महाविद्या माँ छिन्नमस्ता सम्पूर्ण साधना विधि । Mahavidya Maa Chinnamasta Sadhna
साधना के नियम - https://youtu.be/T6aBFXHvr8Y
इस साधना की सामग्री (प्राण प्रतिष्ठा युक्त माला,लैमिनेटेड यंत्र एवं महाविद्या माँ छिन्नमस्ता कवच) आप नीचे दिए गए नंबर पर Whatsapp/ Telegram मैसेज कर Post द्वारा प्राप्त कर सकते हैं उचित मूल्य पर ।
विनियोग
ॐ अस्य शिरशछन्ना मंत्रस्य, भैरव ऋषि:, सम्राट छन्द:, छिन्नमस्ता देवता, ह्रीं ह्रीं बीजम्, स्वाहा शक्ति:, अभीष्ट सिद्धये जपे विनियोग:।
ऋष्यादि न्यास : बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए अपने भिन्न भिन्न अंगों को स्पर्श करें मंत्र :
ॐ भैरव ऋषये नम: शिरसि ( सर को स्पर्श करें )
सम्राट छन्दसे नम: मुखे ( मुख को स्पर्श करें )
छिन्नमस्ता देवतायै नम: हृदय ( हृदय को स्पर्श करें )
ह्रीं ह्रीं बीजाय नम: गुह्ये ( गुप्तांग को स्पर्श करें )
स्वाहा शक्तये नम: पादयोः (दोनों पैर को स्पर्श करें )
विनियोगाय नम: सर्वांगे ( पूरे शरीर को स्पर्श करें )
कर न्यास : अपने दोनों हाथों के अंगूठे से अपने हाथ की विभिन्न उंगलियों को स्पर्श करें
ॐ आं खड्गाय स्वाहा अंगुष्ठयो:।(दोनों तर्जनी उंगलियों से दोनों अँगूठे को स्पर्श करें)
ॐ ईं सुखड्गाय स्वाहा तर्जन्यै।(दोनों अँगूठों से दोनों तर्जनी उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ ऊं वज्राय स्वाहा मध्यमाभ्यो:।दोनों अँगूठों से दोनों मध्यमा उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ ऐं पाशाय स्वाहा अनामिकाभ्यो:।दोनों अँगूठों से दोनों अनामिका उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ औं अंकुशाय स्वाहा कनिष्ठिकभ्यो:।(दोनों अँगूठों से दोनों कनिष्ठिका उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ अ: सुरक्ष रक्ष ह्रीं ह्रीं स्वाहा करतल कर पृष्ठभ्यो:।
बोलकर दोनों हाथों से 3 बार ताली बजायें)
ह्र्दयादि न्यास : पुन: बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों को स्पर्श करें मंत्र :
ॐ आं खड्गाय हृदयाय नम: ( हृदय को स्पर्श करें )
ॐ ईं सुखड्गाय शिरसे स्वाहा ( सर को स्पर्श करें )
ॐ ऊं वज्राय शिखायै वषट् ( शिखा को स्पर्श करें )
ॐ ऐं पाशाय कवचाय हुम् ( दोनों कंधों को स्पर्श करें )
ॐ औं अंकुशाय नेत्रत्रयाय वौषट् ( दोनों नेत्रों को स्पर्श करें )
अ: सुरक्ष रक्ष ह्रीं ह्रीं अस्त्राय फट् ( सर के ऊपर हाथ सीधा हाथ घुमाकर चारों दिशाओं में चुटकी बजाएं )
ध्यान : इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर माँ भगवती छिन्नमस्ता का ध्यान करें
भावन्मण्डल मध्यगांगिज शिरशिछन्नंविकीर्णाकम्।
सफोरास्यं प्रतिपद्गलात्स्व रुधिरं वामे करेविभ्रतीम्।।
याभासक्त रति रमरोपरि गतां सख्यो निजे डाकिनी।
वर्णिनयौ परि दृश्य मोद कलितां श्रीछिन्नमस्तां भजे।।
माँ छिन्नमस्ता साधना मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये हुं हुं फट् स्वाहा
हवन सामग्री - पाँच प्रकार के फल की लकड़ी
कमलगट्टा, शुद्ध घी , गुग्गल , हवन सामग्री, लोबान ।
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आप हमसे यह मूल एवं तंत्रोक्त साधना एवं भक्ति विधि सिख सकते हैं एवं मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं ।
1. शिव (महाकाल, रूद्र,अघोरेश्वर) साधना
2. गायत्री (दस महाविद्या , नवदुर्गा) साधना
3. भैरव (काल भैरव ,बटुक एवं स्वर्णाकर्षण भैरव)
4. वैष्णव (श्री विष्णु,श्री कृष्ण,श्री नरसिंह)साधना
5. श्री हनुमान जी एवं श्री गणेश जी की साधना
6. माँ अष्ट लक्ष्मी एवं माँ अघोर लक्ष्मी साधना
7. नवग्रह साधना (मूल साधना एवं तांत्रिक साधना)
8. योगिनी,अप्सरा,यक्षिणी (केवल सात्विक/राजसिक)
9. इसके अतिरिक्त हर देवीय शक्ति की साधना / भक्ति
10. शमशानी साधना एवं किसी भी प्रकार कि तामसिक और उग्र विद्या नहीं सिखाई जाती है , न हमारे द्वारा किसी भी स्थिति में किसी हेतु षट्कर्म किया जाता है ।
1-9
( कवच निर्माण एवं यंत्र निर्माण भी सिखाया जाता है )
1-7
(साधना सिखाने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता केवल CALL APPOINTMENT का शुल्क लागु होता है )
8
तंत्रोक्त विधि से सात्विक एवं राजसिक योगिनी, अप्सरा और यक्षिणी साधना सिखने का शुल्क अलग से होता है , जिसके अंतर्गत आप गुप्त मंत्र , यंत्र निर्माण एवं सम्पूर्ण साधना विधि सिख सकते हैं ।
PRARAMBHIK SADHNA में सीखिये साधना की मूलभूत शुरुआत जैसे पवित्रीकरण, आचमन, प्राणायाम, न्यास, पृथ्वी पूजन, दीपक पूजन, संकल्प पूजन , गुरु पूजन, पंचदेव पूजन, कलश पूजन, नवग्रह पूजन, भैरव पूजन साथ हीं सीखिये शरीर बंधन , दिशा बंधन एवं आसन बंधन । (शुल्क लागु)
KUNDALI MAKING AND HOROSCOPE DETAILS ALSO PROVIDED
जन्म पत्री निर्माण भी किया जाता है , साथ हीं आपके चल रहे ग्रह-गोचर, दशा, नक्षत्र कि जानकारी भी दी जाती है एवं मंगल दोष, पित्र दोष, शनि साढ़े साती एवं कालसर्प दोष कि स्थिति बताई जाती है जिसका उपाय एवं दान की प्रक्रिया भी सिखाई जाती है । (शुल्क लागु )
आप हमसे साधना कि सामग्री जैसे प्राण प्रतिष्ठा युक्त माला, कवच एवं यंत्र आदि भी प्राप्त कर सकते हैं ।
हमसे आजीवन जुड़ने हेतु आप हमारे
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हमसे संपर्क हेतु आप CALL APPOINTMENT लेकर गुरुदेव से बात कर सकते हैं, जिसका शुल्क लागु होता है
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हर हर महादेव जय माँ गायत्री जय जय गुरुदेव
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Видео महाविद्या माँ छिन्नमस्ता सम्पूर्ण साधना विधि । Mahavidya Maa Chinnamasta Sadhna канала शिव गायत्री महातंत्र
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ऋष्यादि न्यास : बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए अपने भिन्न भिन्न अंगों को स्पर्श करें मंत्र :
ॐ भैरव ऋषये नम: शिरसि ( सर को स्पर्श करें )
सम्राट छन्दसे नम: मुखे ( मुख को स्पर्श करें )
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ह्रीं ह्रीं बीजाय नम: गुह्ये ( गुप्तांग को स्पर्श करें )
स्वाहा शक्तये नम: पादयोः (दोनों पैर को स्पर्श करें )
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ॐ आं खड्गाय स्वाहा अंगुष्ठयो:।(दोनों तर्जनी उंगलियों से दोनों अँगूठे को स्पर्श करें)
ॐ ईं सुखड्गाय स्वाहा तर्जन्यै।(दोनों अँगूठों से दोनों तर्जनी उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ ऊं वज्राय स्वाहा मध्यमाभ्यो:।दोनों अँगूठों से दोनों मध्यमा उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ ऐं पाशाय स्वाहा अनामिकाभ्यो:।दोनों अँगूठों से दोनों अनामिका उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ औं अंकुशाय स्वाहा कनिष्ठिकभ्यो:।(दोनों अँगूठों से दोनों कनिष्ठिका उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ अ: सुरक्ष रक्ष ह्रीं ह्रीं स्वाहा करतल कर पृष्ठभ्यो:।
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ॐ आं खड्गाय हृदयाय नम: ( हृदय को स्पर्श करें )
ॐ ईं सुखड्गाय शिरसे स्वाहा ( सर को स्पर्श करें )
ॐ ऊं वज्राय शिखायै वषट् ( शिखा को स्पर्श करें )
ॐ ऐं पाशाय कवचाय हुम् ( दोनों कंधों को स्पर्श करें )
ॐ औं अंकुशाय नेत्रत्रयाय वौषट् ( दोनों नेत्रों को स्पर्श करें )
अ: सुरक्ष रक्ष ह्रीं ह्रीं अस्त्राय फट् ( सर के ऊपर हाथ सीधा हाथ घुमाकर चारों दिशाओं में चुटकी बजाएं )
ध्यान : इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर माँ भगवती छिन्नमस्ता का ध्यान करें
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सफोरास्यं प्रतिपद्गलात्स्व रुधिरं वामे करेविभ्रतीम्।।
याभासक्त रति रमरोपरि गतां सख्यो निजे डाकिनी।
वर्णिनयौ परि दृश्य मोद कलितां श्रीछिन्नमस्तां भजे।।
माँ छिन्नमस्ता साधना मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये हुं हुं फट् स्वाहा
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1. शिव (महाकाल, रूद्र,अघोरेश्वर) साधना
2. गायत्री (दस महाविद्या , नवदुर्गा) साधना
3. भैरव (काल भैरव ,बटुक एवं स्वर्णाकर्षण भैरव)
4. वैष्णव (श्री विष्णु,श्री कृष्ण,श्री नरसिंह)साधना
5. श्री हनुमान जी एवं श्री गणेश जी की साधना
6. माँ अष्ट लक्ष्मी एवं माँ अघोर लक्ष्मी साधना
7. नवग्रह साधना (मूल साधना एवं तांत्रिक साधना)
8. योगिनी,अप्सरा,यक्षिणी (केवल सात्विक/राजसिक)
9. इसके अतिरिक्त हर देवीय शक्ति की साधना / भक्ति
10. शमशानी साधना एवं किसी भी प्रकार कि तामसिक और उग्र विद्या नहीं सिखाई जाती है , न हमारे द्वारा किसी भी स्थिति में किसी हेतु षट्कर्म किया जाता है ।
1-9
( कवच निर्माण एवं यंत्र निर्माण भी सिखाया जाता है )
1-7
(साधना सिखाने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता केवल CALL APPOINTMENT का शुल्क लागु होता है )
8
तंत्रोक्त विधि से सात्विक एवं राजसिक योगिनी, अप्सरा और यक्षिणी साधना सिखने का शुल्क अलग से होता है , जिसके अंतर्गत आप गुप्त मंत्र , यंत्र निर्माण एवं सम्पूर्ण साधना विधि सिख सकते हैं ।
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