VatSavitri Puja 2025| Vrat Katha | Puja for Prosperity Happiness and Good Health
Vat Savitri Puja 2025
Vrat Katha
Amavasya k din Puja
Puja for Good health
Savitri Puja
7 feras around banyan tree
spritual offering
devotional practice
rituals performed by ladies for long life of husband
व्रत सावित्री कथा (संक्षेप में):
सावित्री व्रत की कथा महाभारत से संबंधित है। यह व्रत पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। कथा के अनुसार:
राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री एक सुंदर, धर्मपरायण और बुद्धिमती कन्या थी। उन्होंने अपने पति के रूप में सत्यवान का चयन किया, जो एक वनवासी और तपस्वी थे। ब्राह्मणों ने सावित्री को चेताया कि सत्यवान अल्पायु हैं, लेकिन सावित्री ने अडिग रहकर सत्यवान से विवाह किया।
विवाह के बाद वह अपने पति और सास-ससुर के साथ वन में रहने लगीं। एक दिन, जब सत्यवान लकड़ी काटने जंगल गए, सावित्री भी साथ गईं। वहीं सत्यवान बेहोश होकर गिर पड़े और यमराज उनकी आत्मा लेने आए।
सावित्री ने यमराज का पीछा किया और अपनी बुद्धिमत्ता, भक्ति और दृढ़ निष्ठा से उन्हें प्रसन्न किया। यमराज ने सावित्री को तीन वरदान मांगने को कहा, लेकिन पति का जीवन छोड़कर। सावित्री ने चतुराई से पहले अपने ससुर का राज्य, फिर सौ पुत्र और अंत में पति के साथ जीवन मांगा। यमराज को अंततः सत्यवान का जीवन लौटाना पड़ा।
इस प्रकार सावित्री ने अपने पति को मृत्यु से वापस लाकर अपने पतिव्रता धर्म की महिमा स्थापित की।
यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जिसमें विवाहित महिलाएं पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं और व्रत रखकर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं।
Видео VatSavitri Puja 2025| Vrat Katha | Puja for Prosperity Happiness and Good Health канала SpectraMind4u
Vrat Katha
Amavasya k din Puja
Puja for Good health
Savitri Puja
7 feras around banyan tree
spritual offering
devotional practice
rituals performed by ladies for long life of husband
व्रत सावित्री कथा (संक्षेप में):
सावित्री व्रत की कथा महाभारत से संबंधित है। यह व्रत पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। कथा के अनुसार:
राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री एक सुंदर, धर्मपरायण और बुद्धिमती कन्या थी। उन्होंने अपने पति के रूप में सत्यवान का चयन किया, जो एक वनवासी और तपस्वी थे। ब्राह्मणों ने सावित्री को चेताया कि सत्यवान अल्पायु हैं, लेकिन सावित्री ने अडिग रहकर सत्यवान से विवाह किया।
विवाह के बाद वह अपने पति और सास-ससुर के साथ वन में रहने लगीं। एक दिन, जब सत्यवान लकड़ी काटने जंगल गए, सावित्री भी साथ गईं। वहीं सत्यवान बेहोश होकर गिर पड़े और यमराज उनकी आत्मा लेने आए।
सावित्री ने यमराज का पीछा किया और अपनी बुद्धिमत्ता, भक्ति और दृढ़ निष्ठा से उन्हें प्रसन्न किया। यमराज ने सावित्री को तीन वरदान मांगने को कहा, लेकिन पति का जीवन छोड़कर। सावित्री ने चतुराई से पहले अपने ससुर का राज्य, फिर सौ पुत्र और अंत में पति के साथ जीवन मांगा। यमराज को अंततः सत्यवान का जीवन लौटाना पड़ा।
इस प्रकार सावित्री ने अपने पति को मृत्यु से वापस लाकर अपने पतिव्रता धर्म की महिमा स्थापित की।
यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जिसमें विवाहित महिलाएं पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं और व्रत रखकर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं।
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Информация о видео
26 мая 2025 г. 18:00:41
00:02:56
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