पद्मावती जौहर स्थल का इतिहास (History of Rani Padmini Jauhar Sthal in Hindi) || Kanpur Boys
पद्मावती जौहर स्थल का इतिहास (History of Rani Padmini Jauhar Sthal in Hindi)
स्थान: रानी पद्मावती का जौहर स्थल भारत के राजस्थान राज्य में स्थित चित्तौड़गढ़ किला (Chittorgarh Fort) के अंदर स्थित है। यह स्थल उस ऐतिहासिक घटना से जुड़ा है जहाँ रानी पद्मावती और चित्तौड़ की अन्य वीरांगनाओं ने जौहर (सामूहिक आत्मदाह) किया था।
राजस्थान स्थित चित्तोड़गढ़ का किला रानीं पद्मनी के शौर्य और वीरता का गवाह है, जबसे फिल्म का विरोध होना शुरू हुआ लोगो के बीच इस किले को लेकर और रानी पद्मनी को जानने की उत्सुकता बढ़ गयी।
चित्तोड़गढ़ किले के इतिहास पर नजर डाली जाए, तो इस किले में तीन बार जौहर हो चुका है। सबसे पहली बार रानी पद्मनी ने राजपूत महिलायों के साथ इस जौहर किया था, उसी कुंड में राजपुताना आन की खातिर दो बार राजसी परिवार की महिलायों अग्नि में समा गईं।
कथा का पृष्ठभूमि:
रानी पद्मावती (या पद्मिनी) सिंहल (आज का श्रीलंका) की राजकुमारी थीं, जिनका विवाह मेवाड़ के राजा रतन सिंह से हुआ था। उनकी सुंदरता और बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी।
अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण (1303 ई.)
दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती की सुंदरता के बारे में सुना और उसे पाने की इच्छा से चित्तौड़ पर हमला किया।
राजा रतन सिंह ने उसे रानी के दर्शन की अनुमति देने से इनकार कर दिया, लेकिन राजनयिक छल से खिलजी ने राजा को बंदी बना लिया।
रानी पद्मावती की चतुराई से राजा को छुड़ाने की योजना बनी और युद्ध हुआ।
जौहर की घटना:
जब यह स्पष्ट हो गया कि चित्तौड़ को बचा पाना असंभव है और किला टूटने वाला है, तब रानी पद्मावती ने चित्तौड़ की सभी स्त्रियों के साथ जौहर करने का निर्णय लिया।
उन्होंने विशेष जौहर कुंड (जौहर स्थल) में आग प्रज्वलित कर दी और हजारों महिलाओं ने उसकी लपटों में स्वयं को समर्पित कर दिया।
इसके बाद राजपूत योद्धाओं ने “साका” किया – अंतिम युद्ध – जिसमें वे वीरगति को प्राप्त हुए।
जौहर स्थल का महत्व:
यह स्थान राजपूती शौर्य, बलिदान और स्वाभिमान का प्रतीक है।
आज भी इस स्थल पर लोग श्रद्धा से सिर झुकाते हैं और रानी पद्मावती की वीरता को स्मरण करते हैं।
हर साल ‘जौहर मेला’ आयोजित होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
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स्थान: रानी पद्मावती का जौहर स्थल भारत के राजस्थान राज्य में स्थित चित्तौड़गढ़ किला (Chittorgarh Fort) के अंदर स्थित है। यह स्थल उस ऐतिहासिक घटना से जुड़ा है जहाँ रानी पद्मावती और चित्तौड़ की अन्य वीरांगनाओं ने जौहर (सामूहिक आत्मदाह) किया था।
राजस्थान स्थित चित्तोड़गढ़ का किला रानीं पद्मनी के शौर्य और वीरता का गवाह है, जबसे फिल्म का विरोध होना शुरू हुआ लोगो के बीच इस किले को लेकर और रानी पद्मनी को जानने की उत्सुकता बढ़ गयी।
चित्तोड़गढ़ किले के इतिहास पर नजर डाली जाए, तो इस किले में तीन बार जौहर हो चुका है। सबसे पहली बार रानी पद्मनी ने राजपूत महिलायों के साथ इस जौहर किया था, उसी कुंड में राजपुताना आन की खातिर दो बार राजसी परिवार की महिलायों अग्नि में समा गईं।
कथा का पृष्ठभूमि:
रानी पद्मावती (या पद्मिनी) सिंहल (आज का श्रीलंका) की राजकुमारी थीं, जिनका विवाह मेवाड़ के राजा रतन सिंह से हुआ था। उनकी सुंदरता और बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी।
अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण (1303 ई.)
दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती की सुंदरता के बारे में सुना और उसे पाने की इच्छा से चित्तौड़ पर हमला किया।
राजा रतन सिंह ने उसे रानी के दर्शन की अनुमति देने से इनकार कर दिया, लेकिन राजनयिक छल से खिलजी ने राजा को बंदी बना लिया।
रानी पद्मावती की चतुराई से राजा को छुड़ाने की योजना बनी और युद्ध हुआ।
जौहर की घटना:
जब यह स्पष्ट हो गया कि चित्तौड़ को बचा पाना असंभव है और किला टूटने वाला है, तब रानी पद्मावती ने चित्तौड़ की सभी स्त्रियों के साथ जौहर करने का निर्णय लिया।
उन्होंने विशेष जौहर कुंड (जौहर स्थल) में आग प्रज्वलित कर दी और हजारों महिलाओं ने उसकी लपटों में स्वयं को समर्पित कर दिया।
इसके बाद राजपूत योद्धाओं ने “साका” किया – अंतिम युद्ध – जिसमें वे वीरगति को प्राप्त हुए।
जौहर स्थल का महत्व:
यह स्थान राजपूती शौर्य, बलिदान और स्वाभिमान का प्रतीक है।
आज भी इस स्थल पर लोग श्रद्धा से सिर झुकाते हैं और रानी पद्मावती की वीरता को स्मरण करते हैं।
हर साल ‘जौहर मेला’ आयोजित होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
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