Navgarah Mantra |नवग्रह मन्त्र | पूरे सप्ताह की शांति सुरक्षा के लिए | 7 days mantra everydaay
swar : Santosh Sinha स्सोम्वर से राविवर तक सतो दिन स्शंत करने के लिए और ग्रहों की शान्ति के लिए शास्त्रों में काई तरीके और मंत्र दिए गाय हिया जिनमे से सबसे प्रिसिद्ध और आसन तरीका है सातो द्दिनो के गृह देवता या इश्वर की साधना और इस मंत्रा में प्पोर्रे सप्ताह के मंत्र इक ही मंत्र मला में पिर्रोये गये हैं और इन साभी का ११०८ बार जाप किया गया है इस पूरे चक्र का ध्यान करने वाले की अवश्य स्तुति पराभू तक पहुंचेगी ऐस्सा मन में विश्वास आगार रखे और प प्रातः काल इस मंत्रा का चान्तिंग अवश्य सुने और ध्यान करें |
नवग्रह न केवल जातक के भविष्य का निर्धारण करते हैं बल्कि जातक के जीवन में अच्छे और बुरे का पल-प्रतिपल आदान-प्रदान भी करते हैं। ग्रह जातक के पूर्व कृत कर्म के आधार पर रोग, शोक, और सुख, ऐश्वर्य का भी प्रबंध करते हैं।
पीड़ित जातक को चाहिए कि वह पीड़ित ग्रह के दंड को पहचान कर उक्त ग्रह की अनुकूलता हेतु उक्त ग्रह का रत्न धारण करें और संबंधित ग्रह के मंत्र को जपें तो जातक सुखी बन सकता है। साथ में जातक संबंधित ग्रह के क्षेत्र का दान और उस ग्रह के रत्न की माला से जप करें तो जातक प्रसन्न व संपन्न होगा।
जानिए नवग्रहों के रत्न, धातु, मंत्र और जाप की संख्या के बारे में, जिसके आधार पर प्रत्येक ग्रह के दोष को आसानी से दूर कर उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है -
सूर्य - सूर्य को नवग्रहों में राजा माना गया है। सूर्य का प्रमुख रत्न माणिक्य है जो गहरे लाल-गुलाबी रंग का होता है। इसका उपरत्न लाल-रक्तमणि माना जाता है। सूर्य की प्रमुख धातु ताम्र यानि तांबा और अनाज गेहूं है। अत: सूर्य को प्रसन्न करने के लिए विशेषज्ञ की सलाह से माणिक्य या रक्तमणि पहना जाता है। तांबा धातु
पहनना एवं गेहूं का दान करना शुभ होता है।
सूर्य की शुभता के लिए सूर्योदय के समय इसके मंत्र - ॐ हृां हीं सः सूर्याय नमः का 7000 बार जाप करना फलदायक होता है।
चंद्रमा - चंद्रमा का प्रमुख रत्न श्वेत मोती है और इसकी धातु चांदी है। अनाज में चावल को चंद्रमा का कारक माना जाता है। चंद्रमा के लिए ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः
का जाप शाम के समय 11000 बार किए जाने का विधान है।
मंगल -मंगल का प्रमुख रत्न मूंगा है और जिसे तांबे में पहनना शुभ माना जाता है। अनाज में लाल मसूर की दाल को मंगल का कारक माना जाता है। मंगल को प्रसन्न करने के लिए इसके मंत्र - ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः मंत्र का जाप - 2 घटी-10000 बार किया जाना चाहिए।
बुध - बुध ग्रह का प्रमुख रत्न पन्ना है और इसकी धातु कांसे को माना जाता है। हरी मूंग, हरा रंग, व हरिल वस्तुएं बुध की कारक हैं। बुध को शुभ बनाने के लिए - ॐ ब्रां ब्रीं ब्रों सः बुधाय नमः का जाप -5 घटी- 9000 बार करना चाहिए।
गुरु - गुरु का प्रमुख रत्न पुखराज है। इसके अलावा सोना,चनादाल,पीला रंग, पीली हल्दी को भी गुरु का कारक माना गया है। गुरु की शुभता के लिए -
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों सः गुरुवै
नमः
का शाम के समय कुल 19000 बार जाप किया जाना चाहिए।
6शुक्र - शुक्र ग्रह का प्रमुख रत्न हीरा है। चांदी, चावल, श्वेत स्फटिक एवं सफेद रंग को शुक्र का कारक माना जाता है। शुक्र को शुभ बनाने के लिए -
ॐ द्रां द्रीं द्रों सः शुक्राय नम: का जाप सूर्योदय के समय कुल 16000 बार किया जाना चाहिए।
शनि - शनि ग्रह का प्रमुख रत्न नीलम है और लोहा, उड़ददाल, काला-नीलमणि आदि को शनि का कारक माना जाता है। शनि को प्रसन्न करने के लिए -
ॐ प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नम:मंत्र का जाप, संध्या समय कुल 23000 बार किया जाना चाहिए।
राहु - राहु के लिए गोमेद रत्न धारण किया जाता है। इसके साथ ही सीसा, तिल, काले रंग को राहु का कारक माना गया है। राहु की शांति के लिए -
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः मंत्र का जाप रात्रि में कुल 18000 बार किए जाने का विधान है।
9 केतु - केतु का रत्न लहसुनिया माना गया है और लोहा, सफेद तिल, ध्रूमवर्ण, नौरंगी को इसका कारक माना गया है। केतु की शुभता के लिए -
ॐ स्रां स्रीं स्रों सः केतवे नमः मंत्र का जाप रात्रि के समय कुल 17000 बार किया जाना चाहिए
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नवग्रह न केवल जातक के भविष्य का निर्धारण करते हैं बल्कि जातक के जीवन में अच्छे और बुरे का पल-प्रतिपल आदान-प्रदान भी करते हैं। ग्रह जातक के पूर्व कृत कर्म के आधार पर रोग, शोक, और सुख, ऐश्वर्य का भी प्रबंध करते हैं।
पीड़ित जातक को चाहिए कि वह पीड़ित ग्रह के दंड को पहचान कर उक्त ग्रह की अनुकूलता हेतु उक्त ग्रह का रत्न धारण करें और संबंधित ग्रह के मंत्र को जपें तो जातक सुखी बन सकता है। साथ में जातक संबंधित ग्रह के क्षेत्र का दान और उस ग्रह के रत्न की माला से जप करें तो जातक प्रसन्न व संपन्न होगा।
जानिए नवग्रहों के रत्न, धातु, मंत्र और जाप की संख्या के बारे में, जिसके आधार पर प्रत्येक ग्रह के दोष को आसानी से दूर कर उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है -
सूर्य - सूर्य को नवग्रहों में राजा माना गया है। सूर्य का प्रमुख रत्न माणिक्य है जो गहरे लाल-गुलाबी रंग का होता है। इसका उपरत्न लाल-रक्तमणि माना जाता है। सूर्य की प्रमुख धातु ताम्र यानि तांबा और अनाज गेहूं है। अत: सूर्य को प्रसन्न करने के लिए विशेषज्ञ की सलाह से माणिक्य या रक्तमणि पहना जाता है। तांबा धातु
पहनना एवं गेहूं का दान करना शुभ होता है।
सूर्य की शुभता के लिए सूर्योदय के समय इसके मंत्र - ॐ हृां हीं सः सूर्याय नमः का 7000 बार जाप करना फलदायक होता है।
चंद्रमा - चंद्रमा का प्रमुख रत्न श्वेत मोती है और इसकी धातु चांदी है। अनाज में चावल को चंद्रमा का कारक माना जाता है। चंद्रमा के लिए ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः
का जाप शाम के समय 11000 बार किए जाने का विधान है।
मंगल -मंगल का प्रमुख रत्न मूंगा है और जिसे तांबे में पहनना शुभ माना जाता है। अनाज में लाल मसूर की दाल को मंगल का कारक माना जाता है। मंगल को प्रसन्न करने के लिए इसके मंत्र - ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः मंत्र का जाप - 2 घटी-10000 बार किया जाना चाहिए।
बुध - बुध ग्रह का प्रमुख रत्न पन्ना है और इसकी धातु कांसे को माना जाता है। हरी मूंग, हरा रंग, व हरिल वस्तुएं बुध की कारक हैं। बुध को शुभ बनाने के लिए - ॐ ब्रां ब्रीं ब्रों सः बुधाय नमः का जाप -5 घटी- 9000 बार करना चाहिए।
गुरु - गुरु का प्रमुख रत्न पुखराज है। इसके अलावा सोना,चनादाल,पीला रंग, पीली हल्दी को भी गुरु का कारक माना गया है। गुरु की शुभता के लिए -
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों सः गुरुवै
नमः
का शाम के समय कुल 19000 बार जाप किया जाना चाहिए।
6शुक्र - शुक्र ग्रह का प्रमुख रत्न हीरा है। चांदी, चावल, श्वेत स्फटिक एवं सफेद रंग को शुक्र का कारक माना जाता है। शुक्र को शुभ बनाने के लिए -
ॐ द्रां द्रीं द्रों सः शुक्राय नम: का जाप सूर्योदय के समय कुल 16000 बार किया जाना चाहिए।
शनि - शनि ग्रह का प्रमुख रत्न नीलम है और लोहा, उड़ददाल, काला-नीलमणि आदि को शनि का कारक माना जाता है। शनि को प्रसन्न करने के लिए -
ॐ प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नम:मंत्र का जाप, संध्या समय कुल 23000 बार किया जाना चाहिए।
राहु - राहु के लिए गोमेद रत्न धारण किया जाता है। इसके साथ ही सीसा, तिल, काले रंग को राहु का कारक माना गया है। राहु की शांति के लिए -
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः मंत्र का जाप रात्रि में कुल 18000 बार किए जाने का विधान है।
9 केतु - केतु का रत्न लहसुनिया माना गया है और लोहा, सफेद तिल, ध्रूमवर्ण, नौरंगी को इसका कारक माना गया है। केतु की शुभता के लिए -
ॐ स्रां स्रीं स्रों सः केतवे नमः मंत्र का जाप रात्रि के समय कुल 17000 बार किया जाना चाहिए
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