सींथळ ठिकाणे के #चारण भेंरूदान बीठु Commandant of the bikaner army |charan bherudan bithu of sinthal
#ताजीमी ठाकुर #विभूतिदान बिठू के पुत्र भैंरूदान ने कई ऊँचे पदों पर आसीन होकर राजा और प्रजा के बीच पूर्ण विश्वास उत्पन्न किया।
ठाकुर विभूतिदान की मृत्यु के बाद इनके पाँच पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र भेंरूदान को महाराजा डूंगरसिंहजी ने कविराजा का ख़िताब प्रदान किया
भैंरूदान बिठू बीकानेर सेना के कमांडेंट पद पर नियुक्त हुए
चारण भैंरूदान बिठू सन् 1879 में बीकानेर के पोलिटीकल एजेंट के पास वकील नियुक्त हुए।
शासन सुधार कमेटी के सदस्य रहे
सन् 1887 में बीकानेर की स्टेट कौंसिल के सदस्य निर्वाचित हुए।
भेरूदान बिठू बीकानेर रिजेंसी एवं नाजिम परिषद के सदस्य रहे
Chiefs and Leading Families in rajputana मे लेखक C. S. Bayley लिखते है :-Kaviraj Bhairun Dan, who served the State as Commandant of the Army, a member of the Council of Regency and Nazim, and who is now the Customs Officer, and his son Omar Dan, Superintendent of polic.
अर्थात - कविराज भैरूंदान, जिन्होंने सेना के कमांडेंट के रूप में राज्य की सेवा की एवं रीजेंसी और नाज़िम परिषद के सदस्य रहे, और सीमा शुल्क अधिकारी ईनके बेटे उमरदान, पुलिस अधीक्षक रहे,
भैंरूदान के पिता ताजीमी ठाकुर विभूतिदान अपने समय के बड़े योग्य व्यक्ति हुए
हिस्ट्री ऑफ द बीकानेर मे इतिहासकार गौरीशंकर हिराचंद औजा लिखते है : -
भोमदान के पुत्र विभूतिदान समझदार और मंत्रणाकुशल व्यक्ति थे,
बीकानेर महाराजा सरदार सिंह के निसंतान मृत्यु के बाद वहां के उत्तराधिकार के लिए कई व्यक्ति खड़े हुए तब विभूतिदान ने महाराज लालसिंह के ज्येष्ठ पुत्र डूंगरसिंद को जो वास्तविक हकदार था उसको राजगद्दी पर बिठाने के लिए पूर्ण प्रयत्न किया
महाराजा डूंगरसिंह ने राज्याधिकार मिलने पर विभूतिदान की बड़ी कद्र की साथ ही ताजीम एव कविराजा का खिताब दिया
#ठाकुर विभूतिदान के पास पहले के १ सीथल, २ रावणमेरी ३ गोरखेरी गावों की जागीर थी इसके अतिरिक्त तीन गावों की जागीर प्रदान की जिसमे 1873 ईस्वी मे कूकरिया, 1874 ईस्वी मे बसिया एवं 1878 ईस्वी मे लालसिंहपुरा की जागीर का स्वामित्व सौंपा,
विभूतिदान बिठू #बीकानेर के पॉलिटिकल एजेंट के पास वकील के पद पर नियुक्त हुए
विभूतिदान बीकानेर की स्टेट काऊंसिल के सदस्य बने
विभूतिदान जीवन पर्यन्त दोनों पदों पर कार्य करते रहे ज़ब विभूतिदान बीमार हुए तब इनकी हवेली पर #महाराजा #डूंगरसिंह आराम पूछने आये
4
शिवबाड़ी का शिवमन्दिर एवं लालसिंहपूरा मे स्थिति लालेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण विभूतिदान की देख रेख मे हुआ
लालसिंह पूरा मे विभूतिदान की पदमासमन मुद्रा में मूर्ति स्थापित है
विभूतिदान के पांच पुत्र हुए -भैरूंदान, भारतदान, सुखदान, मुंकनदान और मुलदान.
विभूतिदान की मृत्यु के बाद महाराजा डूंगरसिंह ने विभूतिदान के ज्येष्ठ पुत्र भैरूंदान को कविराजा का ख़िताब दिया
ईस्वी 1879 में महाराजा ने भैंरूदान को बीकानेर के पोलिटिकल एजेंट के पास वकील नियुक्त किया
भैंरूदान दीवानी अदालत, फौज के अफसर तथा नाजिम इत्यादि पदों पर भी समय- समय पर नियुक्त हुए।
महाराजा डूंगरसिंह के समय विवाद - ग्रस्त विषयों को निपटाकर शासन - सुधार करने के लिए खास कमेटी बनाने की योजना हुई, तब भैरुंदान भी उसका एक सदस्य बने
भैंरूदान ईस्वी 1887 में बीकानेर की स्टेट कौंसिल के सदस्य निर्वाचित हुए।
झगड़े मिटाने और चारणों से चुंगी की रकम वसूल करने के संबंध में जो विवाद हुआ, उसको मिटाने में उसने अच्छी कार्यतत्परता दिखलाकर विरोध न बढ़ने दिया, जिससे उसकी बड़ी ख्याति हुई।
महाराजा डूंगरसिंह की मृत्यु होने के बाद महाराजा गंगासिंह के प्रारंभिक शासन काल तक भैंरूदान स्टेट कौंसिल का सदस्य रहे।
वि.सं. 1971 भाद्रपद वदी 8 (ईस्वी 1914 ता. 14 अगस्त) को संतानहिन् मृत्यु हुई जबकि Chiefs and Leading Families in rajputana मे इनके पुत्र उमरदान का उल्लेख है जो S. P थे. बीकानेर सेना के कमांडेंट भैंरूदान का महाराजा गंगासिंह के साथ दुर्लभतस्वीर विद्यमान है जिसमे बाल्यावस्था मे गंगासिंह के दांयी तरफ भैंरूदान बैठे है
दिग्विजयसिंह (दुर्गाखेड़ा) & निखिळ कविया (बिराई)
संदर्भ : -
Chiefs and Leading Families in rajputana BY C. S. Bayley
हिस्ट्री ऑफ द बीकानेर by ओझा गौरीशंकर हीरांचद
Видео सींथळ ठिकाणे के #चारण भेंरूदान बीठु Commandant of the bikaner army |charan bherudan bithu of sinthal канала Royalty_of_charan
ठाकुर विभूतिदान की मृत्यु के बाद इनके पाँच पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र भेंरूदान को महाराजा डूंगरसिंहजी ने कविराजा का ख़िताब प्रदान किया
भैंरूदान बिठू बीकानेर सेना के कमांडेंट पद पर नियुक्त हुए
चारण भैंरूदान बिठू सन् 1879 में बीकानेर के पोलिटीकल एजेंट के पास वकील नियुक्त हुए।
शासन सुधार कमेटी के सदस्य रहे
सन् 1887 में बीकानेर की स्टेट कौंसिल के सदस्य निर्वाचित हुए।
भेरूदान बिठू बीकानेर रिजेंसी एवं नाजिम परिषद के सदस्य रहे
Chiefs and Leading Families in rajputana मे लेखक C. S. Bayley लिखते है :-Kaviraj Bhairun Dan, who served the State as Commandant of the Army, a member of the Council of Regency and Nazim, and who is now the Customs Officer, and his son Omar Dan, Superintendent of polic.
अर्थात - कविराज भैरूंदान, जिन्होंने सेना के कमांडेंट के रूप में राज्य की सेवा की एवं रीजेंसी और नाज़िम परिषद के सदस्य रहे, और सीमा शुल्क अधिकारी ईनके बेटे उमरदान, पुलिस अधीक्षक रहे,
भैंरूदान के पिता ताजीमी ठाकुर विभूतिदान अपने समय के बड़े योग्य व्यक्ति हुए
हिस्ट्री ऑफ द बीकानेर मे इतिहासकार गौरीशंकर हिराचंद औजा लिखते है : -
भोमदान के पुत्र विभूतिदान समझदार और मंत्रणाकुशल व्यक्ति थे,
बीकानेर महाराजा सरदार सिंह के निसंतान मृत्यु के बाद वहां के उत्तराधिकार के लिए कई व्यक्ति खड़े हुए तब विभूतिदान ने महाराज लालसिंह के ज्येष्ठ पुत्र डूंगरसिंद को जो वास्तविक हकदार था उसको राजगद्दी पर बिठाने के लिए पूर्ण प्रयत्न किया
महाराजा डूंगरसिंह ने राज्याधिकार मिलने पर विभूतिदान की बड़ी कद्र की साथ ही ताजीम एव कविराजा का खिताब दिया
#ठाकुर विभूतिदान के पास पहले के १ सीथल, २ रावणमेरी ३ गोरखेरी गावों की जागीर थी इसके अतिरिक्त तीन गावों की जागीर प्रदान की जिसमे 1873 ईस्वी मे कूकरिया, 1874 ईस्वी मे बसिया एवं 1878 ईस्वी मे लालसिंहपुरा की जागीर का स्वामित्व सौंपा,
विभूतिदान बिठू #बीकानेर के पॉलिटिकल एजेंट के पास वकील के पद पर नियुक्त हुए
विभूतिदान बीकानेर की स्टेट काऊंसिल के सदस्य बने
विभूतिदान जीवन पर्यन्त दोनों पदों पर कार्य करते रहे ज़ब विभूतिदान बीमार हुए तब इनकी हवेली पर #महाराजा #डूंगरसिंह आराम पूछने आये
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शिवबाड़ी का शिवमन्दिर एवं लालसिंहपूरा मे स्थिति लालेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण विभूतिदान की देख रेख मे हुआ
लालसिंह पूरा मे विभूतिदान की पदमासमन मुद्रा में मूर्ति स्थापित है
विभूतिदान के पांच पुत्र हुए -भैरूंदान, भारतदान, सुखदान, मुंकनदान और मुलदान.
विभूतिदान की मृत्यु के बाद महाराजा डूंगरसिंह ने विभूतिदान के ज्येष्ठ पुत्र भैरूंदान को कविराजा का ख़िताब दिया
ईस्वी 1879 में महाराजा ने भैंरूदान को बीकानेर के पोलिटिकल एजेंट के पास वकील नियुक्त किया
भैंरूदान दीवानी अदालत, फौज के अफसर तथा नाजिम इत्यादि पदों पर भी समय- समय पर नियुक्त हुए।
महाराजा डूंगरसिंह के समय विवाद - ग्रस्त विषयों को निपटाकर शासन - सुधार करने के लिए खास कमेटी बनाने की योजना हुई, तब भैरुंदान भी उसका एक सदस्य बने
भैंरूदान ईस्वी 1887 में बीकानेर की स्टेट कौंसिल के सदस्य निर्वाचित हुए।
झगड़े मिटाने और चारणों से चुंगी की रकम वसूल करने के संबंध में जो विवाद हुआ, उसको मिटाने में उसने अच्छी कार्यतत्परता दिखलाकर विरोध न बढ़ने दिया, जिससे उसकी बड़ी ख्याति हुई।
महाराजा डूंगरसिंह की मृत्यु होने के बाद महाराजा गंगासिंह के प्रारंभिक शासन काल तक भैंरूदान स्टेट कौंसिल का सदस्य रहे।
वि.सं. 1971 भाद्रपद वदी 8 (ईस्वी 1914 ता. 14 अगस्त) को संतानहिन् मृत्यु हुई जबकि Chiefs and Leading Families in rajputana मे इनके पुत्र उमरदान का उल्लेख है जो S. P थे. बीकानेर सेना के कमांडेंट भैंरूदान का महाराजा गंगासिंह के साथ दुर्लभतस्वीर विद्यमान है जिसमे बाल्यावस्था मे गंगासिंह के दांयी तरफ भैंरूदान बैठे है
दिग्विजयसिंह (दुर्गाखेड़ा) & निखिळ कविया (बिराई)
संदर्भ : -
Chiefs and Leading Families in rajputana BY C. S. Bayley
हिस्ट्री ऑफ द बीकानेर by ओझा गौरीशंकर हीरांचद
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11 мая 2025 г. 15:41:59
00:00:16
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