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हम कौन से भण्डार बना रहे हैं?

लूका रचित सुसमाचार का बारहवाँ अध्याय, यीशु के गहन उपदेशों के बीच, एक ऐसी घटना को दर्ज करता है जो आज के भौतिकवादी युग में आश्चर्यजनक रूप से प्रासंगिक है। जब यीशु भीड़ को अनंत जीवन और ईश्वरीय भय के बारे में सिखा रहे थे, तब एक व्यक्ति ने बीच में ही उन्हें टोक दिया। उसने यीशु से एक धार्मिक या आध्यात्मिक प्रश्न नहीं पूछा, बल्कि एक सांसारिक और स्वार्थी अनुरोध किया: "हे गुरु, मेरे भाई से कह कि हमारी विरासत बाँट दे।"
यह व्यक्ति यीशु को एक सांसारिक मध्यस्थ, एक संपत्ति विवाद सुलझाने वाले न्यायाधीश के रूप में देख रहा था। वह यीशु की उपस्थिति में था, लेकिन उसका मन और हृदय पूरी तरह से धन, संपत्ति और अपने "अधिकार" पर केंद्रित था। वह उस अनंत खजाने को नहीं देख पा रहा था जो स्वयं उसके सामने खड़ा था; वह केवल नश्वर सोने-चाँदी के पीछे पड़ा था।

यीशु का उत्तर कठोर और सीधा था। उन्होंने मध्यस्थता करने से इनकार कर दिया, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने तुरंत उस व्यक्ति के हृदय की असली समस्या को पकड़ लिया। उन्होंने कहा, "सावधान रहो! और अपने आप को हर प्रकार के लालच से बचाए रखो, क्योंकि किसी का जीवन उसकी संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।" यह चेतावनी इस पूरे दृष्टांत की नींव है। यीशु हमें यह नहीं सिखा रहे हैं कि धन बुरा है, बल्कि यह सिखा रहे हैं कि "लालच" एक घातक फंदा है और जीवन का सच्चा अर्थ हमारी बैलेंस शीट या संपत्ति के स्वामित्व में नहीं पाया जा सकता।

Видео हम कौन से भण्डार बना रहे हैं? канала PREM KA SANDESH
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