क्या प्राचीन भारतीय HEAD PHONE का उपयोग करते थे ? | प्रवीण मोहन
आईये नजर डालते हैं भारत की कुछ प्राचीन प्रतिमाओं और नक्काशियों| क्या यह केवल एक फैंसी ईयर-रिंग है, या यह रेडियो ट्यूनर की तरह एक घुमने वाला उपकरण है? क्या यह संभव है कि लेडी अॉफ एल्चे को एक उन्नत वायरलेस संचार उपकरण का उपयोग करते दिखाया गया हो?🤔🤔🤔
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00:00 - परिचय
00:32 - एक फैंसी ईयर-रिंग?
01:32 - पुरातत्वविद और विशेषज्ञ द्वारा दिया गया तर्क!
01:59 - यह क्या है?
02:52 - रोडेट्स?
03:35 - उन्नत प्राचीन तकनीक के प्रमाण!
04:34 - निष्कर्ष
नमस्कार दोस्तों, आज भारत में कुछ प्राचीन प्रतिमाओं और नक्काशियों को देखते हैं इस प्रतिमा के साथ जो स्पेन में "लेडी ऑफ़ एल्चे" के रूप में जानी जाती है। इन सभी प्रतिमाओं के बीच समान बात यह है कि, वे सभी बहुत उन्नत तकनीकी उपकरणों के साथ चित्रित कि गया है जो कि आज कल के आधुनिक संचार उपकरणों से मिलते जुलते हैं। ये आकृतियां कौन हैं ?
और अधिक महत्वपूर्ण बात यह कि , ये उपकरण क्या हैं? पिछले एक वीडियो में मैंने आपको ये अजीबोगरीब प्रतिमाएं दिखाई थीं , जिन्हें मधनीका कहा जाता है, और उनमें से एक अपने कानों पर एक बहुत ही अजीब उपकरण जैसा कुछ पहने है। यह एक जटिल गियर जैसे उपकरण की तरह दिखता है। क्या यह केवल एक फैंसी ईयर-रिंग है, या यह रेडियो ट्यूनर की तरह एक घुमने वाला उपकरण है?
इसके अंदर कई चक्र हैं और इसमें गियर की तरह दांत हैं , जो शायद घूम सकते थे। अब, आइए स्पेन में पाई गयी लेडी अॉफ एल्चे पर एक नज़र डालते हैं । लग-भग 2400 साल पुरानी, वह एक बहुत ही रहस्यमय प्रतिमा है, उसके कानो पर 2 बड़े - गोल यंत्र हैं इन उपकरणों के केंद्र से निकलने वाली दीप्तिमान रेखाएं हैं और यह पूरी तरह से उसके कानो को ढके हुए हैं।
देख के आधुनिक समय के हेडसेट के बारे में विचार न आना असंभव है। पुरातत्वविद और विशेषज्ञ इन उपकरणों के बारे में क्या कहते हैं? यह आम बात है, यह सिर्फ एक फैंसी कान की बाली है, और यह सिर्फ एक फैंसी साफा(हैड ड्रेस) है। उन्होंने सभी दावों को खारिज कर दिया है कि ये किसी प्रकार के उपकरण हो सकते हैं। लेकिन विशेषज्ञ एलोरा की गुफाओं में प्राचीन कैलासा मंदिर में इस नक्काशी के बारे में क्या प्रतिक्रिया देते हैं?
इस मूर्ति के साथ कई जटिल उपकरणों को जुडा़ हुआ दिखाया गया है, लेकिन उसके एक कान को देखिये| वह एक डम्बल की तरह दिखने वाले उपकरण को पकड़े हुए हैं, मानो जैसे वह कुछ सुन रहा हो | यह स्पष्ट रूप से एक आभूषण नहीं है, तो यह क्या है? विशेषज्ञों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। लेकिन यह एक अकेला मामला नहीं है, भारत में इस तरह की कई प्राचीन नक्काशियां हैं, इस आकृति को देखें: iska संचार उपकरण थोड़ा विकृत हो गया है, लेकिन इसे देखें, बिल्कुल वही स्वरूप और वही अंदाज़। इसमें कोई संदेह नहीं है - वह स्पष्ट रूप से एक उपकरण का उपयोग करके कुछ सुन रहा है।
इन नक्काशी का विवरण करने के लिए कोई भी विशेषज्ञ आगे नहीं आया है। यदि लेडी ऑफ एलचे और मधानिका केवल गहने और साफा पहने हुए हैं, तो यह डम्बल जैसी दिखने वाली संरचना क्या है? और यह उल्लेखनीय रूप से लेडी अॉफ एल्चे के कानो पर डंबल के आकार के उपकरण के समान क्यों है? कुछ लोगों ने दावा किया है कि ये बड़े छल्ले कुछ और नहीं बल्कि बालों के बंडल हैं जिन्हें रोडेट्स कहा जाता है , लेकिन फ्रांसिस्को वाइव्स नाम के एक व्यक्ति को इस पर विभिन्न रंगों के निशान मिले हैं, और यह मूर्ति रंगी हुई होने पर ऐसी दिखती ।
एक आधुनिक पुन: र्निर्माण से पता चलता है कि यह एक उपकरण था, साफा नहीं। क्या यह संभव है कि लेडी अॉफ एल्चे को एक उन्नत वायरलेस संचार उपकरण का उपयोग करते दिखाया गया हो? शायद इसका जवाब इससे मिलता हैं कि, हिटलर के सबसे करीबी सलाहकार, हेनरिक हिमलर ने लेडी ऑफ एलचे का दौरा क्यों किया | हिमलर के अनुसार, इन प्राचीन मूर्तियों में उन्नत प्राचीन तकनीक के सुराग हैं जिसे आधुनिक मानव द्वारा फिर से बनाया जा सकता है।
हम सभी ने पढ़ा है कि तार-रहित संचार का आविष्कार 1895 में हुआ था, लगभग 125 साल पहले। हालांकि, इन सभी प्राचीन मूर्तियों को एक समान तकनीक का उपयोग करते दिखाया गया है। एक पल के लिए सोचें - इन सभी मूर्तियों को इन उपकरणों के साथ क्यों दर्शाया गया है, विशेष रूप से उनके कानों के आसपास ? यह एक संयोग नहीं हो सकता, ये किसी प्रकार के उन्नत दूर संचार उपकरण हैं।
क्या हम वास्तव में नई तकनीक का आविष्कार कर रहे हैं या, हम केवल प्राचीन तकनीक को ही पुनर्जीवित कर रहे हैं? हमारे सभी आधुनिक उच्च तकनीकी मशीनें वास्तव में पहले से ही प्राचीन कलाकृतियों में चित्रित हैं। हमारे पास विमान की नक्काशी है जो उड़ने वाली मशीनें थीं, हमें पहले से ही खराद प्रौधोगिकी के स्पष्ट सबूत मिल चुके हैं । क्या ये सभी सबूत महज संयोग हैं या हम एक खोई हुई सभ्यता के निशान देख रहे हैं जो संचार और प्रौद्योगिकी के लिए उन्नत उपकरणों का उपयोग करते थे?
कृपया अपने विचार मुझे कमेंट सेक्शन में बताएं। मैं प्रवीण मोहन हूँ,वीडियो देखने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
Видео क्या प्राचीन भारतीय HEAD PHONE का उपयोग करते थे ? | प्रवीण मोहन канала Praveen Mohan Hindi
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01:59 - यह क्या है?
02:52 - रोडेट्स?
03:35 - उन्नत प्राचीन तकनीक के प्रमाण!
04:34 - निष्कर्ष
नमस्कार दोस्तों, आज भारत में कुछ प्राचीन प्रतिमाओं और नक्काशियों को देखते हैं इस प्रतिमा के साथ जो स्पेन में "लेडी ऑफ़ एल्चे" के रूप में जानी जाती है। इन सभी प्रतिमाओं के बीच समान बात यह है कि, वे सभी बहुत उन्नत तकनीकी उपकरणों के साथ चित्रित कि गया है जो कि आज कल के आधुनिक संचार उपकरणों से मिलते जुलते हैं। ये आकृतियां कौन हैं ?
और अधिक महत्वपूर्ण बात यह कि , ये उपकरण क्या हैं? पिछले एक वीडियो में मैंने आपको ये अजीबोगरीब प्रतिमाएं दिखाई थीं , जिन्हें मधनीका कहा जाता है, और उनमें से एक अपने कानों पर एक बहुत ही अजीब उपकरण जैसा कुछ पहने है। यह एक जटिल गियर जैसे उपकरण की तरह दिखता है। क्या यह केवल एक फैंसी ईयर-रिंग है, या यह रेडियो ट्यूनर की तरह एक घुमने वाला उपकरण है?
इसके अंदर कई चक्र हैं और इसमें गियर की तरह दांत हैं , जो शायद घूम सकते थे। अब, आइए स्पेन में पाई गयी लेडी अॉफ एल्चे पर एक नज़र डालते हैं । लग-भग 2400 साल पुरानी, वह एक बहुत ही रहस्यमय प्रतिमा है, उसके कानो पर 2 बड़े - गोल यंत्र हैं इन उपकरणों के केंद्र से निकलने वाली दीप्तिमान रेखाएं हैं और यह पूरी तरह से उसके कानो को ढके हुए हैं।
देख के आधुनिक समय के हेडसेट के बारे में विचार न आना असंभव है। पुरातत्वविद और विशेषज्ञ इन उपकरणों के बारे में क्या कहते हैं? यह आम बात है, यह सिर्फ एक फैंसी कान की बाली है, और यह सिर्फ एक फैंसी साफा(हैड ड्रेस) है। उन्होंने सभी दावों को खारिज कर दिया है कि ये किसी प्रकार के उपकरण हो सकते हैं। लेकिन विशेषज्ञ एलोरा की गुफाओं में प्राचीन कैलासा मंदिर में इस नक्काशी के बारे में क्या प्रतिक्रिया देते हैं?
इस मूर्ति के साथ कई जटिल उपकरणों को जुडा़ हुआ दिखाया गया है, लेकिन उसके एक कान को देखिये| वह एक डम्बल की तरह दिखने वाले उपकरण को पकड़े हुए हैं, मानो जैसे वह कुछ सुन रहा हो | यह स्पष्ट रूप से एक आभूषण नहीं है, तो यह क्या है? विशेषज्ञों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। लेकिन यह एक अकेला मामला नहीं है, भारत में इस तरह की कई प्राचीन नक्काशियां हैं, इस आकृति को देखें: iska संचार उपकरण थोड़ा विकृत हो गया है, लेकिन इसे देखें, बिल्कुल वही स्वरूप और वही अंदाज़। इसमें कोई संदेह नहीं है - वह स्पष्ट रूप से एक उपकरण का उपयोग करके कुछ सुन रहा है।
इन नक्काशी का विवरण करने के लिए कोई भी विशेषज्ञ आगे नहीं आया है। यदि लेडी ऑफ एलचे और मधानिका केवल गहने और साफा पहने हुए हैं, तो यह डम्बल जैसी दिखने वाली संरचना क्या है? और यह उल्लेखनीय रूप से लेडी अॉफ एल्चे के कानो पर डंबल के आकार के उपकरण के समान क्यों है? कुछ लोगों ने दावा किया है कि ये बड़े छल्ले कुछ और नहीं बल्कि बालों के बंडल हैं जिन्हें रोडेट्स कहा जाता है , लेकिन फ्रांसिस्को वाइव्स नाम के एक व्यक्ति को इस पर विभिन्न रंगों के निशान मिले हैं, और यह मूर्ति रंगी हुई होने पर ऐसी दिखती ।
एक आधुनिक पुन: र्निर्माण से पता चलता है कि यह एक उपकरण था, साफा नहीं। क्या यह संभव है कि लेडी अॉफ एल्चे को एक उन्नत वायरलेस संचार उपकरण का उपयोग करते दिखाया गया हो? शायद इसका जवाब इससे मिलता हैं कि, हिटलर के सबसे करीबी सलाहकार, हेनरिक हिमलर ने लेडी ऑफ एलचे का दौरा क्यों किया | हिमलर के अनुसार, इन प्राचीन मूर्तियों में उन्नत प्राचीन तकनीक के सुराग हैं जिसे आधुनिक मानव द्वारा फिर से बनाया जा सकता है।
हम सभी ने पढ़ा है कि तार-रहित संचार का आविष्कार 1895 में हुआ था, लगभग 125 साल पहले। हालांकि, इन सभी प्राचीन मूर्तियों को एक समान तकनीक का उपयोग करते दिखाया गया है। एक पल के लिए सोचें - इन सभी मूर्तियों को इन उपकरणों के साथ क्यों दर्शाया गया है, विशेष रूप से उनके कानों के आसपास ? यह एक संयोग नहीं हो सकता, ये किसी प्रकार के उन्नत दूर संचार उपकरण हैं।
क्या हम वास्तव में नई तकनीक का आविष्कार कर रहे हैं या, हम केवल प्राचीन तकनीक को ही पुनर्जीवित कर रहे हैं? हमारे सभी आधुनिक उच्च तकनीकी मशीनें वास्तव में पहले से ही प्राचीन कलाकृतियों में चित्रित हैं। हमारे पास विमान की नक्काशी है जो उड़ने वाली मशीनें थीं, हमें पहले से ही खराद प्रौधोगिकी के स्पष्ट सबूत मिल चुके हैं । क्या ये सभी सबूत महज संयोग हैं या हम एक खोई हुई सभ्यता के निशान देख रहे हैं जो संचार और प्रौद्योगिकी के लिए उन्नत उपकरणों का उपयोग करते थे?
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