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D10 में किस भाव से क्या विचार करें,कैरियर में परेशानी का100% उपाय,

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Astrology is an ancient concept, as old as time, you can say. It is an importance aspect of our lives – our past, present and future. To a great extent, astrology is used to forecast and predict future events and can also be used as a medium to get rid of any kind of mishap related to planetary positions.

किस भाव से क्या विचार करें,व्यवसाय व नौकरी में परेशानी का100% उपाय,
#दशमांश कुण्डली को, D10, कुण्डली भी कहा जाता है. दशमांश कुण्डली का उपयोग व्यवसाय मे उन्नति , प्रतिष्ठा, सम्मान और आजीविका में बढोत्तरी, समाज में सफलता प्राप्त करने इत्यादि को देखने के लिए किया जाता है. दशमांश कुण्डली की विवेचना भी उतनी ही आवश्यक हो जाती है जैसे लग्न या नवांश कुण्डली की. इस कुण्डलि में दशम भाव दशमेश का सर्वाधिक महत्व है. इसके साथ ही साथ दश्मांश से माता पिता के सुख दुख एवं आयु का विचार होता है.

पहला दशमांश

पहला दशमांश 0 से 3 डिग्री का होता है यह इंद्र दशमांश कहलाता है. यह धन संपन्नता, मान सम्मान का सूचक होता है. जेसे इंद्र देव सभी देवों में अग्रीण स्थान प्राप्त करते हैं तथा वैभव एवं सम्मान से युक्त होते हैं. उसी प्रकार जब दशम भाव या दशमेश का संबंध इंद्र दशमांश से बनता है तो व्यक्ति भी उसी की भांति प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है.

दूसरा दशमांश

दूसरा दशमांश 3 से 6 डिग्री तक का होता है. दूसरे दशमांश को अग्नि दशमांश भी कहते हैं. यह दशमांश पराक्रम और साहस में वृद्धि करने वाला होता है यदि दशम भाव या दशमेश अग्नि दशमांश में पडे़ तो व्यक्ति में अग्नि तत्व गुणों की अधिकता हो सकती है. ऎसा जातक अपनी शक्ति एवं बल द्वारा धनार्जन करने का प्रयास कर सकता है. व्यक्ति को उर्जावान क्षेत्रों में व्यवसाय की प्राप्ति हो सकती है.

तीसरा दशमांश

तीसरा दशमांश 6 से 9 डिग्री का होता है.तीसरे दशमांश को यम दशमांश भी कहा जाता है. इस यम दशमांश के कारण व्यक्ति में न्याय संगत गुण एवं कर्य कुशलता आती है. अगर दशम भाव या दशमेश इस यम दशमांश में आते हैं तो जातक में अपने कार्य को उचित प्रकार से करने के गुण एवं नेतृत्व की भावना भी आ सकती है. व्यक्ति में लोगों के प्रति सही निर्देश देने की क्षमता भी पनपती है.

चौथा दशमांश

चौथा दशमांश 9 से 12 डिग्री का होता है. इस दशमांश को राक्षस दशमांश कहा जाता है. इससे प्रभावित व्यक्ति में अवैधानिक कार्यों को करने की चाह या नीति से हटकर काम करने की इच्छा देखी जा सकती है. यदि दशम भाव या दशमेंश इस राक्षस दशमांश से संबंध बनाता है तो व्यक्ति सही और गलत को भूल कर कार्य करने वाला हो सकता है. ऎसा जातक चोरी, तस्करी, रिश्वतखोर या ऎसे ही गलत कार्यों को करने वाला हो सकता है.

पांचवां दशमांश

पंचम दशमांश 12 से 15 डिग्री तक का होता है. इस दशमांश को वरुण भी कहा जाता है. इससे प्रभावित व्यक्ति जल से संबंधित कार्य करने वाला होता है. दशमांश का संबंध यदि दशम भाव से या दशमेश से हो तो व्यक्ति जल व्यापार कार्य जैसे नौकायान या पानी के जहाज में कार्य करने वाला हो सकता है. अर्थात पानी से जुडे़ जो भी व्यवसाय हैं वह उसके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं.

छठा दशमांश

छठा दशमांश 15 से 18 डिग्री का होता है. इस दशमांश को वायु दशमांश कहा जाता है. इसका संबंध यदि दशमेश या दशम भाव से होतो व्यक्ति वायु संबंधी कार्यों से धनार्जन करता है. इस दशमांश के प्रभाव स्वरुप व्यक्ति दूरसंचार संबंधि कार्य या परिवहन सेवा, पायलट जैसे कार्यों से जुडा हो सकता है.

सातवां दशमांश

सातवां दशमांश 18 से 21 डिग्री का होता है. इस दशमांश को कुबेर दशमांश कहा जाता है. इस दशमांश का संबंध यदि दशम भाव या दशमेश से हो तो व्यक्ति धन संपदा से युक्त हो सकता है. इसके साथ ही साथ व्यक्ति का व्यवसाय धन के लेन देन से संबंधित कार्यों से अधिक हो सकता है जैसे कैशियर, बैंक कर्मचारी, फाइनेंस सलाहकार इत्यादि

आठवां दशमांश

आठवां दशमांश 21 से 24 डिग्री तक का होता है. अष्टम दशमांश को ईशान के नाम से भी जाना जाता है. दशम भाव या दशमेश का योग या युति अष्टम दशमांश से हो तो जातक उदार एवं धीर गंभीर स्वभाव वाला हो सकता है. इससे प्रभावित होने पर व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा एवं सम्मान की प्राप्ति हो सकती है. ऎसा व्यक्ति अपने कार्य को अच्छी प्रकार से करके दूसरों से प्रशंसा प्राप्त करता है. इसका संबंध बनने पर व्यक्ति राजा सरीखे पद की प्राप्ति भी कर सकता है तथा वह समाज सुधारक या प्रबंधक जैसे कामों को अपना सकता है.

नवां दशमांश

नवां दशमांश (24 से 27 डिग्री का होता है. नवम दशमांश को पद्मज कहते हैं. यदि दशमांश का संबंध पदमज से बने तो व्यक्ति अनेक प्रकार के सुख प्राप्त करने वाला हो सकता है. इससे प्रभावित होने पर व्यक्ति रचनात्मक कार्यों को करने में रुचि रखने वाला हो सकता है. जातक में विद्वता के गुण आ सकते हैं. व्यक्ति समाज के हित एवं जन कल्याण संबंधि कार्यों को करने में इच्छा रख सकता है.

दसवां दशमांश

दसवां दशमांश 27 से 30 डिग्री का होता है. दशम दशमांश को अनन्त नाम से भी जाना जाता है. यदि दशम भाव या दशमेश इस दशमांश से कोई योग बनाते हैं तो व्यक्ति के भीतर अथक परिश्रम एवं अनवरत प्रयास करने की इच्छा देखी जा सकती है. इससे प्रभावित होने पर जातक में लगातार कार्य करने की चाह उत्पन्न रहती है और उसका यह कार्य उसे समाज में प्रतिष्ठा भी प्रदान करा सकता है.
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7 сентября 2022 г. 14:15:02
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