साधारण से दिखने वाले महान भारतीय वैज्ञानिक—श्री गुरमेल सिंह [बनाई कचरे से खाद बनाने वाली मशीन]—EP#4
Gurmail Singh Dhonsi—Compost Aerator Inventor [बनाई कचरे से खाद बनाने वाली मशीन]—*****Hindi Documentary*****EP#4—साधारण से दिखने वाले महान भारतीय वैज्ञानिक
किसान गुरमेल सिंह धोंसी खेती में खास भले ही नहीं कर पाए हों, लेकिन अपने नए आइडियाज से मिसाल कायम की। छोटे-से गांव से आए धोंसी ने अब तक 24 ऐसे उपकरण बना दिए जो किसानों के रोजमर्रा काम में आते हैं। जिनकी डिमांड अब पाकिस्तान से भी आती है। कम लागत और कम खर्च वाले ये उपकरण लोकप्रिय भी होने लगे हैं।
#साधारणसेदिखनेवालेभारतीयवैज्ञानिक #गुरमेलसिंह
भारत के एक किसान की करामात, बनाई ऐसी कृषि-मशीनें जिनपर फ़िदा हैं पाकिस्तान, अफगानिस्तान
भारत के राजस्थान राज्य के किसान श्री गुरमेल सिंह धोंसी ने कृषि क्षेत्र में अपने अभिनव विचारों से खेती में सहायक मशीनों को बनाने में महारथ हासिल कर ली है | उल्लेखनीय है कि छोटे से गांव से जुड़े धोंसी ने अब तक 24 ऐसे कृषि-उपकरण बना दिए हैं, जो किसानों के रोजमर्रा के खेतिहर कामों में बड़े पैमाने पर प्रयुक्त होते हैं | यही कारण है कि इनकी मांग न केवल हिंदुस्तान वरन पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक पहुँच चुकी है | कम लागत और कम खर्च वाले ये कृषि उपकरण अत्यंत लोकप्रिय होने लगे हैं। इस उपलब्धि के लिए किसान श्री गुरमेल सिंह धोंसी 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित किये जा चुके हैं | वहीं 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी 20 दिनों तक श्री धोंसी को राष्ट्रपति भवन में मेहमान बना कर यथोचित सम्मान दिया था | गौरतलब है कि किसान श्री गुरमेल सिंह धोंसी के बनाये कृषि उपकरणों की भारत के राज्यों मसलन राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के साथ ही पड़ोसी देशों पाकिस्तान और अफगानिस्तान में खासी मांग है | श्री धोंसी किसान अपनी इस सफलता का श्रेय श्री सुरेंद्र कुमार जाखड़ (इफको के चेयरमैन) को देते हैं | श्री धोंसी द्वारा कृषि उपकरण बनाने की शुरुआत उस समय हुई, जब विदेश से लाए ट्रैक्टर को ठीक करने के लिए उन्हें अपने देश में पार्ट्स नहीं मिल रहे थे। तब उन्होंने पांच एचपी का देसी इंजन लगाकर ट्रैक्टर को काम में लाना शुरू कर दिया। बाद में इससे उन्होंने न सिर्फ खेत में जुताई की, बल्कि हार्वेस्टिंग के तहत गेंहू, ग्वार और अन्य अनाज भी निकाले।
श्री धोंसी द्वारा तैयार लोकप्रिय कृषि उपकरण
वुड चिपर : यह मशीन लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े करने के काम में आती है। इसके अलावा भी कई काम आती है।
लोडर : 35 एचपी के ट्रैक्टर पर बना बड़ा लोडर, जो 25 फुट तक ऊंचा है। इसकी बकेट भी 8 से 10 फुट तक बनाई गई है, जबकि बड़ी कंपनियों के लोडर ज्यादा एचपी वाले ट्रैक्टर बनते हैं और 6 फुट वाली बकेट के होते हैं।
ट्री परुनिंग मशीन : बाग या खेत में फलों वाले पेड़ों के ऊपरी तनों को काटने के लिए बनी है ट्री परुनिंग मशीन । यह खासतौर से जैतून के पेड़ की छंटाई में काम में आता है।
रोड स्वीपर : ट्रैक्टर से जुड़ा यह उपकरण सड़क की सफाई के लिए काम में लिया जाता है।
होल डिगर : खेत में या अन्य ठोस स्थानों पर सीधे जमीन में छेद करने के लिए होल ड्रिगर मशीन ट्रैक्टर से जोड़कर तैयार की जाती है।
ग्रेबर पंजा : ट्रैक्टर से जुड़े इस उपकरण को चारा लोडिंग, गन्ना लोडिंग, धान, नरमा कपास या लकड़ी लोडिंग के काम में लिया जा सकता है।
क्या-क्या काम करती हैं ये मशीनें :-
1. वुड चिपर - यह मशीन लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े करने के काम आती है।
2. लोडर - 35 एचपी के ट्रैक्टर पर ही बड़ी लोडर बना दिया जो 25 फुट तक ऊंचा है। इसकी बकेट भी 8 से 10 फुट तक बनाई गई है।
3. ट्री परुनिंग मशीन - बाग या खेतों में फलों वाले पेड़ों के ऊपरी तनों को काटने के लिए ट्री परुनिंग मशीन तैयार की। यह खासतौर से जैतून के पेड़ की छंटाई में काम आता है
4. रोड स्वीपर - ट्रैक्टर से अटैच यह उपकरण सड़क की सफाई के लिए काम में लाया जाता है।
5. होल डिगर - खेत में या अन्य ठोस स्थानों पर सीधे जमीन में छेद करने के लिए होल ड्रिगर मशीन ट्रैक्टर से अटैव करके तैयार की गई है
कुल 24 मशीनें तैयार की
गुरनेल ने अभी तक कुल 24 मशीनें तैयार की हैं। कम लागत और कम खर्च वाले ये उपकरण काफी लोकप्रिय भी हुए। इसके चलते 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें सम्मानित भी किया। जबकि 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 20 दिन तक राष्ट्रपति भवन में मेहमान बनाकर सम्मान दिया। गुरनेल अपनी सफलता का श्रेय सुरेंद्र कुमार जाखड़ (इफको के चेयरमैन) को देते हैं, जो हर उपकरण के प्रयोग अपने खेत मे करने की छूट देते हैं
खाद जलवाहक को कृषि के लिए अद्वितीय होने के लिए कई प्रशंसा मिली है। इसकी विशिष्ट विशेषताएं यह हैं कि मशीन एक घंटे में 6.5 फीट x 2.5 फीट (यानी कुल 1200 टन) आकार के बायोमास को मोड़ और मिला सकती है और इस उद्देश्य के लिए 3.5-4.0 लीटर डीजल की खपत करती है। खेत की खाद और वर्मीकम्पोस्ट की तुलना में खाद का उर्वरता मूल्य बेहतर होता है। “इसमें नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है। खाद बनाने के लिए मशीन इष्टतम तापमान बनाए रखती है,” उनका दावा है।
कम्पोस्ट एरेटर में रोटर के ऊपर और नीचे की गति को सुविधाजनक बनाने के लिए हाइड्रोलिक जैक होता है। ट्रैक्टर के साइड में 1500 लीटर क्षमता वाली पानी की टंकी दी गई है।
खाद जलवाहक ने श्री धोंसी को वह नाम और प्रसिद्धि दिलाई जिसके वे जीवन भर हकदार थे। पुरस्कारों के साथ-साथ कंपोस्ट एयररेटर के मॉडल को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आविष्कार संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने कहा, "मैं इस सम्मान से खुश हूं।" यह मशीन पूरे देश में बेची जा रही है।
भविष्य की योजनाओं को साझा करते हुए श्री धोंसी ने निष्कर्ष निकाला, “मैं अगली बार चारा प्रसंस्करण मशीन पर काम कर रहा हूं। इससे किसानों को खेत में चारे को संभालने के साथ-साथ परिवहन में भी मदद मिलेगी। मैं कृषि गतिविधियों को परेशानी मुक्त बनाने के लिए जीवन भर प्रतिबद्ध हूं।
Видео साधारण से दिखने वाले महान भारतीय वैज्ञानिक—श्री गुरमेल सिंह [बनाई कचरे से खाद बनाने वाली मशीन]—EP#4 канала Taj Agro Products
किसान गुरमेल सिंह धोंसी खेती में खास भले ही नहीं कर पाए हों, लेकिन अपने नए आइडियाज से मिसाल कायम की। छोटे-से गांव से आए धोंसी ने अब तक 24 ऐसे उपकरण बना दिए जो किसानों के रोजमर्रा काम में आते हैं। जिनकी डिमांड अब पाकिस्तान से भी आती है। कम लागत और कम खर्च वाले ये उपकरण लोकप्रिय भी होने लगे हैं।
#साधारणसेदिखनेवालेभारतीयवैज्ञानिक #गुरमेलसिंह
भारत के एक किसान की करामात, बनाई ऐसी कृषि-मशीनें जिनपर फ़िदा हैं पाकिस्तान, अफगानिस्तान
भारत के राजस्थान राज्य के किसान श्री गुरमेल सिंह धोंसी ने कृषि क्षेत्र में अपने अभिनव विचारों से खेती में सहायक मशीनों को बनाने में महारथ हासिल कर ली है | उल्लेखनीय है कि छोटे से गांव से जुड़े धोंसी ने अब तक 24 ऐसे कृषि-उपकरण बना दिए हैं, जो किसानों के रोजमर्रा के खेतिहर कामों में बड़े पैमाने पर प्रयुक्त होते हैं | यही कारण है कि इनकी मांग न केवल हिंदुस्तान वरन पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक पहुँच चुकी है | कम लागत और कम खर्च वाले ये कृषि उपकरण अत्यंत लोकप्रिय होने लगे हैं। इस उपलब्धि के लिए किसान श्री गुरमेल सिंह धोंसी 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित किये जा चुके हैं | वहीं 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी 20 दिनों तक श्री धोंसी को राष्ट्रपति भवन में मेहमान बना कर यथोचित सम्मान दिया था | गौरतलब है कि किसान श्री गुरमेल सिंह धोंसी के बनाये कृषि उपकरणों की भारत के राज्यों मसलन राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के साथ ही पड़ोसी देशों पाकिस्तान और अफगानिस्तान में खासी मांग है | श्री धोंसी किसान अपनी इस सफलता का श्रेय श्री सुरेंद्र कुमार जाखड़ (इफको के चेयरमैन) को देते हैं | श्री धोंसी द्वारा कृषि उपकरण बनाने की शुरुआत उस समय हुई, जब विदेश से लाए ट्रैक्टर को ठीक करने के लिए उन्हें अपने देश में पार्ट्स नहीं मिल रहे थे। तब उन्होंने पांच एचपी का देसी इंजन लगाकर ट्रैक्टर को काम में लाना शुरू कर दिया। बाद में इससे उन्होंने न सिर्फ खेत में जुताई की, बल्कि हार्वेस्टिंग के तहत गेंहू, ग्वार और अन्य अनाज भी निकाले।
श्री धोंसी द्वारा तैयार लोकप्रिय कृषि उपकरण
वुड चिपर : यह मशीन लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े करने के काम में आती है। इसके अलावा भी कई काम आती है।
लोडर : 35 एचपी के ट्रैक्टर पर बना बड़ा लोडर, जो 25 फुट तक ऊंचा है। इसकी बकेट भी 8 से 10 फुट तक बनाई गई है, जबकि बड़ी कंपनियों के लोडर ज्यादा एचपी वाले ट्रैक्टर बनते हैं और 6 फुट वाली बकेट के होते हैं।
ट्री परुनिंग मशीन : बाग या खेत में फलों वाले पेड़ों के ऊपरी तनों को काटने के लिए बनी है ट्री परुनिंग मशीन । यह खासतौर से जैतून के पेड़ की छंटाई में काम में आता है।
रोड स्वीपर : ट्रैक्टर से जुड़ा यह उपकरण सड़क की सफाई के लिए काम में लिया जाता है।
होल डिगर : खेत में या अन्य ठोस स्थानों पर सीधे जमीन में छेद करने के लिए होल ड्रिगर मशीन ट्रैक्टर से जोड़कर तैयार की जाती है।
ग्रेबर पंजा : ट्रैक्टर से जुड़े इस उपकरण को चारा लोडिंग, गन्ना लोडिंग, धान, नरमा कपास या लकड़ी लोडिंग के काम में लिया जा सकता है।
क्या-क्या काम करती हैं ये मशीनें :-
1. वुड चिपर - यह मशीन लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े करने के काम आती है।
2. लोडर - 35 एचपी के ट्रैक्टर पर ही बड़ी लोडर बना दिया जो 25 फुट तक ऊंचा है। इसकी बकेट भी 8 से 10 फुट तक बनाई गई है।
3. ट्री परुनिंग मशीन - बाग या खेतों में फलों वाले पेड़ों के ऊपरी तनों को काटने के लिए ट्री परुनिंग मशीन तैयार की। यह खासतौर से जैतून के पेड़ की छंटाई में काम आता है
4. रोड स्वीपर - ट्रैक्टर से अटैच यह उपकरण सड़क की सफाई के लिए काम में लाया जाता है।
5. होल डिगर - खेत में या अन्य ठोस स्थानों पर सीधे जमीन में छेद करने के लिए होल ड्रिगर मशीन ट्रैक्टर से अटैव करके तैयार की गई है
कुल 24 मशीनें तैयार की
गुरनेल ने अभी तक कुल 24 मशीनें तैयार की हैं। कम लागत और कम खर्च वाले ये उपकरण काफी लोकप्रिय भी हुए। इसके चलते 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें सम्मानित भी किया। जबकि 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 20 दिन तक राष्ट्रपति भवन में मेहमान बनाकर सम्मान दिया। गुरनेल अपनी सफलता का श्रेय सुरेंद्र कुमार जाखड़ (इफको के चेयरमैन) को देते हैं, जो हर उपकरण के प्रयोग अपने खेत मे करने की छूट देते हैं
खाद जलवाहक को कृषि के लिए अद्वितीय होने के लिए कई प्रशंसा मिली है। इसकी विशिष्ट विशेषताएं यह हैं कि मशीन एक घंटे में 6.5 फीट x 2.5 फीट (यानी कुल 1200 टन) आकार के बायोमास को मोड़ और मिला सकती है और इस उद्देश्य के लिए 3.5-4.0 लीटर डीजल की खपत करती है। खेत की खाद और वर्मीकम्पोस्ट की तुलना में खाद का उर्वरता मूल्य बेहतर होता है। “इसमें नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है। खाद बनाने के लिए मशीन इष्टतम तापमान बनाए रखती है,” उनका दावा है।
कम्पोस्ट एरेटर में रोटर के ऊपर और नीचे की गति को सुविधाजनक बनाने के लिए हाइड्रोलिक जैक होता है। ट्रैक्टर के साइड में 1500 लीटर क्षमता वाली पानी की टंकी दी गई है।
खाद जलवाहक ने श्री धोंसी को वह नाम और प्रसिद्धि दिलाई जिसके वे जीवन भर हकदार थे। पुरस्कारों के साथ-साथ कंपोस्ट एयररेटर के मॉडल को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आविष्कार संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने कहा, "मैं इस सम्मान से खुश हूं।" यह मशीन पूरे देश में बेची जा रही है।
भविष्य की योजनाओं को साझा करते हुए श्री धोंसी ने निष्कर्ष निकाला, “मैं अगली बार चारा प्रसंस्करण मशीन पर काम कर रहा हूं। इससे किसानों को खेत में चारे को संभालने के साथ-साथ परिवहन में भी मदद मिलेगी। मैं कृषि गतिविधियों को परेशानी मुक्त बनाने के लिए जीवन भर प्रतिबद्ध हूं।
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