क्या भारत के पास हाइड्रोजन बम है ?
हेलो दोस्तों भारत ने 28 मई 1974 में अत्यधिक अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद राजस्थान पोखरण में अपना पहला भूमि गत परमाणु परीक्षण किया और स्वयं को सारी दुनिया के सामने परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया ।और उस दिन पूरी दुनिया के सामने भारत एक शक्तिशाली देश के रूप में उभर कर सामने आया ।
पर जब चीन और अमेरिका जैसे देशों ने हाइड्रोजन बम बना लिया तो इन्होंने एक संगठन बनाकर दुनिया पर दादा गिरी दिखानी शुरू कर दी और दूसरे देशों द्वारा शुरू किये गए परमाणु कार्यक्रमों का विरोध शुरू कर दिया। चीन ने भारत पर दादा गिरी दिखानी शुरू कर दी जिससे भारत को भी हाइड्रोजन बम बनाने का की जरूरत महसूस हुई । इसके बाद भारत ने सीक्रेट मिशन के तहत हाइड्रोजन बम बनाना शुरू कर दिया और 11 मई 1998 में अटल विहारी वाजपयी की सरकार में हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण किया। भारत सरकार ने किसी भी देश को इस परीक्षण की खबर तक नहीं लगने दी और जैसे ही परीक्षण किया गया, पूरी दुनिया में कोहराम मच गया।
दरहसल
11 और 13 मई, 1998 को राजस्थान के पोरखरण परमाणु परीक्षण में स्थल पर पांच परमाणु परीक्षण किये थे। इनमें 45 किलोटन का एक फ्यूज़न परमाणु उपकरण भी शामिल था। इसे आमतौर पर हाइड्रोजन बम के नाम से जाना जाता है। 11 मई को हुए परमाणु परीक्षण में 15 किलोटन का विखंडन (फिशन) उपकरण और 0.2 किलोटन का सहायक उपकरण शामिल था।
हाइड्रोजन बम के इन धमाकों से सारा संसार चकीत रह गया। हाइड्रोजन बम का धमाका इतना तेज था कि परीक्षण स्थल के आस-पास के मकानों में भी दरारें पड़ गई। पर देश की इस महान उपलब्धि के सामने लोगों को अपने घरो के टूटने से इतनी चिंता नहीं हुई ,जितनी प्रसन्नता देश की इस महान सफलता से हुई। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी २० मई को परीक्षण स्थल पहुंचे। वही प्रधानमंत्री ने देश को एक नया नारा दिया'जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान'। सभी देशवासी प्रधान मंत्री के साथ-साथ गर्व से भर उठे।
इन परमाणु परीक्षण के बाद जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित प्रमुख देशों द्वारा भारत के खिलाफ विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों लगाये गए।
अमरीका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन आदि देशों ने भारत को आर्थिक सहायता न देने की धमकी भी दी। किन्तू भारत इन धमकियों के सामने नहीं झुका।
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पर जब चीन और अमेरिका जैसे देशों ने हाइड्रोजन बम बना लिया तो इन्होंने एक संगठन बनाकर दुनिया पर दादा गिरी दिखानी शुरू कर दी और दूसरे देशों द्वारा शुरू किये गए परमाणु कार्यक्रमों का विरोध शुरू कर दिया। चीन ने भारत पर दादा गिरी दिखानी शुरू कर दी जिससे भारत को भी हाइड्रोजन बम बनाने का की जरूरत महसूस हुई । इसके बाद भारत ने सीक्रेट मिशन के तहत हाइड्रोजन बम बनाना शुरू कर दिया और 11 मई 1998 में अटल विहारी वाजपयी की सरकार में हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण किया। भारत सरकार ने किसी भी देश को इस परीक्षण की खबर तक नहीं लगने दी और जैसे ही परीक्षण किया गया, पूरी दुनिया में कोहराम मच गया।
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11 और 13 मई, 1998 को राजस्थान के पोरखरण परमाणु परीक्षण में स्थल पर पांच परमाणु परीक्षण किये थे। इनमें 45 किलोटन का एक फ्यूज़न परमाणु उपकरण भी शामिल था। इसे आमतौर पर हाइड्रोजन बम के नाम से जाना जाता है। 11 मई को हुए परमाणु परीक्षण में 15 किलोटन का विखंडन (फिशन) उपकरण और 0.2 किलोटन का सहायक उपकरण शामिल था।
हाइड्रोजन बम के इन धमाकों से सारा संसार चकीत रह गया। हाइड्रोजन बम का धमाका इतना तेज था कि परीक्षण स्थल के आस-पास के मकानों में भी दरारें पड़ गई। पर देश की इस महान उपलब्धि के सामने लोगों को अपने घरो के टूटने से इतनी चिंता नहीं हुई ,जितनी प्रसन्नता देश की इस महान सफलता से हुई। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी २० मई को परीक्षण स्थल पहुंचे। वही प्रधानमंत्री ने देश को एक नया नारा दिया'जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान'। सभी देशवासी प्रधान मंत्री के साथ-साथ गर्व से भर उठे।
इन परमाणु परीक्षण के बाद जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित प्रमुख देशों द्वारा भारत के खिलाफ विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों लगाये गए।
अमरीका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन आदि देशों ने भारत को आर्थिक सहायता न देने की धमकी भी दी। किन्तू भारत इन धमकियों के सामने नहीं झुका।
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