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dr. Rahat indori last sher, ख़ामोशी ओढ़ के सोई हैं मस्ज़िदें सारी, किसी की मौत का ऐलान भी नहीं होता..

: दुनिया से विदा होने से पहले राहत इंदौरी का आखिरी शेर: ‘ख़ामोशी ओढ़ के सोई हैं मस्ज़िदें सारी, किसी की मौत का ऐलान भी नहीं होता’

अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) ने बीती रात जारी बयान में कहा, ‘इंदौरी को मंगलवार दोपहर एक बजे दिल का दौरा पड़ा था। इससे उन्हें बचा लिया गया था। लेकिन इसके दो घण्टे बाद ही उन्हें फिर से दिल का दौरा पड़ा और शाम पांच बजे उनका निधन हो गया।’
बेटे सतलज ने राहत इंदौरी साहब का आखिरी शेर मीडिया से साझा किया है। वो इस प्रकार है-

नए सफ़र का जो ऐलान भी नहीं होता,
तो ज़िंदा रहने का अरमान भी नहीं होता/

तमाम फूल वही लोग तोड़ लेते हैं,
जिनके कमरों में गुलदान भी नहीं होता/

ख़ामोशी ओढ़ के सोई हैं मस्ज़िदें सारी,
किसी की मौत का ऐलान भी नहीं होता/

वबा ने काश हमें भी बुला लिया होता
तो हम पर मौत का अहसान भी नहीं होता…
कुमार ने बताया वो किस्सा, जब इंदौरी साहब ने फरमाया था- 'मेरी पेशानी पर हिन्दुस्तान लिख देना'
राहत को याद करते हुए कवि कुमार विश्वास ने भी एक किस्सा शेयर किया। उनके साथ मंच साझा करने वाले कुमार विश्वास ने बताया कि बहरीन की एक महफिल में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के श्रोता साथ में थे। तभी राहत ने एक शेर पढ़ा। उन्होंने कहा 'मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना।'
राहत इंदौरी साहब का आखिरी शेर बेटे ने किया साझा
बेटे सतलज ने राहत इंदौरी साहब का आखिरी शेर मीडिया से साझा किया है। वो इस प्रकार है-

नए सफ़र का जो ऐलान भी नहीं होता,

तो ज़िंदा रहने का अरमान भी नहीं होता/

तमाम फूल वही लोग तोड़ लेते हैं,

जिनके कमरों में गुलदान भी नहीं होता/

ख़ामोशी ओढ़ के सोई हैं मस्ज़िदें सारी,

किसी की मौत का ऐलान भी नहीं होता/

वबा ने काश हमें भी बुला लिया होता

तो हम पर मौत का अहसान भी नहीं होता..

रविवार को ही भर्ती हुए थे इंदौरी
रविवार (9 अगस्त) की रात खांसी, बुखार और घबराहट होने पर राहत इंदौरी को सीएचएल अस्पताल लाया गया था। जांच में उन्हें निमोनिया से ग्रस्त पाया गया था, तब डॉक्टरों ने भर्ती होने की सलाह दी थी। बाद में उन्हें कोविड हॉस्पिटल अरबिंदो में भर्ती किया गया। देर रात कोरोना की पुष्टि हुई। अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. विनोद भंडारी के मुताबिक, जब इंदौरी अस्पताल में भर्ती हुए थे तब शुगर बढ़ी हुई थी। हालांकि, मंगलवार सुबह तक सेहत में सुधार होने लगा था लेकिन अचानक दोपहर में उन्हें हार्ट अटैक आया। सीपीआर देने पर कुछ सुधार हुआ। दो घंटे बाद दूसरा अटैक आ गया और उन्हें बचाया नहीं जा सका।

फिल्मों में लिखे राहत इंदौरी के गीत

"हमने हर किस्सा (फ़िल्म- तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है (फ़िल्म- खुद्दार) तुम मानो या न मानो, पर प्यार इंसां की जरूरत है (फ़िल्म- खुद्दार) रात क्या मांगे एक सितारा (फ़िल्म- खुद्दार) को बार रोका रोका (फ़िल्म- मर्डर) बोले तो मास्टर मैं (फ़िल्म- मुन्नाभाई एमबीबीएस) बुम्बरो बुम्बरो श्याम रंग बुम्बरो (फ़िल्म- मिशन कश्मीर) -चोरी-चोरी जब नजरें मिलीं, चोरी चोरी फिर नींदें उड़ीं (फ़िल्म- करीब) देखो-देखो दिल तेरे लिए लाए (फ़िल्म- इश्क़) नींद चुराई मेरी ओ सनम तूने (फ़िल्म- इश्क़) -कोई जाए तो ले आए मेरी लाख पाए (फ़िल्म- घातक)

राहत साहब के जाने पर चौतरफा दुख
मशहूर शायर राहत इंदौरी के जाने से मुशायरे की शान फीकी पड़ गई। देश के कवियों, लेखकों, साहित्यकारों ने जाने-माने शायर राहत इंदौरी के निधन पर दुख जताया है।

बता इंतजाम क्या है?...

गुलाब, ख्वाब,
दवा, जहर, जाम
क्या-क्या है
मैं आ गया हूं,
बता इंतजाम
क्या क्य

मुशायरा लूट लेते थे राहत इंदौरी : गुलज़ार
‘‘उर्दू शायरी में बुलंदियों को छूने वाले राहत इंदौरी का चला जाना बहुत बड़ा ही नहीं बल्कि पूरे का पूरा नुकसान है क्योंकि ज़नाब मुशायरे की जान थे और मुशायरा ही लूट लेते थे।’’ लोगों के ख़यालों और जज़्बातों को शब्दों में बांध कर शायरी के जरिये पेश करने वाले, उर्दू शायरी के अज़ीमोशान फ़नकार राहत इंदौरी के निधन पर उन्हें याद करते हुए यह पंक्तियां प्रख्यात गीतकार और रचनाकार गुलज़ार ने कहीं। राहत इंदौरी का आज मंगलवार को कोविड-19 महामारी के कारण निधन हो गया। इंदौरी के इस दुनिया से चले जाने की खबर पर गुलज़ार ने कहा ‘‘यह केवल बड़ा नुकसान नहीं है बल्कि उससे कहीं ज्यादा है। मुझे नहीं पता कि कितना बड़ा....।’’ गुलज़ार ने कहा ‘‘कोई अभी अभी वह जगह खाली कर गया जो केवल मुशायरे की थी। उर्दू शायरी आज के मुशायरे में राहत इंदौरी के बगैर पूरी नहीं है। एक वही थे जो इतनी बेहतरीन शायरी कहते थे।’’
कुमार विश्वास बोले- ऐसा तरंगित शब्द-सागर इतनी ख़ामोशी से विदा होगा,कभी नहीं सोचा था
कवि कुमार विश्वास ने इंदौरी साहब के निधन पर ट्वीट कर कहा- हे ईश्वर ! बेहद दुखद ! इतनी बेबाक़ ज़िंदगी और ऐसा तरंगित शब्द-सागर इतनी ख़ामोशी से विदा होगा,कभी नहीं सोचा था ! शायरी के मेरे सफ़र और काव्य-जीवन के ठहाकेदार क़िस्सों का एक बेहद ज़िंदादिल हमसफ़र हाथ छुड़ा कर चला गया।

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12 августа 2020 г. 13:57:53
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