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Ghagh-Bhaddari | proverbs | घाघ- भड्डरी | की कहावतें Part -3

Ghagh-Bhaddari | proverbs | घाघ- भड्डरी | की कहावतें Part -3
@Ghagh-Bhaddari | proverbs | घाघ- भड्डरी | की कहावतें Part -3
#Ghagh-Bhaddari | proverbs | घाघ- भड्डरी | की कहावतें Part -3
घाघ की बात घाघ की कहावत घाघ की जानकारी
घाघ के जन्मकाल एवं जन्मस्थान के संबंध में बड़ा मतभेद है। इनकी जन्मभूमि कन्नौज के पास चौधरी सराय नामक ग्राम बताई जाती है। शिवसिंह सरोज का मत है कि इनका जन्म सं. 1753 में हुआ था, किंतु पं.रामनरेश त्रिपाठी ने बहुत खोजबीन करके इनके कार्यकाल को सम्राट् अकबर के राज्यकाल में माना है। कन्नौज के पास चौधरीसराय नामक ग्राम के रहने वाले घाघ के ज्ञान से प्रसन्न होकर सम्राट अकबर ने उन्हें सरायघाघ बसाने की आज्ञा दी थी। यह जगह कन्नौज से एक मील दक्षिण स्थित है। भड्डरी घाघ कवि की पत्नी थीं।
घाघ-भड्डरी की वर्षा संबंधी लोकप्रिय कहावतें
ईसानी।
बिसानी।।
--ईशान कोन में यदि बिजली चमके, तो पैदावार अच्छी होगी ।
[ 2 ]
अगस्त ऊगा।
मेह पूगा॥
--अगस्त तारा उदय होने पर बरसात का अंत समझना चाहिये ।
[ 3]
परभाते मेह डंवरा, साँजे सीला बाव।
डंक कहै हे भड्डुली, काला तणा सुभाव।।
--डंक भड्डुली से कहता है कि यदि प्रातःकाल मेघ भागे जा रहे हों और शाम को ठंडी हवा चले, तो समझना चाहिये कि अकाल पड़ेगा।
[4 ]
ऊगन्तेरो माछलो, अथन्व तेरी मोग।
डंक कहै हे भड्डुली, नहिंयाँ चढ़सी गोग।।
--यदि प्रातःकाल इन्द्रधनुष हो और संध्या को सूर्य की किरणें लाल दिखाई पड़ें, तो समझना चाहिये कि नदियों में बाढ़ आयेगी ।
[ 5 ]
आभा राता।
मेह माता।।
--आकाश लाल हो, तो वर्षा बहुत हो ।
[6 ]
आभा पीला।
मेह सीला।।
--आकाश पीला हो, तो वर्षा कम हो।
[7]
दुश्मन की किरपा बुरी, भली मित्र की त्रास।
आड़ंग कर गरमी करै, जद बरसन की आस।।
--शत्रु की कृपा की अपेक्षा मित्र की डान्ट-डपट अच्छी है। जब कड़ाके की गरमी पढ़ती है और पसीना नहीं सूखता, तब वर्षा की आशा होती है।
[8 ]
सवारो गाजियो, नै सापुरस रो बोलियो -एल्यो नही जाय।।
--सबेरे का गरजना और सत्पुरुष का वचन निष्फल नहीं जाता।

[ 9 ]
पानी पाला बादसा, उत्तर सूँ आवै।
--पानी, पाला और बादशाह उत्तर ही से आया करते हैं।
[10]
परभाते मेह डंबरा,
दोफाराँ तपन्त ।
रातू तारा निरमला,
चेला करो गछंत।।
--प्रातःकाल मेघ दौड़े, दोपहर को धूप कही हो और रात को निर्मल आकाश में तारे दिखाई पड़े, तो अकाल पड़ेगा, वहाँ से अपना रास्ता लेना चाहिये ।
[ 11]
बिंभलियाँ बोलै रात निमाई।
छाली बाडाँ बेस छिकाई।।
गोहाँ राग करै गरणाई।
जोराँ मेह मोराँ अजगाई।।
--यदि रात भर झींगुर बोले, बकरी बाड़ के पास बैठकर छींके, गाय ज़ोर से आवाज़ करे और मोर बोले, तो वर्षा होगी।

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