खुशखबरी- पैतृक संपत्ति बंटवारा ₹5000 में होगा | UP Ancestral Property Law | Paitrik Sampatti Rules
खुशखबरी- पैतृक संपत्ति बंटवारा ₹5000 में होगा | UP Ancestral Property Law | Paitrik Sampatti Rules
पैतृक संपत्ति के विवाद निपटाने के लिए नया फॉर्मूला तैयार
मामूली शुल्क पर हो सकेगा का बंटवारा, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग तैयार कर रहा प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश पैतृक संपत्ति से जुड़े विवादों को खत्म करने के लिए सुविधाजनक और न्यूनतम शुल्क में बंटवारा कराने की प्रक्रिया का स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। प्रस्ताव पास होने पर यूपी में एक लाख से ज्यादा संपत्ति के विवाद खत्म हो जाएंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर लोगों की सहूलियत और कचहरी की भागदौड़ से बचाने के लिए स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग स्टांप एवं पंजीयन के नियम 45 व 48 में संशोधन पर विचार कर रहा है। इसके तहत चार या इससे ज्यादा की पीढ़ियों की स्वामित्व वाली संपत्ति के सर्किल रेट घटाकर स्टांप शुल्क को न्यूनतम या फिक्स किया जा सकता है।
वर्तमान : लंबी प्रक्रिया, ज्यादा शुल्क से लटक जाते मामले
पैतृक संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया वर्तमान में काफी जटिल है। तहसील स्तर पर वरासत रजिस्टर बनवाना चुनौती है। सभी साझेदारों का एक साथ आना मुश्किल होता है। आ भी गए तो तहसीलदार का भी उस समय उपलब्ध होना जरूरी है। वरासत में नाम दर्ज कराने में ही काफी समय लग जाता है। इसके बाद भारी भरकम स्टांप शुल्क अदा करने को लेकर आपस में विवाद होता है।
■ 90 फीसदी मामलों में प्रापर्टी का उपयोग न करने वाले या बाहर रहने वाले साझेदार इसी आधार पर स्टांप शुल्क अदा करने से इन्कार कर देते हैं। आखिरकार मामला अदालत चला जाता है और फिर लंबा समय लग जाता है। अभी पैतृक संपत्ति के बंटवारे के मामले में बाजार दर पर रजिस्ट्री शुल्क में केवल 30 फीसदी छूट मिलती है। अगर किसी पैतृक संपत्ति की कीमत सर्किल रेट के हिसाब से दस करोड़ रुपये है तो रजिस्ट्री कराने पर 70 लाख रुपये स्टांप लगेगा। 30 फीसदी की छूट के बाद करीब 50 लाख रुपये स्टांप के देने होंगे। भारी भरकम स्टांप की वजह से पैतृक संपत्ति के विवाद खत्म नहीं होते।
भविष्य: दस मिनट में खत्म हो जाएगा विवाद
पैतृत संपत्ति के बंटवारे के सारे झंझट खत्म कर गिफ्ट डीड की तरह न्यूनतम शुल्क निर्धारित करने पर सरकार विचार कर रही है। इसके तहत पैतृक संपत्ति से जुड़े सभी लोग एक साथ रजिस्ट्री आफिस आएंगे। शपथपत्र के साथ मामूली शुल्क भरेंगे। कैबिनेट में इस प्रस्ताव के पास होने के बाद महज दस मिनट में पैतृक संपत्ति के विवाद खत्म हो जाएंगे।
नियमों को बनाया जा रहा सरल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर स्टांप नियमों का लगातार सरलीकरण किया जा रहा है। परिवारों में सौहार्द्र और भाईचारा बना रहे, इसके लिए पैतृक संपत्ति के विवाद हमेशा के लिए खत्म करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसके अंतर्गत महज दस मिनट में मामूली शुल्क पर ऐसी संपत्ति के बंटवारे पर मंथन किया जा रहा है। रवीन्द्र जायसवाल, स्टांप एवं पंजीयन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
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purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is
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पैतृक संपत्ति के विवाद निपटाने के लिए नया फॉर्मूला तैयार
मामूली शुल्क पर हो सकेगा का बंटवारा, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग तैयार कर रहा प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश पैतृक संपत्ति से जुड़े विवादों को खत्म करने के लिए सुविधाजनक और न्यूनतम शुल्क में बंटवारा कराने की प्रक्रिया का स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। प्रस्ताव पास होने पर यूपी में एक लाख से ज्यादा संपत्ति के विवाद खत्म हो जाएंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर लोगों की सहूलियत और कचहरी की भागदौड़ से बचाने के लिए स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग स्टांप एवं पंजीयन के नियम 45 व 48 में संशोधन पर विचार कर रहा है। इसके तहत चार या इससे ज्यादा की पीढ़ियों की स्वामित्व वाली संपत्ति के सर्किल रेट घटाकर स्टांप शुल्क को न्यूनतम या फिक्स किया जा सकता है।
वर्तमान : लंबी प्रक्रिया, ज्यादा शुल्क से लटक जाते मामले
पैतृक संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया वर्तमान में काफी जटिल है। तहसील स्तर पर वरासत रजिस्टर बनवाना चुनौती है। सभी साझेदारों का एक साथ आना मुश्किल होता है। आ भी गए तो तहसीलदार का भी उस समय उपलब्ध होना जरूरी है। वरासत में नाम दर्ज कराने में ही काफी समय लग जाता है। इसके बाद भारी भरकम स्टांप शुल्क अदा करने को लेकर आपस में विवाद होता है।
■ 90 फीसदी मामलों में प्रापर्टी का उपयोग न करने वाले या बाहर रहने वाले साझेदार इसी आधार पर स्टांप शुल्क अदा करने से इन्कार कर देते हैं। आखिरकार मामला अदालत चला जाता है और फिर लंबा समय लग जाता है। अभी पैतृक संपत्ति के बंटवारे के मामले में बाजार दर पर रजिस्ट्री शुल्क में केवल 30 फीसदी छूट मिलती है। अगर किसी पैतृक संपत्ति की कीमत सर्किल रेट के हिसाब से दस करोड़ रुपये है तो रजिस्ट्री कराने पर 70 लाख रुपये स्टांप लगेगा। 30 फीसदी की छूट के बाद करीब 50 लाख रुपये स्टांप के देने होंगे। भारी भरकम स्टांप की वजह से पैतृक संपत्ति के विवाद खत्म नहीं होते।
भविष्य: दस मिनट में खत्म हो जाएगा विवाद
पैतृत संपत्ति के बंटवारे के सारे झंझट खत्म कर गिफ्ट डीड की तरह न्यूनतम शुल्क निर्धारित करने पर सरकार विचार कर रही है। इसके तहत पैतृक संपत्ति से जुड़े सभी लोग एक साथ रजिस्ट्री आफिस आएंगे। शपथपत्र के साथ मामूली शुल्क भरेंगे। कैबिनेट में इस प्रस्ताव के पास होने के बाद महज दस मिनट में पैतृक संपत्ति के विवाद खत्म हो जाएंगे।
नियमों को बनाया जा रहा सरल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर स्टांप नियमों का लगातार सरलीकरण किया जा रहा है। परिवारों में सौहार्द्र और भाईचारा बना रहे, इसके लिए पैतृक संपत्ति के विवाद हमेशा के लिए खत्म करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसके अंतर्गत महज दस मिनट में मामूली शुल्क पर ऐसी संपत्ति के बंटवारे पर मंथन किया जा रहा है। रवीन्द्र जायसवाल, स्टांप एवं पंजीयन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
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7 августа 2024 г. 11:40:22
00:05:27
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