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आठवे के स्वामी का सभी बारह भावो में जाने का फल, इन ग्रहों को अष्टमेश दोष नहीं,
1 पहला घर -: जातक अपना जीवन गरीबी में व्यतीत करता है एवं उसके जीवन में अनेक समस्याएं आती हैं। अष्टमेश के कमजोर एवं उसके नवांशा लग्न के 6] 8 और 12वें घर में होने की स्थिति में समस्याएं कुछ कम हो सकती हैं। अष्टमेश के बुरी तरह से पीडित होने पर परेशानियां बढ़ भी lकती हैं। यह अपने वरिष्ठ अधिकारियों को कभी प्रसन्न नहीं कर पाते।
2 दूसरा घर -: दूसरे घर में द्वितीय भाव के स्वामी के साथ अष्टमेश के होने के कारण जातक के वैवाहिक जीवन में कई समस्याएं आ सकती हैं एवं उसे अच्छा भोजन भी नसीब नहीं होता। अष्टमेश के नवांशा लग्न के 6] 8 और 12वें घर में होने से समस्याएं कम होने के आसार हैं। जातक को दांत एवं नेत्र के रोग हो सकते हैं।
3 तीसरा घर -: त्रतियेश अष्टमेश के साथ तृतीय भाव में जातक बहरा हो सकता है अथवा उसे कान का कोई रोग होने की संभावना रहती है। यह कर्ज में दबे रहते हैं एवं इनका भाई-बहनों के साथ मतभेद हो सकते हैं। अष्टमेश के साथ छठे और बारहवें भाव के स्वामी के होने की दशा में जातक को लाभ की भी संभावना है।
4 चौथा घर -: चर्तुथेश अष्टमेश के साथ भाव में जातक को जीवन में कभी शांति नहीं मिलती। वह भावनात्मक के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी दुखी रहता है। जीवन की मुश्किलों का कारण इनकी माता और संपत्ति होती है। इनके वाहन की चोरी हो सकती है एवं किसी भारी नुकसान की संभावना है।
5 पांचवा घर -: नवम भाव के स्वामी का पंचमेश की अष्टमेश के साथ युति एवं लग्न के दुर्बल होने पर जातक गरीब और अशिक्षित रहता है। इनकी संतान की अल्पायु में मृत्यु संभव है अथवा जीवित रहने की स्थिति में संतान को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। नवाशा लग्न में अष्टमेश के होने पर जीवन में सम्स्याएं बड़ी तेजी से बढ़ सकती हैं।
6 छठा घर -: अष्टमेष के साथ छठे भाव के स्वामी का छठे घर में उपस्थित होना विपरीत राज योग बनाता है। इस स्थिति में जातक प्रसिद्ध और धनी बनता है। लेकिन यदि ग्रह पीडित हो तो जातक को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यदि वह स्वामी किसी त्रिकोण अथवा केंद्र में नवांश में स्थित है तो बुरे प्रभाव अधिक हो जायेंगे। छठे भाव के स्वामी के प्रबल स्थिति में होने पर शत्रुओं का नाश होगा।
7 सातवां घर -: जातक की पत्नी का स्वास्थ्य खराब रह सकता है एवं जातक को स्वयं पूरी जिंदगी कोई स्वास्थ्य समस्या घेरे रह सकती है। इन जातकों का जीवन बहुत छोटा होता है। अष्टमेष के पीडित होने की स्थिति में जातक को विदेश यात्रा करनी पड़ सकती है। सप्तम और अष्टमेष के प्रबल होने पर जातक के राजनयिक बनने की संभावना है।
8 अष्टम् घर -: जातक के पिता की किसी दुर्घटना में मृत्यु संभव है। जीवन के प्रारंभिक चरणों में हानि के संकेत हैं। यह लंबा जीवन जीते हैं।
9 नवम् घर -: नौवें घर में अष्टमेष के साथ नवमेश की उपस्थिति में जातक को अपनी विरासत को खोना पड़ सकता है। सूर्य के पीडित होने पर नवमेश की दशा के समय जातक की अपने पिता के साथ अनबन हो सकती है। ऐसे समय में दोस्तों का सान्निध्य भी नहीं मिलेगा एवं बुजुर्ग आपकी आलोचना करेंगें।
10 दसवां घर -: दसवें घर में अष्टमेष और दशमेश के साथ होने की स्थिति में जातक का विकास धीमी गति से होता है। उसे अपने प्रयासों का प्रतिफल नहीं मिल पाता है। दूसरे घर के स्वामी और अष्टमेष के पीडित होने पर जातक को बहुत नुकसान झेलना पड़ता है एवं उसे कर्ज भी लेना पड़ सकता है। परिवार के सदस्यों की मृत्यु के बाद उसे पारिवारिक संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है।
11 ग्यारहवां घर -: जातक के बड़े भाई के बुरे कर्मों का प्रभाव इनकी जिंदगी पर भी पड़ता है। इन्हें दोस्तों से धोखा मिल सकता है। व्यापार में धन की हानि होने की संभावना है।
12 बारहवां घर -: द्वादश घर में अष्टमेष और बारहवें भाव के स्वामी की संयुक्त स्थिति में विपरीत राज योग बनता है। लेकिन लाभकारी ग्रह की भागीदारी से इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है। बारहवें घर में अष्टमेष और बारहवें घर के स्वामी के केंद्र और त्रिकोण की स्थिति में जातक को धार्मिक कार्यों से लाभ होगा। किंतु ग्रहों के पीडित होने की स्थिति में जातक धोखेबाज, कपटी और बलात्कारी बनता है।
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1 पहला घर -: जातक अपना जीवन गरीबी में व्यतीत करता है एवं उसके जीवन में अनेक समस्याएं आती हैं। अष्टमेश के कमजोर एवं उसके नवांशा लग्न के 6] 8 और 12वें घर में होने की स्थिति में समस्याएं कुछ कम हो सकती हैं। अष्टमेश के बुरी तरह से पीडित होने पर परेशानियां बढ़ भी lकती हैं। यह अपने वरिष्ठ अधिकारियों को कभी प्रसन्न नहीं कर पाते।
2 दूसरा घर -: दूसरे घर में द्वितीय भाव के स्वामी के साथ अष्टमेश के होने के कारण जातक के वैवाहिक जीवन में कई समस्याएं आ सकती हैं एवं उसे अच्छा भोजन भी नसीब नहीं होता। अष्टमेश के नवांशा लग्न के 6] 8 और 12वें घर में होने से समस्याएं कम होने के आसार हैं। जातक को दांत एवं नेत्र के रोग हो सकते हैं।
3 तीसरा घर -: त्रतियेश अष्टमेश के साथ तृतीय भाव में जातक बहरा हो सकता है अथवा उसे कान का कोई रोग होने की संभावना रहती है। यह कर्ज में दबे रहते हैं एवं इनका भाई-बहनों के साथ मतभेद हो सकते हैं। अष्टमेश के साथ छठे और बारहवें भाव के स्वामी के होने की दशा में जातक को लाभ की भी संभावना है।
4 चौथा घर -: चर्तुथेश अष्टमेश के साथ भाव में जातक को जीवन में कभी शांति नहीं मिलती। वह भावनात्मक के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी दुखी रहता है। जीवन की मुश्किलों का कारण इनकी माता और संपत्ति होती है। इनके वाहन की चोरी हो सकती है एवं किसी भारी नुकसान की संभावना है।
5 पांचवा घर -: नवम भाव के स्वामी का पंचमेश की अष्टमेश के साथ युति एवं लग्न के दुर्बल होने पर जातक गरीब और अशिक्षित रहता है। इनकी संतान की अल्पायु में मृत्यु संभव है अथवा जीवित रहने की स्थिति में संतान को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। नवाशा लग्न में अष्टमेश के होने पर जीवन में सम्स्याएं बड़ी तेजी से बढ़ सकती हैं।
6 छठा घर -: अष्टमेष के साथ छठे भाव के स्वामी का छठे घर में उपस्थित होना विपरीत राज योग बनाता है। इस स्थिति में जातक प्रसिद्ध और धनी बनता है। लेकिन यदि ग्रह पीडित हो तो जातक को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यदि वह स्वामी किसी त्रिकोण अथवा केंद्र में नवांश में स्थित है तो बुरे प्रभाव अधिक हो जायेंगे। छठे भाव के स्वामी के प्रबल स्थिति में होने पर शत्रुओं का नाश होगा।
7 सातवां घर -: जातक की पत्नी का स्वास्थ्य खराब रह सकता है एवं जातक को स्वयं पूरी जिंदगी कोई स्वास्थ्य समस्या घेरे रह सकती है। इन जातकों का जीवन बहुत छोटा होता है। अष्टमेष के पीडित होने की स्थिति में जातक को विदेश यात्रा करनी पड़ सकती है। सप्तम और अष्टमेष के प्रबल होने पर जातक के राजनयिक बनने की संभावना है।
8 अष्टम् घर -: जातक के पिता की किसी दुर्घटना में मृत्यु संभव है। जीवन के प्रारंभिक चरणों में हानि के संकेत हैं। यह लंबा जीवन जीते हैं।
9 नवम् घर -: नौवें घर में अष्टमेष के साथ नवमेश की उपस्थिति में जातक को अपनी विरासत को खोना पड़ सकता है। सूर्य के पीडित होने पर नवमेश की दशा के समय जातक की अपने पिता के साथ अनबन हो सकती है। ऐसे समय में दोस्तों का सान्निध्य भी नहीं मिलेगा एवं बुजुर्ग आपकी आलोचना करेंगें।
10 दसवां घर -: दसवें घर में अष्टमेष और दशमेश के साथ होने की स्थिति में जातक का विकास धीमी गति से होता है। उसे अपने प्रयासों का प्रतिफल नहीं मिल पाता है। दूसरे घर के स्वामी और अष्टमेष के पीडित होने पर जातक को बहुत नुकसान झेलना पड़ता है एवं उसे कर्ज भी लेना पड़ सकता है। परिवार के सदस्यों की मृत्यु के बाद उसे पारिवारिक संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है।
11 ग्यारहवां घर -: जातक के बड़े भाई के बुरे कर्मों का प्रभाव इनकी जिंदगी पर भी पड़ता है। इन्हें दोस्तों से धोखा मिल सकता है। व्यापार में धन की हानि होने की संभावना है।
12 बारहवां घर -: द्वादश घर में अष्टमेष और बारहवें भाव के स्वामी की संयुक्त स्थिति में विपरीत राज योग बनता है। लेकिन लाभकारी ग्रह की भागीदारी से इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है। बारहवें घर में अष्टमेष और बारहवें घर के स्वामी के केंद्र और त्रिकोण की स्थिति में जातक को धार्मिक कार्यों से लाभ होगा। किंतु ग्रहों के पीडित होने की स्थिति में जातक धोखेबाज, कपटी और बलात्कारी बनता है।
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