Sahiwal cow ki pahachan,साहिवाल गाय की पहचान कैसे करें।ठगने से बचें। how identify pure sahiwal cow,
Sahiwal cow best sahiwal cow, साहीवाल गाय की पहचान क्या 2 हैं।सबसे अच्छी साहीवाल गाय को कैसे पहचाने
इस नसल का पिछला जिला मोंटगोमेरी (पाकिस्तान) है। इस नसल के पशुओं के शरीर का रंग लाल-भूरा, आकार मध्यम, छोटी टांगे, सिर चौड़ा होता है। छोटे और भारी सींग, गर्दन के नीचे लटकती हुई भारी चमड़ी और भारी लेवा होता है। यह सबसे ज्यादा दूध देने वाली भारतीय नसल है। यह नसल पंजाब के फिरोजपुर और अमृतसर जिलों में और राजस्थान के श्री गंगानगर जिले में पायी जाती है। पंजाब में फिरोजपुर जिले के फाज़िलका और अबोहर कस्बों में शुद्ध साहीवाल गायों के झुंड उपलब्ध रहते हैं। इस नसल के बैल सुस्त और काम में धीमे होते हैं। इस नसल को लंबी बार, लोला, मोंटगोमेरी, मुल्तानी और तेली के नाम से जाना जाता है। इस नसल के प्रौढ़ बैल का औसतन भार 5.5 क्विंटल और गाय का औसतन भार 4 क्विंटल होता ।
देखभाल
शैड की आवश्यकता
अच्छे प्रदर्शन के लिए, पशुओं को अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवी से बचाने के लिए शैड की आवश्यकता होती है। सुनिश्चित करें कि चुने हुए शैड में साफ हवा और पानी की सुविधा होनी चाहिए। पशुओं की संख्या के अनुसान भोजन के लिए जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें। पशुओं के व्यर्थ पदार्थ की निकास पाइप 30-40 सैं.मी. चौड़ी और 5-7 सैं.मी. गहरी होनी चाहिए।
गाभिन पशुओं क देखभाल
अच्छे प्रबंधन का परिणाम अच्छे बछड़े में होगा और दूध की मात्रा भी अधिक मिलती है। गाभिन गाय को 1 किलो अधिक फीड दें, क्योंकि वे शारीरिक रूप से भी बढ़ती है।
बछड़ों की देखभाल और प्रबंधन
जन्म के तुरंत बाद नाक या मुंह के आस पास चिपचिपे पदार्थ को साफ करना चाहिए। यदि बछड़ा सांस नहीं ले रहा है तो उसे दबाव द्वारा बनावटी सांस दें और हाथों से उसकी छाती को दबाकर आराम दें। शरीर से 2-5 सैं.मी. की दूरी पर से नाभि को बांधकर नाडू को काट दें। 1-2 प्रतिशत आयोडीन की मदद से नाभि के आस पास से साफ करना चाहिए।
सिफारिश किए गए टीके
जन्म के 7-10 दिनों के बाद इलैक्ट्रीकल ढंग से कटड़े के सींग दागने चाहिए। 30 दिनों के नियमित अंतराल पर डीवार्मिंग देनी चाहिए। 2-3 सप्ताह के कटड़े को विषाणु श्वसन टीका दें। क्लोस्ट्रीडायल टीकाकरण 1-3 महीने के बछड़े को दें।
गाय को भारत में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है. मगर वही गाय हिंदू बहुल भारत और मुस्लिम बहुल पाकिस्तान को एकजुट कर रही है.
संक्षेप में कहें तो साहीवाल नस्ल की गाय दोनों देशों को जोड़ रही है. यह गाय ज़्यादातर पाकिस्तानी पंजाब में मिलती है और भारतीय पंजाब में विलुप्त होने के कगार पर है.
क़ानूनी अड़चनें दोनों देशों को इस मुद्दे पर सहयोग नहीं करने दे रही हैं. नतीजा यह कि औषधीय गुणों वाला दूध देने वाली साहीवाल गाय अब भारत में कुछ हज़ार बची हैं तो पाकिस्तान में लाखों में हैं.
Видео Sahiwal cow ki pahachan,साहिवाल गाय की पहचान कैसे करें।ठगने से बचें। how identify pure sahiwal cow, канала khet kisan
इस नसल का पिछला जिला मोंटगोमेरी (पाकिस्तान) है। इस नसल के पशुओं के शरीर का रंग लाल-भूरा, आकार मध्यम, छोटी टांगे, सिर चौड़ा होता है। छोटे और भारी सींग, गर्दन के नीचे लटकती हुई भारी चमड़ी और भारी लेवा होता है। यह सबसे ज्यादा दूध देने वाली भारतीय नसल है। यह नसल पंजाब के फिरोजपुर और अमृतसर जिलों में और राजस्थान के श्री गंगानगर जिले में पायी जाती है। पंजाब में फिरोजपुर जिले के फाज़िलका और अबोहर कस्बों में शुद्ध साहीवाल गायों के झुंड उपलब्ध रहते हैं। इस नसल के बैल सुस्त और काम में धीमे होते हैं। इस नसल को लंबी बार, लोला, मोंटगोमेरी, मुल्तानी और तेली के नाम से जाना जाता है। इस नसल के प्रौढ़ बैल का औसतन भार 5.5 क्विंटल और गाय का औसतन भार 4 क्विंटल होता ।
देखभाल
शैड की आवश्यकता
अच्छे प्रदर्शन के लिए, पशुओं को अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवी से बचाने के लिए शैड की आवश्यकता होती है। सुनिश्चित करें कि चुने हुए शैड में साफ हवा और पानी की सुविधा होनी चाहिए। पशुओं की संख्या के अनुसान भोजन के लिए जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें। पशुओं के व्यर्थ पदार्थ की निकास पाइप 30-40 सैं.मी. चौड़ी और 5-7 सैं.मी. गहरी होनी चाहिए।
गाभिन पशुओं क देखभाल
अच्छे प्रबंधन का परिणाम अच्छे बछड़े में होगा और दूध की मात्रा भी अधिक मिलती है। गाभिन गाय को 1 किलो अधिक फीड दें, क्योंकि वे शारीरिक रूप से भी बढ़ती है।
बछड़ों की देखभाल और प्रबंधन
जन्म के तुरंत बाद नाक या मुंह के आस पास चिपचिपे पदार्थ को साफ करना चाहिए। यदि बछड़ा सांस नहीं ले रहा है तो उसे दबाव द्वारा बनावटी सांस दें और हाथों से उसकी छाती को दबाकर आराम दें। शरीर से 2-5 सैं.मी. की दूरी पर से नाभि को बांधकर नाडू को काट दें। 1-2 प्रतिशत आयोडीन की मदद से नाभि के आस पास से साफ करना चाहिए।
सिफारिश किए गए टीके
जन्म के 7-10 दिनों के बाद इलैक्ट्रीकल ढंग से कटड़े के सींग दागने चाहिए। 30 दिनों के नियमित अंतराल पर डीवार्मिंग देनी चाहिए। 2-3 सप्ताह के कटड़े को विषाणु श्वसन टीका दें। क्लोस्ट्रीडायल टीकाकरण 1-3 महीने के बछड़े को दें।
गाय को भारत में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है. मगर वही गाय हिंदू बहुल भारत और मुस्लिम बहुल पाकिस्तान को एकजुट कर रही है.
संक्षेप में कहें तो साहीवाल नस्ल की गाय दोनों देशों को जोड़ रही है. यह गाय ज़्यादातर पाकिस्तानी पंजाब में मिलती है और भारतीय पंजाब में विलुप्त होने के कगार पर है.
क़ानूनी अड़चनें दोनों देशों को इस मुद्दे पर सहयोग नहीं करने दे रही हैं. नतीजा यह कि औषधीय गुणों वाला दूध देने वाली साहीवाल गाय अब भारत में कुछ हज़ार बची हैं तो पाकिस्तान में लाखों में हैं.
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