बिहार एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक राज्य है। जहां भगवान बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ। *Hindi Exclusive HD
बिहार एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक राज्य है। जहां भगवान बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ। *Hindi Exclusive HD
बिहार भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक राज्य है और इसकी राजधानी पटना है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है।
बिहार के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखण्ड, पूर्व में पश्चिम बंगाल, और पश्चिम में उत्तर प्रदेश स्थित है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल में विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर भारत के राज्य के सामान्य योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है।
भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से बिहार वर्तमान में 13 वाँ राज्य है। सन् 1936 ई• में ओडिशा और सन् 2000 ई॰ में झारखण्ड के अलग हो जाने से बिहार ने कृषि के दम पर और अपने मेधा को लेकर उन्नति की है। संघ लोक सेवा आयोग और आई आई टी
The Maurya Empire and the religion of Buddhism arose in the region that now makes up modern Bihar. The Mauryan Empire, which originated from Magadha in 325 BC, was founded by Chandragupta Maurya, who was born in Magadha. It had its capital at Pataliputra (modern Patna).
बिहार वह ऐतिहासिक जगह है जहां भगवान बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ। दुनियाभर में अपनी पैठ बना चुके बुद्ध धर्म की जड़े बिहार के बौद्ध गया से जुड़ी हैं। यही नहीं जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर का जन्म राजधानी पटना के दक्षिण-पश्चिम में स्थित पावापुरी कस्बे में हुआ और उन्हें निर्वाण भी बिहार की धरती पर ही प्राप्त हुआ था।
प्राचीन इतिहास में बिहार तीन प्रमुख महाजनपदों अंग, मगध और वज्जीसंघ के रूप में बंटा हुआ था। मगध और लिच्छवी के शासनकाल की कार्यपद्धति से ही आधुनिक प्रशासनिक व्यवस्था की शुरुआत हुई। अर्थशास्त्र के रचयिता कौटिल्य (चाणक्य) का जीवन भी बिहार की धरती पर ही व्यतीत हुआ। चाणक्य मगध के राजा चंद्रगुप्ता मौर्य के सलाहकार थे।
302 ईसा पूर्व यूनान के महान सम्राट एलेक्जेंडर (सिकंदर) का दूत मेगास्थनीज और सेनापति सेल्युकस नेक्टर ने भी मौर्यकालीन पाटलीपुत्र में काफी समय बिताया। 270 ईसा पूर्व अशोक महान ने भी बिहार की धरती पर राज किया। भारत के राष्ट्रीय निशान अशोक स्तंभ है और राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र सम्राट अशोक की ही देन है।
यही नहीं बिहार विश्वप्रसिद्ध सुंदरी आम्रपाली की नगरी भी रहा है। आम्रपाली लिच्छवी राज्य में वैशाली की एक गणिका थी, जिसने अपनी सुंदरता और चातुर्य से यह साबित कर दिया था कि उस समय में भी स्त्री-शक्ति हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित कर सकती है। अपनी वैशाली यात्रा के दौरान कई महारानियों का निमंत्रण प्रस्ताव मिलने के बावजूद भगवान बुद्ध ने आम्रपाली के साथ भोज लेने का निर्णय लिया था।
गुप्तकाल के दौरान बिहार में नालंदा विश्व-विद्यालय विश्वभर में अपनी अकादमिक साख के लिए प्रसिद्ध था। यहां पढ़ने के लिए दुनियाभर से छात्र आते थे। बाद में मुसलिम शासकों के आक्रमणों ने नालंदा को तहस-नहस कर दिया। आज भी इसके खंडहर बिहार में मौजूद हैं।
बिहार का राजगीर क्षेत्र मौयकालीन राजा बिंबिसार की राजधानी रहा है। भगवान बुद्ध और भगवान महावीर यहां प्राय: आते रहते थे। आज भी यहां कई बौद्धिक अवशेष मिलते हैं। तब यह क्षेत्र अपनी औषधीय संपदाओं के लिए भी जाना जाता था।
मध्यकालीन इतिहास
लगातार हो रहे विदेशी शासकों के आक्रमण से बिहार को काफी क्षति पहुंची और मध्ययुगीन इतिहास में बिहार एक राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में अपनी प्रतिष्ठा गंवा चुका था। मुगल काल में दिल्ली सत्ता का केंद्र बन गया। तब बिहार से एक ही शासक काफी लोकप्रिय हुआ, जिसका नाम था- शेरशाह सूरी। आधुनिक मध्य-पश्चिम बिहार का सासाराम शेरशाह सूरी का केंद्र था। शेरशाह सूरी को उनके राज्य में हुए सार्वजनिक निर्माण के लिए भी जाना जाता है।
आधुनिक इतिहास
ब्रिटिश शासन में बिहार बंगाल प्रांत का हिस्सा था, जिसके शासन की बागडोर कलकत्ता में थी। हालांकि इस दौरान पूरी तरह से बंगाल का दबदबा रहा लेकिन इसके बावजूद बिहार से कुछ ऐसे नाम निकले, जिन्होंने राज्य और देश के गौरव के रूप में अपनी पहचान बनाई। इसी सिलसिले में बिहार के सरन जिले के जिरादेई के रहने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद का नाम आता है। वह भारत के पहले राष्ट्रपति बने।
1912 में बंगाल प्रांत से अलग होने के बाद बिहार और उड़ीसा एक समवेत राज्य बन गए, जिसके बाद भारतीय सरकार के अधिनियम, 1935 के तहत बिहार और उड़ीसा को अलग-अलग राज्य बना दिया गया। 1947 में आजादी के बाद भी एक राज्य के तौर पर बिहार की भौगौलिक सीमाएं ज्यों की त्यों बनी रहीं। इसके बाद 1956 में भाषाई आधार पर बिहार के पुरुलिया जिले का कुछ हिस्सा पश्चिम बंगाल में जोड़ दिया गया।
आजादी के बाद जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन को कौन भुला सकता है। जेपी आंदोलन न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश को साथ लेकर चला। बिहार की राजनीति और सामाजिक स्थिति में इसके बाद काफी बदलाव हुए। कांग्रेस से सत्ता बिहार की क्षेत्रीय पार्टियों के हाथों में आई। एक गरीब परिवार में जन्में लालू प्रसाद यादव लगातार 15 साल तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। इस दौर में कुछ सामाजिक बदलाव जरुर हुए लेकिन इस दौरान विकास और अर्थव्यवस्था का ग्राफ गिरता ही गया। प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव और राजद के शासन के लंबे सिलसिले को तोड़ा।
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बिहार भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक राज्य है और इसकी राजधानी पटना है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है।
बिहार के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखण्ड, पूर्व में पश्चिम बंगाल, और पश्चिम में उत्तर प्रदेश स्थित है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल में विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर भारत के राज्य के सामान्य योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है।
भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से बिहार वर्तमान में 13 वाँ राज्य है। सन् 1936 ई• में ओडिशा और सन् 2000 ई॰ में झारखण्ड के अलग हो जाने से बिहार ने कृषि के दम पर और अपने मेधा को लेकर उन्नति की है। संघ लोक सेवा आयोग और आई आई टी
The Maurya Empire and the religion of Buddhism arose in the region that now makes up modern Bihar. The Mauryan Empire, which originated from Magadha in 325 BC, was founded by Chandragupta Maurya, who was born in Magadha. It had its capital at Pataliputra (modern Patna).
बिहार वह ऐतिहासिक जगह है जहां भगवान बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ। दुनियाभर में अपनी पैठ बना चुके बुद्ध धर्म की जड़े बिहार के बौद्ध गया से जुड़ी हैं। यही नहीं जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर का जन्म राजधानी पटना के दक्षिण-पश्चिम में स्थित पावापुरी कस्बे में हुआ और उन्हें निर्वाण भी बिहार की धरती पर ही प्राप्त हुआ था।
प्राचीन इतिहास में बिहार तीन प्रमुख महाजनपदों अंग, मगध और वज्जीसंघ के रूप में बंटा हुआ था। मगध और लिच्छवी के शासनकाल की कार्यपद्धति से ही आधुनिक प्रशासनिक व्यवस्था की शुरुआत हुई। अर्थशास्त्र के रचयिता कौटिल्य (चाणक्य) का जीवन भी बिहार की धरती पर ही व्यतीत हुआ। चाणक्य मगध के राजा चंद्रगुप्ता मौर्य के सलाहकार थे।
302 ईसा पूर्व यूनान के महान सम्राट एलेक्जेंडर (सिकंदर) का दूत मेगास्थनीज और सेनापति सेल्युकस नेक्टर ने भी मौर्यकालीन पाटलीपुत्र में काफी समय बिताया। 270 ईसा पूर्व अशोक महान ने भी बिहार की धरती पर राज किया। भारत के राष्ट्रीय निशान अशोक स्तंभ है और राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र सम्राट अशोक की ही देन है।
यही नहीं बिहार विश्वप्रसिद्ध सुंदरी आम्रपाली की नगरी भी रहा है। आम्रपाली लिच्छवी राज्य में वैशाली की एक गणिका थी, जिसने अपनी सुंदरता और चातुर्य से यह साबित कर दिया था कि उस समय में भी स्त्री-शक्ति हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित कर सकती है। अपनी वैशाली यात्रा के दौरान कई महारानियों का निमंत्रण प्रस्ताव मिलने के बावजूद भगवान बुद्ध ने आम्रपाली के साथ भोज लेने का निर्णय लिया था।
गुप्तकाल के दौरान बिहार में नालंदा विश्व-विद्यालय विश्वभर में अपनी अकादमिक साख के लिए प्रसिद्ध था। यहां पढ़ने के लिए दुनियाभर से छात्र आते थे। बाद में मुसलिम शासकों के आक्रमणों ने नालंदा को तहस-नहस कर दिया। आज भी इसके खंडहर बिहार में मौजूद हैं।
बिहार का राजगीर क्षेत्र मौयकालीन राजा बिंबिसार की राजधानी रहा है। भगवान बुद्ध और भगवान महावीर यहां प्राय: आते रहते थे। आज भी यहां कई बौद्धिक अवशेष मिलते हैं। तब यह क्षेत्र अपनी औषधीय संपदाओं के लिए भी जाना जाता था।
मध्यकालीन इतिहास
लगातार हो रहे विदेशी शासकों के आक्रमण से बिहार को काफी क्षति पहुंची और मध्ययुगीन इतिहास में बिहार एक राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में अपनी प्रतिष्ठा गंवा चुका था। मुगल काल में दिल्ली सत्ता का केंद्र बन गया। तब बिहार से एक ही शासक काफी लोकप्रिय हुआ, जिसका नाम था- शेरशाह सूरी। आधुनिक मध्य-पश्चिम बिहार का सासाराम शेरशाह सूरी का केंद्र था। शेरशाह सूरी को उनके राज्य में हुए सार्वजनिक निर्माण के लिए भी जाना जाता है।
आधुनिक इतिहास
ब्रिटिश शासन में बिहार बंगाल प्रांत का हिस्सा था, जिसके शासन की बागडोर कलकत्ता में थी। हालांकि इस दौरान पूरी तरह से बंगाल का दबदबा रहा लेकिन इसके बावजूद बिहार से कुछ ऐसे नाम निकले, जिन्होंने राज्य और देश के गौरव के रूप में अपनी पहचान बनाई। इसी सिलसिले में बिहार के सरन जिले के जिरादेई के रहने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद का नाम आता है। वह भारत के पहले राष्ट्रपति बने।
1912 में बंगाल प्रांत से अलग होने के बाद बिहार और उड़ीसा एक समवेत राज्य बन गए, जिसके बाद भारतीय सरकार के अधिनियम, 1935 के तहत बिहार और उड़ीसा को अलग-अलग राज्य बना दिया गया। 1947 में आजादी के बाद भी एक राज्य के तौर पर बिहार की भौगौलिक सीमाएं ज्यों की त्यों बनी रहीं। इसके बाद 1956 में भाषाई आधार पर बिहार के पुरुलिया जिले का कुछ हिस्सा पश्चिम बंगाल में जोड़ दिया गया।
आजादी के बाद जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन को कौन भुला सकता है। जेपी आंदोलन न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश को साथ लेकर चला। बिहार की राजनीति और सामाजिक स्थिति में इसके बाद काफी बदलाव हुए। कांग्रेस से सत्ता बिहार की क्षेत्रीय पार्टियों के हाथों में आई। एक गरीब परिवार में जन्में लालू प्रसाद यादव लगातार 15 साल तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। इस दौर में कुछ सामाजिक बदलाव जरुर हुए लेकिन इस दौरान विकास और अर्थव्यवस्था का ग्राफ गिरता ही गया। प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव और राजद के शासन के लंबे सिलसिले को तोड़ा।
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