अनदेखा अरुणाचल प्रदेश। भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र।—Hindi EP#1
अरुणाचल प्रदेश भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। अरुणाचल का अर्थ हिन्दी में "उगते सूर्य का पर्वत" है (अरूण + अचल ; 'अचल' का अर्थ 'न चलने वाला' = पर्वत होता है।)।
प्रदेश की सीमाएँ दक्षिण में असम दक्षिणपूर्व में नागालैंड पूर्व में बर्मा/म्यांमार पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं। ईटानगर राज्य की राजधानी है। प्रदेश की बोलचाल की मुख्य भाषा हिन्दी [3]है। अरुणाचल प्रदेश चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ 1,129 किलोमीटर सीमा साझा करता है।
भारत की जनगणना २०११ के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश की आबादी 1,382,611 और 83,743 वर्ग किलोमीटर (32,333 वर्ग मील) का क्षेत्रफल है। यह एक नैतिक रूप से विविध राज्य है, जिसमें मुख्य रूप से पश्चिम में मोनपा लोग, केन्द्र में तानी लोग, पूर्व में ताई लोग और राज्य के दक्षिण में नागा लोग हैं।
राज्य का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण तिब्बत के क्षेत्र के हिस्से के रूप में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना और चीन गणराज्य (ताइवान) दोनों द्वारा दावा किया जाता है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, अरुणाचल प्रदेश के आधे से भी ज़्यादा हिस्से पर चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अस्थायी रूप से कब्जा कर लिया था।[6] फिर चीन ने एकतरफा युद्ध विराम घोषित कर दिया और उसकी सेना मैकमहोन रेखा के पीछे लौट गई।
भौगोलिक दृष्टि से पूर्वोत्तर के राज्यों में यह सबसे बड़ा राज्य है। पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों की तरह इस प्रदेश के लोग भी तिब्बती-बर्मी मूल के हैं। वर्तमान समय में भारत के अन्य भागों से बहुत से लोग आकर यहाँ आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ कर रहे ।
अरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमान्त एजेंसी (नॉर्थ ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी- नेफ़ा) के नाम से जाना जाता था। इस राज्य के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में क्रमश: भूटान, तिब्बत, चीन और म्यांमार देशों की अन्तरराष्ट्रीय सीमाएँ हैं। अरुणाचल प्रदेश की सीमा नागालैंड और असम से भी मिलती है। इस राज्य में पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी क्षेत्र है। इसके पहाड़ों की ढलान असम राज्य के मैदानी भाग की ओर है। 'कामेंग', 'सुबनसिरी', 'सिआंग', 'लोहित' और 'तिरप' आदि नदियाँ इसे अलग-अलग घाटियों में विभाजित कर देती हैं। यहाँ का इतिहास लिखित रूप में उपलब्ध नहीं है। मौखिक परंपरा के रूप में कुछ थोड़ा सा साहित्य और ऐतिहासिक खंडहर हैं जो इस पर्वतीय क्षेत्र में मिलते हैं। इन स्थानों की खुदाई और विश्लेषण के द्वारा पता चलता है कि ये ईस्वी सन प्रारम्भ होने के समय के हैं। ऐतिहासिक प्रमाणों से पता चलता है कि यह जाना-पहचाना क्षेत्र ही नहीं था वरन जो लोग यहाँ रहते थे और उनका देश के अन्य भागों से निकट का सम्बन्ध था। अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास 24 फरवरी 1826 को 'यण्डाबू सन्धि' होने के बाद असम में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद से प्राप्त होता हैं। सन 1962 से पहले इस राज्य को नार्थ-ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी (नेफ़ा) के नाम से जाना जाता था। संवैधानिक रूप से यह असम का ही एक भाग था परन्तु सामरिक महत्त्व के कारण 1965 तक यहाँ के प्रशासन की देखभाल विदेश मन्त्रालय करता था। 1965 के पश्चात असम के राज्पाल के द्वारा यहाँ का प्रशासन गृह मन्त्रालय के अन्तर्गत आ गया था।
अरुणाचल प्रदेश का मौसम उन्नयन के साथ बदलता है। अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्र जैसे ऊपरी हिमालय स्थित तिब्बत के निकट-वर्ती क्षेत्रों में मौसम अल्पाइन या टुन्ड्रा प्रकार का होता है। मध्य हिमालय क्षेत्रों में मौसम समशीतोष्ण होता है और यहाँ सेब, संतरा, आदि के फलदार वृक्ष होते हैं। निचले हिमालयी क्षेत्रों में नम उप-उष्णकटिबंधीय मौसम पाया जाता है जहाँ तेज ग्रीष्म तथा हल्की शरद ऋतु होती है।
अरुणाचल प्रदेश में भारी वर्षा होती है (160 से 80 इंच (2000 से 4000 मिमी वार्षिक)। अधिकतर वर्षा मई और सितंबर के बीच होती है। पहाड़ और इनकी ढलानें अल्पाइन, समशीतोष्ण और उपविषुवतीय वृक्षों के जंगलों से ढकी हैं। यहाँ बौना रॉडॉडेन्ड्रोन, ओक, चीड़, मैप्ले, फर और जुनिपर के वृक्षों के साथ साल और सागौन जैसे मुख्य आर्थिक प्रजाति के वृक्ष भी पाये जाते हैं।
63% अरुणाचल वासी 19 प्रमुख जनजातियों और 85 अन्य जनजातियों से संबद्ध हैं। इनमें से अधिकांश या तो तिब्बती-बर्मी या ताई-बर्मी मूल के हैं। बाकी 35 % जनसंख्या आप्रवासियों की है, जिनमें 31000 बंगाली, बोडो, हजोन्ग, बांग्लादेश से आये चकमा शरणार्थी और पड़ोसी असम, नागालैंड और भारत के अन्य भागों से आये प्रवासी शामिल हैं। सबसे बडी़ जनजातियों में आदि, गालो, निशि, खम्ति, मोंपा और अपातनी प्रमुख हैं।
राज्य की साक्षरता दर 1991 में 41.59 % से बढ़कर 54.74 % हो गयी। 487796 व्यक्ति साक्षर है। भारत सरकार की 2001 की जनगणना के आँकड़ों से पता चलता है कि अरुणाचल की 20% जनसंख्या के प्रकृतिधर्मी हैं, जो जीववादी धर्म जैसे डोन्यी-पोलो और रन्गफ्राह का पालन करते है। मिरि और नोक्ते लोगों को मिलाकर 29 प्रतिशत हिंदू हैं।[7] राज्य की 13% जनसंख्या बौद्ध है। तिब्बती बौद्ध पन्थ मुख्यतः तवांग, पश्चिम कामेंग और तिब्बत से सटे क्षेत्रों में प्रचलित है। थेरावाद बौद्ध पन्थ का बर्मी सीमा के निकट रहने वाले समूहों द्वारा पालन किया जाता है। लगभग 19% आबादी ईसाईपन्थ की अनुयायी है।
अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों के जीवनयापन का मुख्य आधार कृषि है। इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्यत: 'झूम' खेती पर ही आधरित है। आजकल नकदी फसलों जैसे- आलू, और बागबानी की फसलें जैसे सेब, संतरे और अनन्नास आदि को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी लोग खेती की पारंपरिक विधि शिइंग (झूम) का प्रयोग करते हैं। इस कृषि विधि की मुख्य पैदावार चावल, मक्का, जौ एवं मोथी (कूटू) हैं। अरुणाचल प्रदेश की मुख्य फसलों में चावल, मक्का, बाजरा, गेहूँ, जौ, दलहन, गन्ना, अदरक और तिलहन हैं।
अरुणाचल प्रदेश में 87,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित क्षेत्र है। राज्य की विद्युत क्षमता लगभग 30,735 मेगावॉट है।
Видео अनदेखा अरुणाचल प्रदेश। भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र।—Hindi EP#1 канала Taj Agro Products
प्रदेश की सीमाएँ दक्षिण में असम दक्षिणपूर्व में नागालैंड पूर्व में बर्मा/म्यांमार पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं। ईटानगर राज्य की राजधानी है। प्रदेश की बोलचाल की मुख्य भाषा हिन्दी [3]है। अरुणाचल प्रदेश चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ 1,129 किलोमीटर सीमा साझा करता है।
भारत की जनगणना २०११ के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश की आबादी 1,382,611 और 83,743 वर्ग किलोमीटर (32,333 वर्ग मील) का क्षेत्रफल है। यह एक नैतिक रूप से विविध राज्य है, जिसमें मुख्य रूप से पश्चिम में मोनपा लोग, केन्द्र में तानी लोग, पूर्व में ताई लोग और राज्य के दक्षिण में नागा लोग हैं।
राज्य का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण तिब्बत के क्षेत्र के हिस्से के रूप में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना और चीन गणराज्य (ताइवान) दोनों द्वारा दावा किया जाता है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, अरुणाचल प्रदेश के आधे से भी ज़्यादा हिस्से पर चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अस्थायी रूप से कब्जा कर लिया था।[6] फिर चीन ने एकतरफा युद्ध विराम घोषित कर दिया और उसकी सेना मैकमहोन रेखा के पीछे लौट गई।
भौगोलिक दृष्टि से पूर्वोत्तर के राज्यों में यह सबसे बड़ा राज्य है। पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों की तरह इस प्रदेश के लोग भी तिब्बती-बर्मी मूल के हैं। वर्तमान समय में भारत के अन्य भागों से बहुत से लोग आकर यहाँ आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ कर रहे ।
अरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमान्त एजेंसी (नॉर्थ ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी- नेफ़ा) के नाम से जाना जाता था। इस राज्य के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में क्रमश: भूटान, तिब्बत, चीन और म्यांमार देशों की अन्तरराष्ट्रीय सीमाएँ हैं। अरुणाचल प्रदेश की सीमा नागालैंड और असम से भी मिलती है। इस राज्य में पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी क्षेत्र है। इसके पहाड़ों की ढलान असम राज्य के मैदानी भाग की ओर है। 'कामेंग', 'सुबनसिरी', 'सिआंग', 'लोहित' और 'तिरप' आदि नदियाँ इसे अलग-अलग घाटियों में विभाजित कर देती हैं। यहाँ का इतिहास लिखित रूप में उपलब्ध नहीं है। मौखिक परंपरा के रूप में कुछ थोड़ा सा साहित्य और ऐतिहासिक खंडहर हैं जो इस पर्वतीय क्षेत्र में मिलते हैं। इन स्थानों की खुदाई और विश्लेषण के द्वारा पता चलता है कि ये ईस्वी सन प्रारम्भ होने के समय के हैं। ऐतिहासिक प्रमाणों से पता चलता है कि यह जाना-पहचाना क्षेत्र ही नहीं था वरन जो लोग यहाँ रहते थे और उनका देश के अन्य भागों से निकट का सम्बन्ध था। अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास 24 फरवरी 1826 को 'यण्डाबू सन्धि' होने के बाद असम में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद से प्राप्त होता हैं। सन 1962 से पहले इस राज्य को नार्थ-ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी (नेफ़ा) के नाम से जाना जाता था। संवैधानिक रूप से यह असम का ही एक भाग था परन्तु सामरिक महत्त्व के कारण 1965 तक यहाँ के प्रशासन की देखभाल विदेश मन्त्रालय करता था। 1965 के पश्चात असम के राज्पाल के द्वारा यहाँ का प्रशासन गृह मन्त्रालय के अन्तर्गत आ गया था।
अरुणाचल प्रदेश का मौसम उन्नयन के साथ बदलता है। अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्र जैसे ऊपरी हिमालय स्थित तिब्बत के निकट-वर्ती क्षेत्रों में मौसम अल्पाइन या टुन्ड्रा प्रकार का होता है। मध्य हिमालय क्षेत्रों में मौसम समशीतोष्ण होता है और यहाँ सेब, संतरा, आदि के फलदार वृक्ष होते हैं। निचले हिमालयी क्षेत्रों में नम उप-उष्णकटिबंधीय मौसम पाया जाता है जहाँ तेज ग्रीष्म तथा हल्की शरद ऋतु होती है।
अरुणाचल प्रदेश में भारी वर्षा होती है (160 से 80 इंच (2000 से 4000 मिमी वार्षिक)। अधिकतर वर्षा मई और सितंबर के बीच होती है। पहाड़ और इनकी ढलानें अल्पाइन, समशीतोष्ण और उपविषुवतीय वृक्षों के जंगलों से ढकी हैं। यहाँ बौना रॉडॉडेन्ड्रोन, ओक, चीड़, मैप्ले, फर और जुनिपर के वृक्षों के साथ साल और सागौन जैसे मुख्य आर्थिक प्रजाति के वृक्ष भी पाये जाते हैं।
63% अरुणाचल वासी 19 प्रमुख जनजातियों और 85 अन्य जनजातियों से संबद्ध हैं। इनमें से अधिकांश या तो तिब्बती-बर्मी या ताई-बर्मी मूल के हैं। बाकी 35 % जनसंख्या आप्रवासियों की है, जिनमें 31000 बंगाली, बोडो, हजोन्ग, बांग्लादेश से आये चकमा शरणार्थी और पड़ोसी असम, नागालैंड और भारत के अन्य भागों से आये प्रवासी शामिल हैं। सबसे बडी़ जनजातियों में आदि, गालो, निशि, खम्ति, मोंपा और अपातनी प्रमुख हैं।
राज्य की साक्षरता दर 1991 में 41.59 % से बढ़कर 54.74 % हो गयी। 487796 व्यक्ति साक्षर है। भारत सरकार की 2001 की जनगणना के आँकड़ों से पता चलता है कि अरुणाचल की 20% जनसंख्या के प्रकृतिधर्मी हैं, जो जीववादी धर्म जैसे डोन्यी-पोलो और रन्गफ्राह का पालन करते है। मिरि और नोक्ते लोगों को मिलाकर 29 प्रतिशत हिंदू हैं।[7] राज्य की 13% जनसंख्या बौद्ध है। तिब्बती बौद्ध पन्थ मुख्यतः तवांग, पश्चिम कामेंग और तिब्बत से सटे क्षेत्रों में प्रचलित है। थेरावाद बौद्ध पन्थ का बर्मी सीमा के निकट रहने वाले समूहों द्वारा पालन किया जाता है। लगभग 19% आबादी ईसाईपन्थ की अनुयायी है।
अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों के जीवनयापन का मुख्य आधार कृषि है। इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्यत: 'झूम' खेती पर ही आधरित है। आजकल नकदी फसलों जैसे- आलू, और बागबानी की फसलें जैसे सेब, संतरे और अनन्नास आदि को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी लोग खेती की पारंपरिक विधि शिइंग (झूम) का प्रयोग करते हैं। इस कृषि विधि की मुख्य पैदावार चावल, मक्का, जौ एवं मोथी (कूटू) हैं। अरुणाचल प्रदेश की मुख्य फसलों में चावल, मक्का, बाजरा, गेहूँ, जौ, दलहन, गन्ना, अदरक और तिलहन हैं।
अरुणाचल प्रदेश में 87,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित क्षेत्र है। राज्य की विद्युत क्षमता लगभग 30,735 मेगावॉट है।
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