Mahabali Bheem || Tribute to the most amazing fighter in the History by Deepankur Bhardwaj
Due to TV Serials people thought that Mahabali Bhimsen was a Mace Warrior only but the reality in Mahabharata Granth is totally different... so this is my tribute to the best wrestler and warrior of History....
Jai Shree Krishna ❤️❤️❤️
Instagram Link : https://www.instagram.com/bhardwajdeepankur/
Twitter Link : https://twitter.com/Devildeep7
Mahabharat Bori Critical Edition Link : https://drive.google.com/file/d/1bJIeK3ekKJS_W0jjcd6n1WR8HCR1iP39/view?usp=drivesdk
Lyrics :
पवन देव का अंश हूं
बल मुझे मिला असीम है,
बजरंगी का भाई हूं
नाम मेरा भीम है।
वक्षस्थल विशाल था
योद्धा मैं विकराल था,
ललाट पर क्रोध मेरे
अधर्मियों का काल था।
बालपन में विष देकर
गंगा में बहा दिया,
बजरंगी का अनुज हूं
मैंने विश को भी पचा लिया।
नागों से जा घिरा
वहां युद्ध घमासान किया,
फिर वासुकी ने मुझे
अतुलित बल था प्रदान किया।
बकासुर हिडिंब और न जाने
कितने असुर धाराशाई थे,
मेरे बाहुबल पर गर्व करते
मेरे चारों भाई थे।
मेरे अतुल्य बाहुबल को
स्वयंवर में हर कोई भांप गया,
जब मेरे पांव की धमक से
पूरा क्रीडांगण कांप गया।
पवन पिता का वेग था
बस ग्रस्त था इसी अभिमान से,
विकार ये भी दूर हुआ
भेंट करके हनुमान से।
करूणा हृदय से तब चली गई
हुई जब द्यूत की वो क्रीड़ा थी,
हृदय में धधकता क्रोध बचा
और बस अपमान की पीड़ा थी।
धर्म का ना भान था
द्यूत में खोई सबने प्रज्ञा थी,
क्रोध में भरकर मैने
ली ये प्रतिज्ञा थी।
जिस जिस के मस्तक में अधर्म बसा था
उसे श्रीफल जैसे फोडूंगा
सुन ले अधर्मी दुर्योधन
तेरी जंघा भी मैं तोड़ूंगा।
कटे मस्तकों के ढेर लगेंगे
हृदय का घाव ना कोई सी पाएगा,
और दुशासन तेरी छाती का
लहू ये वृकोदर पी जाएगा।
तात श्री के पुत्रमोह के कारण
अब पूरा वंश गारत होगा,
कुलवधू के अपमान के बदले
अब महाभारत होगा।
धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों को खाकर
यह वृकोदर भीम पचा जाएगा,
योद्धा से योद्धा जब भिड़ेंगे
कोई षड्यंत्र काम ना आएगा।
कुरु कुमार नहीं रहा था तब मैं
मैं तो बस एक पांडव था,
पांचाली का अपमान नहीं था
मृत्यु का शुरू वो तांडव था।
अब बात करो धनुर्विद्या की तो
गांडीव और विजय धनुष का ही प्रमाण मिला,
मेरे वायव्य धनुष की टंकार से जो
कांपी कौरव सेना थी इसका तुम्हे ना ज्ञान मिला।
अधर्म कभी ना मन में था
धर्म के ही साथ जिया,
पांचाली का प्रतिषोध ले
दुःशासन का खून पिया।
नारी का अपमान होगा
कोई भीम फिर से आएगा,
रक्त का वो खप्पर भरके
कालभैरव बन जाएगा।
दुःशासन के वध से
लेलो एक समाचार तुम,
जो भंग नारी का मान करे
करदो उसके टुकड़े हज़ार तुम।
अंगराज ने मुझे प्राण दान दिए
ये हर कोई बतलाता है,
फिर सत्रहवे दिन का वृतांत तुम्हें
कैसे भूल जाता है।
युद्ध छूटा हाथ से मानो
मुट्ठी में रेत हो,
रथ पर गिरा विजय धारी
मेरे तीरों से अचेत हो।
बख्श दिए प्राण मैंने
फिर भी ना अहंकार था,
ज्ञात था कर्ण की मृत्यु
अर्जुन का अधिकार था।
दुर्योधन की जंघा टूटी तो
सबको धर्म याद आ गया,
वो दुर्योधन का अधर्म था
जो पूरे वंश को था खा गया।
जिसने श्रीकृष्ण का अपमान किया
उसके लिए दुखी तुम्हारा मर्म है,
छल से हो या बल से हो
अधर्मी का वध सबसे बड़ा धर्म है।
नारी के सम्मान हेतु जो लड़े
हरि देते बल उसे असीम है,
दुराचारियों का वध करने वाला
हर योद्धा भीम है।
नारी का जब-जब अपमान होगा
जब अधर्म के काले मेघ छाएंगे,
द्वापर में भीम था काल बना
कलयुग में कल्कि संग हनुमान आएंगे।
Видео Mahabali Bheem || Tribute to the most amazing fighter in the History by Deepankur Bhardwaj канала Deepankur Bhardwaj Poetry
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Mahabharat Bori Critical Edition Link : https://drive.google.com/file/d/1bJIeK3ekKJS_W0jjcd6n1WR8HCR1iP39/view?usp=drivesdk
Lyrics :
पवन देव का अंश हूं
बल मुझे मिला असीम है,
बजरंगी का भाई हूं
नाम मेरा भीम है।
वक्षस्थल विशाल था
योद्धा मैं विकराल था,
ललाट पर क्रोध मेरे
अधर्मियों का काल था।
बालपन में विष देकर
गंगा में बहा दिया,
बजरंगी का अनुज हूं
मैंने विश को भी पचा लिया।
नागों से जा घिरा
वहां युद्ध घमासान किया,
फिर वासुकी ने मुझे
अतुलित बल था प्रदान किया।
बकासुर हिडिंब और न जाने
कितने असुर धाराशाई थे,
मेरे बाहुबल पर गर्व करते
मेरे चारों भाई थे।
मेरे अतुल्य बाहुबल को
स्वयंवर में हर कोई भांप गया,
जब मेरे पांव की धमक से
पूरा क्रीडांगण कांप गया।
पवन पिता का वेग था
बस ग्रस्त था इसी अभिमान से,
विकार ये भी दूर हुआ
भेंट करके हनुमान से।
करूणा हृदय से तब चली गई
हुई जब द्यूत की वो क्रीड़ा थी,
हृदय में धधकता क्रोध बचा
और बस अपमान की पीड़ा थी।
धर्म का ना भान था
द्यूत में खोई सबने प्रज्ञा थी,
क्रोध में भरकर मैने
ली ये प्रतिज्ञा थी।
जिस जिस के मस्तक में अधर्म बसा था
उसे श्रीफल जैसे फोडूंगा
सुन ले अधर्मी दुर्योधन
तेरी जंघा भी मैं तोड़ूंगा।
कटे मस्तकों के ढेर लगेंगे
हृदय का घाव ना कोई सी पाएगा,
और दुशासन तेरी छाती का
लहू ये वृकोदर पी जाएगा।
तात श्री के पुत्रमोह के कारण
अब पूरा वंश गारत होगा,
कुलवधू के अपमान के बदले
अब महाभारत होगा।
धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों को खाकर
यह वृकोदर भीम पचा जाएगा,
योद्धा से योद्धा जब भिड़ेंगे
कोई षड्यंत्र काम ना आएगा।
कुरु कुमार नहीं रहा था तब मैं
मैं तो बस एक पांडव था,
पांचाली का अपमान नहीं था
मृत्यु का शुरू वो तांडव था।
अब बात करो धनुर्विद्या की तो
गांडीव और विजय धनुष का ही प्रमाण मिला,
मेरे वायव्य धनुष की टंकार से जो
कांपी कौरव सेना थी इसका तुम्हे ना ज्ञान मिला।
अधर्म कभी ना मन में था
धर्म के ही साथ जिया,
पांचाली का प्रतिषोध ले
दुःशासन का खून पिया।
नारी का अपमान होगा
कोई भीम फिर से आएगा,
रक्त का वो खप्पर भरके
कालभैरव बन जाएगा।
दुःशासन के वध से
लेलो एक समाचार तुम,
जो भंग नारी का मान करे
करदो उसके टुकड़े हज़ार तुम।
अंगराज ने मुझे प्राण दान दिए
ये हर कोई बतलाता है,
फिर सत्रहवे दिन का वृतांत तुम्हें
कैसे भूल जाता है।
युद्ध छूटा हाथ से मानो
मुट्ठी में रेत हो,
रथ पर गिरा विजय धारी
मेरे तीरों से अचेत हो।
बख्श दिए प्राण मैंने
फिर भी ना अहंकार था,
ज्ञात था कर्ण की मृत्यु
अर्जुन का अधिकार था।
दुर्योधन की जंघा टूटी तो
सबको धर्म याद आ गया,
वो दुर्योधन का अधर्म था
जो पूरे वंश को था खा गया।
जिसने श्रीकृष्ण का अपमान किया
उसके लिए दुखी तुम्हारा मर्म है,
छल से हो या बल से हो
अधर्मी का वध सबसे बड़ा धर्म है।
नारी के सम्मान हेतु जो लड़े
हरि देते बल उसे असीम है,
दुराचारियों का वध करने वाला
हर योद्धा भीम है।
नारी का जब-जब अपमान होगा
जब अधर्म के काले मेघ छाएंगे,
द्वापर में भीम था काल बना
कलयुग में कल्कि संग हनुमान आएंगे।
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