सूर्य के अन्तर्दशा में परम उच्च का फल #nakshtratak #astrology #horoscope #vedicastrology
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राशी क्रमांक व नाम स्वामी उच्च नीच
1(मेष) मंगल सूर्य शनि
2(वृष) शुक्र चंद्र कोई नहीं
3(मिथुन) बुध कोई नहीं कोई नहीं
4(कर्क) चन्द्र गुरू मंगल
5(सिंह) सूर्य कोई नहीं कोई नहीं
6(कन्या) बुध बुध शुक्र
7(तुला) शुक्र शनि सूर्य
8(वृश्चिक) मंगल कोई नहीं चन्द्र
9(धनु) गुरु कोई नहीं कोई नहीं
10(मकर) शनि मंगल गुरू
11(कुम्भ) शनि कोई नहीं कोई नहीं
12(मीन) गुरू शुक्र बुध
#जन्म कुंडली एक ज्योतिषीय चार्ट होती है जो व्यक्ति के जन्म के समय का विवरण दर्शाती है। यह चार्ट ग्रहों, नक्षत्रों, और भावों का विवरण प्रदान करता है, जिससे ज्योतिषीय गणित द्वारा व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जा सकता है। जन्म कुंडली में निम्नलिखित जानकारी होती है:
#ग्रहों की स्थिति: इसमें नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु) की स्थिति का विवरण होता है।
#भावों का विवरण: जन्म कुंडली में भावों का विवरण होता है, जो विभिन्न पहलुओं जैसे कि स्वास्थ्य, धन, करियर, विवाह, आदि को प्रतिनिधित्व करते हैं।
नक्षत्र: जन्म कुंडली में जिस नक्षत्र में सूर्य और चंद्रमा स्थित होते हैं, उसका भी विवरण होता है।
#योग: कुंडली में विशेष योगों का वर्णन होता है, जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।
दशा और अंतर्दशा: जन्म कुंडली में व्यक्ति की विभिन्न ग्रहों के लिए विभिन्न समयावधियों में दशाएं और अंतर्दशाएं होती हैं, जो उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डालती हैं।
यह सभी विवरण ज्योतिषीय दृष्टिकोण से व्यक्ति के जीवन की गतिविधियों और उसके भविष्य के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
#जन्म कुंडली में सूर्य की अन्तर्दशा का फल कई प्रकार से प्रभावित हो सकता है, जैसे कि व्यक्ति की स्वास्थ्य, करियर, आर्थिक स्थिति, सम्बन्ध, और व्यक्तित्व में बदलाव आ सकता है। यह अन्तर्दशा कितनी लंबी है, इसका भी महत्व होता है, क्योंकि यह बताता है कि इस अवधि के दौरान कितना प्रभाव होगा।
#सूर्य की अन्तर्दशा आमतौर पर यदि शुभ हो तो व्यक्ति को सम्मान, सत्यनिष्ठा, उच्च स्थान, आत्मविश्वास, और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति हो सकती है। यह अवधि व्यक्ति के जीवन में उत्तराधिकार के संकेत कर सकती है, और वह कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकता है।
#हालांकि, यदि अन्तर्दशा अशुभ है, तो व्यक्ति को आत्महत्या, अयोग्यता, अवमानना, और आर्थिक हानि का सामना करना पड़ सकता है। व्यक्ति को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, और उसे उत्तराधिकार की प्राप्ति में विघ्न आ सकता है।
#यह सब विवेचन कुंडली के अन्य ग्रहों के साथ भी जुड़ा होता है, और केवल सूर्य की अन्तर्दशा पर ही निर्भर नहीं होता। कुंडली के अन्य ग्रहों के स्थिति, योग, और दशाओं को भी ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।
Видео सूर्य के अन्तर्दशा में परम उच्च का फल #nakshtratak #astrology #horoscope #vedicastrology канала नक्षत्र तक
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5(सिंह) सूर्य कोई नहीं कोई नहीं
6(कन्या) बुध बुध शुक्र
7(तुला) शुक्र शनि सूर्य
8(वृश्चिक) मंगल कोई नहीं चन्द्र
9(धनु) गुरु कोई नहीं कोई नहीं
10(मकर) शनि मंगल गुरू
11(कुम्भ) शनि कोई नहीं कोई नहीं
12(मीन) गुरू शुक्र बुध
#जन्म कुंडली एक ज्योतिषीय चार्ट होती है जो व्यक्ति के जन्म के समय का विवरण दर्शाती है। यह चार्ट ग्रहों, नक्षत्रों, और भावों का विवरण प्रदान करता है, जिससे ज्योतिषीय गणित द्वारा व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जा सकता है। जन्म कुंडली में निम्नलिखित जानकारी होती है:
#ग्रहों की स्थिति: इसमें नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु) की स्थिति का विवरण होता है।
#भावों का विवरण: जन्म कुंडली में भावों का विवरण होता है, जो विभिन्न पहलुओं जैसे कि स्वास्थ्य, धन, करियर, विवाह, आदि को प्रतिनिधित्व करते हैं।
नक्षत्र: जन्म कुंडली में जिस नक्षत्र में सूर्य और चंद्रमा स्थित होते हैं, उसका भी विवरण होता है।
#योग: कुंडली में विशेष योगों का वर्णन होता है, जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।
दशा और अंतर्दशा: जन्म कुंडली में व्यक्ति की विभिन्न ग्रहों के लिए विभिन्न समयावधियों में दशाएं और अंतर्दशाएं होती हैं, जो उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डालती हैं।
यह सभी विवरण ज्योतिषीय दृष्टिकोण से व्यक्ति के जीवन की गतिविधियों और उसके भविष्य के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
#जन्म कुंडली में सूर्य की अन्तर्दशा का फल कई प्रकार से प्रभावित हो सकता है, जैसे कि व्यक्ति की स्वास्थ्य, करियर, आर्थिक स्थिति, सम्बन्ध, और व्यक्तित्व में बदलाव आ सकता है। यह अन्तर्दशा कितनी लंबी है, इसका भी महत्व होता है, क्योंकि यह बताता है कि इस अवधि के दौरान कितना प्रभाव होगा।
#सूर्य की अन्तर्दशा आमतौर पर यदि शुभ हो तो व्यक्ति को सम्मान, सत्यनिष्ठा, उच्च स्थान, आत्मविश्वास, और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति हो सकती है। यह अवधि व्यक्ति के जीवन में उत्तराधिकार के संकेत कर सकती है, और वह कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकता है।
#हालांकि, यदि अन्तर्दशा अशुभ है, तो व्यक्ति को आत्महत्या, अयोग्यता, अवमानना, और आर्थिक हानि का सामना करना पड़ सकता है। व्यक्ति को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, और उसे उत्तराधिकार की प्राप्ति में विघ्न आ सकता है।
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