अनदेखा भारत —राजस्थान की जल प्रबंधन व्यवस्था। (फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या।) EP#5 — 4k Hindi
अनदेखा भारत —राजस्थान की जल प्रबंधन व्यवस्था। (फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या।) EP#5 — 4k Hindi
पिछले कई वर्षों से फ्लोरोसिस के कारण विकलांगता होने जैसी घटनाएँ सामने नहीं आ रही है। शहरी क्षेत्रों में लोग शुद्ध जल पीने लगे हैं जिस कारण वहाँ पर फ्लोरोसिस का प्रभाव कम होने लगा है। लेकिन गाँवों में अधिकांश आबादी फ्लोराइडयुक्त भूजल का ही सेवन करती है और सतही जल से पेयजल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जो कि फ्लोराइड की समस्या का एक प्रमुख कारण है।
पूरी दुनिया में फ्लोरोसिस पेयजल से जुड़ी एक प्रमुख व्याधि मानी जाती है। एशिया में भारत और चीन सबसे ज्यादा इस समस्या से जूझ रहे हैं। वैसे तो फ्लोरोसिस की बीमारी कई कारणों से हो सकती है जैसे भोजन अथवा औद्योगिक उत्सर्जन या किसी अन्य माध्यम से शरीर में फ्लोराइड की ग्राह्यता, लेकिन फ्लोराइडयुक्त पेयजल से होने वाला फ्लोरोसिस सबसे आम और गम्भीर होता है।
ब्यूरो ऑफ इण्डियन स्टैंडर्ड और इण्डियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार जल में फ्लोराइड की अधिकतम स्वीकार्य मात्रा 1.0 मिलीग्राम प्रति लीटर या 1.0 पीपीएम से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे अधिक मात्रा होने पर उस जल को ग्रहण करने वाले पर फ्लोरोसिस होने का जोखिम मँडराता है।
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने फ्लोरोसिस की रोकथाम के लिये राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम और नियंत्रण प्रोग्राम भी बनाया है लेकिन पूरा असर होता दिखाई नहीं पड़ रहा। इस प्रोग्राम की रीवाइज्ड गाइडलाइन के अनुसार भारत में 14,133 आवासीय क्षेत्र (गाँव, कस्बे, शहर आदि) में भूजल में फ्लोराइड की अधिकता पाई गई है और इन चिन्हित क्षेत्रों में लगभग 1 करोड़ 17 लाख की आबादी निवास करती है। इस आबादी में से 7670 आवासीय क्षेत्र केवल राजस्थान में हैं।
देश की फ्लोराइड प्रभावित जनसंख्या में से लगभग 40 लाख से अधिक की आबादी राजस्थान में निवास करती है। इन आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से फ्लोराइड से सर्वाधिक प्रभावित राज्य राजस्थान है।
देश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जेपी नड्डा संसद में प्रश्नकालीन सत्र के दौरान कह चुके हैं कि देश में एक करोड़ लोग फ्लोरोसिस के कगार पर खड़े हैं और सरकार इस समस्या से निपटने के प्रयास कर रही है। गैर संक्रमणीय रोग फ्लोरोसिस के बारे में बताते हुए उन्होंने संसद में कहा था कि पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय फ्लोरोसिस से ग्रस्त क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहा है। जो कि फ्लोरोसिस को रोकने के लिये अधिक आवश्यक है।
राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम और नियंत्रण योजना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा था कि वर्तमान में अधिकांश आवासीय क्षेत्र इस प्रोग्राम में अभी कवर कर लिये गए हैं और बाकी बचे हिस्सों को 2017 तक कवर कर लिया जाएगा। एनपीपीसीएफ को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत चलाया गया था जिसका बाद में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के रूप में नामकरण किया गया। नड्डा ये भी बताया था कि राजस्थान में फ्लोरोसिस के सर्वाधिक मामले पाये गए हैं और उसके तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश में समस्या सर्वाधिक विकराल रूप मौजूद है।
वैसे तो राजस्थान के अधिकांश जिलों में पेयजल/भूमिगत स्रोतों में फ्लोराइड की मानक मात्रा से अधिकता पाई गई है, लेकिन दक्षिणी राजस्थान जहाँ आदिवासी समुदाय की बहुलता है वहाँ पर जल में 0.3 से 10.8 पीपीएम की फ्लोराइड सान्द्रता पाई गई है। दक्षिणी राजस्थान के चार जिलों (डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, उदयपुर और नागौर) में फ्लोराइड की मात्रा अन्य जिलों की अपेक्षा अधिक पाई गई है, जो स्थानीय नागरिकों के लिये फ्लोरोसिस समेत कई परेशानियों का सबब बन रही है।
राजस्थान में राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम और नियंत्रण प्रोग्राम (एनपीपीसीएफ) में अलग-अलग वर्षों विभिन्न जिलों का चयन किया गया। वर्ष 2008-09 में नागौर जिले का, 2010-11 में अजमेर, राजसमंद, भीलवाड़ा, टोंक और जोधपुर जिले का, 2011-12 में बीकानेर, चुरु, दौसा, डूंगरपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, पाली, सीकर और उदयपुर जिले का, 2013-14 में बाँसवाड़ा और सवाई माधोपुर जिले का, 2014-15 में करौली, चित्तौड़गढ़, गंगानगर, झालावाड़ और झुंझनू जिले का एनपीपीसीएफ प्रोग्राम के अन्तर्गत चयन किया गया। इस प्रकार स्पष्ट है कि अलग-अलग वर्षों के दौरान दक्षिणी राजस्थान के चारों फ्लोरोसिस पीड़ित जिलों का चयन कर लिया गया और नागौर जिला उत्तर भारतीय क्षेत्र में आने वाला एकमात्र जिला था जिसमें प्रोग्राम सबसे प्रारम्भिक वर्ष में प्रारम्भ किया गया।
मानव जाति पहले से ही प्राकृतिक कारणों से हो रहे फ्लोराइड की समस्या से जूझ रही है ऐसे समस्या से उबरने के स्थान पर उसे और गहरा करने वाले कारण उत्पन्न हो रहे हैं। औद्योगिक फ्लोरोसिस इसका एक नया पहलू है। विभिन्न प्रकार के कोयले को जलाने से निकलने वाला धुआँ और औद्योगिक गतिविधियों जैसे विद्युत उत्पादन, इस्पात, लोहा, जिंक, अल्युमिनियम, फॉस्फोरस, रासायनिक उर्वरक, ईंट, काँच, प्लास्टिक, सीमेंट और हाइड्रोफल्युरिक अम्ल आदि के निर्माण और उत्पादन से सामान्यतया फ्लोराइडयुक्त गैसों का उत्सर्जन होता है जो औद्योगिक फ्लोरोसिस का एक प्रमुख कारण है।
Видео अनदेखा भारत —राजस्थान की जल प्रबंधन व्यवस्था। (फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या।) EP#5 — 4k Hindi канала Taj Agro Products
पिछले कई वर्षों से फ्लोरोसिस के कारण विकलांगता होने जैसी घटनाएँ सामने नहीं आ रही है। शहरी क्षेत्रों में लोग शुद्ध जल पीने लगे हैं जिस कारण वहाँ पर फ्लोरोसिस का प्रभाव कम होने लगा है। लेकिन गाँवों में अधिकांश आबादी फ्लोराइडयुक्त भूजल का ही सेवन करती है और सतही जल से पेयजल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जो कि फ्लोराइड की समस्या का एक प्रमुख कारण है।
पूरी दुनिया में फ्लोरोसिस पेयजल से जुड़ी एक प्रमुख व्याधि मानी जाती है। एशिया में भारत और चीन सबसे ज्यादा इस समस्या से जूझ रहे हैं। वैसे तो फ्लोरोसिस की बीमारी कई कारणों से हो सकती है जैसे भोजन अथवा औद्योगिक उत्सर्जन या किसी अन्य माध्यम से शरीर में फ्लोराइड की ग्राह्यता, लेकिन फ्लोराइडयुक्त पेयजल से होने वाला फ्लोरोसिस सबसे आम और गम्भीर होता है।
ब्यूरो ऑफ इण्डियन स्टैंडर्ड और इण्डियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार जल में फ्लोराइड की अधिकतम स्वीकार्य मात्रा 1.0 मिलीग्राम प्रति लीटर या 1.0 पीपीएम से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे अधिक मात्रा होने पर उस जल को ग्रहण करने वाले पर फ्लोरोसिस होने का जोखिम मँडराता है।
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने फ्लोरोसिस की रोकथाम के लिये राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम और नियंत्रण प्रोग्राम भी बनाया है लेकिन पूरा असर होता दिखाई नहीं पड़ रहा। इस प्रोग्राम की रीवाइज्ड गाइडलाइन के अनुसार भारत में 14,133 आवासीय क्षेत्र (गाँव, कस्बे, शहर आदि) में भूजल में फ्लोराइड की अधिकता पाई गई है और इन चिन्हित क्षेत्रों में लगभग 1 करोड़ 17 लाख की आबादी निवास करती है। इस आबादी में से 7670 आवासीय क्षेत्र केवल राजस्थान में हैं।
देश की फ्लोराइड प्रभावित जनसंख्या में से लगभग 40 लाख से अधिक की आबादी राजस्थान में निवास करती है। इन आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से फ्लोराइड से सर्वाधिक प्रभावित राज्य राजस्थान है।
देश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जेपी नड्डा संसद में प्रश्नकालीन सत्र के दौरान कह चुके हैं कि देश में एक करोड़ लोग फ्लोरोसिस के कगार पर खड़े हैं और सरकार इस समस्या से निपटने के प्रयास कर रही है। गैर संक्रमणीय रोग फ्लोरोसिस के बारे में बताते हुए उन्होंने संसद में कहा था कि पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय फ्लोरोसिस से ग्रस्त क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहा है। जो कि फ्लोरोसिस को रोकने के लिये अधिक आवश्यक है।
राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम और नियंत्रण योजना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा था कि वर्तमान में अधिकांश आवासीय क्षेत्र इस प्रोग्राम में अभी कवर कर लिये गए हैं और बाकी बचे हिस्सों को 2017 तक कवर कर लिया जाएगा। एनपीपीसीएफ को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत चलाया गया था जिसका बाद में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के रूप में नामकरण किया गया। नड्डा ये भी बताया था कि राजस्थान में फ्लोरोसिस के सर्वाधिक मामले पाये गए हैं और उसके तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश में समस्या सर्वाधिक विकराल रूप मौजूद है।
वैसे तो राजस्थान के अधिकांश जिलों में पेयजल/भूमिगत स्रोतों में फ्लोराइड की मानक मात्रा से अधिकता पाई गई है, लेकिन दक्षिणी राजस्थान जहाँ आदिवासी समुदाय की बहुलता है वहाँ पर जल में 0.3 से 10.8 पीपीएम की फ्लोराइड सान्द्रता पाई गई है। दक्षिणी राजस्थान के चार जिलों (डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, उदयपुर और नागौर) में फ्लोराइड की मात्रा अन्य जिलों की अपेक्षा अधिक पाई गई है, जो स्थानीय नागरिकों के लिये फ्लोरोसिस समेत कई परेशानियों का सबब बन रही है।
राजस्थान में राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम और नियंत्रण प्रोग्राम (एनपीपीसीएफ) में अलग-अलग वर्षों विभिन्न जिलों का चयन किया गया। वर्ष 2008-09 में नागौर जिले का, 2010-11 में अजमेर, राजसमंद, भीलवाड़ा, टोंक और जोधपुर जिले का, 2011-12 में बीकानेर, चुरु, दौसा, डूंगरपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, पाली, सीकर और उदयपुर जिले का, 2013-14 में बाँसवाड़ा और सवाई माधोपुर जिले का, 2014-15 में करौली, चित्तौड़गढ़, गंगानगर, झालावाड़ और झुंझनू जिले का एनपीपीसीएफ प्रोग्राम के अन्तर्गत चयन किया गया। इस प्रकार स्पष्ट है कि अलग-अलग वर्षों के दौरान दक्षिणी राजस्थान के चारों फ्लोरोसिस पीड़ित जिलों का चयन कर लिया गया और नागौर जिला उत्तर भारतीय क्षेत्र में आने वाला एकमात्र जिला था जिसमें प्रोग्राम सबसे प्रारम्भिक वर्ष में प्रारम्भ किया गया।
मानव जाति पहले से ही प्राकृतिक कारणों से हो रहे फ्लोराइड की समस्या से जूझ रही है ऐसे समस्या से उबरने के स्थान पर उसे और गहरा करने वाले कारण उत्पन्न हो रहे हैं। औद्योगिक फ्लोरोसिस इसका एक नया पहलू है। विभिन्न प्रकार के कोयले को जलाने से निकलने वाला धुआँ और औद्योगिक गतिविधियों जैसे विद्युत उत्पादन, इस्पात, लोहा, जिंक, अल्युमिनियम, फॉस्फोरस, रासायनिक उर्वरक, ईंट, काँच, प्लास्टिक, सीमेंट और हाइड्रोफल्युरिक अम्ल आदि के निर्माण और उत्पादन से सामान्यतया फ्लोराइडयुक्त गैसों का उत्सर्जन होता है जो औद्योगिक फ्लोरोसिस का एक प्रमुख कारण है।
Видео अनदेखा भारत —राजस्थान की जल प्रबंधन व्यवस्था। (फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या।) EP#5 — 4k Hindi канала Taj Agro Products
Показать
Комментарии отсутствуют
Информация о видео
Другие видео канала
India Air Quality Index (AQI) भारत में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक [ हिंदी डाक्यूमेंट्री ]ध्वनि प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य को खतरा | (Sound pollution and Human Health) *Exclusive Hindi NewUnlocking the Secrets and Powers of the Human Brain*HD New Exclusive Documentary [ Hindi ]प्रकृतिक का उपहार — मैंग्रोव वन। — Mangrove Forests **Explained Englishअराणमुला, Aranmula Town Kerala,भारत के छोटे शहरो की अनछुई कहानियां, कुछ इतिहास और रोचक तथ्य।- EP# 21Fish Farming Business in Tamil Nadu, India/[ தமிழ்நாடு ] (तमिलनाडु में मछली व्यवसाय) *** Englishऑप्टिकल फाइबर संचारण क्या है? (History Of Optical Fiber In India) *Hindi Exclusive Documentaryरूस के बारे में रोचक तथ्य संघर्ष और की जमीनी सचाई | (Russia Unknown Facts) * Hindi Exclusiveसॉइल हेल्थ क्या होता हैं। — [ Explained ]– एक संपूर्ण विश्लेषण देखते हैं जमीनी सचाई। 4K Hindiस्वच्छ भारत अभियान: एक कदम स्वच्छता की ओर – एक संपूर्ण विश्लेषण और जमीनी सचाई देखते हैं। 4K HindiThe world's Plastic Pollution crisis explained [PLASTIC POLLUTION] *Real Exclusive *4k Video : HindiA Brief History Of Oil (Crude Oil) कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस की खोज। *Hindiभारत में क्या है एजुकेशन सिस्टम की स्थिति। (Future Education System in India) **Exclusive Hindi NEWसामान्य ज्ञान और करेंट अफेयर्स | GK in Hindiजल प्रदूषण, कैसे हम धीरे-धीरे मौत की तरफ दौड़ रहे हैं| (Polluted Surface And Groundwater) | - हिंदीAir Pollution in India [ हिंदी डाक्यूमेंट्री ]अनदेखा भारत — Interesting Facts Of Rani Ki Vav, पाटन (गुजरात), रानी की वाव (बावड़ी) — EP#7 4k Hindiमछली पालन की विस्तृत जानकारी (Fish Farming & Exports)– एक संपूर्ण विश्लेषण देखते हैं। 4K Hindi EP#2वाराणसी,Varanasi, Uttar Pradesh, भारत के छोटे शहरो की अनछुई कहानियां, कुछ इतिहास और रोचक तथ्य। EP#11Natural disaster Facts (All Type of Environmental Pollution) *Exclusive HD Documentary Hindi *NEWविषैली हो गई हैं देश की नदियां, फैला रही हैं गंभीर बीमारियां देखते हैं इसकी जमीनी सचाई और हकीकत ।