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सुलु की कहानी ka ek hissa

सुलु की कहानी

सुलु, एक प्यारा सा गोल्डन रिट्रीवर, शर्मा परिवार का छह साल से हिस्सा था। वह केवल एक पालतू जानवर नहीं था, बल्कि परिवार की खुशी और अरुण का सबसे प्यारा साथी था। अरुण, जो शर्मा परिवार के पिता थे, सुलु के साथ गहरी भावनात्मक बंधन साझा करते थे।

अरुण ने सुलु को तब अपनाया था जब वह एक छोटा सा पिल्ला था। उन्होंने उसे गोद में उठाया और उसी दिन से दोनों एक-दूसरे के सबसे करीबी दोस्त बन गए। अरुण सुलु को हर सुबह सैर पर ले जाते, उससे बातें करते और उसके साथ खेलते। सुलु का पसंदीदा खिलौना एक छोटा सा हाथी था, जिसे अरुण ने उसके दूसरे जन्मदिन पर उपहार में दिया था। वह हाथी अब तक कई बार फट चुका था और जोड़ा गया था, लेकिन वह सुलु का सबसे खास खजाना था।

एक दुखद मोड़

फिर एक दिन सब कुछ बदल गया।

अरुण, जो हमेशा मुस्कुराते रहते थे और ऊर्जा से भरे रहते थे, अचानक दिल का दौरा पड़ने से चल बसे। पूरा परिवार टूट गया। कभी हंसी-खुशी से भरा घर अब चुप हो गया, और हर तरफ केवल रोने की आवाजें और उदासी छा गई। सुलु नहीं समझ पाया कि क्या हुआ है, लेकिन उसे महसूस हुआ कि उसका अरुण अब वापस नहीं आएगा।

आने वाले दिनों में, परिवार अपने दुख में इतना डूबा हुआ था कि उन्होंने सुलु के दर्द पर ध्यान ही नहीं दिया। सुलु पूरे घर में भटकता, अरुण की कुर्सी को सूंघता और दरवाजे के पास जाकर बैठ जाता, जैसे उसकी वापसी का इंतजार कर रहा हो। उसने खाना भी छोड़ दिया और उसकी पूंछ, जो हमेशा खुशी से हिलती थी, अब स्थिर हो गई थी।

सुलु का दर्द

रात को, सुलु अपने कोने में जाकर अपने हाथी के खिलौने को पकड़कर लेट जाता और धीरे-धीरे रोता। परिवार इस बात से अनजान था कि सुलु भी उन्हीं की तरह शोक में डूबा हुआ है।

कुछ हफ्तों बाद, एक शाम जब परिवार भोजन कर रहा था, तो उन्होंने अचानक एक कराहने की आवाज सुनी। वे दौड़कर ड्राइंग रूम में पहुंचे और देखा कि सुलु अरुण की चप्पलों पर लेटा हुआ था। वह कांप रहा था और उसके पास उसका हाथी का खिलौना था। उसकी आंखों में दर्द साफ नजर आ रहा था।

यह देखकर परिवार को अहसास हुआ कि सुलु भी अरुण के जाने का गहरा दर्द झेल रहा है। वह अकेला महसूस कर रहा था और अपने भावनाओं को व्यक्त करने का तरीका ढूंढ रहा था।

समाधान

अगले दिन, वे उसे डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने सुलु की जांच की और परिवार की बात ध्यान से सुनी। डॉक्टर ने कहा, "सुलु भी आपकी तरह दुखी है। जानवर भी भावनाएं महसूस करते हैं और उन्हें भी दर्द होता है।"

डॉक्टर ने उन्हें Star of Bethlehem नामक एक औषधि दी और समझाया कि यह सुलु के भावनात्मक घावों को भरने में मदद करेगी।

परिवार और सुलु का साथ में ठीक होना

परिवार ने सुलु पर ज्यादा ध्यान देना शुरू किया। वे उसे सैर पर ले जाते, उसके साथ खेलते और उसे प्यार से बातें करते। उन्होंने Star of Bethlehem को उसके पानी में मिलाना शुरू किया। धीरे-धीरे सुलु ने खाना फिर से खाना शुरू कर दिया। उसकी पूंछ ने फिर से हिलना शुरू कर दिया और उसकी आंखों में एक बार फिर जीवन की चमक नजर आने लगी।

एक दिन, सुलु ने परिवार को चौंका दिया। उसने अपना हाथी का खिलौना उठाया और उसे अरुण की कुर्सी पर रख दिया। फिर वह शांत भाव से परिवार की तरफ देखने लगा, मानो कह रहा हो, "अरुण वापस नहीं आएंगे, लेकिन मैं उन्हें हमेशा याद रखूंगा।"

निष्कर्ष

उस दिन, शर्मा परिवार एक साथ बैठा और रोया। यह आंसू केवल दुख के नहीं थे, बल्कि प्यार, समझ और नई शुरुआत के थे। उन्होंने सीखा कि जानवर भी परिवार का हिस्सा होते हैं, और उनकी भावनाओं का ख्याल रखना भी हमारी जिम्मेदारी है।

कहानी का नैतिक संदेश:
दुख केवल इंसानों तक सीमित नहीं है। जानवर भी अपने प्रियजनों के खोने का दर्द महसूस करते हैं। हमें उनकी भावनाओं को समझने और उनका ख्याल रखने की जरूरत है। सच्ची हीलिंग तब होती है जब हम अपने प्यार और करुणा को हर जीव तक पहुंचाते हैं।
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Видео सुलु की कहानी ka ek hissa канала Blessing Birdy BB
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