हनुमान चालीसा अर्थ सरल हिंदी में | Hanuman Chalisa Meaning | Hanuman Jayanti 2022 | Ashish P Mishra
( Hanuman Chalisa ) हनुमान चालीसा एक भक्ति भजन है जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है। भगवान हनुमान विश्वास, समर्पण और भक्ति के अवतार हैं, और भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति के लिए पहचाने जाते हैं।
तुलसी रामायण के लेखक संत गोस्वामी तुलसीदास ने 'हनुमान चालीसा' (रामचरितमानस) की रचना की। माना जाता है कि हनुमान चालीसा एक अस्वस्थ तुलसीदास द्वारा लिखी गई है। तुलसीदास भगवान हनुमान की स्तुति लिखकर और गाकर अपने स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करने में सक्षम थे।
हनुमान चालीसा अवधी में लिखी गई है और इसमें 40 कविताएँ हैं जो भगवान हनुमान की आराधना से भरी हैं। हिंदी की यह बोली भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में बोली जाती थी।
Hanuman Chalisa is a devotional hymn that has stood the test of time. Lord Hanuman is the embodiment of trust, submission, and devotion, and is recognised for his devotion to Lord Ram.
Saint Goswami Tulsidas, author of the Tulsi Ramayana, penned the 'Hanuman Chalisa' (Ramacharitamanasa). The Hanuman Chalisa is thought to have been written by an unwell Tulsidas. Tulsidas was able to regain his health by writing and singing praises to Lord Hanuman.
The Hanuman Chalisa is written in Avadhi and consists of 40 poems packed with adoration for Lord Hanuman. This dialect of Hindi was spoken in Ayodhya, the birthplace of Lord Rama.
Credits :
Narrated By : Pandit Ashish P Mishra
Explanation Written By : Pandit Ashish P Mishra
Concept : Pandit Ashish P Mishra
Original Lyrics : Traditional
दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
दोहा :
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
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Saregama is india's oldest music label and has a never ending library of the most popular devotional songs, bhajans, aartis and puja vidhis. Saregama Bhakti is focussed on bringing you quality devotional and spiritual content sung by the legends of Bollywood, Devotional and Spiritual genre like Lata Mangeshkar, Jagjit Singh, Anup Jalota, Hari Om Sharan, Suresh Wadkar and many more. Right from Bhajans, Pooja Vidhis, Gurbani, Sai Bhakti we have it all available on your channel to help to enhance your divine experience and connect with the almighty at a new level.
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तुलसी रामायण के लेखक संत गोस्वामी तुलसीदास ने 'हनुमान चालीसा' (रामचरितमानस) की रचना की। माना जाता है कि हनुमान चालीसा एक अस्वस्थ तुलसीदास द्वारा लिखी गई है। तुलसीदास भगवान हनुमान की स्तुति लिखकर और गाकर अपने स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करने में सक्षम थे।
हनुमान चालीसा अवधी में लिखी गई है और इसमें 40 कविताएँ हैं जो भगवान हनुमान की आराधना से भरी हैं। हिंदी की यह बोली भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में बोली जाती थी।
Hanuman Chalisa is a devotional hymn that has stood the test of time. Lord Hanuman is the embodiment of trust, submission, and devotion, and is recognised for his devotion to Lord Ram.
Saint Goswami Tulsidas, author of the Tulsi Ramayana, penned the 'Hanuman Chalisa' (Ramacharitamanasa). The Hanuman Chalisa is thought to have been written by an unwell Tulsidas. Tulsidas was able to regain his health by writing and singing praises to Lord Hanuman.
The Hanuman Chalisa is written in Avadhi and consists of 40 poems packed with adoration for Lord Hanuman. This dialect of Hindi was spoken in Ayodhya, the birthplace of Lord Rama.
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Original Lyrics : Traditional
दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
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तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
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तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
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जुग सहस्र जोजन पर भानू।
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जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
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जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
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15 апреля 2022 г. 16:30:22
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