कोणार्क सूर्य मंदिर के वास्तविक उद्देश्य का खुलासा? | प्रवीण मोहन
Facebook.............. https://www.facebook.com/praveenmohanhindi
Instagram................ https://www.instagram.com/praveenmohan_hindi/
Twitter...................... https://twitter.com/PM_Hindi
Email id - praveenmohanhindi@gmail.com
अगर आप मुझे सपोर्ट करना चाहते हैं, तो मेरे पैट्रिअॉन अकाउंट का लिंक ये है - https://www.patreon.com/PraveenMohan
हैलो दोस्तों, आज के वीडियो में हम देखेंगे कि वास्तव में कोणार्क मंदिर को क्यों बनाया गया था और वीडियो के अंत में आप खुद तय कर सकते हैं की क्या ये सच में एक हिन्दू मंदिर है। कल्पना कीजिए की आप एक पांच साल के बच्चे हैं और आपके माता पिता आपको कोणार्क मंदिर लेकर गए हैं। इस मंदिर में आप ये सब देखते हैं। मंदिर के निचले हिस्से में आपको वो सब दिखता है, जिसमे बच्चों को खासकर रूचि होती है जानवर।
यहाँ विभिन्न जानवरों की और उनके आदतों की पूरी नक्काशी की गयी है। जैसे की ये देखिये, ये नन्हा हाथी कैसे अपनी माँ के आस पास घूम रहा है। बंदरों की हरकतें कैसी होती हैं। कुछ तो बिलकुल आज के कार्टून नेटवर्क की तरह मजेदार लग रहे हैं। यहाँ आप देख सकते हैं की कैसे जंगली हाथी को पकड़ने के लिए इंसान पालतू हाथी का प्रयोग कर रहा है। ये एक पिंजरा है और आप देख सकते हैं की संगतराश ने कितनी अच्छी तरह से एक हाथी को पिंजरे के अंदर दिखाया है।
ये प्राचीन भारत का एनिमल प्लैनेट था। पर ये सब यहीं नहीं रुकता, मैं आपको दिखाता हूं कैसे ये कोणार्क मंदिर एक इनसाइक्लोपीडिया के जैसा है, एक विश्वविद्यालय की तरह सभी उम्र के लोगों को विभिन्न विषयों की जानकारी देता है। मुझे अहसास हुआ की हम मंदिर की ऊंचाई के हिसाब से इसे विभिन्न विषयों में बाँट सकते हैं। पहले के दो फीट की ऊंचाई पांच साल तक के बच्चों के लिए है, और जब आप छह से दस साल की उम्र के होते हैं तो आप नाचना, गाना और वाद्य बजाने जैसी गतिविधियों को देखेंगे।
इस मंदिर में बहुत अधिक मात्रा में संगीत और नृत्य कला की नक्काशी की गयी है। ये इस क्षेत्र की पारंपरिक नृत्य कला ओडिशी है। इस मंदिर में भारतीय लोकनृत्यों की 128 मुद्राओं की नक्काशी है। अगर आप एक अधिक सक्रिय बच्चे हैं तो आप मार्शियल आर्ट मुक्केबाजी और कुश्ती भी देख सकते हैं। बेशक, खेल के बिना जीवन मजेदार नहीं होता। इसलिए आप रस्साकशी जैसे खेल भी यहाँ सीख सकते हैं।
तीसरा स्तर, जिसमें की बड़ी मात्रा में वैज्ञानिक जानकारियां, विषेशतः अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में बताया गया है, 11 से 15 साल के बच्चे लिए बहुत अच्छा है। ये पहिया एक धूपघड़ी है, जो कि बिलकुल सटीक वक्त बताता है, एक एक मिनट बिलकुल सटीक। सूर्य देवता को समर्पित ये मंदिर, सूर्य के काम करने के तरीके को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है। इस मंदिर को एक रथ के आकार में बनाया गया है, और इसके 24 पहिए दिन के 24 घंटो को दर्शाते हैं, इसमें तीन हंसते, गंभीर और उदास सूर्य के माध्यम से सुबह, दोपहर और शाम को दर्शाया गया है।
पर सभी विशेषज्ञ और आम जनता किसी बहुत ख़ास चीज से चूक गए। रथ के दोनों तरफ ये किस अजीब जानवर की नक्काशी की गई है? ये घोड़े हैं जो की बहुत ही बुरी अवस्था में हैं, इन्हें बाहरी आक्रमणकर्ताओ ने बुरी तरह से बर्बाद कर दिया है। ये कुल सात घोड़े हैं जो सूर्य के रथ को खिचंते हैं। अब, रथ को खींचने के लिए सात घोड़े ही क्यों? कुछ कहते हैं की जैसे 24 पहिये दिन के 24 घंटो को दर्शाते हैं, वैसे ही सात घोड़े सप्ताह के सात दिन को दर्शाते हैं। पर ये सच नहीं है।
खगोलविद इस बात को स्वीकार करते हैं की सप्ताह के सात दिन सूर्य से सम्बंधित नहीं हैं, बल्कि कुछ सभ्यताओं में तो सप्ताह के आठ दिन भी होते हैं क्योंकि इसका सूर्य एवं पृथ्वी के गति से कुछ लेना देना नहीं है। तो फिर सूर्य देवता का ये रथ सात घोड़ो द्वारा ही क्यों खींचा जाता है? अगर आप यहाँ के स्थानीय बुजुर्ग लोगों से बात करें तो वे कुछ दिलचस्प जानकारी देते हैं।
उनका कहना है कि हरेक घोड़े को इन्द्रधनुष के अलग अलग रंगों से रंगा गया था। तो संभवतः इस घोड़े को बैंगनी रंग से रंगा गया होगा, इसे नीले से, और ऐसे ही बाकी सभी को। अब, जैसा की हम जानते हैं की इसाक न्यूटन ने ये खोज किया था कि सूर्य की रोशनी सफेद नहीं होती, बल्कि सात रंगों से बनी होती है। ये उस समय की चौंकाने वाली खोज थी, और आज भी इस तथ्य को स्वीकार करने में परेशानी होती है की वास्तव में सूर्य की किरणें सात अलग-अलग रंगों से बनी है।
न्यूटन ने इस सिद्धांत की खोज सोलह सौवीं शताब्दी में की, पर यह मंदिर तो उससे 400 साल पहले ही बना था, तो प्राचीन निर्माताओं को ये कैसे पता चला की वास्तव में सूर्य की किरणें सात रंगों से बनी हैं? अधिक महत्वपूर्ण बात ये है कि इतिहासकारों ने इसे अपनी किताबो में क्यों नहीं लिखा?
#हिन्दू #praveenmohanhindi #प्रवीणमोहन
Видео कोणार्क सूर्य मंदिर के वास्तविक उद्देश्य का खुलासा? | प्रवीण मोहन канала Praveen Mohan Hindi
Instagram................ https://www.instagram.com/praveenmohan_hindi/
Twitter...................... https://twitter.com/PM_Hindi
Email id - praveenmohanhindi@gmail.com
अगर आप मुझे सपोर्ट करना चाहते हैं, तो मेरे पैट्रिअॉन अकाउंट का लिंक ये है - https://www.patreon.com/PraveenMohan
हैलो दोस्तों, आज के वीडियो में हम देखेंगे कि वास्तव में कोणार्क मंदिर को क्यों बनाया गया था और वीडियो के अंत में आप खुद तय कर सकते हैं की क्या ये सच में एक हिन्दू मंदिर है। कल्पना कीजिए की आप एक पांच साल के बच्चे हैं और आपके माता पिता आपको कोणार्क मंदिर लेकर गए हैं। इस मंदिर में आप ये सब देखते हैं। मंदिर के निचले हिस्से में आपको वो सब दिखता है, जिसमे बच्चों को खासकर रूचि होती है जानवर।
यहाँ विभिन्न जानवरों की और उनके आदतों की पूरी नक्काशी की गयी है। जैसे की ये देखिये, ये नन्हा हाथी कैसे अपनी माँ के आस पास घूम रहा है। बंदरों की हरकतें कैसी होती हैं। कुछ तो बिलकुल आज के कार्टून नेटवर्क की तरह मजेदार लग रहे हैं। यहाँ आप देख सकते हैं की कैसे जंगली हाथी को पकड़ने के लिए इंसान पालतू हाथी का प्रयोग कर रहा है। ये एक पिंजरा है और आप देख सकते हैं की संगतराश ने कितनी अच्छी तरह से एक हाथी को पिंजरे के अंदर दिखाया है।
ये प्राचीन भारत का एनिमल प्लैनेट था। पर ये सब यहीं नहीं रुकता, मैं आपको दिखाता हूं कैसे ये कोणार्क मंदिर एक इनसाइक्लोपीडिया के जैसा है, एक विश्वविद्यालय की तरह सभी उम्र के लोगों को विभिन्न विषयों की जानकारी देता है। मुझे अहसास हुआ की हम मंदिर की ऊंचाई के हिसाब से इसे विभिन्न विषयों में बाँट सकते हैं। पहले के दो फीट की ऊंचाई पांच साल तक के बच्चों के लिए है, और जब आप छह से दस साल की उम्र के होते हैं तो आप नाचना, गाना और वाद्य बजाने जैसी गतिविधियों को देखेंगे।
इस मंदिर में बहुत अधिक मात्रा में संगीत और नृत्य कला की नक्काशी की गयी है। ये इस क्षेत्र की पारंपरिक नृत्य कला ओडिशी है। इस मंदिर में भारतीय लोकनृत्यों की 128 मुद्राओं की नक्काशी है। अगर आप एक अधिक सक्रिय बच्चे हैं तो आप मार्शियल आर्ट मुक्केबाजी और कुश्ती भी देख सकते हैं। बेशक, खेल के बिना जीवन मजेदार नहीं होता। इसलिए आप रस्साकशी जैसे खेल भी यहाँ सीख सकते हैं।
तीसरा स्तर, जिसमें की बड़ी मात्रा में वैज्ञानिक जानकारियां, विषेशतः अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में बताया गया है, 11 से 15 साल के बच्चे लिए बहुत अच्छा है। ये पहिया एक धूपघड़ी है, जो कि बिलकुल सटीक वक्त बताता है, एक एक मिनट बिलकुल सटीक। सूर्य देवता को समर्पित ये मंदिर, सूर्य के काम करने के तरीके को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है। इस मंदिर को एक रथ के आकार में बनाया गया है, और इसके 24 पहिए दिन के 24 घंटो को दर्शाते हैं, इसमें तीन हंसते, गंभीर और उदास सूर्य के माध्यम से सुबह, दोपहर और शाम को दर्शाया गया है।
पर सभी विशेषज्ञ और आम जनता किसी बहुत ख़ास चीज से चूक गए। रथ के दोनों तरफ ये किस अजीब जानवर की नक्काशी की गई है? ये घोड़े हैं जो की बहुत ही बुरी अवस्था में हैं, इन्हें बाहरी आक्रमणकर्ताओ ने बुरी तरह से बर्बाद कर दिया है। ये कुल सात घोड़े हैं जो सूर्य के रथ को खिचंते हैं। अब, रथ को खींचने के लिए सात घोड़े ही क्यों? कुछ कहते हैं की जैसे 24 पहिये दिन के 24 घंटो को दर्शाते हैं, वैसे ही सात घोड़े सप्ताह के सात दिन को दर्शाते हैं। पर ये सच नहीं है।
खगोलविद इस बात को स्वीकार करते हैं की सप्ताह के सात दिन सूर्य से सम्बंधित नहीं हैं, बल्कि कुछ सभ्यताओं में तो सप्ताह के आठ दिन भी होते हैं क्योंकि इसका सूर्य एवं पृथ्वी के गति से कुछ लेना देना नहीं है। तो फिर सूर्य देवता का ये रथ सात घोड़ो द्वारा ही क्यों खींचा जाता है? अगर आप यहाँ के स्थानीय बुजुर्ग लोगों से बात करें तो वे कुछ दिलचस्प जानकारी देते हैं।
उनका कहना है कि हरेक घोड़े को इन्द्रधनुष के अलग अलग रंगों से रंगा गया था। तो संभवतः इस घोड़े को बैंगनी रंग से रंगा गया होगा, इसे नीले से, और ऐसे ही बाकी सभी को। अब, जैसा की हम जानते हैं की इसाक न्यूटन ने ये खोज किया था कि सूर्य की रोशनी सफेद नहीं होती, बल्कि सात रंगों से बनी होती है। ये उस समय की चौंकाने वाली खोज थी, और आज भी इस तथ्य को स्वीकार करने में परेशानी होती है की वास्तव में सूर्य की किरणें सात अलग-अलग रंगों से बनी है।
न्यूटन ने इस सिद्धांत की खोज सोलह सौवीं शताब्दी में की, पर यह मंदिर तो उससे 400 साल पहले ही बना था, तो प्राचीन निर्माताओं को ये कैसे पता चला की वास्तव में सूर्य की किरणें सात रंगों से बनी हैं? अधिक महत्वपूर्ण बात ये है कि इतिहासकारों ने इसे अपनी किताबो में क्यों नहीं लिखा?
#हिन्दू #praveenmohanhindi #प्रवीणमोहन
Видео कोणार्क सूर्य मंदिर के वास्तविक उद्देश्य का खुलासा? | प्रवीण मोहन канала Praveen Mohan Hindi
Показать
Комментарии отсутствуют
Информация о видео
Другие видео канала
कांची के कैलाश नाथ मंदिर में मिला प्रचीन परग्रही? ऐसा कैसे संभव है? | प्रवीण मोहनतो इसलिए आक्रमणकारियों ने 47000 मंदिरों को धवस्त कियाकामुकता के पीछे का राज; खजुराहो दर्शन भाग-1 Lakshamana Temple, Khajuraho.कैलाश पर्वत के रहस्य जिनके कारण चीन हमेशा इसे कब्जे में रखना चाहता है Biggest mysteries of Kailashरहस्यमयी चौंसठ योगिनी मंदिर जाएंगे तो तंत्र मंत्र पर यकीन करने लगेंगेSecret of Magnet || Konark Temple Mystery || कोणार्क मंदिर चुंबक का रहस्यहाल ही में वैज्ञानिको ने ढूंढी देहला देने वाली चीज़ें | 7 Incredible Archaeological Discoveries HindiUSA and China put Pressure on Nepal over Tibetताड़ पत्रों के संकेतों में छुपे रहस्य का उद्घाटन? भारतीय लेखन पद्धति का खुलासा | प्रवीण मोहनइस संरचना में छुपा है हमारे गुमनाम अतीत का सच | मानव जाति के अतीत की खोज - पार्ट 1 | प्रवीण मोहनहिन्दू मंदिर में मिला अनुनाकी? भारत में प्राचीन परग्रही की खोज | प्रवीण मोहनकैलाश मंदिर की वो गुफा जिसके बारे में सरकार नहीं चाहती की आम लोगो को पता चले | Kailash Temple |भूत और भविष्य को दर्शाता समय यात्रा का मंदिर? ता प्रॉम कम्बोडिया में बनी डायनासोर की नक्काशी |क्या? हमारे हिन्दू मंदिर आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं से अधिक उन्नत थे?एलियन्स जो आकाश से आये थे | मानव जाति के अतीत की खोज - पार्ट 3 | प्रवीण मोहनआलस्य की हिन्दू देवी ज्येष्ठा,क्या आप इनके बारे में जानते हैं? | प्रवीण मोहनकोणार्क में मिले सूर्य और चन्द्रमा से संचालित 750 साल पुराने समय यंत्र | प्रवीण मोहनसिगीरिया (रावण का महल) - श्री लंका में मिली प्राचीन तकनीक | प्रवीण मोहनभारत के होयसलेस्वरा मंदिर में प्राचीन इजिप्शियन की नक्काशी- क्या प्राचीन सभ्यताएं जुड़ी थीं ?