21जून 2021 "निर्जला एकादशी" के दिन न करें ये गलतियाँ भगवान को होगा कष्ट🌈🚩Nirjala Ekadashi 21Jun 2021
21जून 2021निर्जला एकादशी के दिन न करें ये गलतियाँ भगवान को होगा कष्ट,Nirjala Ekadashi 21Jun 2021
निर्जला एकादशी की कथा सुनने से जनम,जनम के पापों का नाश होगा,बनेंगे सभी बिगड़े काम,मिलेगा मनचाहा वरदान याने पारण मुहूर्त, व्रत की विधि, क्या करे क्या नहीं | Nirjala Ekadashi 2021 date and paran time in hindi
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ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी 21जून 2021 सोमवार को है।
निर्जला एकादशी का का व्रत नियम पूर्वक करने से पूरे साल की सभी एकादशी का सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है इस निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं, क्योंकि महर्षि वेदव्यास के अनुसार भीमसेन ने इसे धारण किया था। इस एकादशी का व्रत रखने से ही साल में आने वाली समस्त एकादशी के व्रत का फल प्राप्त होता है। यह व्रत सभी महिलाएं,विवाहित, कुँवारी कन्या व विधवा महिलाओं को व सभी पुरुषों को करना चाहिए, 21 जून 2021 सोमवार के सूर्योदय 5:38 am से यह व्रत प्रारम्भ होगा जो कि 24 घण्टे निरतंर चलेगा व पारणा 22 जून 2021 मंगलवार सुबह 5:35 am से 8:18 am तक व्रत खोले या पारणा करें। जो मनुष्य वर्षभर की समस्त एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं, उन्हें निर्जला एकादशी का उपवास अवश्य करना चाहिए। क्योंकि इस व्रत को रखने से अन्य सभी एकादशियों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत में एकादशी तिथि के सूर्योदय से अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल ,फल,भोजन,और कुछ भीर ग्रहण नहीं क जाता है। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त मे स्नान के बाद सर्वप्रथम भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें उनको दूध,फल,मिठाई का भोग तुलसी पत्र रखकर अनिवार्य रूप से लगाना चाहिए एवं हाथ में जल व तुलसी पत्र रखकर संकल्प करें आज में निर्जला एकादशी का व्रत करूँगा या करूंगी, इसके पश्चात भगवान का ध्यान करते हुए 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।कथा सुनना और भगवान का कीर्तन करना चाहिए।व्रती को चाहिए कि वह जल से कलश भरे व सफ़ेद वस्त्र को उस पर ढककर रखें और उस पर चीनी और दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दान, पुण्य आदि कर इस व्रत का विधान पूर्ण होता है। धार्मिक मान्यता में इस व्रत का फल लंबी उम्र, स्वास्थ्य देने के साथ-साथ सभी पापों का नाश करने वाला माना गया है। इस दिन जल कलश का दान करने वालों श्रद्धालुओं को वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है व्रत करने से अन्य एकादशियों पर अन्न खाने का दोष छूट जाता है और सम्पूर्ण एकादशियों के पुण्य का लाभ भी मिलता है। माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर अविनाशी पद प्राप्त करता है।एकादशी की रात को सोना नहीं चाहिए। पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।एकादशी के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है। पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है। इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने वाला पाप का भागी बनता है।चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है।एकादशी पर क्रोध भी नहीं करना चाहिए। इससे मानसिक हिंसा होती है।.निर्जला एकादशी के दिन बड़े बुर्जुग लोगो का अपमान नहीं करना चाहिए व उनका दिल नही दुखाना चाहिए।निर्जला एकादशी के दिन पतिपत्नी को सहवास नहीं करना चाहिए याने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिएनिर्जला एकादशी के दिन क्रोध नहीं करना चाहिएनिर्जला एकादशी के दिन झूठ व छल कपट का उपयोग नही करना चाहिए।निर्जला एकादशी के दिन दिन में नही सोना चाहिए।.निर्जला एकादशी के दिन तुलसी पत्र नही तोड़न चाहिए साथ कोई भी पेड़ पौधों को काटना नही चाहिये,निर्जला एकादशी के दिन पान नही खाना चाहिए।निर्जला एकादशी के दिन किसी महिला का दिल नही दुखाना चाहिए14निर्जला एकादशी के दिन किसी भी याचक या भिखारी को घर से खाली हाथ नही लौटाना चाहिए।निर्जला एकादशी के दिन अतिथि का अपमान नही करना चाहिए अपनी हैसियत के अनुसार उनका सम्मान जरूर करना चाहिए। बिना स्नान किया कोई भी काम नही करना चाहिएनिर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठना अनिवार्य है व प्रयास करना चाहिए सूर्योदय से पहले स्नान करके सूर्य देव को जल चढ़ाकर भगवान की पूजा अर्चना सम्पन्न हो जावे।निर्जला एकादशी पर क्या करें.शाम के समय तुलसी जी की पूजा करें। व्रत के अगले दिन सुबह उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और गरीब, जरूरतमंद या फिर ब्राह्मणों को भोजन कराने से पुण्य प्राप्त होता है। एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा- ‘हे परम आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं। लेकिन मैं भूख नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है।’भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा- ‘पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है।जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीये रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है।’ कहा जाता है कि महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए।
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Видео 21जून 2021 "निर्जला एकादशी" के दिन न करें ये गलतियाँ भगवान को होगा कष्ट🌈🚩Nirjala Ekadashi 21Jun 2021 канала Aacharya Guruji
निर्जला एकादशी की कथा सुनने से जनम,जनम के पापों का नाश होगा,बनेंगे सभी बिगड़े काम,मिलेगा मनचाहा वरदान याने पारण मुहूर्त, व्रत की विधि, क्या करे क्या नहीं | Nirjala Ekadashi 2021 date and paran time in hindi
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ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी 21जून 2021 सोमवार को है।
निर्जला एकादशी का का व्रत नियम पूर्वक करने से पूरे साल की सभी एकादशी का सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है इस निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं, क्योंकि महर्षि वेदव्यास के अनुसार भीमसेन ने इसे धारण किया था। इस एकादशी का व्रत रखने से ही साल में आने वाली समस्त एकादशी के व्रत का फल प्राप्त होता है। यह व्रत सभी महिलाएं,विवाहित, कुँवारी कन्या व विधवा महिलाओं को व सभी पुरुषों को करना चाहिए, 21 जून 2021 सोमवार के सूर्योदय 5:38 am से यह व्रत प्रारम्भ होगा जो कि 24 घण्टे निरतंर चलेगा व पारणा 22 जून 2021 मंगलवार सुबह 5:35 am से 8:18 am तक व्रत खोले या पारणा करें। जो मनुष्य वर्षभर की समस्त एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं, उन्हें निर्जला एकादशी का उपवास अवश्य करना चाहिए। क्योंकि इस व्रत को रखने से अन्य सभी एकादशियों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत में एकादशी तिथि के सूर्योदय से अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल ,फल,भोजन,और कुछ भीर ग्रहण नहीं क जाता है। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त मे स्नान के बाद सर्वप्रथम भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें उनको दूध,फल,मिठाई का भोग तुलसी पत्र रखकर अनिवार्य रूप से लगाना चाहिए एवं हाथ में जल व तुलसी पत्र रखकर संकल्प करें आज में निर्जला एकादशी का व्रत करूँगा या करूंगी, इसके पश्चात भगवान का ध्यान करते हुए 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।कथा सुनना और भगवान का कीर्तन करना चाहिए।व्रती को चाहिए कि वह जल से कलश भरे व सफ़ेद वस्त्र को उस पर ढककर रखें और उस पर चीनी और दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दान, पुण्य आदि कर इस व्रत का विधान पूर्ण होता है। धार्मिक मान्यता में इस व्रत का फल लंबी उम्र, स्वास्थ्य देने के साथ-साथ सभी पापों का नाश करने वाला माना गया है। इस दिन जल कलश का दान करने वालों श्रद्धालुओं को वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है व्रत करने से अन्य एकादशियों पर अन्न खाने का दोष छूट जाता है और सम्पूर्ण एकादशियों के पुण्य का लाभ भी मिलता है। माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर अविनाशी पद प्राप्त करता है।एकादशी की रात को सोना नहीं चाहिए। पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।एकादशी के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है। पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है। इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने वाला पाप का भागी बनता है।चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है।एकादशी पर क्रोध भी नहीं करना चाहिए। इससे मानसिक हिंसा होती है।.निर्जला एकादशी के दिन बड़े बुर्जुग लोगो का अपमान नहीं करना चाहिए व उनका दिल नही दुखाना चाहिए।निर्जला एकादशी के दिन पतिपत्नी को सहवास नहीं करना चाहिए याने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिएनिर्जला एकादशी के दिन क्रोध नहीं करना चाहिएनिर्जला एकादशी के दिन झूठ व छल कपट का उपयोग नही करना चाहिए।निर्जला एकादशी के दिन दिन में नही सोना चाहिए।.निर्जला एकादशी के दिन तुलसी पत्र नही तोड़न चाहिए साथ कोई भी पेड़ पौधों को काटना नही चाहिये,निर्जला एकादशी के दिन पान नही खाना चाहिए।निर्जला एकादशी के दिन किसी महिला का दिल नही दुखाना चाहिए14निर्जला एकादशी के दिन किसी भी याचक या भिखारी को घर से खाली हाथ नही लौटाना चाहिए।निर्जला एकादशी के दिन अतिथि का अपमान नही करना चाहिए अपनी हैसियत के अनुसार उनका सम्मान जरूर करना चाहिए। बिना स्नान किया कोई भी काम नही करना चाहिएनिर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठना अनिवार्य है व प्रयास करना चाहिए सूर्योदय से पहले स्नान करके सूर्य देव को जल चढ़ाकर भगवान की पूजा अर्चना सम्पन्न हो जावे।निर्जला एकादशी पर क्या करें.शाम के समय तुलसी जी की पूजा करें। व्रत के अगले दिन सुबह उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और गरीब, जरूरतमंद या फिर ब्राह्मणों को भोजन कराने से पुण्य प्राप्त होता है। एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा- ‘हे परम आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं। लेकिन मैं भूख नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है।’भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा- ‘पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है।जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीये रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है।’ कहा जाता है कि महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए।
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