श्री कृष्ण लीला | बर्ब्रिक (खाटू श्याम जी) की जनम कथा
https://youtu.be/_mSMYt-XCBA
मधुराष्टकम्। नीति मोहन।सिद्धार्थ अमित भावसार। श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेष। तिलक प्रस्तुति
https://youtu.be/6NmX-ActJ20
बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद।
Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - https://youtu.be/j7EQePGkak0
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एक बार जब मुरा ने स्वर्ग पर हमला कर दिया और वह देवताओं से युद्ध कर रहा था लेकिन उसे कोई भी देवता हरा नहीं पा रहा था। तो श्री कृष्ण उस से युद्ध करने के लिए जाते हैं उसका वध कर देते हैं। मुरा का वध करने के कारण उनका नाम मुरारी पड़ जाता है। मुरा की पुत्री को जब अपने पिता की मृत्यु का पता चलता है तो वह श्री कृष्ण को मारने की प्रतिज्ञा करती है और श्री कृष्ण से युद्ध करने आ जाती है। कामकंटका श्री कृष्ण और बलराम से युद्ध शुरू कर देती है। कामकंटका बलराम पर वार कर उन्हें अचेत कर देती है। जब वह श्री कृष्ण पर हमला करती है तो उसका कोई भी अस्त्र श्री कृष्ण को हानि नहीं पहुँचा पाता। श्री कृष्ण कामकंटका को मारने के लिए जैसे ही सुदर्शन का आह्वान करते हैं तो कामख्या देवी वहाँ आकर श्री कृष्ण से कामकंटका का वध करने से रोकती हैं। कामकंटका को देवी माँ बताती है की श्री कृष्ण स्वयं भगवान विष्णु हैं। कामकंटका माता की बात सुन श्री कृष्ण से क्षम माँगती है।
श्री कृष्ण उसे माफ़ कर देते हैं और उसे वरदान देते हैं की तुम ऐसे पुत्र को जनम दोगी जो भविष्य में अजय होगा और महान तपस्वी के साथ महान योद्धा भी होगा और जो धर्म और महान शक्ति का संगम होगा। श्री कृष्ण कामकंटका को एक अजय पुत्र प्राप्ति का वरदान देते हैं। श्री कृष्ण कामकंटका का विवाह भीम पुत्र घटोत्कच के साथ तय कर देते हैं। यह समाचार देने के लिए श्री कृष्ण घटोत्कच को वहीं बुला लेते हैं। श्री कृष्ण हिड़िंबा की तपस्या स्थली पर जाते हैं और उसे दर्शन देते हैं और उसे बताते हैं की मैंने घटोत्कच का विवाह कामकंटका के साथ तय कर दिया है। कामकंटका और घटोत्कच कि पुत्र बर्ब्रिक को तुम्हें शिक्षा और दीक्षा भी देनी है। घटोत्कच का विवाह कामकंटका के साथ इंद्र्प्र्स्थ में कर दिया जाता है।
कुछ समय बाद कामकंटका ने एक सुंदर बालक को जनम दिया। हिडिंबा उस बालक बर्ब्रिक को धार्मिक ज्ञान और कथाएँ सुनते हुए उसे धर्मात्मा बनाने की प्रक्रिया शुरू कर देती है। बर्ब्रिक धीरे धीरे बड़ा होता जाता है। बर्ब्रिक श्री कृष्ण द्वारा मुक्ति पाने के लिए घोर तपस्या करता है और अस्त्र शस्त्र पाने के लिए मां दुर्गा की आराधना करता है। माँ गौरी ने उससे प्रसन्न हो कर उसे अपने नौ रूपों के दर्शन दिए और उसे वरदान में तीनों लोको का सबसे अधिक बलशाली बना दे देती हैं और उसे वहीं पर सिद्धमाता की तपस्या करने के लिए कहा सिद्ध माता से उसने दिव्य अस्त्र प्राप्त किया। एक दिन जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तो बर्ब्रिक भी युद्ध में शामिल होने के लिए अकेले चल पड़ता है ताकि इस युद्ध में होने वाले संहार को रोक सके।
श्री कृष्ण एक ब्राह्मण का रूप भर के बर्ब्रिक को रस्ते में मिलने आ जाते हैं। श्री कृष्ण खुद को पांडवों का पुरोहित बताते हैं और बर्ब्रिक से पूछते हैं की तुम अकेले बिना सेना के युद्ध में शामिल होने जा रहे हो तुम युद्ध कैसे लड़ोगे तो इस पर बर्ब्रिक कहता है की मैं अकेले ही काफ़ी हूँ। बर्ब्रिक अपनी शक्ति को देखने के लिए एक वृक्ष के सारे पत्तों को एक ही बाण से भेदने की बात कहता है और वह बाण चलाने के लिए तैयार होता है तो श्री कृष्ण एक पत्ते को अपने पैर के नीचे और एक को अपने हाथ में छुपा लेते हैं लेकिन जैसे ही बर्ब्रिक बाण चलाता है तो सभी पत्तों में छेद हो जाता है और जब श्री कृष्ण अपने हाथ के पत्ते और पैर के नीचे दबे पत्ते को देखते हैं तो वह भी बर्ब्रिक द्वारा बेद दिए गए थे।
श्री कृष्ण बर्ब्रिक की शक्ति देख उसे युद्ध में जाने से मना करते हैं क्योंकि वह युद्ध को क्षण भर में समाप्त कर सकता है। बर्ब्रिक ब्राह्मण की आज्ञा नहीं मानता और जैसे ही श्री कृष्ण उसे रोकते हैं तो वह पांडवों और उनकी सेना को एक ही बाण से संपत करने के लिए तैयार हो जाता है। श्री कृष्ण बर्ब्रिक को सुदर्शन चक्र से मार देते हैं लेकिन बर्ब्रिक का कटा सर श्री कृष्ण को बताता है की मैं आपको पहले ही पहचान गया था लेकिन आपके हाथों मोक्ष प्राप्त करने के लिए आप को अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। श्री कृष्ण से बर्ब्रिक महाभारत में होने वाली उनकी लीला को देखना चाहता था तो वह श्री कृष्ण से इसकी प्रार्थना करता है। श्री कृष्ण उसकी बात मान लेते हैं और उसका कटा हुआ सिर पूरा महाभारत का युद्ध देखता है।
श्री कृष्ण के सभी एपिसोड और भजन देखने के लिए Subscribe करें तिलक YouTube चैनल को।
Subscribe to Tilak for more devotional contents - https://bit.ly/SubscribeTilak
Produced - Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar
Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar
Chief Asst. Director - Yogee Yogindar
Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar
Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar
Camera - Avinash Satoskar
Music - Ravindra Jain
Lyrics - Ravindra Jain
Playback Singers - Suresh Wadkar / Hemlata / Ravindra Jain / Arvinder Singh / Sushil
Editor - Girish Daada / Moreshwar / R. Mishra / Sahdev
#SriKrishna #SriKrishnaonYouTube
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मधुराष्टकम्। नीति मोहन।सिद्धार्थ अमित भावसार। श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेष। तिलक प्रस्तुति
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एक बार जब मुरा ने स्वर्ग पर हमला कर दिया और वह देवताओं से युद्ध कर रहा था लेकिन उसे कोई भी देवता हरा नहीं पा रहा था। तो श्री कृष्ण उस से युद्ध करने के लिए जाते हैं उसका वध कर देते हैं। मुरा का वध करने के कारण उनका नाम मुरारी पड़ जाता है। मुरा की पुत्री को जब अपने पिता की मृत्यु का पता चलता है तो वह श्री कृष्ण को मारने की प्रतिज्ञा करती है और श्री कृष्ण से युद्ध करने आ जाती है। कामकंटका श्री कृष्ण और बलराम से युद्ध शुरू कर देती है। कामकंटका बलराम पर वार कर उन्हें अचेत कर देती है। जब वह श्री कृष्ण पर हमला करती है तो उसका कोई भी अस्त्र श्री कृष्ण को हानि नहीं पहुँचा पाता। श्री कृष्ण कामकंटका को मारने के लिए जैसे ही सुदर्शन का आह्वान करते हैं तो कामख्या देवी वहाँ आकर श्री कृष्ण से कामकंटका का वध करने से रोकती हैं। कामकंटका को देवी माँ बताती है की श्री कृष्ण स्वयं भगवान विष्णु हैं। कामकंटका माता की बात सुन श्री कृष्ण से क्षम माँगती है।
श्री कृष्ण उसे माफ़ कर देते हैं और उसे वरदान देते हैं की तुम ऐसे पुत्र को जनम दोगी जो भविष्य में अजय होगा और महान तपस्वी के साथ महान योद्धा भी होगा और जो धर्म और महान शक्ति का संगम होगा। श्री कृष्ण कामकंटका को एक अजय पुत्र प्राप्ति का वरदान देते हैं। श्री कृष्ण कामकंटका का विवाह भीम पुत्र घटोत्कच के साथ तय कर देते हैं। यह समाचार देने के लिए श्री कृष्ण घटोत्कच को वहीं बुला लेते हैं। श्री कृष्ण हिड़िंबा की तपस्या स्थली पर जाते हैं और उसे दर्शन देते हैं और उसे बताते हैं की मैंने घटोत्कच का विवाह कामकंटका के साथ तय कर दिया है। कामकंटका और घटोत्कच कि पुत्र बर्ब्रिक को तुम्हें शिक्षा और दीक्षा भी देनी है। घटोत्कच का विवाह कामकंटका के साथ इंद्र्प्र्स्थ में कर दिया जाता है।
कुछ समय बाद कामकंटका ने एक सुंदर बालक को जनम दिया। हिडिंबा उस बालक बर्ब्रिक को धार्मिक ज्ञान और कथाएँ सुनते हुए उसे धर्मात्मा बनाने की प्रक्रिया शुरू कर देती है। बर्ब्रिक धीरे धीरे बड़ा होता जाता है। बर्ब्रिक श्री कृष्ण द्वारा मुक्ति पाने के लिए घोर तपस्या करता है और अस्त्र शस्त्र पाने के लिए मां दुर्गा की आराधना करता है। माँ गौरी ने उससे प्रसन्न हो कर उसे अपने नौ रूपों के दर्शन दिए और उसे वरदान में तीनों लोको का सबसे अधिक बलशाली बना दे देती हैं और उसे वहीं पर सिद्धमाता की तपस्या करने के लिए कहा सिद्ध माता से उसने दिव्य अस्त्र प्राप्त किया। एक दिन जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तो बर्ब्रिक भी युद्ध में शामिल होने के लिए अकेले चल पड़ता है ताकि इस युद्ध में होने वाले संहार को रोक सके।
श्री कृष्ण एक ब्राह्मण का रूप भर के बर्ब्रिक को रस्ते में मिलने आ जाते हैं। श्री कृष्ण खुद को पांडवों का पुरोहित बताते हैं और बर्ब्रिक से पूछते हैं की तुम अकेले बिना सेना के युद्ध में शामिल होने जा रहे हो तुम युद्ध कैसे लड़ोगे तो इस पर बर्ब्रिक कहता है की मैं अकेले ही काफ़ी हूँ। बर्ब्रिक अपनी शक्ति को देखने के लिए एक वृक्ष के सारे पत्तों को एक ही बाण से भेदने की बात कहता है और वह बाण चलाने के लिए तैयार होता है तो श्री कृष्ण एक पत्ते को अपने पैर के नीचे और एक को अपने हाथ में छुपा लेते हैं लेकिन जैसे ही बर्ब्रिक बाण चलाता है तो सभी पत्तों में छेद हो जाता है और जब श्री कृष्ण अपने हाथ के पत्ते और पैर के नीचे दबे पत्ते को देखते हैं तो वह भी बर्ब्रिक द्वारा बेद दिए गए थे।
श्री कृष्ण बर्ब्रिक की शक्ति देख उसे युद्ध में जाने से मना करते हैं क्योंकि वह युद्ध को क्षण भर में समाप्त कर सकता है। बर्ब्रिक ब्राह्मण की आज्ञा नहीं मानता और जैसे ही श्री कृष्ण उसे रोकते हैं तो वह पांडवों और उनकी सेना को एक ही बाण से संपत करने के लिए तैयार हो जाता है। श्री कृष्ण बर्ब्रिक को सुदर्शन चक्र से मार देते हैं लेकिन बर्ब्रिक का कटा सर श्री कृष्ण को बताता है की मैं आपको पहले ही पहचान गया था लेकिन आपके हाथों मोक्ष प्राप्त करने के लिए आप को अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। श्री कृष्ण से बर्ब्रिक महाभारत में होने वाली उनकी लीला को देखना चाहता था तो वह श्री कृष्ण से इसकी प्रार्थना करता है। श्री कृष्ण उसकी बात मान लेते हैं और उसका कटा हुआ सिर पूरा महाभारत का युद्ध देखता है।
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