तुलसी ने क्यों दिया श्री हरी विष्णु को श्राप तथा बदले में श्री हरी विष्णु ने क्यों दिया वरदान
तुलसी ने क्यों दिया श्री हरी विष्णु को श्राप तथा बदले में श्री हरी विष्णु ने क्यों दिया वरदान !! Episode 70
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तुलसी पौधा धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व की दृष्टि से एक विलक्षण पौधा है। जिस घर में इसकी स्थापना होती है, वहां आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख, शांति और समृद्धि स्वयं ही आ जाती है। इससे अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे वातावारण में स्वच्छता और शुद्धता बढ़ती है, प्रदूषण पर नियंत्रण होता है और आरोग्य में वृद्धि होती है। आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी के नियमित सेवन से व्यक्ति के विचार में पवित्रता व मन में एकाग्रता आती है और क्रोध पर नियंत्रण होने लगता है। आलस्य दूर हो जाता है और शरीर में दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है। ऐसा कहा जाता है कि औषधीय गुणों की दृष्टि से तुलसी संजीवनी बूटी के समान है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवों और दानवों द्वारा किए गए समुद्र-मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका था, उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस पौधे के हर हिस्से में अमृत समान गुण पाए जाते हैं। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि तुलसी के पौधे की जड़ में सभी तीर्थ, मध्य भाग (तने) में सभी देवी-देवता और ऊपरी शाखाओं में चारों वेद स्थित हैं। इसलिए, तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पापनाशक समझा जाता है और इसके पूजन को मोक्षदायक कहा गया है।
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तुलसी पौधा धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व की दृष्टि से एक विलक्षण पौधा है। जिस घर में इसकी स्थापना होती है, वहां आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख, शांति और समृद्धि स्वयं ही आ जाती है। इससे अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे वातावारण में स्वच्छता और शुद्धता बढ़ती है, प्रदूषण पर नियंत्रण होता है और आरोग्य में वृद्धि होती है। आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी के नियमित सेवन से व्यक्ति के विचार में पवित्रता व मन में एकाग्रता आती है और क्रोध पर नियंत्रण होने लगता है। आलस्य दूर हो जाता है और शरीर में दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है। ऐसा कहा जाता है कि औषधीय गुणों की दृष्टि से तुलसी संजीवनी बूटी के समान है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवों और दानवों द्वारा किए गए समुद्र-मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका था, उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस पौधे के हर हिस्से में अमृत समान गुण पाए जाते हैं। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि तुलसी के पौधे की जड़ में सभी तीर्थ, मध्य भाग (तने) में सभी देवी-देवता और ऊपरी शाखाओं में चारों वेद स्थित हैं। इसलिए, तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पापनाशक समझा जाता है और इसके पूजन को मोक्षदायक कहा गया है।
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