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वह चमचों के नाम हुआ जो काम किया शमशीरों ने - समीक्षा सिंह Samiksha Singh Ki Kavita

वह चमचों के नाम हुआ जो काम किया शमशीरों ने - समीक्षा सिंह Samiksha Singh Ki Kavita
वह चमचों के नाम हुआ जो काम किया शमशीरों ने - समीक्षा सिंह Samiksha Singh Ki Kavita
वह चमचों के नाम हुआ जो काम किया शमशीरों ने - समीक्षा सिंह Samiksha Singh Ki Kavitaवह चमचों के नाम हुआ जो काम किया शमशीरों ने - समीक्षा सिंह Samiksha Singh Ki Kavitaवह चमचों के नाम हुआ जो काम किया शमशीरों ने - समीक्षा सिंह Samiksha Singh Ki Kavitaवह चमचों के नाम हुआ जो काम किया शमशीरों ने - समीक्षा सिंह Samiksha Singh Ki Kavitaवह चमचों के नाम हुआ जो काम किया शमशीरों ने - समीक्षा सिंह Samiksha Singh Ki Kavita

वह चमचों के नाम हुआ जो काम किया शमशीरों ने - समीक्षा सिंह Samiksha Singh Ki Kavita

यह कविता विशुद्ध राष्ट्रवादी कवयित्री समीक्षा सिंह जी की है जिनकी रचनाएं वही घिसी पिटी ओज की परंपरा से हटकर हिंदुत्व का पक्ष रखतीं हैं एवं राष्ट्र के हिन्दुओं को जाग्रत करने का कार्य करती हैं
हिन्दी साहित्य एवं नौ अन्य विषयों में परास्नातक समीक्षा सिंह जादौन देश की प्रतिष्ठित लेखिका, कवयित्री, विचारक एवं वक्ता हैं तथा गीत, गज़ल एवं छंदकार के रूप में काव्य मंचों पर स्थापित हैं |
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Видео वह चमचों के नाम हुआ जो काम किया शमशीरों ने - समीक्षा सिंह Samiksha Singh Ki Kavita канала Rashtra Prem राष्ट्र प्रेम
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21 октября 2021 г. 15:14:03
00:01:20
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