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गर्भवती महिला को अचानक से नौकरी से नहीं निकाला जा सकता

हेलो हेलो दोस्तों मेरा नाम रजत प्रताप सिंह है Rv legal support यूट्यूब चैनल में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है दोस्तों इस वीडियो में मैंने आपको बताया है किसी भी गर्भवती महिलाओं को अचानक से नौकरी से नहीं निकाला जा सकता

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मातृत्‍व लाभ अधिनियम, 1961 प्रसव के पहले और बाद में कुछ अवधि के लिए कुछ प्रतिष्‍ठानों में महिलाओं की नियुक्ति को विनियमित करता है और मातृत्‍व एवं अन्‍य लाभों की व्‍यवस्‍था करता है। ऐसे लाभों का उद्देश्‍य महिलाओं और उनके बच्‍चों का जब वह कार्यरत नहीं रहती है पूर्ण रूप से स्‍वास्‍थ्‍य रखरखाव की व्‍यवस्‍था करने के द्वारा मातृत्‍व की प्रतिष्‍ठा की रक्षा करता है। यह अधिनियम खानों, फैक्‍टरियों, सर्कस उद्योग, बागान, दुकानों और प्रतिष्‍ठानों जो दस या अधिक व्‍यक्तियों को कार्य पर लगाते हैं, के लिए प्रयोज्‍य है। इसमें राज्‍य बीमा अधिनियम, 1948 में शामिल कर्मचारी नहीं आते हैं। यह राज्‍य सरकारों द्वारा अन्‍य प्रतिष्‍ठानों तक विस्‍तारित किया जा सकता है।

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श्रम मंत्रालय में केन्‍द्रीय औद्योगिक श्रम संबंध मशीनरी (सी आई आर एम) इस अधिनियम को प्रवर्तित करने के‍ लिए जिम्‍मेदार है। सी आई आर एम मंत्रालय का संबद्ध कार्यालय है और यह मुख्‍य श्रम आयुक्‍त (केन्‍द्रीय) [सी एल सी (सी)] संगठन के रूप में भी जाना जाता है।
अधिनियम के मुख्‍य प्रावधान
कोई नियोक्‍ता उसके प्रसव या गर्भपात के तुरन्‍त बाद छ: सप्‍ताह तक किसी प्रतिष्‍ठान में जान बूझकर महिला को नियुक्‍त नहीं करेगा।
कोई महिला अपने प्रसव या गर्भपात के तुरन्‍त बाद छह सप्‍ताह के दौरान किसी प्रतिष्‍ठान में कार्य भी नहीं करेगी


प्रत्‍येक महिला का यह हक होगा और उसका नियोक्‍ता पर यह दायित्‍व होगा कि औसत दैनिक मजदूरी की दर से उसकी वास्‍तविक अनुपस्थिति की अवधि के लिए उसके प्रसव के दिन सहित इसके तुरन्‍त पहले और उस दिन के बाद छ: सप्‍ताह तक के लिए उसे मातृत्‍व लाभ का भुगतान किया जाएगा। औसत दैनिक मजदूरी का अर्थ है महिला की मजूदरी का औसत मातृत्‍व के कारण जिस दिन से से वह अनुपस्थित रहती है उसके तुरन्‍त पहले तीन कैलेण्‍डर माहों की अवधि के दौरान उसके कार्य किया है उन दिनों के लिए भुगतान योग्‍य मजदूरी या दिन का एक रुपया, जो भी अधिक हो।
कोई भी महिला तब तक मातृत्‍व लाभ का हकदार नहीं होगी जब तक कि उसने वास्‍तव में नियोक्‍ता के प्रतिष्‍ठान में जिससे वह मातृत्‍व लाभ का दावा करती है, आशयित प्रसव के तुरन्‍त पहले बारह माहों में कम से कम एक सौ साठ दिनों की अवधि के लिए कार्य किया हैं। दिनों की गणना के प्रयोजन से जिन दिनों में महिला ने प्रतिष्‍ठान में वास्तविक रूप से कार्य किया है, जिन दिनों के लिए उसे भुगतान किया गया है,यह उसके आशयित प्रसव के तुरन्‍त पहले बारह माह की अवधि के दौरान, को ध्‍यान में रखा जाएगा।
अधिकतम अवधि जिसके लिए महिला मातृत्‍व लाभ के लिए हकदार होगी वह बारह सप्‍ताहों के लिए होगी अर्थात उसके प्रसव का दिन सहित पहले छ: सप्‍ताह तक तथा उस दिन के तुरन्‍त बाद छ: सप्‍ताह।
मातृत्‍व लाभ के लिए हकदार महिला की सामान्‍य और साधारण दैनिक मजदूरी से किसी प्रकार की कटौती नहीं की जाएगी यदि -

अधिनियम के प्रावधानों के कारण उसे कार्य की प्रकृति सौंपी गई है; या बच्‍चे की देखभाल के लिए अवकाश अधिनियम के प्रावधानों के तहत अनुमति  होता है।

जब किसी अवधि के लिए महिला अनुपस्थित होने के लिए अपने नियोक्‍ता द्वारा अनुमति  होने के बाद किसी प्रतिष्‍ठान में कार्य करती है उस अवधि के लिए मातृत्‍व लाभ का दावा वह नहीं करेगी।

यदि कोई नियोक्‍ता इस अधिनियम के प्रावधानों का या उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों का या उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों का उल्‍लंघन करता है तो उसे कारावास की सजा हो सकती है या जुर्माना या दोनों हो सकता है या किसी अन्य राशि संबंधी भुगतान का और ऐसे मातृत्‍व लाभ का या रशि पहले ही वसूली न की गई है तो इसके साथ अदालत ऐसे मातृत्‍व लाभ या राशि, मानो वह जुर्माना हो, वसूल सकता है और हकदार व्‍यक्ति को इसका भुगतान कर सकता है।

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में संशोधन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016 के जरिए मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में संशोधनों को अपनी कार्योत्तर स्वीकृति दे दी है।

मातृत्व लाभ अधिनियम 1961, मातृत्व के समय महिला के रोजगार की रक्षा करता है और मातृत्व लाभ का हकदार बनाता है- अर्थात अपने बच्चे की देखभाल के लिए पूरे भुगतान के साथ उसे काम से अनुपस्थित रहने की सुविधा देता है। यह अधिनियम दस या उससे अधिक व्यक्तियों के रोजगार वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू है। ये संशोधन संगठित क्षेत्र के लगभग 1।8 मिलियन महिला श्रमबल के लिए मददगार साबित होंगे।

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में किए संशोधन इस प्रकार है-

•     दो बच्चों के लिए मातृत्व लाभ की सुविधा 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह और दो से अधिक बच्चों के लिए 12 सप्ताह।

•     ‘कमिशनिंग मदर’ और ‘एडोप्टिंग मदर’ के लिए 12 सप्ताह का मातृत्व लाभ।

•     घर से काम करने की सुविधा।

•     50 या उसके अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में क्रेच का अनिवार्य प्रावधान।

वजह-

•     बच्चे की वृद्धि एवं विकास के लिए बचपन में मां द्वारा की जाने वाली देखभाल अहम होती है।

•     44वें, 45वें और 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन ने मातृत्व लाभ 24 सप्ताह तक बढ़ाने की सिफारिश की है।

•     महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मातृत्व लाभ आठ माह तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है।

•     त्रिपक्षीय विचार-विमर्श में सभी हितधारकों ने सामान्य रूप में संशोधन प्रस्ताव का समर्थन किया है।

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