यहूदी धर्म के जनक अब्राहम Abraham का इतिहास / in Hindi / यहूदी ,इसाई और इस्लाम
यहूदी धर्म के जनक अब्राहम का इतिहास | Abraham History in Hindi
महापुरुष अब्राहम Abraham (1821 ई.पु. – 1996 ई.पु. ) ने उर (आधुनिक ईराक ) के एक सामान्य नागरिक के रूप में अपने जीवन की शुरुवात की थी | इतिहास उन्हें सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में याद करता है |विश्व के तीन बड़े धर्म – यहूदी ,इसाई और इस्लाम अपने मूल में अब्राहम की प्रेरणा को स्वीकार करते है | यहूदी परम्परा के अनुसार माना जाता है कि अब्राहम का जन्म बेबीलोनिया के उर नगर में हुआ था | उनके पिता टेरोच एक मूर्ति व्यापारी थे | बचपन से ही अब्राहम मूर्ति पूजा का विरोध करने लगे थे और सत्य की खोज करना चाहते थे | उनका मानना था कि समूचे ब्रह्मांड का निर्माण किसी एक ही ईश्वर ने किया है | अपने इस मत का वे प्रचार भी करने लगे थे |
Abraham अब्राहम ने अपने पिता को मूर्ति पूजा की निरर्थकता के बारे में समझाने का प्रयास किया था | एक दिन अब्राहम जब दूकान में अकेले थे तो उन्होंने हथौड़े की सहायता से सारी मूर्तियों को नष्ट कर दिया और एक सबसे बड़ी मूर्ति को छोड़ दिया | उन्होंने बड़ी मूर्ति के हाथ में हथौडे को रख दिया था | जब पिता ने लौटकर मूर्तियों के अवशेष को देखा तो पुत्र से उसका कारण पूछा | अब्राहम ने कहा “मूर्तियों के बीच लड़ाई हो गयी और सबसे बड़ी मूर्ति ने सभी मूर्तियों को नष्ट कर डाला”|
पिता ने कहा “मेरे साथ मजाक मत करो | वे सभी बेजान मुर्तिया थी | वे आपस में लड़ाई कैसे कर सकती है ?” | तब अब्राहम ने पूछा “फिर आप उनकी पूजा क्यों करते है “| बाद में जिस एक ईश्वर की आराधना अब्राहम करते थे उस इश्वर ने अब्राहम के सामने एक प्रस्ताव रखा कि अगर वे अपना घर परिवार छोड़ दे ,तो ईश्वर उन्हें एक राज्य दे देगा और उन पर अपनी अनुकम्पा बनाये रखेगा | अब्राहम ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया |इस तरह ईश्वर और यहूदी लोगो के बीच संबध कायम हुआ |
ईश्वर से संबध यहूदी मत का बुनियादी विचार माना जाता है | इसके तहत माना जाता है कि अनुयायियों को जहा ईश्वर के प्रति कुछ कर्तव्य निभाने पड़ते है वही ईश्वर भी अपने अनुयायियों के प्रति कर्तव्य को निभाता है | इस सम्पर्क के लिए योग्य व्यक्ति होने की परीक्षा अब्राहम को दस बार देनी पड़ी | उन्हें घर परिवार छोड़ना पड़ा | एक मूर्ति व्यापारी के परिवार में पले बढ़े अब्राहम अब बंजारे की तरह जीने लगे और जिस भूमि को आज इजराइल के नाम से जाना जाता है उसी भूमि पर विचरण करने लगे |
इश्वर ने यह भूमि Abraham अब्राहम के वंशजो को देने का वादा किया | अब्राहम का उल्लेख हिब्रू के नाम से भी किया गया अहि जिसका अर्थ है कि युफरेट्स नदी के उस पार से आये थे | लेकिन अब्राहम चिंतित थे | उनके कोई सन्तान नही थी और वे वृद्ध होते जा रहे थे | उनकी प्रिय पत्नी सराई भी जानती थी कि अधेड़ावस्था में वह माँ नही बन सकते थी इसलिए उसने अपनी दासी हागर को पत्नी के रूप में अब्राहम के समक्ष पेश कर दिया |
उस जमाने में बहु विवाह का प्रचलन था | यहूदी परम्परा में माना गया है कि हागर फ़ारो की बेटी थी | जब Abraham अब्राहम मिस्त्र की यात्रा पर गये थे ,तब फ़ारो ने हागर को उनके हवाले किया था | हागर ने इस्माईल नाम पुत्र को जन्म दिया | यहूदी और मुस्लिम मान्यता में इस्माइल को अरबो का पूर्वज माना जाता है | जब अब्राहम 100 वर्ष के थे और सराई 90 वर्ष की थी तब ईश्वर ने सराई को पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया | सराई ने इसाक नाम पुत्र जा जन्म दिया | ईसाक को यहूदियों का पूर्वज माना जाता है | 175 वर्ष की आयु में Abraham अब्राहम का देहांत हो गया |
Please like, share & comment.
and don't forget to subscribe...
Thank you
have a good dayy....
Видео यहूदी धर्म के जनक अब्राहम Abraham का इतिहास / in Hindi / यहूदी ,इसाई और इस्लाम канала Nello Tv
महापुरुष अब्राहम Abraham (1821 ई.पु. – 1996 ई.पु. ) ने उर (आधुनिक ईराक ) के एक सामान्य नागरिक के रूप में अपने जीवन की शुरुवात की थी | इतिहास उन्हें सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में याद करता है |विश्व के तीन बड़े धर्म – यहूदी ,इसाई और इस्लाम अपने मूल में अब्राहम की प्रेरणा को स्वीकार करते है | यहूदी परम्परा के अनुसार माना जाता है कि अब्राहम का जन्म बेबीलोनिया के उर नगर में हुआ था | उनके पिता टेरोच एक मूर्ति व्यापारी थे | बचपन से ही अब्राहम मूर्ति पूजा का विरोध करने लगे थे और सत्य की खोज करना चाहते थे | उनका मानना था कि समूचे ब्रह्मांड का निर्माण किसी एक ही ईश्वर ने किया है | अपने इस मत का वे प्रचार भी करने लगे थे |
Abraham अब्राहम ने अपने पिता को मूर्ति पूजा की निरर्थकता के बारे में समझाने का प्रयास किया था | एक दिन अब्राहम जब दूकान में अकेले थे तो उन्होंने हथौड़े की सहायता से सारी मूर्तियों को नष्ट कर दिया और एक सबसे बड़ी मूर्ति को छोड़ दिया | उन्होंने बड़ी मूर्ति के हाथ में हथौडे को रख दिया था | जब पिता ने लौटकर मूर्तियों के अवशेष को देखा तो पुत्र से उसका कारण पूछा | अब्राहम ने कहा “मूर्तियों के बीच लड़ाई हो गयी और सबसे बड़ी मूर्ति ने सभी मूर्तियों को नष्ट कर डाला”|
पिता ने कहा “मेरे साथ मजाक मत करो | वे सभी बेजान मुर्तिया थी | वे आपस में लड़ाई कैसे कर सकती है ?” | तब अब्राहम ने पूछा “फिर आप उनकी पूजा क्यों करते है “| बाद में जिस एक ईश्वर की आराधना अब्राहम करते थे उस इश्वर ने अब्राहम के सामने एक प्रस्ताव रखा कि अगर वे अपना घर परिवार छोड़ दे ,तो ईश्वर उन्हें एक राज्य दे देगा और उन पर अपनी अनुकम्पा बनाये रखेगा | अब्राहम ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया |इस तरह ईश्वर और यहूदी लोगो के बीच संबध कायम हुआ |
ईश्वर से संबध यहूदी मत का बुनियादी विचार माना जाता है | इसके तहत माना जाता है कि अनुयायियों को जहा ईश्वर के प्रति कुछ कर्तव्य निभाने पड़ते है वही ईश्वर भी अपने अनुयायियों के प्रति कर्तव्य को निभाता है | इस सम्पर्क के लिए योग्य व्यक्ति होने की परीक्षा अब्राहम को दस बार देनी पड़ी | उन्हें घर परिवार छोड़ना पड़ा | एक मूर्ति व्यापारी के परिवार में पले बढ़े अब्राहम अब बंजारे की तरह जीने लगे और जिस भूमि को आज इजराइल के नाम से जाना जाता है उसी भूमि पर विचरण करने लगे |
इश्वर ने यह भूमि Abraham अब्राहम के वंशजो को देने का वादा किया | अब्राहम का उल्लेख हिब्रू के नाम से भी किया गया अहि जिसका अर्थ है कि युफरेट्स नदी के उस पार से आये थे | लेकिन अब्राहम चिंतित थे | उनके कोई सन्तान नही थी और वे वृद्ध होते जा रहे थे | उनकी प्रिय पत्नी सराई भी जानती थी कि अधेड़ावस्था में वह माँ नही बन सकते थी इसलिए उसने अपनी दासी हागर को पत्नी के रूप में अब्राहम के समक्ष पेश कर दिया |
उस जमाने में बहु विवाह का प्रचलन था | यहूदी परम्परा में माना गया है कि हागर फ़ारो की बेटी थी | जब Abraham अब्राहम मिस्त्र की यात्रा पर गये थे ,तब फ़ारो ने हागर को उनके हवाले किया था | हागर ने इस्माईल नाम पुत्र को जन्म दिया | यहूदी और मुस्लिम मान्यता में इस्माइल को अरबो का पूर्वज माना जाता है | जब अब्राहम 100 वर्ष के थे और सराई 90 वर्ष की थी तब ईश्वर ने सराई को पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया | सराई ने इसाक नाम पुत्र जा जन्म दिया | ईसाक को यहूदियों का पूर्वज माना जाता है | 175 वर्ष की आयु में Abraham अब्राहम का देहांत हो गया |
Please like, share & comment.
and don't forget to subscribe...
Thank you
have a good dayy....
Видео यहूदी धर्म के जनक अब्राहम Abraham का इतिहास / in Hindi / यहूदी ,इसाई और इस्लाम канала Nello Tv
Показать
Комментарии отсутствуют
Информация о видео
Другие видео канала
Why Jews Didn't Believe In Jesus As Messiah? ~ Hindi ~ Preach The Word Deepakइस्लाम धर्म की स्थापना कैसे हुई || History of Islam In HindiRSTV Vishesh – May 14, 2018: Jerusalem | येरुशलमHistory of Jews - Facts about Judaism, What are the Abrahamic religions? Why Jews were persecuted?ईसाई धर्म का इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्ययाकूब और एसाव की कहानी का संक्षिप्त विवरण / Jacob and Esau /Bible story in hindi 🙏How to Welcome the Return of the Lord Jesus | Hindi Christian Movie "द्वार पर दस्तक" (Hindi Dubbed)हर वक्त खुश रहने के लिए क्या करें? | Sadhguru HindiIsrael Palestine Conflict क्या है ?- पूरा इतिहास जानिये -UPSC/IAS/PSCDan Gibsons पहली बार मक्का की सबसे बडी मक्कारी का खुलासा।Muslim होते हुए भी एक-दूसरे से क्यों नफरत करते हैं Shia और Sunni ?History of Ottoman Empire Part 1 तुर्क साम्राज्य Know full chronology from Rise, Expansion & Fallहमारे अस्तित्व के दो मुलभुत आयाम, जो आपकी किस्मत बदल दे। | Sadhguru Latest Hindi Speeches 2020जानिये क्या है यहूदी धर्म का आस्तित्व और क्या है भारत से इनका रिश्तायहूदी अजान कैसे देते हैं और मुस्लिम कैसे देते हैं दोनों का फर्क जानेमूर्ति पूजा पाप है शैतान इसका बाप हैपैगम्बर इब्राहीम और भगवान ब्रह्मा में इतनी समानता क्यों ? Who Is Abraham ? || Dark Mystery#14.1 जीवन शक्ति का उपयोग|| Use Of Life Power OSHO Hindi Talk Pravachan Speech on Buddha's Dhamm Padमुसलमान ईसा को मानते हैं पर क्यों नहीं मनाते क्रिसमस