कौन थीं जिन्ना की बेटी दीना वाडिया
कौन थीं जिन्ना की बेटी दीना वाडिया
दीना वाडिया, मोहम्मद अली जिन्ना और रती पेटिट की इकलौती संतान थीं. रती एक पारसी कुलीन घराने की महिला थीं. जब दीना का जन्म हुआ, जिन्ना और रती का वैवाहिक जीवन ठीक नहीं चल रहा था.
जन्म के साथ ही दीना को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. जब उनका जन्म हुआ तो उनके मां बाप में से किसी के पास उनके लिए समय नहीं था. उनका जन्म लंदन में 14 अगस्त, 1919 को आधी रात को हुआ. जिन्ना वहां सुधारों को लेकर एक संसदीय समिति के सामने पेश होने गए थे. साथ में रती पेटिट को भी लेकर गए थे.
दीना के इस दुनिया में आने से इस दंपत्ति को बहुत खुशी नहीं हुई. जिन्ना की क़रीबी दोस्त सरोजिनी नायडू ने लंदन में नवजात बच्ची को और उसकी मां से मिलने के बाद लिखा, "रती एक कमज़ोर पतंगे की तरह दिख रही थीं... वो बहुत खुश नहीं दिख रही थीं...."
जब दीना महज दो महीने की थीं, जिन्ना परिवार (मुंबई) लौट आया. दीना को नौकरों की देखरेख में छोड़ दिया गया जबकि दोनों दो दिशाओं में चल पड़े. इसके तुरंत बाद जिन्ना राजनीति में व्यस्त हो गए जबकि रती हैदराबाद में अपने दोस्त से मिलने चली गईं. वो अपने कुत्ते को साथ लेती गईं, लेकिन अपनी नवजात बेटी को वहीं छोड़ दिया.
उनकी शादी में दिक्कतें शुरू होने से पहले ही अपनी इकलौती संतान के प्रति उनकी उदासीनता दिखने लगी थी.
रती के क़रीबी दोस्त भी, अपनी इकलौती बेटी के साथ उनके लगाव के न होने से हैरान थे.
वो औरत जिसे जिन्ना प्यार करते थे छह साल तक नहीं मिला कोई नाम
सरोजिनी की बेटी पद्मजा ने अपनी बहन को लिखा, "मैं रती के व्यवहार को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही, जैसा बाकी लोग समझते हैं, उस तरह से मैं उन्हें दोषी नहीं ठहरा रही, लेकिन जब भी मैं उस बच्ची के बारे में सोचती हूं, रती के प्रति बहुत प्यार होने के बावजूद, नफ़रत से भर जाती हूं."
जब बच्ची को नौकरों के हवाले छोड़ कर जिन्ना और रती विदेश में होते तो सरोजिनी उनकी बच्ची को देखने जाती थीं.
जुलाई 1921 में सरोजिनी ने पद्मजा को लिखा, "मैं आज शाम जिन्ना की बेटी को देखने गई थी. वो अपने नौकरों के साथ अकेली ऊटी से लौटी है, जहां जिन्ना ने उसे देख रेख करने वालों के सहारे भेजा था, जबकि वो और रती विदेश में थे."
उन्होंने लिखा है, "जब भी मैं उसकी बच्ची के बारे में सोचती हूं, मन करता है कि रती की पिटाई कर दूं."
छह साल की उम्र तक जिन्ना परिवार की ये इकलौती बच्ची बेनाम रही और एक नर्सरी के दायरे में बंद रही.
सरोजिनी की बड़ी बेटी लीलामणि ऑक्सफ़ोर्ड से जब घर आईं तो जिन्ना के घर गई थीं. उन्होंने इस बेनाम और परित्यक्त बच्ची के बारे में अपनी बहन को चिठ्ठी लिखी.
मोहम्मद अली जिन्ना शिया थे या सुन्नी?
#70yearsofpartition: पाकिस्तान में हिन्दुओं को लेकर क्या सोचते थे जिन्ना?
मां की मृत्यु और नया जीवन
उन्होंने लिखा है, "जब एक घंटे की मुलाक़ात के बाद मैं जाने लगी तो छह साल से थोड़ी ही अधिक उम्र की ये बच्ची मुझसे लिपट गई और न जाने की गुहार करने लगी."
अपनी बेटी को लेकर रती में पहली बार तब थोड़ा लगाव झलका जब वो मद्रास की थियोसोफ़िकल सोसाइटी के स्कूल में उसे दाख़िल कराने के बारे में योजना बना रही थीं.
हालांकि अंत में इन योजनाओं से कुछ निकला नहीं, क्योंकि संभवतया जिन्ना ने छह साल की बेटी को स्कूल में दाख़िल कराने के उनके प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था. इसका कारण ये भी था कि वो इस सोसाइटी से जुड़े लोगों को बहुत सम्मान से नहीं देखते थे.
अपने माता पिता के बीच वैवाहिक रिश्ता ख़त्म होने और इसके एक साल बाद 1929 में रती की मौत हो जाने के बाद दीना को अंततः एक ऐसा व्यक्ति मिला जो उसे प्यार कर सकता था और बदले में वो भी उस पर लाड़ दिखा सकती थीं.
और ये थीं उनकी नानी लेडी पेटिट, जो अभी तक दूर से इस दुखदायी घटना को देख रही थीं और अपनी नातिन से मिलना चाह रही थीं.
जब जिन्ना ने तिलक का पुरज़ोर बचाव किया था
'जिन्ना को मालूम था, गवर्नर जनरल बनने से क्या हासिल होगा'
नानी से मिला प्यार
लेकिन वो ऐसा नहीं कर पा रही थीं क्योंकि जिन्ना से शादी के दिन से ही बेटी से उनके रिश्ते ख़राब हो गए थे.
लेटी पेटिट को लगा कि उनकी छोटी नातिन की 'स्थिति एक अनाथ से भी बुरी' हो गई थी. ये बात उन्होंने एक निजी बातचीत में सरोजिनी नायडू को बताई थी.
और जब रती, जिन्ना से अलग हो गईं तो लेडी पेटिट का अपनी नातिन की ज़िंदगी में झुकाव पैदा हुआ और उन्होंने ठीक ठाक स्कूल में उसके दाख़िले में रुचि ली.
ननिहाल की ओर से मिले इस प्यार से कृतज्ञ जिन्ना की इस इकलौती बेटी ने अपने नाम में नानी के नाम को शामिल करने का फैसला किया. वो खुद को दीना कहलाना पसंद करती थीं, जोकि लेडी पेटिट का पहला नाम था.
रती की दुर्भाग्यपूर्ण मौत ने उनके मां बाप को तोड़ कर रख दिया लेकिन इसने लेडी पेटिट को उनकी नातिन के क़रीब भी ला दिया.
इसके बाद ये उनकी नानी ही थीं, जिनसे दीना प्यार और मदद की उम्मीद कर सकती थीं.
जिन्ना की वो कोठी जो भारत के लिए है 'दुश्मन की प्रोपर्टी'
जहां जिन्ना ने बनाई थी बंटवारे की योजना
पहली बार जिन्ना का दखल
उनके पिता जिन्ना किसी दूर के अभिभावक की तरह ही, अपनी बहन फ़ातिमा के सारे विरोधों और ऐतराज़ों के बावजूद दीना के खर्चे उठाते थे. दीना से दूरी तो उनकी हमेशा से थी ही.
जिन्ना ने अपनी बेटी की ज़िंदगी में सिर्फ एक बार दख़ल दिया, जब दीना नेविल वाडिया से शादी करना चाहती थीं.
टेक्सटाइल मिलों के मालिक वाडिया सभी तरह से एक योग्य वर थे, लेकिन जिन्ना का विरोध इस बात पर था कि वो मुसलमान नहीं हैं और इस वजह से ये उनके लिए एक राजनीतिक शर्मिंदगी का सबब था.
Видео कौन थीं जिन्ना की बेटी दीना वाडिया канала Xpose News
दीना वाडिया, मोहम्मद अली जिन्ना और रती पेटिट की इकलौती संतान थीं. रती एक पारसी कुलीन घराने की महिला थीं. जब दीना का जन्म हुआ, जिन्ना और रती का वैवाहिक जीवन ठीक नहीं चल रहा था.
जन्म के साथ ही दीना को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. जब उनका जन्म हुआ तो उनके मां बाप में से किसी के पास उनके लिए समय नहीं था. उनका जन्म लंदन में 14 अगस्त, 1919 को आधी रात को हुआ. जिन्ना वहां सुधारों को लेकर एक संसदीय समिति के सामने पेश होने गए थे. साथ में रती पेटिट को भी लेकर गए थे.
दीना के इस दुनिया में आने से इस दंपत्ति को बहुत खुशी नहीं हुई. जिन्ना की क़रीबी दोस्त सरोजिनी नायडू ने लंदन में नवजात बच्ची को और उसकी मां से मिलने के बाद लिखा, "रती एक कमज़ोर पतंगे की तरह दिख रही थीं... वो बहुत खुश नहीं दिख रही थीं...."
जब दीना महज दो महीने की थीं, जिन्ना परिवार (मुंबई) लौट आया. दीना को नौकरों की देखरेख में छोड़ दिया गया जबकि दोनों दो दिशाओं में चल पड़े. इसके तुरंत बाद जिन्ना राजनीति में व्यस्त हो गए जबकि रती हैदराबाद में अपने दोस्त से मिलने चली गईं. वो अपने कुत्ते को साथ लेती गईं, लेकिन अपनी नवजात बेटी को वहीं छोड़ दिया.
उनकी शादी में दिक्कतें शुरू होने से पहले ही अपनी इकलौती संतान के प्रति उनकी उदासीनता दिखने लगी थी.
रती के क़रीबी दोस्त भी, अपनी इकलौती बेटी के साथ उनके लगाव के न होने से हैरान थे.
वो औरत जिसे जिन्ना प्यार करते थे छह साल तक नहीं मिला कोई नाम
सरोजिनी की बेटी पद्मजा ने अपनी बहन को लिखा, "मैं रती के व्यवहार को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही, जैसा बाकी लोग समझते हैं, उस तरह से मैं उन्हें दोषी नहीं ठहरा रही, लेकिन जब भी मैं उस बच्ची के बारे में सोचती हूं, रती के प्रति बहुत प्यार होने के बावजूद, नफ़रत से भर जाती हूं."
जब बच्ची को नौकरों के हवाले छोड़ कर जिन्ना और रती विदेश में होते तो सरोजिनी उनकी बच्ची को देखने जाती थीं.
जुलाई 1921 में सरोजिनी ने पद्मजा को लिखा, "मैं आज शाम जिन्ना की बेटी को देखने गई थी. वो अपने नौकरों के साथ अकेली ऊटी से लौटी है, जहां जिन्ना ने उसे देख रेख करने वालों के सहारे भेजा था, जबकि वो और रती विदेश में थे."
उन्होंने लिखा है, "जब भी मैं उसकी बच्ची के बारे में सोचती हूं, मन करता है कि रती की पिटाई कर दूं."
छह साल की उम्र तक जिन्ना परिवार की ये इकलौती बच्ची बेनाम रही और एक नर्सरी के दायरे में बंद रही.
सरोजिनी की बड़ी बेटी लीलामणि ऑक्सफ़ोर्ड से जब घर आईं तो जिन्ना के घर गई थीं. उन्होंने इस बेनाम और परित्यक्त बच्ची के बारे में अपनी बहन को चिठ्ठी लिखी.
मोहम्मद अली जिन्ना शिया थे या सुन्नी?
#70yearsofpartition: पाकिस्तान में हिन्दुओं को लेकर क्या सोचते थे जिन्ना?
मां की मृत्यु और नया जीवन
उन्होंने लिखा है, "जब एक घंटे की मुलाक़ात के बाद मैं जाने लगी तो छह साल से थोड़ी ही अधिक उम्र की ये बच्ची मुझसे लिपट गई और न जाने की गुहार करने लगी."
अपनी बेटी को लेकर रती में पहली बार तब थोड़ा लगाव झलका जब वो मद्रास की थियोसोफ़िकल सोसाइटी के स्कूल में उसे दाख़िल कराने के बारे में योजना बना रही थीं.
हालांकि अंत में इन योजनाओं से कुछ निकला नहीं, क्योंकि संभवतया जिन्ना ने छह साल की बेटी को स्कूल में दाख़िल कराने के उनके प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था. इसका कारण ये भी था कि वो इस सोसाइटी से जुड़े लोगों को बहुत सम्मान से नहीं देखते थे.
अपने माता पिता के बीच वैवाहिक रिश्ता ख़त्म होने और इसके एक साल बाद 1929 में रती की मौत हो जाने के बाद दीना को अंततः एक ऐसा व्यक्ति मिला जो उसे प्यार कर सकता था और बदले में वो भी उस पर लाड़ दिखा सकती थीं.
और ये थीं उनकी नानी लेडी पेटिट, जो अभी तक दूर से इस दुखदायी घटना को देख रही थीं और अपनी नातिन से मिलना चाह रही थीं.
जब जिन्ना ने तिलक का पुरज़ोर बचाव किया था
'जिन्ना को मालूम था, गवर्नर जनरल बनने से क्या हासिल होगा'
नानी से मिला प्यार
लेकिन वो ऐसा नहीं कर पा रही थीं क्योंकि जिन्ना से शादी के दिन से ही बेटी से उनके रिश्ते ख़राब हो गए थे.
लेटी पेटिट को लगा कि उनकी छोटी नातिन की 'स्थिति एक अनाथ से भी बुरी' हो गई थी. ये बात उन्होंने एक निजी बातचीत में सरोजिनी नायडू को बताई थी.
और जब रती, जिन्ना से अलग हो गईं तो लेडी पेटिट का अपनी नातिन की ज़िंदगी में झुकाव पैदा हुआ और उन्होंने ठीक ठाक स्कूल में उसके दाख़िले में रुचि ली.
ननिहाल की ओर से मिले इस प्यार से कृतज्ञ जिन्ना की इस इकलौती बेटी ने अपने नाम में नानी के नाम को शामिल करने का फैसला किया. वो खुद को दीना कहलाना पसंद करती थीं, जोकि लेडी पेटिट का पहला नाम था.
रती की दुर्भाग्यपूर्ण मौत ने उनके मां बाप को तोड़ कर रख दिया लेकिन इसने लेडी पेटिट को उनकी नातिन के क़रीब भी ला दिया.
इसके बाद ये उनकी नानी ही थीं, जिनसे दीना प्यार और मदद की उम्मीद कर सकती थीं.
जिन्ना की वो कोठी जो भारत के लिए है 'दुश्मन की प्रोपर्टी'
जहां जिन्ना ने बनाई थी बंटवारे की योजना
पहली बार जिन्ना का दखल
उनके पिता जिन्ना किसी दूर के अभिभावक की तरह ही, अपनी बहन फ़ातिमा के सारे विरोधों और ऐतराज़ों के बावजूद दीना के खर्चे उठाते थे. दीना से दूरी तो उनकी हमेशा से थी ही.
जिन्ना ने अपनी बेटी की ज़िंदगी में सिर्फ एक बार दख़ल दिया, जब दीना नेविल वाडिया से शादी करना चाहती थीं.
टेक्सटाइल मिलों के मालिक वाडिया सभी तरह से एक योग्य वर थे, लेकिन जिन्ना का विरोध इस बात पर था कि वो मुसलमान नहीं हैं और इस वजह से ये उनके लिए एक राजनीतिक शर्मिंदगी का सबब था.
Видео कौन थीं जिन्ना की बेटी दीना वाडिया канала Xpose News
Показать
Комментарии отсутствуют
Информация о видео
Другие видео канала
भारत की सबसे खूबसूरत सन्यासी लड़की, इनकी खूबसूरती के आगे बड़ी बड़ी एक्ट्रेस भी फेल हैघर से बगावत कर साउथ की सुपरस्टार बनी इटावा की पिया बाजपेयी, फिल्मी सफर पर कई खुलासेयह है राजस्थान का चमत्कारी मंदिर यदि आपको दिख गया सफेद चूहा तो हर मनोकामना होगी पूरीबाल काटने के लिए कैंची का नहीं, कुल्हाड़ी का इस्तेमाल करता हैं ये हेयर ड्रेसरLic भेज रहा है अपने ग्राहकों को खास Sms! नहीं मिला तो जल्दी करें ये कामये है दुनिया की सबसे लंबी टांग वाली लड़की, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्डइस फिल्म की कॉपी है 'पैडमैन', यहां देख सकते हैं ऑनलाइन फुल मूवीकब और क्यों मनाया जाता है ऐश वेडनेसडे का त्यौहार, ईसाई समुदाय करता है 40 दिन तक व्रतषटतिला एकादशी 2020 एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा में करें काले तिल का प्रयोगबेहद लग्जरी लाइफ जीती है नीता अंबानी, एक बार पहनने के बाद दोबारा नहीं पहनती कोई ड्रेसजब रीना राय से जल उठी रेखा ,लटका दी ‘नागिन’ की शूटिंगनहीं रहीं बॉलीवुड की 'एक और मां', रीमा लागू का हार्ट अटैक से निधनआखिर शादी से पहले दूल्हे को क्यों खिलाया जाता है पान जानिए क्या है इसके पीछे बड़ी वजहये काला कुत्ता आपको बना सकता है मालामाल जानें कैसेफैशन नहीं, अपनी सुरक्षा के लिए शरीर पर टैटू बनाती है ये आदिवासी लड़कियांजीरे से जुकाम को भगाएं दूर मिनटों मेंहनुमान जी के इस मंदिर में बच्चों का मुंडन करवाने से कट जाते हैं सभी तरह के कष्टबृहस्पति नीति संघर्ष में सफलता का सूत्र बन सकती हैं देवगुरु की ये नीतियांक्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु के गुरु कौन हैंउदयपुर की राजकुमारी कृष्णा कुमारी जिसने वंश बचाने के लिए जान दे दीयहां रोबोट बने किसान, बुवाई से लेकर कटाई और भी बहुत कुछ करने में हैं माहिर