साथ देने और सहारा देने का क्या फर्क होता है | #lifereality #lifelessons #posotivethoughts #emotional
किसी का साथ देना और किसी का सहारा बनना — ये दोनों बातें दिखने में मिलती-जुलती लग सकती हैं, लेकिन इनके अर्थ और भावना में एक subtle (सूक्ष्म) फर्क होता है:
1. साथ देना:
इसका मतलब है कि आप उस व्यक्ति के साथ खड़े हैं, चाहे वह समय अच्छा हो या बुरा।
आप उनके फैसलों में उनका समर्थन करते हैं, पर उन्हें खुद अपने रास्ते पर चलने की आज़ादी देते हैं।
यह आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है — आप उनके पीछे नहीं, साथ चलते हैं।
उदाहरण: जैसे कोई मुश्किल में हो और आप उसका हौसला बढ़ाएं, उसका मनोबल बनाए रखें, पर उसका बोझ खुद न उठाएं — ये साथ देना हुआ।
---
2. सहारा बनना:
इसका मतलब है कि आप उस व्यक्ति का संपूर्ण आधार बन जाते हैं।
जब वह खुद चलने की स्थिति में नहीं होता, तब आप उसे थामते हैं, उसका भार उठाते हैं।
यह तब होता है जब कोई बिल्कुल टूट चुका हो या असमर्थ हो।
उदाहरण: जैसे कोई भावनात्मक रूप से इतना कमजोर हो गया हो कि खुद को संभाल नहीं पा रहा, तब आप उसे सहारा देकर फिर से खड़ा करते हैं — ये सहारा देना है।
---
संक्षेप में कहें तो:
साथ देना = मजबूती के साथ साथ चलना
सहारा देना = कमजोरी में थामकर चलाना
दोनों ही रिश्तों में बहुत मूल्य रखते हैं। साथ तब ज़रूरी होता है जब इंसान सक्षम हो, और सहारा तब जब वह असहाय हो।
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धन्यवाद.... 🙏🙏
#साथऔरसहारा
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#MoralStory
#SupportVsHelp
#सच्चासाथ
#SelfBelief
#MentalStrength
#सहारा_या_साथ
#StoryWithMessage
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Видео साथ देने और सहारा देने का क्या फर्क होता है | #lifereality #lifelessons #posotivethoughts #emotional канала Praveen Saini
1. साथ देना:
इसका मतलब है कि आप उस व्यक्ति के साथ खड़े हैं, चाहे वह समय अच्छा हो या बुरा।
आप उनके फैसलों में उनका समर्थन करते हैं, पर उन्हें खुद अपने रास्ते पर चलने की आज़ादी देते हैं।
यह आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है — आप उनके पीछे नहीं, साथ चलते हैं।
उदाहरण: जैसे कोई मुश्किल में हो और आप उसका हौसला बढ़ाएं, उसका मनोबल बनाए रखें, पर उसका बोझ खुद न उठाएं — ये साथ देना हुआ।
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2. सहारा बनना:
इसका मतलब है कि आप उस व्यक्ति का संपूर्ण आधार बन जाते हैं।
जब वह खुद चलने की स्थिति में नहीं होता, तब आप उसे थामते हैं, उसका भार उठाते हैं।
यह तब होता है जब कोई बिल्कुल टूट चुका हो या असमर्थ हो।
उदाहरण: जैसे कोई भावनात्मक रूप से इतना कमजोर हो गया हो कि खुद को संभाल नहीं पा रहा, तब आप उसे सहारा देकर फिर से खड़ा करते हैं — ये सहारा देना है।
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संक्षेप में कहें तो:
साथ देना = मजबूती के साथ साथ चलना
सहारा देना = कमजोरी में थामकर चलाना
दोनों ही रिश्तों में बहुत मूल्य रखते हैं। साथ तब ज़रूरी होता है जब इंसान सक्षम हो, और सहारा तब जब वह असहाय हो।
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Информация о видео
15 апреля 2025 г. 12:58:38
00:00:06
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