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रामानंद सागर कृत जय गंगा मैया भाग 12 - अंधकासुर का पाताल लोक को छोड़ना

https://youtu.be/6NmX-ActJ20
बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद।

Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - https://youtu.be/j7EQePGkak0

Ramanand Sagar's Jai Ganga Maiya Episode 12 - Leaving the hades of Andhakasura.

अंधकासुर गंगा मैया के विराट रूप के दर्शन करता है और उनकी आरती पूजन करता है। अंधकासुर गंगा मैया से कहता है आप मेरे पाताल लोक में आकर मेरे असुरों पर भी अपनी कृपा बनाए। गंगा मैया उसे कहती हैं कि मैं मैं भविष्य में तुम्हारे छूटे भाई प्रह्लाद का पोता बलि से जब विष्णु जी वामन रूप तीन पग ज़मीन माँगेंगे तो उनके एक पग पृथ्वी लोक और दूसरा पग स्वर्ग लोक में होगा तो ब्रह्मा जी अपने कमंडल से मेरे जल से उनके पग धोएँगे तो जो जल उसे से गिरेगा तो वह पाताल लोक में तुम्हारे असुरों का कल्याण करेगी और सदैव वहीं पर पाताल गंगा के नाम से बहती रहेगी। अंधकासुर दिव्य बन जाता है और कोई भी पाप नहीं करने की धान लेता है तो शुक्राचार्य क्रोधित हो जाता है और उसकी जगह हरिण्यकश्यप को असुर राज बनाने की ठान लेता है। अंधकासुर गंगा मैया और माता उमा से कहता है की आपके संयुक्त रूप के दर्शन पाकर में तृप्त हो गया हूँ। गंगा मैया इंद्र देव और असुर राज अंधकासुर को देवासुर संग्राम को ख़त्म करके देवासुर संगम करने को कहती हैं। इंद्र देव और अंधकासुर एक दूसरे के साथ मित्रता कर लेता हैं। अंधकासुर पाताल लोक लौट आता है और अपने गुरु शुक्राचार्य के पास आता है। शुक्राचार्य उसे देख कर क्रोधित होता है और उसे कहता है की तुमने अपने धर्म को छोड़कर अच्छा नहीं किया तुम असुर थे और तुमने गंगा की शरण में जाकर असुरों के साथ धोका किया है। शुक्राचार्य अंधकासुर को राजा के पद से हटने के लिए कहता है। अंधकासुर अपना राज पाठ छोड़कर पाताल लोक से चला जाता है। शुक्राचार्य हरिण्यकश्यप को असुरों का राजा बनाने के लिए असुरों को बताता है। हरिण्यकश्यप नाग सेना को परास्त करके नाग लोक पर अपना आधिपत्य स्थापित कर देता है।

Ramanand Sagar presents - 'JAI GANGA MAIYA' based on the most revered and the only living goddess - GANGA. Residing in the Kamandal of LORD BRAHMA, BHAGWATI GANGA, like SARASWATI and LAXMI, is one of the seven SHAKTIS of supreme GODDESS MAHAMAYA ADISHAKTI. The story goes far back when Kapil Muni curses King Sagar's sixty thousand and one sons and reduces them to ashes. On repeated requests by the sole son of King Sagar, Kapil Muni finally changes his mind and says that King Sagar's sons would attain MUKTI only if their ashes are cleansed by the holy water of GODDESS GANGA. Generation after generation apologize to pacify BRAHMA but without success - and finally after music praying by BHAGIRATH - the seventh generation of King Sagar, GANGA reluctantly consents to descend to earth. To contain its powerful fall, LORD SHIVA steps in the way and lets the river tumble gently through his long hair onto the Himalayas. GANGA then flows across India to the edge of the ocean, where she washes over the ashes and gives of millions of Indians for whom the river is Holy because river Ganga personifies GODDESS GANGA who descends to earth to cleanse the sins of mankind. Ramanand Sagar's JAI GANGA MAIYA is based on: Shrimad Devi Bhagwat, Shree Padma Mahapuran, Shree Bhagwat Mahapuran, Shree Durga Saptashati, Shree Skanda Mahapuran, and Shree Waman Mahapuran. Other sources of inspiration include: His Holiness Shankaracharya, Maharishi Valmiki, Ved Vyas, Sant Tulsidas and also folk literature, popular legends of medieval and modern literature.

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31 марта 2021 г. 8:00:07
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