Guftagoo with Surendra Rajan
मध्य प्रदेश के अजयगढ़ में 19 जुलाई 1939 को जन्मे सुरेंद्र राजन एक पेंटर, फोटोग्राफर और एक्टर हैं।
फिल्मों में दिखाई देने से पहले सुरेंद्र राजन ने देश-विदेश भ्रमण करते हुए तरह-तरह के काम किये, जिनका मक़सद करियर बनाना या धन संचित करना नहीं रहा। जीवन में सफलता की सीढ़ियां करियर और धन दौलत से नहीं बल्कि सौंदर्य की अनुभूति बढ़ाने से ही चढ़ी जा सकती हैं कुछ ऐसा उनका मानना रहा है। शायद इसीलिए पेंटिंग्स के ज़रिये शोहरत और दौलत बटोरने के बजाए सुरेंद्र राजन ऐन उस वक़्त सब कुछ छोड़कर साहसिक यात्राओं पर निकल पड़े और 16 साल तक यायावरों जैसा जीवन जीते रहे जब करियर के अर्थ में कामयाबी उनके लिए पलक पांवड़े बिछाए खडी थी।
सुरेंद्र राजन के लिए फिल्मों में काम करना भी एक संयोग की तरह रहा, जिसकी उन्होंने कभी योजना नहीं बनाई थी। पढ़ते-लिखते और घूमते-फिरते सुरेंद्र राजन जीवन के ताप को बहुत नज़दीक से महसूस करते रहे, जिसने उनकी रचनात्मक को विस्तार दिया। सभी कलारूपों में गहरी दिलचस्पी रखने वाले सुरेंद्र राजन इस बात पर गहरा विशवास रखते हैं कि व्यक्ति को अपने फाइन सेंसेज़ का निरंतर विकास करना चाहिए ताकि वह अपने परिवेश की अनमोल वस्तुओं का सम्मान करा सके और कोमल अनुभवों को ग्रहण कर सके।
सुरेंद्र राजन इन दिनों उत्तराखंड के एक सुदूर गाँव में प्रकृति के बीच शांत और रचनात्मक जीवन गुज़ार रहे हैं।
Видео Guftagoo with Surendra Rajan канала Rajya Sabha TV
फिल्मों में दिखाई देने से पहले सुरेंद्र राजन ने देश-विदेश भ्रमण करते हुए तरह-तरह के काम किये, जिनका मक़सद करियर बनाना या धन संचित करना नहीं रहा। जीवन में सफलता की सीढ़ियां करियर और धन दौलत से नहीं बल्कि सौंदर्य की अनुभूति बढ़ाने से ही चढ़ी जा सकती हैं कुछ ऐसा उनका मानना रहा है। शायद इसीलिए पेंटिंग्स के ज़रिये शोहरत और दौलत बटोरने के बजाए सुरेंद्र राजन ऐन उस वक़्त सब कुछ छोड़कर साहसिक यात्राओं पर निकल पड़े और 16 साल तक यायावरों जैसा जीवन जीते रहे जब करियर के अर्थ में कामयाबी उनके लिए पलक पांवड़े बिछाए खडी थी।
सुरेंद्र राजन के लिए फिल्मों में काम करना भी एक संयोग की तरह रहा, जिसकी उन्होंने कभी योजना नहीं बनाई थी। पढ़ते-लिखते और घूमते-फिरते सुरेंद्र राजन जीवन के ताप को बहुत नज़दीक से महसूस करते रहे, जिसने उनकी रचनात्मक को विस्तार दिया। सभी कलारूपों में गहरी दिलचस्पी रखने वाले सुरेंद्र राजन इस बात पर गहरा विशवास रखते हैं कि व्यक्ति को अपने फाइन सेंसेज़ का निरंतर विकास करना चाहिए ताकि वह अपने परिवेश की अनमोल वस्तुओं का सम्मान करा सके और कोमल अनुभवों को ग्रहण कर सके।
सुरेंद्र राजन इन दिनों उत्तराखंड के एक सुदूर गाँव में प्रकृति के बीच शांत और रचनात्मक जीवन गुज़ार रहे हैं।
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