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(गीता-2) अर्जुन का संघर्ष कृष्ण से || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2022)

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⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?

अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।

और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।

संक्षेप में कहें तो,
आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!

आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।

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वीडियो जानकारी: शास्त्र कौमुदी, 07.04.2022, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
यद्यप्येते न पश्यन्ति लोभोपहतचेतसः।
कुलक्षयकृतं दोषं मित्रद्रोहे च पातकम्।।

कथं न ज्ञेयमस्माभिः पापादस्मान्निवर्तितुम्।
कुलक्षयकृतं दोषं प्रपश्यद्भिर्जनार्दन।।

अनुवाद: यद्यपि ये धृतराष्ट्र-पुत्र लोभ से अन्धे होने के कारण कुलनाशकारी दोष से उत्पन्न पाप को नहीं समझ रहे,
तो भी हे जनार्दन, कुलक्षय से होने वाले दोष को देख-सुन कर भी हम लोगों को इस पाप से
निवृत्त होने का विचार क्यों नहीं करना चाहिए?

श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय १, श्लोक ३८-३९)

अर्जुन उवाच
कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत।।

कुल के नाश से चले आ रहे कुल के धर्म नष्ट हो जाते हैं और कुलधर्म के नष्ट होने से पाप समस्त कुल को दबा लेता है।

श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय १, श्लोक ४०)

अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः।
स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसङ्करः।।

हे कृष्ण, कुल में अधर्म का प्रभाव होने से कुल में कुल की स्त्रियाँ दूषित हो जाती हैं।
हे वार्ष्णेय, स्त्रियों के दूषित होने से वर्णसंकर संतान पैदा होती है।

श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय १, श्लोक ४१)

संगीत: मिलिंद दाते
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Видео (गीता-2) अर्जुन का संघर्ष कृष्ण से || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2022) канала आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
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15 июня 2022 г. 5:01:07
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