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Guftagoo with Sagar Sarhadi

Sagar Sarhadi is an Indian film writer, director and producer. Known for his iconic film Bazaar, Sagar Sarhadi began writing short stories and then continued as a playwright. He became popular with Yash Chopra's film Kabhi Kabhi, starring Amitabh Bachchan and Raakhee; Chandni starring Rishi Kapoor, Sridevi and Vinod Khanna; Silsila starring Shashi Kapoor, Amitabh Bachchan, Jaya Bhaduri and Rekha; Faasle starring Sunil Dutt, Rekha, Farooq Shaikh and Deepti Naval; Rang starring Kamal Sadanah and Divya Bharti and directed by Talat Jani; Anubhav starring Sanjeev Kumar and Tanuja and directed by Basu Bhattacharya; Zindagi; The Other Man; Karmayogi; Kaho Naa... Pyaar Hai; Karobaar; Bazaar; Noorie; Chausar and became a well known name as a scriptwriter.

राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर सागर सरहदी का मूल नाम गंगा सागर तलवार है और वो मुम्बई में अकेले रहते हैं जहाँ उनके शिष्य और मिलने-जुलने वाले अक्सर आ जाया करते हैं।
बतौर लेखक तो उनकी लिखी कई फ़िल्में सुपर डुपर हिट हुईं लेकिन उनकी बनाई सिर्फ एक फिल्म बाज़ार है जिसे व्यावसायिक और कलात्मक दोनों ही दृष्टियों से खूब सराहा जाता है।
यहां दर्शकों को सूचित करना ज़रूरी है कि सागर साहब आजकल थोड़ा ऊँचा सुनते हैं इसलिए प्रश्नकर्ता को ऊँची आवाज़ में बोलना पड़ रहा है और कई बार प्रश्न दुहराना पड़ रहा है।
सूबा सरहद में 11 मई 1933 को पैदा हुए सागर सरहदी विभाजन के दौरान विस्थापितों का जीवन जीते रहे और दिल्ली के मोरी गेट इलाके से उन्होंने मैट्रिक पास किया। हालात कुछ ऐसे बने कि सागर सरहदी मुंबई आ गए और यहां खालसा कॉलेज और बाद में सेंत ज़ेवियर्स में पढ़ने लगे। रोज़ी रोटी की चिंताओं ने सागर सरहदी को औपचारिक शिक्षा जारी न रखने दी और वो एक ऐड एजेंसी में छोटी सी नौकरी करने लगे।
उस दौर के जाने माने डायरेक्टर प्रोड्यूसर यश चोपड़ा ने जब सागर सरहदी का लिखा एक नाटक देखा तो उनकी लेखकीय प्रतिभा के मुरीद हो गए और इस तरह सागर सरहदी यश चोपड़ा के साथ एक के बाद एक कामयाब फिल्मों की वजह बने।
सागर सरहदी का जीवन एक रिफ्यूजी के फिर से बस सकने की कोशिशों का दूसरा नाम है। उन्हें इस बात की तलाश है कि वो कौन सी शक्तियां हैं जो एक बसे बसाए इंसान को उसकी जड़ों से उखाड़कर शरणार्थी बना देती हैं ? वो आज भी अपने गाँव बफ़ा से बेदखल होने का दंश और इस छोटी सी ज़िंदगी में सहे अपमानों और वंचनाओं को भुला नहीं सके हैं। उनके मुताबिक़ उनकी पूरी ज़िंदगी सेन्स ऑफ़ बिलॉन्गिंग पैदा करने में गुज़र गयी, जिसमें किताबों का अहम रोल है।

Anchor: Irfan

Видео Guftagoo with Sagar Sarhadi канала Rajya Sabha TV
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17 ноября 2018 г. 22:00:01
01:08:28
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