|| Kishangarh Bas fort || महाराजा जाट सूरजमल द्वारा बनवाया गया किशनगढ़ बास के किले को ।।
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LOCATION::-Quila Kishangarh-bas
Kishangarh Bas, Rajasthan 301405
https://maps.app.goo.gl/VnBVqoDhPHBHZ7H49
किशनगढ़बास किले का इतिहास::--
मराठों का साम्राज्य जब राजस्थान में फैला और उन्होंने राजस्थान के लोगों पर आक्रमण किया, जयपुर पर भी,अलवर की धरती पर भी, जब उनका प्रभुत्व बहुत बढ़ गया था। तब किशनगंज भी मराठों के इलाकों में ही था। किशनगढ़ किले के बराबर में, पूर्व की ओर बिहारी जी का मंदिर है। वह मराठा के राजाओं ने ही बनवाया था। और उस पर कलाकृति है। वह मराठा के समय में ही करवाई गई थी। इसके बाद जो किलो का निर्माण होता है ।वो तीन तरह का होता है
💎पत्थर कोट:- ऐसे किले जो बड़े पहाड़ों पर बनाए जाते हैं।ऊंचाई पर बनाया जाता है। उदाहरण चित्तौड़गढ़ का किला।
इसकी एक मिसाल है पहाड़ की जो ऊंचाई होती है वह उसकी सुरक्षात्मक दीवार होती है।।
💎पानी कोट::- जो नदियों के किनारे बनाए जाते हैं।उनमें रक्षात्मक दीवार नदियां होती है। जैसे उत्तर प्रदेश में बनाए कुछ किले।।
💎 धूलकोट::-- जब कृत्रिम तरीके से धूल मिट्टी कट्ठा किया जाता है जो रेतीले इलाके हैं। जैसे जैसलमेर, बाड़मेर।। वहां रेत के ऊंचे टीले हैं। उन पर जो किले बनाए जाते हैं।।जैसे-शेखावटी के किले हैं
लेकिन भरतपुर वालों ने एक नया तरीका इजाद किया उन्होंने आसपास की नदियों का पानी इकट्ठा किया और यहां तक लाए और उन्हें चाहे छोटी सी भी पहाड़ी मिली।।पानी का स्रोत इकट्ठा करके, मिट्टी की दीवारें खड़ी करके।
भरतपुर के राजा बदनसिंह ने, जो डींगर कमहेर के किले,जो पहाड़ी पर बनाए बनवाए हैं। जब राजा सूरजमल ने खेमा जाट से भरतपुर छीन लिया। 1739 में उन्होंने भरतपुर का किला बनवाया था ।जब सूरजमुल यहां आए इनमें इसका निर्माण कराया। पहले के जमाने में तोपों से लड़ाई होती थी।और किलो को तोपों से ढाया जाता था।। तथा किशनगढ़ किले की विशेषता यह थी। कि यहां तोपों के गोले नहीं लगते थे, क्योंकि अगर तोपों के गोले ऊपर की तरफ से आते हैं तो किले के ऊपर से निकल जाते हैं और यदि गोले नीचे से आते हैं तो पत्थर की बनी हुई दीवारों ने रोक लेती थी।।
Видео || Kishangarh Bas fort || महाराजा जाट सूरजमल द्वारा बनवाया गया किशनगढ़ बास के किले को ।। канала Gyanvik vlogs
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Kishangarh Bas, Rajasthan 301405
https://maps.app.goo.gl/VnBVqoDhPHBHZ7H49
किशनगढ़बास किले का इतिहास::--
मराठों का साम्राज्य जब राजस्थान में फैला और उन्होंने राजस्थान के लोगों पर आक्रमण किया, जयपुर पर भी,अलवर की धरती पर भी, जब उनका प्रभुत्व बहुत बढ़ गया था। तब किशनगंज भी मराठों के इलाकों में ही था। किशनगढ़ किले के बराबर में, पूर्व की ओर बिहारी जी का मंदिर है। वह मराठा के राजाओं ने ही बनवाया था। और उस पर कलाकृति है। वह मराठा के समय में ही करवाई गई थी। इसके बाद जो किलो का निर्माण होता है ।वो तीन तरह का होता है
💎पत्थर कोट:- ऐसे किले जो बड़े पहाड़ों पर बनाए जाते हैं।ऊंचाई पर बनाया जाता है। उदाहरण चित्तौड़गढ़ का किला।
इसकी एक मिसाल है पहाड़ की जो ऊंचाई होती है वह उसकी सुरक्षात्मक दीवार होती है।।
💎पानी कोट::- जो नदियों के किनारे बनाए जाते हैं।उनमें रक्षात्मक दीवार नदियां होती है। जैसे उत्तर प्रदेश में बनाए कुछ किले।।
💎 धूलकोट::-- जब कृत्रिम तरीके से धूल मिट्टी कट्ठा किया जाता है जो रेतीले इलाके हैं। जैसे जैसलमेर, बाड़मेर।। वहां रेत के ऊंचे टीले हैं। उन पर जो किले बनाए जाते हैं।।जैसे-शेखावटी के किले हैं
लेकिन भरतपुर वालों ने एक नया तरीका इजाद किया उन्होंने आसपास की नदियों का पानी इकट्ठा किया और यहां तक लाए और उन्हें चाहे छोटी सी भी पहाड़ी मिली।।पानी का स्रोत इकट्ठा करके, मिट्टी की दीवारें खड़ी करके।
भरतपुर के राजा बदनसिंह ने, जो डींगर कमहेर के किले,जो पहाड़ी पर बनाए बनवाए हैं। जब राजा सूरजमल ने खेमा जाट से भरतपुर छीन लिया। 1739 में उन्होंने भरतपुर का किला बनवाया था ।जब सूरजमुल यहां आए इनमें इसका निर्माण कराया। पहले के जमाने में तोपों से लड़ाई होती थी।और किलो को तोपों से ढाया जाता था।। तथा किशनगढ़ किले की विशेषता यह थी। कि यहां तोपों के गोले नहीं लगते थे, क्योंकि अगर तोपों के गोले ऊपर की तरफ से आते हैं तो किले के ऊपर से निकल जाते हैं और यदि गोले नीचे से आते हैं तो पत्थर की बनी हुई दीवारों ने रोक लेती थी।।
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