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माजुली द्वीप, असम (Majuli Island in Assam)— के लोगो का जीवन संघर्ष और जमीनी सचाई और हकीकत।**Hindi HD

माजुली द्वीप, असम (Majuli Island in Assam)— के लोगो का जीवन संघर्ष और जमीनी सचाई और हकीकत।**Hindi HD

माजुली या माजोली (उच्चारित: माद्ज़ुली, mʌʤʊlɪ) (असमिया- মাজুলী) असम के ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य में बसा एक बड़ा नदी द्वीप है। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के ए.जे. मिफेट मिल्स के सर्वेक्षण अनुसार १८५३ में इसका कुल क्षेत्रफल १२४६ वर्ग किमी (४८३ वर्ग मील) था, परन्तु प्रतिवर्ष बाढ़ और भूकटाव के चलते यह सिमट कर (२००१ के सर्वे के अनुसार) मात्र ४२१.६५ वर्ग किमी (१६३ वर्ग मील) रह गया है। सच्चाई ये है की माजुली प्राकृतिक और मानवजनित कारणों से दिन प्रतिदिन सिकुड़ रहा है और इसके अस्तित्व पर सवालिया निशान लगा हुआ है।

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माजुली को विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप के रूप में दर्शाया जाता रहा है। यह सत्य नहीं है। ब्राज़ील और कई अन्य जगहों के कई नदी द्वीप काफी बड़े आकार के हैं और उनमे सबसे बड़ा है बनानाल द्वीप जो लगभग १९००० वर्ग किमी बड़ा है। वैसे तो नदी पर अवस्थित सबसे बड़ा द्वीप ब्राज़ील के अमेज़न और परा नदी पर स्थित माराजो द्वीप है परन्तु इसे नदी द्वीप नहीं माना जा सकता क्योंकि इसके एक किनारे पर अटलांटिक महासागर है। नदी द्वीप को लेकर अनेक भ्रामक तथ्य मौजूद हैं[3]। यहाँ तक की बांग्लादेश के मेघना नदी पर अवस्थित हटिया द्वीप भी १५०० वर्ग किमी के साथ माजुली से बड़ा है।

माजुली द्वीप के दक्षिण में ब्रह्मपुत्र नदी और उत्तर में खेरकुटिया खूटी नामक धारा अवस्थित है। खेरकुटिया खूटी ब्रह्मपुत्र नदी से निकलती है और आगे चलकर फिर उसी में प्रवेश करती है। उत्तर में सुबनसिरी नदी खेरकुटिया खूटी से जुड़ जाती है। माजुली द्वीप कालांतर में ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदियों विशेषकर लोहित नदी के दिशा और क्षेत्र परिवर्तन की वजह से बनी है।

माजुली का जिला मुख्यालय जोरहाट शहर है जो यहाँ से २० किमी की दूरी पर है। माजुली जाने के लिए जोरहाट से नियमित परिवहन सेवाएँ उपलब्ध हैं। माजुली जाने के लिए फेरी लेना जरुरी है क्योंकि यहाँ नदी पर पुल नहीं है। असम की राजधानी गुवाहाटी से माजुली द्वीप लगभग २०० किलोमीटर पूर्व में है।

माजुली को असम की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जा सकता है। माजुली पूर्वी असम का नव वैष्णव विचारधारा का मुख्य केंद्र है।

माजुली विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है, जो चारों तरफ से महानदी ब्रह्मपुत्र से घिरा हुआ है। नदी के मध्य में बसा हुआ यह द्वीप बहुत ही रोचक है। लेकिन चिंता की बात यह है कि, माजुली का यह नदी द्वीप बड़ी ही तेज़ गति से सिकुड़ता जा रहा है और हो सकता है कि गुजरते समय के साथ वह पूरी तरह से लुप्त हो जाए।

माजुली – ब्रह्मपुत्र में स्थित विश्व का विशालतम नदी द्वीप

यहां तक कि इस द्वीप पर किए गए कुछ सर्वेक्षणों द्वारा यह अनुमानित किया गया है कि, यह द्वीप कम से कम 15-20 सालों तक ही विद्यमान है। 150 साल पहले इस द्वीप का क्षेत्रफल 1250 वर्ग कि.मी. हुआ करता परंतु अब इसका क्षेत्रफल केवल 450 वर्ग कि.मी. ही रह गया है। लगातार होते भूकटाव और हर साल वर्षा ऋतु के दौरान बाढ़ में जलमग्न होने के कारण यह द्वीप निरंतर रूप से अपना आकार बदलता रहता है। इन प्रकृतिक बदलावों के अनुसार अपने आप को ढालने के लिए इस द्वीप के वासियों को अपने दैनिक जीवन में अनेक परिवर्तन लाने पड़ते हैं। जैसा कि हमे किसी ने बताया, आप कभी भी माजुली का पक्का नक्शा नहीं बना सकते, क्योंकि, जब तक वह तैयार होकर छपेगा तब तक यह द्वीप अपना आकार बदल चुका होगा।

माजुली केवल पानी से घिरे होने के कारण एक द्वीप नहीं कहलता, बल्कि ऐसी बहुत सी बातें हैं जो वास्तव में उसे एक द्वीप बनाती हैं और इन्हीं में से एक है यातायात के साधन। माजुली तक पहुँचने का एकमात्र रास्ता है फेरी, जो पीढ़ियों से इस द्वीप को बाहरी दुनिया से जोड़े हुए है। लोगों का भी यही कहना है कि जहां तक उन्हें याद है वे इस फेरी के अलावा अन्य किसी भी मार्ग के बारे में नहीं जानते।

यहां पर जोरहाट, जो यहां का नजदीकी शहर है, के निमाती घाट से दिन में 5 बार एक फेरी आती है। यह फेरी मौसम के अनुसार 60-90 मिनट के बीच लोगों को माजुली ले जाती है और फिर उतनी ही बार वापस आती है। लेकिन लौटते समय नदी की धारा के विरुद्ध चलने के कारण उसे दुगना समय लगता है। नदी में पानी के उतार-चढ़ाव और उसके प्रवाह के अनुसार दोनों तरफ के फेरी सथानक अपने स्थान बदलते रहते हैं। आम तौर पर इन फेरी स्टेशनों का स्थान साल में 6-7 बार तो बदलता ही है। इस द्वीप पर सबकुछ इसी फेरी के माध्यम से आता है, चाहे वह वाहन का ईंधन हो या खान-पान की वस्तुएं।

ये फेरी लोगों के साथ-साथ वाहनों को भी एक ओर से दूसरी ओर ले जाती है, जिनमें से अधिकतर मोटरसाइकिले होती हैं, लेकिन इसके अलावा कभी-कभी कुछ गाडियाँ भी होती हैं जो यहां पर आनेवाले पर्यटक अपने साथ लाते हैं। इस द्वीप पर आवश्यक चिकित्सक सुविधाओं की अनुपलब्धि का प्रमुख कारण भी सीमित यातायात के साधन ही हैं। जिसके चलते लोगों को बहुत सी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो मरीजों को जोरहाट पहुँचने के लिए, जो माजुली से लगभग 3 घंटे की दूरी पर बसा हुआ है, अगली फेरी के आने तक का इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो ये मरीज इतने लंबे इंतजार की परिस्थिति में भी नहीं होते।

मालूम होता है कि असम की सरकार इस द्वीप को मुख्य भूभाग से जोड़ने हेतु यहां पर एक पुल का निर्माण करना चाहते हैं, लेकिन द्विपवासी शायद इस प्रस्ताव से ज्यादा खुश नहीं हैं। एक पर्यटक की हैसियत से मुझे तो लगता है कि, सड़क के निर्माण से शायद इस द्वीप की शांतता भंग होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।

इस द्वीप पर बसनेवाले लोगों का जीवन पूर्ण रूप से बारिश और चारों तरफ से बहनेवाली नदी के प्रवाह पर निर्भर है। हमे बताया गया कि बारिश के दौरान यह पूरा द्वीप बाढ़ से जलमग्न हो जाता है और यहां-वहां ऊंचाई पर स्थित कुछ ही क्षेत्र नज़र आते हैं।

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