The Himalayan Rivers—Indus, Ganges & Brahmaputra Rivers—India [हिमालय की नदियां]***Hindi Documentary
The Himalayan Rivers—Indus, Ganges & Brahmaputra Rivers—India [हिमालय की नदियां]**Hindi Full HD Documentary
हिमालय की नदियों को तीन प्रमुख नदी-तंत्रों में विभाजित किया गया है। सिन्धु नदी-तंत्र, गंगा नदी-तंत्र तथा ब्रह्मपुत्र नदी-तंत्र। इन तीनों नदी-तंत्रों का विकास एक अत्यन्त विशाल नदी से हुआ, जिसे 'शिवालिक' या हिन्द-ब्रह्म नदी भी कहा जाता था। यह नदी ओसम से पंजाब तक बहती थी।
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हिमालय से निकलने वाली उत्तर भारत की नदियां काफी लंबी है। इन नदियों में 12 महीने पानी रहता है क्योंकि बारिश और पिघले बर्फ से इसके पानी के स्तर में कोई कमी नहीं आती है, बस मौसम के अनुसार थोड़ा बहुत बदलाव होता रहता है।
गंगा नदी की लंबाई लगभग 2530 किलोमीटर है, गंगोत्री ग्लेशियर की बर्फीली गुफा से यह नदी निकलती है। यह देवप्रयाग में अलकामान में जाकर मिलती है। अलकापुरी ग्लेशियर से निकलती है भागीरथी नदी, मंदाकिनी नदी गौरीकुंड से निकलती है।
गंगा रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी में मिल जाती है। दक्षिण दिशा की ओर बहते हुए गंगा हरिद्वार में जाकर मैदानी इलाकों में उतरती है। बिहार और उत्तरी भारत के इलाकों से गुजरने के दौरान गंगा को काफी सहायक नदियां प्राप्त होती है, जैसे कि गोमती, सरदा, दादरा, गंडक, सप्तकोसी आदि।
गंगा के किनारे पर मुख्य नदी यमुना है, यमुना नदी यमुनोत्री ग्लेशियर से उगती है और गंगा नदी के साथ साथ बहती है। यमुना नदी की लंबाई लगभग 1300 किलोमीटर है। यमुना की मुख्य उप नदियां हैं चंबल, केन, बेतवा।
उसके बाद गंगा बिहार में बहते हुए प्रवेश करती है और मुर्शिदाबाद में यह दो शाखाओं में विभाजित होकर बहती है। यह शाखाएं दक्षिण पूर्वी दिशा की ओर बहते हुए बांग्लादेश में चली जाती है और बांग्लादेश में प्रवेश करते ही ब्रह्मपुत्र और मेघना में मिल जाती है।
पहली शाखा बंगाल की खाड़ी में जाती है तथा दूसरी शाखा दक्षिण की ओर चली जाती है। बंगाल की खाड़ी में बहते हुए नदी एक विशाल डेल्टा बनाती है। गंगा की शाखा भागीरथी हुगली को काफी सारी सहायक नदियां प्राप्त होती है, जैसे मयूरक्षी, अजय, दामोदर, रूपनारायण, कंगसाबति।
ब्रह्मपुत्र नदी की कुल लंबाई 2900 किलोमीटर बताई जाती है, यह नदी चेमुंग डुंग ग्लेशियर से उगती है, यह उत्तर क्षेत्र में 1200 किलोमीटर तक बहती है। दक्षिण की ओर रुख करने के बाद यह अरुणाचल प्रदेश के माध्यम से भारत में आती है।
इस प्रकार 3 नदियां, दिबांग, दीवानग और लोहित मिलकर ब्रह्मपुत्र नामक नदी बनाती है। ब्रह्मपुत्र पूर्व की ओर से पश्चिम तक बहती है। ब्रह्मपुत्र की मुख्य उप नदियों के नाम हैं, धनसिरि, लोहित, कोपीली, भरेली, मानस।
पश्चिम से नदी फिर से तेज़ी से दक्षिण की ओर मुड़ जाती है और बांग्लादेश में जमुना नदी में जा मिलती है, बंगाल की खाड़ी में बहते हुए एक विशाल डेल्टा बनता है। मैदान में प्रवेश करते हुए ब्रह्मपुत्र काफी सहायक नदियों को प्राप्त करती है।
एक माजुली नामक द्वीप, जो कि ब्रह्मपुत्र की नदी पर पाया जाता है काफी प्रसिद्ध है अपने बड़े आकार की वजह से अतः यह विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप कहा जाता है।
इनडस नामक नदी 2900 किलोमीटर की लंबाई लिए हुए हैं। सिंधु लेक सेंगे खुबल नामक झरने से निकलता है और फिर भारत में प्रवेश करता है। यह नंगा पर्वत के पास से हिमालय के कारण कट जाता है और पड़ोसी देश पाकिस्तान में बहता चला जाता है।
यह नदी आखिर में अरब सागर में उतर जाती है। सिंधु के बाई और के किनारे पर पांच उपनगर हैं, जिनमें यह नदियां हैं: सतलुज, बीस, रवि, चिनाब, झेलम। इन सभी नदियों ने पंजाब की जमीन को उपजाऊ बना कर रखा है।
भारत की नदियों को अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से दो भागों में बांटकर अध्ययन किया जा सकता है – (i) प्रायद्वीपीय भारत की नदियां (ii) हिमालय की नदियां
हिमालय की नदियों को तीन भागों में विभाजित किया गया है – (i) सिंधु नदी तंत्र (ii) गंगा नदी तंत्र (iii) ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
हिमालय पर प्रवाहित होने वाली तीन ऐसी नदियां हैं, जो हिमालय के उत्थान से पूर्व भी उस स्थान पर प्रवाहित होती थीं, ऐसी नदियों को पूर्ववर्ती नदियां कहते हैं|पूर्ववर्ती से आशय यह है कि ये तीनों नदियां हिमालय के उत्थान से भी पहले तिब्बत के मानसरोवर झील के पास से निकलती थीं और टेथिस सागर में अपना जल गिराती थीं| ये तीन पूर्ववर्ती नदियां निम्नलिखित हैं- (i) सिंधु नदी (ii) सतलज नदी (iii) ब्रह्मपुत्र नदी
आज जिस स्थान पर हिमालय पर्वत का विस्तार है, वहां पहले टेथिस सागर का विस्तार था, जिसे टेथिस भू-सन्नति भी कहते हैं|
जब टेथिस भू-सन्नति से हिमालय का उत्थान प्रारम्भ हुआ, तो इन नदियों ने न तो अपनी दिशा बदली और न ही अपना रास्ता छोड़ा बल्कि ये तीनों नदियां हिमालय के उत्थान के साथ-साथ हिमालय को काटती रहीं अर्थात् अपने घाटियों को गहरा करती रहीं, जिसके परिणाम स्वरूप इन तीनों नदियों ने वृहद् हिमालय में गहरी और संकरी घाटियों का निर्माण कर दिया, जिसे गॉर्ज अथवा आई (I) आकार की घाटी या कैनियन भी कहते हैं|
हाल ही में ‘वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी’ (Wadia Institute of Himalayan Geology- WIHG) के वैज्ञानिकों द्वारा लद्दाख हिमालय क्षेत्र की नदियों में होने वाले 35000 वर्ष पुराने नदियों के कटाव/क्षरण (River Erosion) का अध्ययन किया गया।
लद्दाख हिमालय, ग्रेटर हिमालय पर्वतमाला और काराकोरम पर्वतमाला के बीच एक अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित रेगिस्तान (High Altitude Desert) का निर्माण करता है।
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हमें पूरी आशा है कि आपको हमारा यह Video बहुत ही अच्छा लगा होगा. यदि आपको इसमें कोई भी खामी लगे या आप अपना कोई सुझाव देना चाहें तो आप नीचे comment ज़रूर कीजिये.
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Видео The Himalayan Rivers—Indus, Ganges & Brahmaputra Rivers—India [हिमालय की नदियां]***Hindi Documentary канала Taj Agro Products
हिमालय की नदियों को तीन प्रमुख नदी-तंत्रों में विभाजित किया गया है। सिन्धु नदी-तंत्र, गंगा नदी-तंत्र तथा ब्रह्मपुत्र नदी-तंत्र। इन तीनों नदी-तंत्रों का विकास एक अत्यन्त विशाल नदी से हुआ, जिसे 'शिवालिक' या हिन्द-ब्रह्म नदी भी कहा जाता था। यह नदी ओसम से पंजाब तक बहती थी।
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हिमालय से निकलने वाली उत्तर भारत की नदियां काफी लंबी है। इन नदियों में 12 महीने पानी रहता है क्योंकि बारिश और पिघले बर्फ से इसके पानी के स्तर में कोई कमी नहीं आती है, बस मौसम के अनुसार थोड़ा बहुत बदलाव होता रहता है।
गंगा नदी की लंबाई लगभग 2530 किलोमीटर है, गंगोत्री ग्लेशियर की बर्फीली गुफा से यह नदी निकलती है। यह देवप्रयाग में अलकामान में जाकर मिलती है। अलकापुरी ग्लेशियर से निकलती है भागीरथी नदी, मंदाकिनी नदी गौरीकुंड से निकलती है।
गंगा रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी में मिल जाती है। दक्षिण दिशा की ओर बहते हुए गंगा हरिद्वार में जाकर मैदानी इलाकों में उतरती है। बिहार और उत्तरी भारत के इलाकों से गुजरने के दौरान गंगा को काफी सहायक नदियां प्राप्त होती है, जैसे कि गोमती, सरदा, दादरा, गंडक, सप्तकोसी आदि।
गंगा के किनारे पर मुख्य नदी यमुना है, यमुना नदी यमुनोत्री ग्लेशियर से उगती है और गंगा नदी के साथ साथ बहती है। यमुना नदी की लंबाई लगभग 1300 किलोमीटर है। यमुना की मुख्य उप नदियां हैं चंबल, केन, बेतवा।
उसके बाद गंगा बिहार में बहते हुए प्रवेश करती है और मुर्शिदाबाद में यह दो शाखाओं में विभाजित होकर बहती है। यह शाखाएं दक्षिण पूर्वी दिशा की ओर बहते हुए बांग्लादेश में चली जाती है और बांग्लादेश में प्रवेश करते ही ब्रह्मपुत्र और मेघना में मिल जाती है।
पहली शाखा बंगाल की खाड़ी में जाती है तथा दूसरी शाखा दक्षिण की ओर चली जाती है। बंगाल की खाड़ी में बहते हुए नदी एक विशाल डेल्टा बनाती है। गंगा की शाखा भागीरथी हुगली को काफी सारी सहायक नदियां प्राप्त होती है, जैसे मयूरक्षी, अजय, दामोदर, रूपनारायण, कंगसाबति।
ब्रह्मपुत्र नदी की कुल लंबाई 2900 किलोमीटर बताई जाती है, यह नदी चेमुंग डुंग ग्लेशियर से उगती है, यह उत्तर क्षेत्र में 1200 किलोमीटर तक बहती है। दक्षिण की ओर रुख करने के बाद यह अरुणाचल प्रदेश के माध्यम से भारत में आती है।
इस प्रकार 3 नदियां, दिबांग, दीवानग और लोहित मिलकर ब्रह्मपुत्र नामक नदी बनाती है। ब्रह्मपुत्र पूर्व की ओर से पश्चिम तक बहती है। ब्रह्मपुत्र की मुख्य उप नदियों के नाम हैं, धनसिरि, लोहित, कोपीली, भरेली, मानस।
पश्चिम से नदी फिर से तेज़ी से दक्षिण की ओर मुड़ जाती है और बांग्लादेश में जमुना नदी में जा मिलती है, बंगाल की खाड़ी में बहते हुए एक विशाल डेल्टा बनता है। मैदान में प्रवेश करते हुए ब्रह्मपुत्र काफी सहायक नदियों को प्राप्त करती है।
एक माजुली नामक द्वीप, जो कि ब्रह्मपुत्र की नदी पर पाया जाता है काफी प्रसिद्ध है अपने बड़े आकार की वजह से अतः यह विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप कहा जाता है।
इनडस नामक नदी 2900 किलोमीटर की लंबाई लिए हुए हैं। सिंधु लेक सेंगे खुबल नामक झरने से निकलता है और फिर भारत में प्रवेश करता है। यह नंगा पर्वत के पास से हिमालय के कारण कट जाता है और पड़ोसी देश पाकिस्तान में बहता चला जाता है।
यह नदी आखिर में अरब सागर में उतर जाती है। सिंधु के बाई और के किनारे पर पांच उपनगर हैं, जिनमें यह नदियां हैं: सतलुज, बीस, रवि, चिनाब, झेलम। इन सभी नदियों ने पंजाब की जमीन को उपजाऊ बना कर रखा है।
भारत की नदियों को अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से दो भागों में बांटकर अध्ययन किया जा सकता है – (i) प्रायद्वीपीय भारत की नदियां (ii) हिमालय की नदियां
हिमालय की नदियों को तीन भागों में विभाजित किया गया है – (i) सिंधु नदी तंत्र (ii) गंगा नदी तंत्र (iii) ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
हिमालय पर प्रवाहित होने वाली तीन ऐसी नदियां हैं, जो हिमालय के उत्थान से पूर्व भी उस स्थान पर प्रवाहित होती थीं, ऐसी नदियों को पूर्ववर्ती नदियां कहते हैं|पूर्ववर्ती से आशय यह है कि ये तीनों नदियां हिमालय के उत्थान से भी पहले तिब्बत के मानसरोवर झील के पास से निकलती थीं और टेथिस सागर में अपना जल गिराती थीं| ये तीन पूर्ववर्ती नदियां निम्नलिखित हैं- (i) सिंधु नदी (ii) सतलज नदी (iii) ब्रह्मपुत्र नदी
आज जिस स्थान पर हिमालय पर्वत का विस्तार है, वहां पहले टेथिस सागर का विस्तार था, जिसे टेथिस भू-सन्नति भी कहते हैं|
जब टेथिस भू-सन्नति से हिमालय का उत्थान प्रारम्भ हुआ, तो इन नदियों ने न तो अपनी दिशा बदली और न ही अपना रास्ता छोड़ा बल्कि ये तीनों नदियां हिमालय के उत्थान के साथ-साथ हिमालय को काटती रहीं अर्थात् अपने घाटियों को गहरा करती रहीं, जिसके परिणाम स्वरूप इन तीनों नदियों ने वृहद् हिमालय में गहरी और संकरी घाटियों का निर्माण कर दिया, जिसे गॉर्ज अथवा आई (I) आकार की घाटी या कैनियन भी कहते हैं|
हाल ही में ‘वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी’ (Wadia Institute of Himalayan Geology- WIHG) के वैज्ञानिकों द्वारा लद्दाख हिमालय क्षेत्र की नदियों में होने वाले 35000 वर्ष पुराने नदियों के कटाव/क्षरण (River Erosion) का अध्ययन किया गया।
लद्दाख हिमालय, ग्रेटर हिमालय पर्वतमाला और काराकोरम पर्वतमाला के बीच एक अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित रेगिस्तान (High Altitude Desert) का निर्माण करता है।
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