रामानंद सागर कृत श्री कृष्ण भाग 24 - कंस का वासुदेव और देवकी को मारने का प्रयास
बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏
Ramanand Sagar's Shree Krishna Episode 24 - Battle of Shri Krishna with Kaliya Nag
"एक दिन श्री कृष्ण अपने मित्र मण्डली के साथ यमुना के किनारे गेंद खेल रहे थे। खेल-खेल में श्री कृष्ण से गेंद यमुना नदी के उस कुण्ड में चली जाती है जिसमें विषैला कलिया नागराज रहता है। श्री कृष्ण उस गेंद को निकालने के लिये नदी किनारे के एक पेड़ की डाल पर चढ़ कर नदी में कूदने लगते है, इस पर सभी ग्वालें और एक गोकुलवासी उन्हें मना करते है। लेकिन श्री कृष्ण उन सब की बातों को न मानते हुये कुण्ड में छलांग लगा देते है। कुण्ड के अंदर नागराज की रानियाँ श्री कृष्ण को कुण्ड के अंदर देख अचंभित हो जाती है और वह सब उसे नागराज के क्रोध से बच कर वहाँ से चले जाने के लिये कहती है। इस पर श्री कृष्ण नागरानी को माँ का संबोधन कर नागराज से बचाने के लिये कहता है। इस पर वे सभी उसे पुनः नागराज से जागने से पहले वहाँ से भाग जाने के लिये कहती है। श्री कृष्ण कहते है वह नागराज से मिले बिना नहीं जायेंगे क्योंकि नागराज कलिया ने वृंदावन को दूषित एवं यमुना जी को विषैला कर रखा होता है। नागराज कालिया कुण्ड के अंदर एक बालक को देख क्रोधित होता है, इस पर श्री कृष्ण उसे अपना परिचय देते है कि वह कालों के काल है इसलिये उसे अभी यमुना जी को छोड़कर उनके शरण में आ वहाँ से चले जाना चाहिये। लेकिन नागराज कालिया श्री कृष्ण को अपने विभिन्न फनों के बीच जकड़ कर अपने विष भरे दातों से काटकर मारने का प्रयास करता है। लेकिन श्री कृष्ण नागराज कालिया को अपने चरणों के प्रहार से घायल कर देते है। नागराज की पत्नी श्री कृष्ण से अपने पति को क्षमा करने का अनुरोध करती है। नागराज कालिया भी श्री कृष्ण से अपनी रक्षा की प्रार्थना करता है। श्री कृष्ण नागराज को यमुना जी को छोड़कर रमणक द्वीप पर जाने के लिये कहते है तो नागराज रमणक द्वीप उनके वाहन गरूण से अपने जीवन का भय व्यक्त करता है क्योंकि गरूण के भय से ही वह अपनी पत्नियों के साथ यहाँ छुपा है। इस पर कृष्ण कहते है कि अब गरूण उसे कोई नुकसान पहुँचायेगा क्योकिं उसके फनों पर उनकी चरण धूलि देख कर नमस्कार करेगा। श्री कृष्ण नागराज कालिया के फनों पर नृत्य करते हुये यमुना नदी से बाहर आते है। नागराज कालियाँ अपनी पत्नियों सहित श्री कृष्ण से मंगल आशीर्वाद ले कर वहाँ से चला जाता है।
जब कंस को श्री कृष्ण के द्वारा नागराज कालिया के फन पर नाचने की सूचना मिलती है तो वह समझ जाता है कि हो न हो श्री कृष्ण स्वयं भगवान विष्णु ही है और स्वयं अपनी सेना को ले जाकर गोकुल को भष्म कर देगा। इस चाणूर कंस को समझता है कि गोकुल के सारे लोग श्री कृष्ण को भगवान मानने लगी है इसलिये उसकी सेना गोकुल का कुछ भी नहीं कर सकती है क्योंकि भगवान के नाम पर जनता एक हो सकती है जिसका सेना कुछ भी नहीं कर सकती है। इसलिये आज रात्रि को वासुदेव व देवकी की गुप्त रूप से मार देते है और उनके पुत्र होने के कारण श्री कृष्ण मथुरा को श्राद्ध करने हेतु आना ही होगा। कंस चाणूर के गुप्त रूप से कारागार पहुँच वासुदेव और देवकी को मारने का प्रयास करता है, लेकिन उसे वहाँ पर नागराज दिखते है और नागराज की फुफकार से भयभीत हो कंस वापस आ जाता है। इधर बलराम (नागराज के मानवीय स्वरूप) सोते समय फुफकारते रहते है जिसे देख रोहिणी डर जाती है। श्री कृष्ण सबको समझा देते है कि बलराम नागराज कालिया का सपना देख रहे थे। बालकों पर संकटों को देख नंदराय यशोदा और रोहिणी के साथ गुरू जी के आश्रम जाते है। जहाँ पर महात्मा जी उनको तुलादान करने के लिये कहते है।"
Produced - Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar
निर्माता - रामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर
Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar
निर्देशक - रामानन्द सागर / आनंद सागर / मोती सागर
Chief Asst. Director - Yogee Yogindar
मुख्य सहायक निर्देशक - योगी योगिंदर
Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar
सहायक निर्देशक - राजेंद्र शुक्ला / सरिधर जेटी / ज्योति सागर
Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar
पटकथा और संवाद - संगीत - रामानन्द सागर
Camera - Avinash Satoskar
कैमरा - अविनाश सतोसकर
Music - Ravindra Jain
संगीत - रविंद्र जैन
Lyrics - Ravindra Jain
गीत - रविंद्र जैन
Playback Singers - Suresh Wadkar / Hemlata / Ravindra Jain / Arvinder Singh / Sushil
पार्श्व गायक - सुरेश वाडकर / हेमलता / रविंद्र जैन / अरविन्दर सिंह / सुशील
Editor - Girish Daada / Moreshwar / R. Mishra / Sahdev
संपादक - गिरीश दादा / मोरेश्वर / आर॰ मिश्रा / सहदेव
Cast / पात्र
Sarvadaman D. Banerjee
सर्वदमन डी. बनर्जी
Swapnil Joshi
स्वप्निल जोशी
Ashok Kumar
अशोक कुमार बालकृष्णन
Deepak Deulkar
दीपक डेओलकर
Sanjeev Sharma
संजीव शर्मा
Pinky Parikh
पिंकी पारिख
Reshma Modi
रेशमा मोदी
Shweta Rastogi
श्वेता रस्तोगी
Paulomi Mukherjee
पौलोमी मुखर्जी
Sunil Pandey
सुनील पांडेय
Damini Kanwal
दामिनी कँवल
Sulakshana Khatri
सूलक्षणा खत्री
Shahnawaz Pradhan
शाहनवाज़ प्रधान
Vilas Raj
विकास राज
Sandeep Mohan
संदीप मोहन
Mona Parekh
मोना पारेख़
Shashi Sharma
शशि शर्मा
Deepak Dave
दीपक दवे
Sagar Saini
सागर सैनी
Vijay Kavish
विजय कविश
Amit Pachori
अमित पचोरि
Pramod Kapoor
प्रमोद कपूर
Girish Pardeshi
गिरीश परदेशी
Deepali Thosar
दीपाली थोसर
Sunil Chauhan
सुनील चौहान
Mahendra Ghule
महेंद्र घुले
Raman Khatr
रमन खत्री
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Ramanand Sagar's Shree Krishna Episode 24 - Battle of Shri Krishna with Kaliya Nag
"एक दिन श्री कृष्ण अपने मित्र मण्डली के साथ यमुना के किनारे गेंद खेल रहे थे। खेल-खेल में श्री कृष्ण से गेंद यमुना नदी के उस कुण्ड में चली जाती है जिसमें विषैला कलिया नागराज रहता है। श्री कृष्ण उस गेंद को निकालने के लिये नदी किनारे के एक पेड़ की डाल पर चढ़ कर नदी में कूदने लगते है, इस पर सभी ग्वालें और एक गोकुलवासी उन्हें मना करते है। लेकिन श्री कृष्ण उन सब की बातों को न मानते हुये कुण्ड में छलांग लगा देते है। कुण्ड के अंदर नागराज की रानियाँ श्री कृष्ण को कुण्ड के अंदर देख अचंभित हो जाती है और वह सब उसे नागराज के क्रोध से बच कर वहाँ से चले जाने के लिये कहती है। इस पर श्री कृष्ण नागरानी को माँ का संबोधन कर नागराज से बचाने के लिये कहता है। इस पर वे सभी उसे पुनः नागराज से जागने से पहले वहाँ से भाग जाने के लिये कहती है। श्री कृष्ण कहते है वह नागराज से मिले बिना नहीं जायेंगे क्योंकि नागराज कलिया ने वृंदावन को दूषित एवं यमुना जी को विषैला कर रखा होता है। नागराज कालिया कुण्ड के अंदर एक बालक को देख क्रोधित होता है, इस पर श्री कृष्ण उसे अपना परिचय देते है कि वह कालों के काल है इसलिये उसे अभी यमुना जी को छोड़कर उनके शरण में आ वहाँ से चले जाना चाहिये। लेकिन नागराज कालिया श्री कृष्ण को अपने विभिन्न फनों के बीच जकड़ कर अपने विष भरे दातों से काटकर मारने का प्रयास करता है। लेकिन श्री कृष्ण नागराज कालिया को अपने चरणों के प्रहार से घायल कर देते है। नागराज की पत्नी श्री कृष्ण से अपने पति को क्षमा करने का अनुरोध करती है। नागराज कालिया भी श्री कृष्ण से अपनी रक्षा की प्रार्थना करता है। श्री कृष्ण नागराज को यमुना जी को छोड़कर रमणक द्वीप पर जाने के लिये कहते है तो नागराज रमणक द्वीप उनके वाहन गरूण से अपने जीवन का भय व्यक्त करता है क्योंकि गरूण के भय से ही वह अपनी पत्नियों के साथ यहाँ छुपा है। इस पर कृष्ण कहते है कि अब गरूण उसे कोई नुकसान पहुँचायेगा क्योकिं उसके फनों पर उनकी चरण धूलि देख कर नमस्कार करेगा। श्री कृष्ण नागराज कालिया के फनों पर नृत्य करते हुये यमुना नदी से बाहर आते है। नागराज कालियाँ अपनी पत्नियों सहित श्री कृष्ण से मंगल आशीर्वाद ले कर वहाँ से चला जाता है।
जब कंस को श्री कृष्ण के द्वारा नागराज कालिया के फन पर नाचने की सूचना मिलती है तो वह समझ जाता है कि हो न हो श्री कृष्ण स्वयं भगवान विष्णु ही है और स्वयं अपनी सेना को ले जाकर गोकुल को भष्म कर देगा। इस चाणूर कंस को समझता है कि गोकुल के सारे लोग श्री कृष्ण को भगवान मानने लगी है इसलिये उसकी सेना गोकुल का कुछ भी नहीं कर सकती है क्योंकि भगवान के नाम पर जनता एक हो सकती है जिसका सेना कुछ भी नहीं कर सकती है। इसलिये आज रात्रि को वासुदेव व देवकी की गुप्त रूप से मार देते है और उनके पुत्र होने के कारण श्री कृष्ण मथुरा को श्राद्ध करने हेतु आना ही होगा। कंस चाणूर के गुप्त रूप से कारागार पहुँच वासुदेव और देवकी को मारने का प्रयास करता है, लेकिन उसे वहाँ पर नागराज दिखते है और नागराज की फुफकार से भयभीत हो कंस वापस आ जाता है। इधर बलराम (नागराज के मानवीय स्वरूप) सोते समय फुफकारते रहते है जिसे देख रोहिणी डर जाती है। श्री कृष्ण सबको समझा देते है कि बलराम नागराज कालिया का सपना देख रहे थे। बालकों पर संकटों को देख नंदराय यशोदा और रोहिणी के साथ गुरू जी के आश्रम जाते है। जहाँ पर महात्मा जी उनको तुलादान करने के लिये कहते है।"
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संगीत - रविंद्र जैन
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गीत - रविंद्र जैन
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