AYODHYA WAPSI | JAI RAM RAMA RAMNAM SAMNAM | जय राम रमा रमनं समनं | स्तुति जिसे शिवजी ने गाया |
JAI RAM RAMA RAMNAM SAMNAM
| जय श्री राम | |
जय राम रमा रमनं समनं
यह वह स्तुति है जिसे शिवजी ने गाया है।
अद्भुत दृश्य है प्रभु श्रीराम के अयोध्या वापसी का।
सभी ऋषिगण, गुरु, कुटुम्बी एवं अयोध्या वासी अधीर हो रहे है कि यह प्रतीक्षा की घड़ी कब समाप्त होगी।
तभी भरतजी सभी को प्रभु के आगमन की खबर देते है ,यह सुनकर सब के मन प्रसन्न हो गए।
पूरी अयोध्या रमणीक हो गई मानो वह प्रभु के आगमन में आँखें बिछाए निहार रही हैं ।
गुरुजन, कुटुंब और अयोध्या वासियों के साथ भरतजी अत्यंत प्रेमपूर्वक मन से कृपाधाम श्रीराम की अगवानी के लिए चले, नगर में मंगल गान हो रहा है।
प्रभु का आगमन हो गया है , सब भाव विभोर है।
सोचिए क्या दृश्य होगा तब का।
प्रभु श्रीराम गुरुजनो को प्रणाम कर आशीर्वाद ले रहे है।
भरत जी ने प्रभु के चरण कमल पकड़ लिए है।
भरत जी को प्रभु ने उठाया और अपने गले लगा लिया है, नेत्रों से जैसे जल की बाढ़ सी आ गई।
श्री राम अपने प्रियजनों और अनुजों को हृदय से लगाकर मिल रहे है।
प्रभु श्रीराम को देखकर अयोध्यावासी हर्षित हो रहे है।
प्रभु सभी माताओं से आशीर्वाद ले रहे है।
माताएँ सोने के थाल से आरती उतार उन्हें निहार रही है।
आनंदकंद श्रीराम अपने महल को चलते है, आकाश फूलों की वृष्टि से छा गया है।
ब्राह्मण जन मंत्रोचार कर रहे है, मुनि वशिष्ठ जी प्रभु का तिलक कर रहे है।
प्रभुको राज सिंहासन पर देख सभी माताएँ हर्षित हो रही है।
तब शिवजी वहाँ आए जहा रघुवीर थे और अपनी वाणी से यह स्तुति करने लगे।
जय राम रमा रमनं समनं (Jai Ram Rama Ramanan Samanan Lyrics)
॥ छन्द: ॥
जय राम रमा रमनं समनं। भव ताप भयाकुल पाहि जनम॥
अवधेस सुरेस रमेस बिभो। सरनागत मागत पाहि प्रभो॥
धुन: राजा राम, राजा राम, सीता राम,सीता राम।
दससीस बिनासन बीस भुजा। कृत दूरी महा महि भूरी रुजा॥
रजनीचर बृंद पतंग रहे। सर पावक तेज प्रचंड दहे॥
राजा राम, राजा राम...
महि मंडल मंडन चारुतरं। धृत सायक चाप निषंग बरं॥
मद मोह महा ममता रजनी। तम पुंज दिवाकर तेज अनी॥
राजा राम, राजा राम...
मनजात किरात निपात किए। मृग लोग कुभोग सरेन हिए॥
हति नाथ अनाथनि पाहि हरे। बिषया बन पावँर भूली परे॥
राजा राम, राजा राम...
बहु रोग बियोगन्हि लोग हए। भवदंघ्री निरादर के फल ए॥
भव सिन्धु अगाध परे नर ते। पद पंकज प्रेम न जे करते॥
राजा राम, राजा राम...
अति दीन मलीन दुखी नितहीं। जिन्ह के पद पंकज प्रीती नहीं॥
अवलंब भवंत कथा जिन्ह के। प्रिय संत अनंत सदा तिन्ह के॥
राजा राम, राजा राम...
नहीं राग न लोभ न मान मदा। तिन्ह के सम बैभव वा बिपदा॥
एहि ते तव सेवक होत मुदा। मुनि त्यागत जोग भरोस सदा॥
राजा राम, राजा राम...
करि प्रेम निरंतर नेम लिएँ। पड़ पंकज सेवत सुद्ध हिएँ॥
सम मानि निरादर आदरही। सब संत सुखी बिचरंति मही॥
राजा राम, राजा राम...
मुनि मानस पंकज भृंग भजे। रघुबीर महा रंधीर अजे॥
तव नाम जपामि नमामि हरी। भव रोग महागद मान अरी॥
राजा राम, राजा राम...
गुण सील कृपा परमायतनं। प्रणमामि निरंतर श्रीरमनं॥
रघुनंद निकंदय द्वंद्वघनं। महिपाल बिलोकय दीन जनं॥
राजा राम, राजा राम...
॥ दोहा: ॥
बार बार बर मागऊँ हरषी देहु श्रीरंग।
पद सरोज अनपायनी भगति सदा सतसंग॥
बरनि उमापति राम गुन हरषि गए कैलास।
तब प्रभु कपिन्ह दिवाए सब बिधि सुखप्रद बास॥
"JAI RAM RAMA RAMNAM SAMNAM"
Singer : Jaswant Singh
Music : JASWANTSINGH
Lyrics : TRADITIUONAL
Produced By : SAMAR MANDLOI / Tathastuindia
Music Label- Tathastu India
Album - Ram Bhakt Hanuman
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or email : tathastuindia@hotmail.com
Category - Music
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जय राम रमा रमनं समनं
यह वह स्तुति है जिसे शिवजी ने गाया है।
अद्भुत दृश्य है प्रभु श्रीराम के अयोध्या वापसी का।
सभी ऋषिगण, गुरु, कुटुम्बी एवं अयोध्या वासी अधीर हो रहे है कि यह प्रतीक्षा की घड़ी कब समाप्त होगी।
तभी भरतजी सभी को प्रभु के आगमन की खबर देते है ,यह सुनकर सब के मन प्रसन्न हो गए।
पूरी अयोध्या रमणीक हो गई मानो वह प्रभु के आगमन में आँखें बिछाए निहार रही हैं ।
गुरुजन, कुटुंब और अयोध्या वासियों के साथ भरतजी अत्यंत प्रेमपूर्वक मन से कृपाधाम श्रीराम की अगवानी के लिए चले, नगर में मंगल गान हो रहा है।
प्रभु का आगमन हो गया है , सब भाव विभोर है।
सोचिए क्या दृश्य होगा तब का।
प्रभु श्रीराम गुरुजनो को प्रणाम कर आशीर्वाद ले रहे है।
भरत जी ने प्रभु के चरण कमल पकड़ लिए है।
भरत जी को प्रभु ने उठाया और अपने गले लगा लिया है, नेत्रों से जैसे जल की बाढ़ सी आ गई।
श्री राम अपने प्रियजनों और अनुजों को हृदय से लगाकर मिल रहे है।
प्रभु श्रीराम को देखकर अयोध्यावासी हर्षित हो रहे है।
प्रभु सभी माताओं से आशीर्वाद ले रहे है।
माताएँ सोने के थाल से आरती उतार उन्हें निहार रही है।
आनंदकंद श्रीराम अपने महल को चलते है, आकाश फूलों की वृष्टि से छा गया है।
ब्राह्मण जन मंत्रोचार कर रहे है, मुनि वशिष्ठ जी प्रभु का तिलक कर रहे है।
प्रभुको राज सिंहासन पर देख सभी माताएँ हर्षित हो रही है।
तब शिवजी वहाँ आए जहा रघुवीर थे और अपनी वाणी से यह स्तुति करने लगे।
जय राम रमा रमनं समनं (Jai Ram Rama Ramanan Samanan Lyrics)
॥ छन्द: ॥
जय राम रमा रमनं समनं। भव ताप भयाकुल पाहि जनम॥
अवधेस सुरेस रमेस बिभो। सरनागत मागत पाहि प्रभो॥
धुन: राजा राम, राजा राम, सीता राम,सीता राम।
दससीस बिनासन बीस भुजा। कृत दूरी महा महि भूरी रुजा॥
रजनीचर बृंद पतंग रहे। सर पावक तेज प्रचंड दहे॥
राजा राम, राजा राम...
महि मंडल मंडन चारुतरं। धृत सायक चाप निषंग बरं॥
मद मोह महा ममता रजनी। तम पुंज दिवाकर तेज अनी॥
राजा राम, राजा राम...
मनजात किरात निपात किए। मृग लोग कुभोग सरेन हिए॥
हति नाथ अनाथनि पाहि हरे। बिषया बन पावँर भूली परे॥
राजा राम, राजा राम...
बहु रोग बियोगन्हि लोग हए। भवदंघ्री निरादर के फल ए॥
भव सिन्धु अगाध परे नर ते। पद पंकज प्रेम न जे करते॥
राजा राम, राजा राम...
अति दीन मलीन दुखी नितहीं। जिन्ह के पद पंकज प्रीती नहीं॥
अवलंब भवंत कथा जिन्ह के। प्रिय संत अनंत सदा तिन्ह के॥
राजा राम, राजा राम...
नहीं राग न लोभ न मान मदा। तिन्ह के सम बैभव वा बिपदा॥
एहि ते तव सेवक होत मुदा। मुनि त्यागत जोग भरोस सदा॥
राजा राम, राजा राम...
करि प्रेम निरंतर नेम लिएँ। पड़ पंकज सेवत सुद्ध हिएँ॥
सम मानि निरादर आदरही। सब संत सुखी बिचरंति मही॥
राजा राम, राजा राम...
मुनि मानस पंकज भृंग भजे। रघुबीर महा रंधीर अजे॥
तव नाम जपामि नमामि हरी। भव रोग महागद मान अरी॥
राजा राम, राजा राम...
गुण सील कृपा परमायतनं। प्रणमामि निरंतर श्रीरमनं॥
रघुनंद निकंदय द्वंद्वघनं। महिपाल बिलोकय दीन जनं॥
राजा राम, राजा राम...
॥ दोहा: ॥
बार बार बर मागऊँ हरषी देहु श्रीरंग।
पद सरोज अनपायनी भगति सदा सतसंग॥
बरनि उमापति राम गुन हरषि गए कैलास।
तब प्रभु कपिन्ह दिवाए सब बिधि सुखप्रद बास॥
"JAI RAM RAMA RAMNAM SAMNAM"
Singer : Jaswant Singh
Music : JASWANTSINGH
Lyrics : TRADITIUONAL
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