिण भारत में इस आकृति को मानथन कहते हैं , इसे कभी कभी ज्येष्ठा के बेटे के रूप में भी जाना जाता है |
दूसरी तरफ ,किसी गलत काम के पछतावे के साथ एक शरारत भरी मुस्कान के साथ एक मानथनी नाम की लड़की खड़ी है | और अगर आप लक्ष्मी को देखते हैं तो, उनके पास एक गाय है जो , उपजाऊपन और प्रचुरता की प्रतीक है और दूसरी तरफ एक शेर है जो कि बहादुरी का प्रतीक है | ज्येष्ठा के दो और अजीब गुण हैं, उन्हें एक झाड़ू के साथ दर्शाया गया है, जो बताता है कि वो बहुत साफ नहीं हैं |
साधारणतः आप एक झाड़ू या कूड़ेदान के पास नहीं बैठेंगे | और फिर उन्हें एक कौवे के साथ दिखाया गया है, कौवा एक असली मुर्दाखोर पक्षी है, जो कि कुछ भी जिंदा या मुर्दा खा लेता है | इन देवी के इन सभी विवरणों का निरीक्षण करना बहुत ही शानदार है | इन संकेतों को समझना आसान है, यदि आप आलसी हैं और गंदे रहते हैं तो आप गरीब और बीमार रहेंगे | याद है मैंने आपको क्या बताया था, कि कैलाशनाथर मंदिर आश्चर्यजनक संकेतों से भरा हुआ है, कुछ वीडियो पहले, मैंने आपको दिखाया था कि कैसे ये जानवर हमें इन गुप्त कक्षों को ढूंढने के बारे में बता रहे हैं |
ये मंदिर इन जानकारियों से भरा हुआ है | प्राचीन हिंदू प्रथाओं में, सभी हिंदू देवियाँ दो वर्गों के अन्तर्गत आती थीं | एक हैं सौम्य जिसका अर्थ है सुंदर और सुखद, दूसरी उग्र कही जाती हैं जिसका अर्थ है भयंकर या डरावनी | मैंने आपको ज्यादातर सौम्य नक्काशियां दिखाई हैं, पर कभी कभी मैं आपको उग्र वाली भी दिखाता हूँ, ये वास्तव में डरावनी हैं |
लेकिन ज्येष्ठा इस नियम के लिए एक अपवाद है | क्योंकि ना ही ये सुंदर है और ना ही डरावनी हैं | ये बिल्कुल भी प्रभावी नहीं है, 99% पर्यटक इसे आसानी से नजरअंदाज कर देंगे, जब तक कि, आप मेरी तरह मंदिर की हर एक नक्काशी का निरीक्षण ना करते हों | पर इतिहास एक बहुत अजीब विषय है | यहाँ हम केवल इतिहास के एक हिस्से पर नज़र नहीं डाल रहे हैं, बल्कि इस देवी का अपना स्वयं का एक इतिहास है, इन्हें हमेशा मोटा नहीं दर्शाया गया था |
यह मंदिर 1300 साल पुरानी है, पर दक्षिण भारत में ज्येष्ठा की इस से भी पुरानी मूर्तियाँ हैं, और आश्चर्यजनक रूप से उन्हें एक पतली दुबली लड़की के रूप में दर्शाया गया है | जिसे इस क्षेत्र में ज्यादातर तव्वाई या मूदेवी के रूप में जाना जाता है और इन्हें सुंदरता के साथ बनाया गया है | गाँव में, आज भी, इस देवी की तरफ देखना एक पाप माना जाता है | कुछ जगहों पर उनकी मूर्ति की आँखों को हल्दी से बंद कर दिया जाता है, जिससे वो आप पर अपनी नजर ना डाल सकें |
एक और रोचक क्रम यह है कि,ऐसा कहा जाता है कि यदि आपने उनकी मूर्ति को देख लिया तो आपको इसे कम से कम तीन लोगों को दिखाना होगा | अगर आप ऐसा नहीं कर पाए, तो आप बीमार पड़ सकते हैं या आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है |
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