Загрузка страницы

रामानंद सागर कृत श्री कृष्ण भाग 66 - श्री कृष्ण ने सुनायी बलराम अक्रूर को जरासंध जन्म की कथा।

https://youtu.be/6NmX-ActJ20
बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏

Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - https://youtu.be/j7EQePGkak0

Ramanand Sagar's Shree Krishna Episode 66 - Shri Krishna ne sunai Balarama Akrur ko Jarasandha Janm ki Katha.

मगध नरेश और कंस के श्वसुर जरासंध ने अपने मित्र राजाओं के साथ मथुरा पर सत्रह बार आक्रमण किया किन्तु हर बार उनकी पराजय हुई। बावजूद इसके, उनकी हिम्मत कभी नहीं टूटी। जरासंध इस बात पर सबसे अधिक तिलमिलाया हुआ है कि हर बार श्रीकृष्ण ने उसका वध करने की बजाय अपमानित करके जीवित छोड़ दिया। अपने मित्र राजाओं से मंत्रणा कहते हुए वह अपनी पीड़ा व्यक्त करता है कि इससे बेहतर मैं युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो जाता। राजकुमार रुक्मि कहता है कि हम सब देख चुके हैं कि कृष्ण अलौकिक शक्तियों के स्वामी हैं जो हमारी कई अक्षौहिणी सेना को चींटी की भाँति मसल देते हैं । फिर भी हम उनसे युद्ध की बजाय सन्धि क्यों नहीं करते हैं। चेदि का राजकुमार और श्रीकृष्ण का फुफेरा भाई शिशुपाल इस प्रस्ताव का विरोध करता है। अन्त में यह तय होता है कि जब समय उनके अनुकूल होगा, मथुरा में पुनः आक्रमण किया जायेगा और तब तक शान्त बैठा जाये। उधर मथुरा में श्रीकृष्ण को भी आभास होता है कि जरासंध और उसके साथी राजा सदैव के लिये शान्त बैठने वालों में नहीं हैं। वह बलराम से कहते हैं कि जरासंध का हम दोनों भाईयों से बैर है। जब तक हम लोग मथुरा में रहेंगे, वह आक्रमण करता रहेगा अतएव मथुरा के हित में यह उचित होगा कि हम लोग इस नगरी को छोड़कर कहीं और चले जायें। बलराम श्रीकृष्ण से सहमत नहीं होते हैं। वह कहते हैं कि जरासंध पूरी तरह टूट चुका है। अब वो पुनः इधर का रुख नहीं करेगा। तब श्रीकृष्ण उन्हें जरासंध की अद्भुत शक्ति के बारे में बताते हैं कि अगर जरासंध के शरीर के तलवार से दो टुकड़े भी कर दिये जायें तो दोनों टुकड़े फिर से आपस में जुड़ जायेंगे और जरासंध जीवित हो जायेगा। अक्रूर इस पर अविश्वास जताते हैं तो श्रीकृष्ण कहते हैं कि जरासंध का शरीर तांत्रिक प्रक्रिया से बना है, इसलिये ऐसा होता है। श्रीकृष्ण जरासंध के जन्म की कथा विस्तार से सुनाते हैं। मगध के सम्राट बृहद्रथ की दो रानियाँ थीं। छोटी रानी को सन्तान थी लेकिन बड़ी रानी को नहीं। एक बार एक परम सिद्ध ऋषि ने राजा रानी की सेवा से खुश होकर उन्हें सन्तान प्राप्ति हेतु यज्ञकुण्ड से उत्पन्न एक फल दिया। बड़ी रानी छोटी रानी से कहती है कि अयोध्या के महाराज दशरथ को पुत्र कामेष्टि यज्ञ से जो खीर प्राप्त हुई थी, उसे उन्होंने तीनों रानियों को दिया था, इससे तीनों को सन्तान हुई। यदि इस फल को हम दोनों मिल बाँट कर खायेंगी तो दोनों को प्रतापी पुत्र की प्राप्ति होगी। इसके बाद उसने चाकू से फल काटकर उसका आधा भाग छोटी रानी को भी दे दिया। इसके बाद दोनों रानियाँ गर्भवती हो गयीं। किन्तु दसवें महीने एक बड़ी विचित्र घटना घटित हुई। दोनों रानियों ने के जो सन्तान उत्पन्न हुई, उनके शरीर आधे आधे थे। ऐसा लगता था कि मानो बालक को किसी ने तलवार से दो भागों में काट दिया हो। जब यह दोनों शरीर राजा के सामने लाये गये तो वह बहुत दुखी हुआ। उसने बालक के दोनों टुकड़ों को जंगल में छुड़वा दिया ताकि उसे जंगली जानवर खा जायें। राजा के सैनिक ऐसा ही करते हैं। उसी समय जरा नामक एक राक्षसी वहाँ से गुजरी। उसकी दृष्टि दोनों अर्ध शरीरों पर पड़ी। उसने उन्हें उठा लिया। किन्तु उसने उनका भक्षण नहीं किया बल्कि अपनी गुफा ले जाकर तान्त्रिक क्रियाएं की जिससे बालक के दोनों टुकड़े आपस में जुड़ गये। वह बालक अब एक सामान्य बालक की तरह रो रहा था। इसके बाद जरा राक्षसी ने वह बालक ले जाकर उसके पिता राजा बृहद्रथ को दे दिया। चूँकि उस बालक के दोनों टुकड़ों की सन्धि राक्षसी जरा ने की थी तो बृहद्रथ ने बालक का नाम जरासंध रखा। यह वही जरासंध है जिसके दो टुकड़े कर दो तो वह फिर से जुड़ जायेंगे और जीवित हो जायेगा। इसलिये उसे परास्त करना कठिन है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि अबकी जरासंध मलेच्छ शक्ति कालयवन की सहायता लेकर आक्रमण करेगा। यवन देश का राजा वैसे तो ब्राह्मण कुल का है लेकिन वो कर्म से मलेच्छ है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि कालयवन की कहानी भी बड़ी रोचक है किन्तु वह इसे भविष्य में सुनायेंगे। श्रीकृष्ण की बात सच थी। उधर राजा शल्य जरासंध को यही परामर्श दे रहा है कि अबकी बार कालयवन को अपने साथ मिलाकर आक्रमण किया जाय तो जीत पक्की है क्योंकि इस संसार में कालयवन को कोई नहीं मार सकता। यहाँ तक कि कृष्ण का सुदर्शन चक्र भी उसकी हत्या नहीं कर सकता। जरासंध को इस पर विश्वास नहीं होता। तब शल्य कालयवन के जन्म की कथा सुनाता है। वह बताता है कि कालयवन वास्तव में एक ऋषि की सन्तान था जिसे यवन देश के राजा ने दत्तक पुत्र बना लिया था इसलिये वह ऋषिपुत्र होते हुए मलेच्छ बन गया। इस पर जरासंध ऋषि के बारे में विस्तार से जानने की इच्छा प्रकट करता है। तब शल्य बताता है कि त्रिगर्त राज्य के राजगुरु ऋषि शेशिरायण थे जिन्हें गर्ग गौत्र में उत्पन्न होने के कारण गार्ग्यत मुनि भी कहा जाता है। ऋषि शेशिरायण किसी सिद्धि की प्राप्ति के लिये एक यौगिक अनुष्ठान कर रहे थे जिसके लिये बारह वर्ष का ब्रह्मचर्य रखना आवश्यक था। उन्हीं दिनों एक क्षत्रिय सभा में उनके साले ने उन्हें नपुसंक होने का ताना दे दिया। ऋषिवर इससे विचलित हो गये। तब ऋषि ने निश्चय कर लिया कि वे एक ऐसा पुत्र पैदा करेंगे तो अजेय योद्धा हो। इसके लिये ऋषि शेशिरायण ने कई वर्षों तक भगवान शिव की कठोर तपस्या की। अन्ततः भगवान शिव ने प्रकट होकर उन्हें वरदान दिया कि उनसे ऐसा पुत्र पैदा होगा जो महान योद्धा होगा |

In association with Divo - our YouTube Partner
#SriKrishna #SriKrishnaonYouTube

Видео रामानंद सागर कृत श्री कृष्ण भाग 66 - श्री कृष्ण ने सुनायी बलराम अक्रूर को जरासंध जन्म की कथा। канала Tilak
Показать
Комментарии отсутствуют
Введите заголовок:

Введите адрес ссылки:

Введите адрес видео с YouTube:

Зарегистрируйтесь или войдите с
Информация о видео
17 декабря 2020 г. 18:30:02
00:44:26
Другие видео канала
आज से प्रजा के अतिरिक्त हमारा अपना कोई नहीं रहा | श्री राम | Ramayan Dialogues Compilationआज से प्रजा के अतिरिक्त हमारा अपना कोई नहीं रहा | श्री राम | Ramayan Dialogues Compilationजय शम्भु त्रिशुलम - Lyrical | Jai Shambhu Trishulam - Lyrical |Tilakजय शम्भु त्रिशुलम - Lyrical | Jai Shambhu Trishulam - Lyrical |Tilakविधाता दुख शिक्षा के लिये देता है और सुख मानवता की परीक्षा के लिये | श्री राम | Ramayan Dialoguesविधाता दुख शिक्षा के लिये देता है और सुख मानवता की परीक्षा के लिये | श्री राम | Ramayan Dialoguesअयि गिरिनन्दिनि- महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र | मधुबंती बागची  - 4 #shortsअयि गिरिनन्दिनि- महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र | मधुबंती बागची - 4 #shortsShiv Parvati Vivah | Ravindra Jain | Bhajan | TilakShiv Parvati Vivah | Ravindra Jain | Bhajan | Tilakप्रेम तो किसी दूसरे से किया जाता है | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादप्रेम तो किसी दूसरे से किया जाता है | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादइक दिन शिव ही मनावन लागे, गिरी कैलाश उठावन लागे | रामायण | तिलक 🙏#shortsइक दिन शिव ही मनावन लागे, गिरी कैलाश उठावन लागे | रामायण | तिलक 🙏#shortsजो जिस रूप में प्रभु को ध्याता है उसी रूप में प्रभु प्राप्त होते हैं | Shree Krishna Samvadजो जिस रूप में प्रभु को ध्याता है उसी रूप में प्रभु प्राप्त होते हैं | Shree Krishna Samvadअगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी- रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ | शिव तांडव स्तोत्र | तिलक 🙏अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी- रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ | शिव तांडव स्तोत्र | तिलक 🙏मन को वश में करने हेतु अभ्यास और वैराग्य को अपना पड़ता है | Shree Krishna | Geeta Updesh #Shortsमन को वश में करने हेतु अभ्यास और वैराग्य को अपना पड़ता है | Shree Krishna | Geeta Updesh #Shortsजो होता है वह अच्छे के लिए होता है | Ramayan Dialogues | रामायण डायलोग #Shortsजो होता है वह अच्छे के लिए होता है | Ramayan Dialogues | रामायण डायलोग #ShortsRamayan Dialogue Status । रामायण डायलॉग | Raavan | रावणRamayan Dialogue Status । रामायण डायलॉग | Raavan | रावणमनुष्य के दृढ़ संकल्प के आगे कुछ भी असंभव नहीं | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादमनुष्य के दृढ़ संकल्प के आगे कुछ भी असंभव नहीं | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादराम जिसके ईश्वर हैं वही रामेश्वर हैं | Ramayan Samvad | रामायण संवादराम जिसके ईश्वर हैं वही रामेश्वर हैं | Ramayan Samvad | रामायण संवादइस सृष्टि के अच्छे बुरे हर प्राणी में हम ही हैं | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादइस सृष्टि के अच्छे बुरे हर प्राणी में हम ही हैं | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादमैं तो केवल प्रेम के वश में हूँ | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादमैं तो केवल प्रेम के वश में हूँ | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादवही सुरक्षित है जिसकी सुरक्षा धर्म के द्वारा हो | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादवही सुरक्षित है जिसकी सुरक्षा धर्म के द्वारा हो | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादनारद ने महामाया को किया प्रणाम | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादनारद ने महामाया को किया प्रणाम | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवाददुर्भाग्य की संक्षिप्त व्याख्या | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवाददुर्भाग्य की संक्षिप्त व्याख्या | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादश्री कृष्ण ने राधा का ऋण चुकाने की बात कही | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादश्री कृष्ण ने राधा का ऋण चुकाने की बात कही | Shree Krishna Samvad | श्री कृष्ण संवादRamayan Dialogue Status | रामायण डायलॉग | जन सेवा तो मैं आपके चरणों की छाया में रह कर भी करता रहूँगाRamayan Dialogue Status | रामायण डायलॉग | जन सेवा तो मैं आपके चरणों की छाया में रह कर भी करता रहूँगा
Яндекс.Метрика