Загрузка страницы

हरिनाम की महिमा -भाग-1| Harinam ki mahima - Part 1| Glories of Holy Name of the Lord| Amarendra Dasa

हरिनाम की महिमा - भाग-1 | Harinam ki mahima - Part 1 | Amarendra Dasa

कलियुग में नाम संकीर्तन के अलावा जीव के उद्धार का अन्य कोई भी उपाय नहीं है|
बृहन्नार्दीय पुराण में आता है–
हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नामैव केवलं|
कलौ नास्त्यैव नास्त्यैव नास्त्यैव गतिरन्यथा||
कलियुग में केवल हरिनाम, हरिनाम और हरिनाम से ही उद्धार हो सकता है| हरिनाम के अलावा कलियुग में उद्धार का अन्य कोई भी उपाय नहीं है! नहीं है! नहीं है!
कृष्ण तथा कृष्ण नाम अभिन्न हैं: कलियुग में तो स्वयं कृष्ण ही हरिनाम के रूप में अवतार लेते हैं| केवल हरिनाम से ही सारे जगत का उद्धार संभव है–
कलि काले नाम रूपे कृष्ण अवतार |
नाम हइते सर्व जगत निस्तार|| – चै॰ च॰ १.१७.२२
पद्मपुराण में कहा गया है–
नाम: चिंतामणि कृष्णश्चैतन्य रस विग्रह:|
पूर्ण शुद्धो नित्यमुक्तोSभिन्नत्वं नाम नामिनो:||
हरिनाम उस चिंतामणि के समान है जो समस्त कामनाओं को पूर्ण सकता है| हरिनाम स्वयं रसस्वरूप कृष्ण ही हैं तथा चिन्मयत्त्व (दिव्यता) के आगार हैं| हरिनाम पूर्ण हैं, शुद्ध हैं, नित्यमुक्त हैं| नामी (हरि) तथा हरिनाम में कोई अंतर नहीं है| जो कृष्ण हैं– वही कृष्णनाम है| जो कृष्णनाम है– वही कृष्ण हैं|
कृष्ण के नाम का किसी भी प्रामाणिक स्त्रोत से श्रवण उत्तम है, परन्तु शास्त्रों एवं श्री चैतन्य महाप्रभु के अनुसार कलियुग में हरे कृष्ण महामंत्र ही बताया गया है ।
कलियुग में इस महामंत्र का संकीर्तन करने मात्र से प्राणी मुक्ति के अधिकारी बन सकते हैं। कलियुग में भगवान की प्राप्ति का सबसे सरल किंतु प्रबल साधन उनका नाम-जप ही बताया गया है। श्रीमद्भागवत (१२.३.५१) का कथन है- यद्यपि कलियुग दोषों का भंडार है तथापि इसमें एक बहुत बडा सद्गुण यह है कि सतयुग में भगवान के ध्यान (तप) द्वारा, त्रेतायुगमें यज्ञ-अनुष्ठान के द्वारा, द्वापरयुगमें पूजा-अर्चना से जो फल मिलता था, कलियुग में वह पुण्यफलश्रीहरिके नाम-संकीर्तन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥ – श्रीरामरक्षास्त्रोत्रम्
भगवान शिव ने कहा, ” हे पार्वती !! मैं निरंतर राम नाम के पवित्र नामों का जप करता हूँ, और इस दिव्य ध्वनि में आनंद लेता हूँ । रामचन्द्र का यह पवित्र नाम भगवान विष्णु के एक हजार पवित्र नामों (विष्णुसहस्त्रनाम) के तुल्य है । – रामरक्षास्त्रोत्र
ब्रह्माण्ड पुराण में कहा गया है :
सहस्त्र नाम्नां पुण्यानां, त्रिरा-वृत्त्या तु यत-फलम् ।
एकावृत्त्या तु कृष्णस्य, नामैकम तत प्रयच्छति ॥
विष्णु के तीन हजार पवित्र नाम (विष्णुसहस्त्रनाम) जप के द्वारा प्राप्त परिणाम ( पुण्य ), केवलएक बार कृष्ण के पवित्र नाम जप के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है ।
भक्तिचंद्रिका में महामंत्र का माहात्म्य इस प्रकार वर्णित है-बत्तीस अक्षरों वाला नाम- मंत्र सब पापों का नाशक है, सभी प्रकार की दुर्वासनाओंको जलाने के अग्नि-स्वरूप है, शुद्धसत्त्वस्वरूप भगवद्वृत्ति वाली बुद्धि को देने वाला है, सभी के लिए आराधनीय एवं जप करने योग्य है, सबकी कामनाओं को पूर्ण करने वाला है। इस महामंत्र के संकीर्तन में सभी का अधिकार है। यह मंत्र प्राणिमात्र का बान्धव है, समस्त शक्तियों से सम्पन्न है, आधि-व्याधि का नाशक है। इस महामंत्र की दीक्षा में मुहूर्त्तके विचार की आवश्यकता नहीं है। इसके जप में बाह्यपूजा की अनिवार्यता नहीं है। केवल उच्चारण करने मात्र से यह सम्पूर्ण फल देता है। इस मंत्र के अनुष्ठान में देश-काल का कोई प्रतिबंध नहीं है।
अथर्ववेद की अनंत संहिता में आता है–
षोडषैतानि नामानि द्वत्रिन्षद्वर्णकानि हि |
कलौयुगे महामंत्र: सम्मतो जीव तारिणे ||
अर्थात : सोलह नामों तथा बत्तीस वर्णों से युक्त महामंत्र का कीर्तन ही कलियुग में जीवों के उद्धार का एकमात्र उपाय है|
यजुर्वेद के कलि संतारण उपनिषद् में आता है–
द्वापर युग के अंत में जब देवर्षि नारद ने ब्रह्माजी से कलियुग में कलि के प्रभाव से मुक्त होने का उपाय पूछा, तब सृष्टिकर्ता ने कहा- आदिपुरुष भगवान नारायण के नामोच्चारण से मनुष्य कलियुग के दोषों को नष्ट कर सकता है। नारदजी के द्वारा उस नाम-मंत्र को पूछने पर हिरण्यगर्भ ब्रह्माजी ने बताया-
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
इति षोडषकं नाम्नाम् कलि कल्मष नाशनं |
नात: परतरोपाय: सर्व वेदेषु दृश्यते ||
अर्थात : सोलह नामों वाले महामंत्र का कीर्तन ही कलियुग में कल्मष का नाश करने में सक्षम है| इस मन्त्र को छोड़ कर कलियुग में उद्धार का अन्य कोई भी उपाय चारों वेदों में कहीं भी नहीं है |
अथर्ववेद के चैतन्योपनिषद में आता है–
स: ऐव मूलमन्त्रं जपति हरेर इति कृष्ण इति राम इति |
अर्थात : भगवन गौरचन्द्र सदैव महामंत्र का जप करते हैं जिसमे पहले ‘हरे’ नाम, उसके बाद ‘कृष्ण’ नाम तथा उसके बाद ‘राम’ नाम आता है| ऊपर वर्णित क्रम के अनुसार महामंत्र का सही क्रम यही है की यह मंत्र ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण…’ से शुरू होता है |
पद्मपुराण में वर्णन आता है–
द्वत्रिन्षदक्षरं मन्त्रं नाम षोडषकान्वितं |
प्रजपन् वैष्णवो नित्यं राधाकृष्ण स्थलं लभेत् ||
अर्थात : जो वैष्णव नित्य बत्तीस वर्ण वाले तथा सोलह नामों वाले महामंत्र का जप तथा कीर्तन करते हैं– उन्हें श्रीराधाकृष्ण के दिव्य धाम गोलोक की प्राप्ति होती है |
विष्णुधर्मोत्तर में लिखा है कि श्रीहरि के नाम-संकीर्तन में देश-काल का नियम लागू नहीं होता है। जूठे मुंह अथवा किसी भी प्रकार की अशुद्ध अवस्था में भी नाम-जप को करने का निषेध नहीं है। श्रीमद्भागवत महापुराणका तो यहां तक कहना है कि जप-तप एवं पूजा-पाठ की त्रुटियां अथवा कमियां श्रीहरिके नाम- संकीर्तन से ठीक और परिपूर्ण हो जाती हैं। हरि-नाम का संकीर्त्तन ऊंची आवाज में करना चाहिए |

Видео हरिनाम की महिमा -भाग-1| Harinam ki mahima - Part 1| Glories of Holy Name of the Lord| Amarendra Dasa канала Amarendra Dāsa Official
Показать
Комментарии отсутствуют
Введите заголовок:

Введите адрес ссылки:

Введите адрес видео с YouTube:

Зарегистрируйтесь или войдите с
Информация о видео
27 июня 2020 г. 23:15:00
01:29:30
Другие видео канала
भागवत कथा व्याख्यान - भगवान कपिल की शिक्षाएं - प्रशांत मुकुंद प्रभु - Day1भागवत कथा व्याख्यान - भगवान कपिल की शिक्षाएं - प्रशांत मुकुंद प्रभु - Day1श्रील प्रभुपाद एक अद्भुत संत | Part 2 | श्रीमान अमरेंद्र दासश्रील प्रभुपाद एक अद्भुत संत | Part 2 | श्रीमान अमरेंद्र दासहरिनाम की महिमा -भाग-2| Harinam ki mahima - Part 2| Glories of Holy Name of the Lord| Amarendra Dasaहरिनाम की महिमा -भाग-2| Harinam ki mahima - Part 2| Glories of Holy Name of the Lord| Amarendra DasaShreeman Narayan Narayan Hari Hari - DhunShreeman Narayan Narayan Hari Hari - Dhunमन को वश में कैसे करे || How to control Mind || HG Amogh Lila Prabhuमन को वश में कैसे करे || How to control Mind || HG Amogh Lila Prabhuश्रील प्रभुपाद एक अद्भुत संत | Part 1 | श्रीमान अमरेंद्र दासश्रील प्रभुपाद एक अद्भुत संत | Part 1 | श्रीमान अमरेंद्र दासश्रीमद भागवत कथा | पहला दिवस | हरिनाम महिमा | श्रीमान प्रशांत मुकुंद प्रभु | Prashant Mukund Prabhuश्रीमद भागवत कथा | पहला दिवस | हरिनाम महिमा | श्रीमान प्रशांत मुकुंद प्रभु | Prashant Mukund Prabhuबहुत ही सूंदर विचार ~ Hari Nam Ki Mahima ~ हरी नाम की महिमा ~ पूज्य श्री चिन्मयानन्द बापू जीबहुत ही सूंदर विचार ~ Hari Nam Ki Mahima ~ हरी नाम की महिमा ~ पूज्य श्री चिन्मयानन्द बापू जीMangal Bhvan Amangal Hari || मंगल भवन अमंगल हारी || Sampoorna Ramayan || Ram Siyaram || Ram BhajanMangal Bhvan Amangal Hari || मंगल भवन अमंगल हारी || Sampoorna Ramayan || Ram Siyaram || Ram BhajanBhagavat Utsav Day 1 | Amarendra Prabhu | ISKCON Coimbatore | September 2019Bhagavat Utsav Day 1 | Amarendra Prabhu | ISKCON Coimbatore | September 2019HG Amogh Lila Prabhuji | Bhagwan naam ki Mahima | Hari naam ki mahimaHG Amogh Lila Prabhuji | Bhagwan naam ki Mahima | Hari naam ki mahimaMAHA MANTRAS - HARE KRISHNA HARE RAMA | POPULAR NEW SHRI KRISHNA BHAJAN | VERY BEAUTIFUL SONGMAHA MANTRAS - HARE KRISHNA HARE RAMA | POPULAR NEW SHRI KRISHNA BHAJAN | VERY BEAUTIFUL SONGHarinama Japa Ki Mahima (Hindi) | Amarendra DāsaHarinama Japa Ki Mahima (Hindi) | Amarendra Dāsaगौड़ीय वैष्णव  का गौरवशाली लक्ष्य | The Glorious Goal of Gaudiyasगौड़ीय वैष्णव का गौरवशाली लक्ष्य | The Glorious Goal of GaudiyasTranscendental Pearls from Gita - Bhagavad Gita 4.9 | Boston USA, December 2018Transcendental Pearls from Gita - Bhagavad Gita 4.9 | Boston USA, December 2018चातुर्मास का महत्व | Chaturmas ka mahatva  | श्रीमान अमरेंद्र दासचातुर्मास का महत्व | Chaturmas ka mahatva | श्रीमान अमरेंद्र दासLord Vishnu Bhajan || Shreeman Narayan Narayan Hari Hari by Sadhana Sargam, Shailendra BharttiLord Vishnu Bhajan || Shreeman Narayan Narayan Hari Hari by Sadhana Sargam, Shailendra Bhartti10 Keys for Spiritual Advancement | Amarendra Dasa10 Keys for Spiritual Advancement | Amarendra Dasaश्रीमती राधारानी से जुडी १० अद्भुत रहस्यों  || Radhashtami Special || HG  Prashant Mukund Prabhuश्रीमती राधारानी से जुडी १० अद्भुत रहस्यों || Radhashtami Special || HG Prashant Mukund Prabhu
Яндекс.Метрика